मित्रों!
सोमवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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खूबसूरत सफ़र
मेरी दूर की नज़र कमज़ोर,
पास की सही !
तुम्हारी पास की नज़र कमज़ोर,
दूर की सही !
तो चलो फिर !
तुम दूर की ज़िन्दगी सँवार लो...
मैं पास की ज़िन्दगी सँवार लूँ...
अपने 'साथ' के सफ़र को ख़ूबसूरत बना लें हम ...
अनिता ललित
सहज साहित्य पर सहज साहित्य
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कविता पढ़ने से पहले एक प्रश्न
*यथार्थ के*
*धरातल पर*
*खड़े होकर चाहिए*
*जीने के लिए पैसा*
*रहने के लिए घर*
*खाने को रोटी*
*पहनने को कपड़ा*
*मैं भी जरूर पढ़ूँगा *
*पर पहले*
*यह बता दो*
*क्या मुझे*
*यह सब कुछ*
*दे सकती है*
*तुम्हारी कविता?
अंतर्मन की लहरें पर सारिका मुकेश
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खूबसूरत सफ़र
मेरी दूर की नज़र कमज़ोर,
पास की सही !
तुम्हारी पास की नज़र कमज़ोर,
दूर की सही !
तो चलो फिर !
तुम दूर की ज़िन्दगी सँवार लो...
मैं पास की ज़िन्दगी सँवार लूँ...
अपने 'साथ' के सफ़र को ख़ूबसूरत बना लें हम ...
अनिता ललित
सहज साहित्य पर सहज साहित्य
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कविता पढ़ने से पहले एक प्रश्न
*यथार्थ के*
*धरातल पर*
*खड़े होकर चाहिए*
*जीने के लिए पैसा*
*रहने के लिए घर*
*खाने को रोटी*
*पहनने को कपड़ा*
*मैं भी जरूर पढ़ूँगा *
*पर पहले*
*यह बता दो*
*क्या मुझे*
*यह सब कुछ*
*दे सकती है*
*तुम्हारी कविता?
अंतर्मन की लहरें पर सारिका मुकेश
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निकल पड़ो ज़िंदगी की लम्बी उड़ान भरने
दुःख होता है
देख तुम्हे कैद दीवारों में
जो बना रखी
खुद तुमने अपने ही हाथों...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
दुःख होता है
देख तुम्हे कैद दीवारों में
जो बना रखी
खुद तुमने अपने ही हाथों...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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आज कुछ हर्फों में
बारहा खुद से तुम न युहीं लड़ो यारों
इक दफा खुद की भी बात तो सुन लो यारों
जिस तरफ कोई शख्स भी नहीं जाता ,
उस तरफ मुझको, आज ,ले चलो यारों...
कविता-एक कोशिश पर नीलांश
बारहा खुद से तुम न युहीं लड़ो यारों
इक दफा खुद की भी बात तो सुन लो यारों
जिस तरफ कोई शख्स भी नहीं जाता ,
उस तरफ मुझको, आज ,ले चलो यारों...
कविता-एक कोशिश पर नीलांश
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अब भी वहीं हैं .
सोचता हूँ न जाने कब
मौन को मिली होगी भाषा
न जाने कब गड़े गए होंगे अक्षर
और न जाने कब
अक्षर अक्षर जुड़ कर
बने होंगे कुछ शब्द...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
सोचता हूँ न जाने कब
मौन को मिली होगी भाषा
न जाने कब गड़े गए होंगे अक्षर
और न जाने कब
अक्षर अक्षर जुड़ कर
बने होंगे कुछ शब्द...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
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चल देखते हैं
किसकी सीटी कौन अब
कितना बजा ले जायेगा
व्हिसल ब्लोअर विधेयक भी हो गया है
राज्यसभा में आज पास
सीटी बजाने की इच्छा रखने वालों की
चलो पूरी हुई एक आस...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
किसकी सीटी कौन अब
कितना बजा ले जायेगा
व्हिसल ब्लोअर विधेयक भी हो गया है
राज्यसभा में आज पास
सीटी बजाने की इच्छा रखने वालों की
चलो पूरी हुई एक आस...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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'कोई वजह तो चाहिए !''

