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बुधवार, फ़रवरी 26, 2014

लेकिन गिद्ध समाज, बाज को गलत बताये; चर्चा मंच 1535

"कुछ कहना है"
चिड़ियाघर कायल हुआ, बदल गया अंदाज । 
मोदनीय वातावरण, बाजीगर सर-ताज । 

बाजीगर सर-ताज, बाज गलती से आये । 
लेकिन गिद्ध समाज, बाज को गलत बताये। 

कौआ इक चालाक, बाँट-ईमानी पुड़िया । 
मिस-मैनेज कर काम, रोज भड़काए चिड़िया ॥ 

















"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
कार्टून :-  
हाँके के दि‍न हैं, तबेलों में ताले लगा के रक्‍खो 

काजल कुमार के कार्टून

-- 
ओक में भर लिया था 
तुम्हारा प्रेम 
मैंने, 
रिसता रहा बूँद-बूँद 
उँगलियों की दरारों के बीच से | 
बह ही जाना था उसे 
प्रेम जो था !... 

मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....पर 

expression 
--
गांव के गांव बूचड़ खाने से लगने लगे अब 
सियासी-परिंदे गांवों पे मंडराने लगे हैं. 

रजाई ओढ़ तो ली मैनें मगर वो नींद न पाई ,जो पल्लेदारों को  बारदानों में आती है.!वो रोटी कलरात जो मैने छोडी थी थाली मेंमजूरे को वही रोटी सपनों में लुभाती है....
मिसफिट Misfit
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उल्लूक एक बस्ती उजाड़ने में 
बता तेरा क्या रोल होता है 
परिपक्व यानी
पका हुआ फल
सुना है मीठा
बहुत होता है
सुनी सुनाई नहीं
परखी हुई बात है
हमेशा तो नहीं
पर कई बार
अपने लिये निर्णयों
पर ही शक बहुत
होने लगता है...

उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी

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कितने घाघ हैं ये बाघ! 
...लोग अक्सर मुझसे रश्क करते हैं कि मैं नैनीताल जैसी खूबसूरत जगह में रहती हूँ. लोगों को नहीं मालूम होता कि नैनीताल की ठंडी हवाएं नैनीताल की सीमा समाप्त होते ही ठंडी हो जाती हैं. इसके अलावा लोगों का यह भी मानना होता है कि मैं अक्सर नैनीताल के भ्रमण में जाती रहती हूँ, और वहाँ के हर दर्शनीय और अदर्शनीय स्थलों से भली प्रकार परिचित हूँ. जब कोई मुझसे पूछता है कि ''तुमने टिफन टॉप या स्नोवियु तो ज़रूर देखा होगा'', मैं झूठ - मूठ में सिर हिला देती हूँ, नैनीताल का सम्मान बनाये रखने के लिए इतना झूठ बोलने में कोई हर्जा नहीं है....
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे

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सादर नमन पर्वत-पुरुष के दृढ संकल्प को ,  
इच्छा शक्ति को ... 

मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा 

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फागुन की शाम. 

झुक आया धरती तक नीला आकाश, 
देख - देख हो बैठी पत्तियाँ उदास... 
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 
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उम्मीदवार का चयन 

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर 

कालीपद प्रसाद 
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"ग़ज़ल-अच्छा नहीं लगता" 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ । उल्लूक का आभार । "उल्लूक एक बस्ती उजाड़ने में
    बता तेरा क्या रोल होता है" को चर्चा में स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन लिंकों के चयन के साथ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया चर्चा है शास्त्री जी...
    हमारी नज़्म को स्थान देने का शुक्रिया..
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. रविकर साहब आपका अंदाज निराला , भाई मजा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  5. एग्रीगेटर का काम करता हैं यूं पोस्‍टों का संकलन. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. पठनीय,सुंदर सूत्र...!
    रचना शामिल करने के लिए,आभार शास्त्री जी,,,!

    RECENT POST - फागुन की शाम.

    जवाब देंहटाएं

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