सुन्दर लिंक्स l मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार l
bahtriin collection bdhaai
बहुत सुन्दर और उपयोगी लिंक्स! मुझे स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार!
बहुत सुंदर है आज दिल बाग की चर्चा !
बहुत सुन्दर पठनीय लिंक्स l मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ...! दिलबाग जी ....
रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार !
waah basant ka purn anand , dilbaag ji aapka tahe dil se abhaar hamen shamil karne hatu , sabhi charcha acchi lagi , hardik badhai aapko
बहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स...आभार..
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार
बहुत सुन्दर लिंक्स...आभार..
श्रेष्ठ गुणवत्ता लिए हैं सेतु सुन्दर समन्वयन ,आभार "आरोग्य समाचार "खपाने का।
सुन्दर है कैफियत तुम जीना भूल जाओगे
बहुत सटीक बहुत सुन्दर प्रासंगिक चित्रण .भ्रष्टाचारी मर रहे, जियें झूठ के वीर |क़त्ल कलम करने लगी, जिला रही शमशीर |जिला रही शमशीर, चोर-कुल जिला-बदर हो |जो मारे सो मीर, शोर भी अब दमभर हो |हुआ अराजक राज, करे झूठा मक्कारी |झूठ-मूठ आह्लाद, मिटा हर भ्रष्टाचारी ||
क्या बात है मदन उत्सव का संग्रहणीय राग है यह बसंत गीत .शैली का माधुर्य अप्रतिम है .गाया बसंत आया बसंत, भाया बसंत मधुर राग , गाया बसंत- आँगन ने कहा आँचल ने कहा सजनी ने कहा साजन ने कहा-जड़ चेतन में राग मधुर सज प्रेम भरी मधु गागर ने कहा- किसलय कली महकाया बसंत - रस पोरी में मद गोरी में भरा नेह पतंग संग डोरी में भरा-रंग रूप निधि क्षितिजा संवरी तन पीत -प्रसून परिमल से भरा-अंग - प्रत्यंग समाया अनंग -अतिशय अभिनदन भ्रमरों का किस कली कुसुम की छाँव गहुँ मधुमास बसंती जग मद पसराएक पादप की क्या बात कहूं -विस्मृत पल थे लाया बसंत-किसी देव लोक से आया बसंत - - उदय वीर सिंह
स्वागत हे आगत बसंत।
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सुन्दर लिंक्स l मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार l
ReplyDeletebahtriin collection bdhaai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और उपयोगी लिंक्स! मुझे स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार!
ReplyDeleteबहुत सुंदर है आज दिल बाग की चर्चा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पठनीय लिंक्स l मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ...! दिलबाग जी ....
ReplyDeleteरचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार !
ReplyDeletewaah basant ka purn anand , dilbaag ji aapka tahe dil se abhaar hamen shamil karne hatu , sabhi charcha acchi lagi , hardik badhai aapko
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स...आभार..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स...आभार..
ReplyDeleteश्रेष्ठ गुणवत्ता लिए हैं सेतु सुन्दर समन्वयन ,आभार "आरोग्य समाचार "खपाने का।
ReplyDeleteसुन्दर है कैफियत
ReplyDeleteतुम जीना भूल जाओगे
बहुत सटीक बहुत सुन्दर प्रासंगिक चित्रण .
ReplyDeleteभ्रष्टाचारी मर रहे, जियें झूठ के वीर |
क़त्ल कलम करने लगी, जिला रही शमशीर |
जिला रही शमशीर, चोर-कुल जिला-बदर हो |
जो मारे सो मीर, शोर भी अब दमभर हो |
हुआ अराजक राज, करे झूठा मक्कारी |
झूठ-मूठ आह्लाद, मिटा हर भ्रष्टाचारी ||
क्या बात है मदन उत्सव का संग्रहणीय राग है यह बसंत गीत .शैली का माधुर्य अप्रतिम है .
ReplyDeleteगाया बसंत
आया बसंत, भाया बसंत
मधुर राग , गाया बसंत-
आँगन ने कहा आँचल ने कहा
सजनी ने कहा साजन ने कहा-
जड़ चेतन में राग मधुर सज
प्रेम भरी मधु गागर ने कहा-
किसलय कली महकाया बसंत -
रस पोरी में मद गोरी में भरा
नेह पतंग संग डोरी में भरा-
रंग रूप निधि क्षितिजा संवरी
तन पीत -प्रसून परिमल से भरा-
अंग - प्रत्यंग समाया अनंग -
अतिशय अभिनदन भ्रमरों का
किस कली कुसुम की छाँव गहुँ
मधुमास बसंती जग मद पसरा
एक पादप की क्या बात कहूं -
विस्मृत पल थे लाया बसंत-
किसी देव लोक से आया बसंत -
- उदय वीर सिंह
स्वागत हे आगत बसंत।
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