मुस्कुराने के लिए कोई वजह तो चाहिए ,
आह भरने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
पूछते हैं सब यही खामोश क्यूँ हो तुम ?
लब हिलाने के लिए कोई वजह तो चाहिए...
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
पर
shikha kaushik
मुस्कुराने के लिए कोई वजह तो चाहिए ,
आह भरने के लिए कोई वजह तो चाहिए !
पूछते हैं सब यही खामोश क्यूँ हो तुम ?
लब हिलाने के लिए कोई वजह तो चाहिए...
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
पर
shikha kaushik
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कहानी कुछ और होगी सत्य कुछ और

मैं भीष्म वाणों की शय्या पर
अपने इच्छित मृत्यु वरदान के साथ
कुरुक्षेत्र का परिणाम देख रहा हूँ या .......
अपनी प्रतिज्ञा से बने
कुरुक्षेत्र की विवेचना कर रहा हूँ ?..
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...

मैं भीष्म वाणों की शय्या पर
अपने इच्छित मृत्यु वरदान के साथ
कुरुक्षेत्र का परिणाम देख रहा हूँ या .......
अपनी प्रतिज्ञा से बने
कुरुक्षेत्र की विवेचना कर रहा हूँ ?..
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
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कॉंग्रेस में ही है दम
''कोई दुश्मन भी मिले तो करो बढ़कर सलाम,
पहले खुद झुकता है औरों को झुकाने वाला .''
और यही आज कॉंग्रेस की सफलता का
एक महत्वपूर्ण रहस्य है और सच्चाई भी .
कॉंग्रेस को अपनी एक और सफलता की
और समस्त आंध्र प्रदेश वासियों को
तेलंगाना के रूप में एक नया राज्य मिलने की
बहुत बहुत शुभकामनायें...

! कौशल ! पर Shalini Kaushik
''कोई दुश्मन भी मिले तो करो बढ़कर सलाम,
पहले खुद झुकता है औरों को झुकाने वाला .''
और यही आज कॉंग्रेस की सफलता का
एक महत्वपूर्ण रहस्य है और सच्चाई भी .
कॉंग्रेस को अपनी एक और सफलता की
और समस्त आंध्र प्रदेश वासियों को
तेलंगाना के रूप में एक नया राज्य मिलने की
बहुत बहुत शुभकामनायें...

! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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"स्वागतगान"

लगभग 29 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था।
इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ,
जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों में भी
इसको विशेष अवसरों पर गाया जाने लगा।
आप भी देखे-
स्वागतम आपका कर रहा हर सुमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
भक्त को मिल गये देव बिन जाप से,
धन्य शिक्षा-सदन हो गया आपसे,
आपके साथ आया सुगन्धित पवन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन...
हँसता गाता बचपन
लगभग 29 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था।
इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ,
जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों में भी
इसको विशेष अवसरों पर गाया जाने लगा।
आप भी देखे-
स्वागतम आपका कर रहा हर सुमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
भक्त को मिल गये देव बिन जाप से,
धन्य शिक्षा-सदन हो गया आपसे,
आपके साथ आया सुगन्धित पवन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन...
हँसता गाता बचपन
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जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो
दिलों में रंजिशें ना हों यहाँ ऐसा जहाँ इक हो
जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो
नया हर जो सवेरा हो मिले सुख शांति हर घर में
मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा आशियाँ इक हो...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
दिलों में रंजिशें ना हों यहाँ ऐसा जहाँ इक हो
जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो
नया हर जो सवेरा हो मिले सुख शांति हर घर में
मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा आशियाँ इक हो...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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ग़ज़ल - जबकि दिल आ गया...

जबकि दिल आ गया किसी पर है ॥
कैसे कह दूँ कि हाल बेहतर है
तू किसी और से ये मत कहना
हालाँकि मामला उजागर है..
डॉ. हीरालाल प्रजापति

जबकि दिल आ गया किसी पर है ॥
कैसे कह दूँ कि हाल बेहतर है
तू किसी और से ये मत कहना
हालाँकि मामला उजागर है..
डॉ. हीरालाल प्रजापति
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भला यह भी कोई बात हुई?

तारीख़ गवाह है
जब भी मैंने अपना दिल नीलामी पर चढ़ाया
बोली लगाने कोई न आया
भला यह भी कोई बात हुई?
बोली तो कोई नहीं लगाया
पर बोलियों की बरसात हुई...
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
तारीख़ गवाह है
जब भी मैंने अपना दिल नीलामी पर चढ़ाया
बोली लगाने कोई न आया
भला यह भी कोई बात हुई?
बोली तो कोई नहीं लगाया
पर बोलियों की बरसात हुई...
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
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कितने पापड़ बेले है
काँटों में भी उलझे है हम,
फूलों संग भी खेले है
खुशियों का भी स्वाद चखा है
दुःख भी हमने झेले है...
*साहित्य प्रेमी संघ* पर Ghotoo
काँटों में भी उलझे है हम,
फूलों संग भी खेले है
खुशियों का भी स्वाद चखा है
दुःख भी हमने झेले है...
*साहित्य प्रेमी संघ* पर Ghotoo
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23 फरवरी की ग्रहस्थिति महत्वपूर्ण है ..
पढिए किन लग्नवालों के लिए किन मामलों में .....
लग्न राशिफल

मनुष्य का लग्न बहुत ही प्रभावी होता है , इसलिए गत्यात्मक ज्योतिष की सारी भविष्यवाणियां इसपर आधारित होती है। सूर्योदय के ग्रहों के हिसाब से ही हर लग्नवालों के हर दिन की परिस्थितियां निश्चित होती है , जानकारी रहने से उस हिसाब से कार्यक्रम बनाए जा सकते हैं। आपका रूटीन सामान्य दिनों की तरह का हो तो कोई बात नहीं , कुछ विशेष करने जा रहे हों तो ग्रहीय परिस्थितियों का ख्याल रखें। खासकर प्रतिदिन के इस राशिफल में अपने जीवन के संवेदनशील पक्ष के बारे में लिखे गए बातों पर अवश्य ध्यान दें...
संगीता पुरी
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पढिए किन लग्नवालों के लिए किन मामलों में .....
लग्न राशिफल

मनुष्य का लग्न बहुत ही प्रभावी होता है , इसलिए गत्यात्मक ज्योतिष की सारी भविष्यवाणियां इसपर आधारित होती है। सूर्योदय के ग्रहों के हिसाब से ही हर लग्नवालों के हर दिन की परिस्थितियां निश्चित होती है , जानकारी रहने से उस हिसाब से कार्यक्रम बनाए जा सकते हैं। आपका रूटीन सामान्य दिनों की तरह का हो तो कोई बात नहीं , कुछ विशेष करने जा रहे हों तो ग्रहीय परिस्थितियों का ख्याल रखें। खासकर प्रतिदिन के इस राशिफल में अपने जीवन के संवेदनशील पक्ष के बारे में लिखे गए बातों पर अवश्य ध्यान दें...
संगीता पुरी
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एकता के थूककर चाटने के बाद
अब बालाजी टेलीफिल्मस की नई चाल
देखते है अपने सीरियलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति पर चोट करने के लिए कुख्यात और फ़िल्मी दुनियां में किसी के आगे ना झुकने के लिए मशहूर एकता कपूर दुबारा राजपूत युवाओं के आगे सिर झुकाती है या नहीं !! जो भी हो पर इस बार यह तय है कि एकता कपूर को पूर्व में अपने किये का खामियाजा भुगतना पड़ेगा ही....
ज्ञान दर्पण
अब बालाजी टेलीफिल्मस की नई चाल
देखते है अपने सीरियलों के माध्यम से भारतीय संस्कृति पर चोट करने के लिए कुख्यात और फ़िल्मी दुनियां में किसी के आगे ना झुकने के लिए मशहूर एकता कपूर दुबारा राजपूत युवाओं के आगे सिर झुकाती है या नहीं !! जो भी हो पर इस बार यह तय है कि एकता कपूर को पूर्व में अपने किये का खामियाजा भुगतना पड़ेगा ही....
ज्ञान दर्पण
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"दोहे-जीवन देती धूप"
तेज घटा जब सूर्य का, हुई लुप्त सब धूप।
वृद्धावस्था में कहाँ, यौवन जैसा रूप।।
बिना धूप के किसी का, निखरा नहीं स्वरूप।
जड़, जंगल और जीव को, जीवन देती धूप...
ब्लॉगमंच
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वही है मेरा हिन्दुस्तां...
राहुल व्यास
पोंकवड़ा सेंटर

....दुकानदार व्यंजन बनाने के लिये ज्वार के इन दानों को खरीद कर ले जाते हैं ! इनसे अनेक तरह की खाद्य सामग्री वे बनाते हैं जिनमें पोंकवड़ा अर्थात पकौड़े व पैटीज़ बहुत लोकप्रिय हैं ! दानों को छौंक बघार कर भरावन की सामग्री तैयार की जाती है और फिर इस सामग्री को भर कर समोसे, कचौड़ी, पोंकवड़ा व पैटीज़ बनाई जाती हैं ! इन्हीं दानों को पीस कर रतलामी सेव की तरह विभिन्न फ्लेवर्स के मोटे पतले सेव भी बनाये जाते हैं जिनमें लहसुन के सेव व चटपटे मसालेदार सेव बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं...
साधना वैद
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कहानी - दो पैर
"खिली हुई है डाली-डाली"
वही है मेरा हिन्दुस्तां...
राहुल व्यास
जहाँ हर चीज है प्यारी
सभी चाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी ज़बां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है
वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशां
वही है मेरा हिन्दुस्तां...
--पोंकवड़ा सेंटर
....दुकानदार व्यंजन बनाने के लिये ज्वार के इन दानों को खरीद कर ले जाते हैं ! इनसे अनेक तरह की खाद्य सामग्री वे बनाते हैं जिनमें पोंकवड़ा अर्थात पकौड़े व पैटीज़ बहुत लोकप्रिय हैं ! दानों को छौंक बघार कर भरावन की सामग्री तैयार की जाती है और फिर इस सामग्री को भर कर समोसे, कचौड़ी, पोंकवड़ा व पैटीज़ बनाई जाती हैं ! इन्हीं दानों को पीस कर रतलामी सेव की तरह विभिन्न फ्लेवर्स के मोटे पतले सेव भी बनाये जाते हैं जिनमें लहसुन के सेव व चटपटे मसालेदार सेव बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं...
साधना वैद
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कहानी - दो पैर

मै अपने किसी कार्य हेतु तिरुपति जा रहा था । प्लेटफॉर्म के एक सीट पर बैठा ट्रैन के आने का इंतज़ार कर रहा था । चारो तरफ गहमा - गहमी थी । सभी को सिर्फ ट्रेन की इंतजार थी । चारो तरफ नजर दौड़ाई । शायद कोइ जानकार साथी मिल जाए ? दूर भीड़ के एक कोने में एक व्यक्ति के ऊपर नजर पड़ी । वह अपने बैशाखी के सहारे खड़ा था । अनायास उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी ।वह मुझे बार - बार देख रहा था । मुझे भी वह कुछ परिचित सा लगा । शायद कहीं देखा हो...
--"खिली हुई है डाली-डाली"
जब बसन्त पर यौवन आता,
तब ये खुल कर मुस्काते हैं।
भँवरे इनको देख-देखकर,
मन में हर्षित हो जाते हैं...
उच्चारण
सुप्रभात
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स
विविध विषयों पर पठनीय सूत्रों से सुसज्जित मंच ! मेरे संस्मरण को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद शास्त्री जी !
ReplyDeleteसुंदर सफर चर्चा का सुंदर सूत्रों के साथ । उल्लूक का आभार । "चल देखते हैं किसकी सीटी कौन अब
ReplyDeleteकितना बजा ले जायेगा" को मिला स्थान ।
बढ़िया चर्चा-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
सुंदर चर्चा.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है ... मेरी पोस्ट को सार्वजनिक मंच प्रदान करने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद्
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है ... मेरी पोस्ट को सार्वजनिक मंच प्रदान करने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद्
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर!
ReplyDeleteसादर
सभी लिंक्स बढ़िया हैं...हमारी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद् !
ReplyDeleteसादर,
सशक्त सेतु चयन बढ़िया संयोजन।
ReplyDeleteसुन्दर और पठनीय सूत्र।
ReplyDelete