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Wednesday, February 19, 2014

भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर; चर्चा मंच 1528


भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर |
वाँछित करे विकास यह, मुँह में मियां मसूर |

मुँह में मियां मसूर, कर्मरत कई आलसी |
देश-काल गतिमान, बदलना नहीं पॉलिसी |

रविकर भकुआ एक, "आप" की लेत बलैया |
रहा जमाना देख, दाग भी अच्छे भैया ॥  
मेरे मन की  
(१)  
"जिन्दगी" 

ज़िन्दगी एक सहेली जो कभी कभी पहेली बन जाती है/ सताती है..
जीना दूभर कर देती है फिर भी भाती है/
हर पल जीने का नित नया पाठ पढ़ाती है/
ज़िन्दगी के पीछे मैं और मेरे पीछे मौत भागती है/
 -मीनाक्षी
गीत- ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय ... 

फ़िल्म: आनन्द/ आवाज- मन्नाडे /संगीत:सलिल चौधरी
मेरे मन की पर Archana
--
कोई नया नहीं है 
बहुत पुराना है 
फिर से आ रहा है वही दिन 

उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी -

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आँसुओं की कीमत. 

मेरे आँसुओं की कीमत तुम चुका न सकोगी, 
मेरे दिल से दूर रहकर तुम भी जी न सकोगी...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 
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कितना खोया कितना पाया आओ करें हिसाब ! 

WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION पर 

shikha kaushik 
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मुक्त व्यापार,मुक्त बाज़ार का 
मुक्त नायक केजरीवाल 

अरविंद केजरीवाल ने साफ़ कहा है कि वह 'क्रोनी कैपीटलिज्म" ( लंपट पूँजीवाद) के ख़िलाफ़ है। लेकिन पूँजीवाद के पक्ष में है। सीआईआई के जलसे में बोलते हुए केजरीवाल ने कहा 
"We are not against capitalism, we are against crony capitalism", ( बिज़नेस स्टैंडर्ड, 17फरवरी 2014) यह भी कहा 'हम ग़लती कर सकते हैं लेकिन हमारी मंशाएँ भ्रष्ट नहीं हैं।'केजरीवाल की मंशाएँ साफ़ हैं और लक्ष्य भी साफ़ हैं। पहलीबार केजरीवाल ने आर्थिक नीतियों के सवाल पर अपना नज़रिया व्यक्त करते हुए जो कुछ कहा है वह संकेत है कि आख़िरकार वे देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ? केजरीवाल पर बातें करते समय उनके आम आदमी पार्टी के गठन के पहले के बयानों और कामों के साथ मौजूदा दौर में दिए जा रहे बयानों का गहरा संबंध है फिर भी हमें राजनेता केजरीवाल और सामाजिकनेता केजरीवाल में अंतर करना होगा.. 

लो क सं घ र्ष ! पर Randhir Singh Suman -
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यह तो होना ही था 
के यह तो होना ही था केजरीवाल जी ! 
सरकार ऐसे ही थोड़े चलती है । आपकी नीतियां शुरू से ही गलत रही थीं, जिसका खामियाज़ा आपको यूँ भुगतना पड़ा ।
आपको अभी बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है । आपके पास उपयुक्त शब्दावली का अभाव है । आप दिल से बात करते हैं हम दिमाग से सुनते हैं । आपको नेताओं के लिए बनाए गए शब्दकोष का भली - भाँति अध्ययन करके आना चाहिए था । इसमें  ---निश्चित रूप से, कहीं न कहीं , हम देख रहे हैं, नो कमेंट, मामला हमारे संज्ञान में अभी नहीं आया, उचित कार्यवाही की जायेगी, विपक्ष का षड्यंत्र है, मेरे बयान को तोड़ - मरोड़ कर पेश किया गया, मामला कोर्ट में विचाराधीन है, जैसे नामालूम कितने ही खूबसूरत शब्द थे, आपने उनकी अनदेखी करी, जिसका परिणाम आपको भुगतना पड़ा ।  

कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
--
कार्टून :-  
केजरीवाल तो फ़ैशन के बादशाह हो गए 

काजल कुमार के कार्टून पर काजल कुमार 

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कार्टून कुछ बोलता है-  
ऑफ़ सीजन डिस्काउंड सेल ! 

अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"

16 comments:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स
    आज मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद रविकर जी।
    आशा है आप स्वस्थ और सानन्द होंगे।

    ReplyDelete
  3. सुन्दर, रोचक और पठनीय सूत्र..

    ReplyDelete
  4. चर्चा हमेशा की तरह सुंदर । उल्लूक भी खुश उसका भी दिन दिखा दिन में "कोई नया नहीं है
    बहुत पुराना है फिर से आ रहा है वही दिन" आभार ।

    ReplyDelete
  5. सुन्दर, रोचक और पठनीय सूत्र,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    ReplyDelete
  6. बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , आ० रविकर सर व मंच को धन्यवाद
    Information and solutions in Hindi

    ReplyDelete
  7. सुन्दर लिंक्स से सजी खूबसूरत चर्चा ………… आभार

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर रोचक चर्चा !
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार | शास्त्री जी ,,,

    RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

    ReplyDelete
  9. रविकारभाई बढ़िया सजाया है चर्चा मंच विविधता लिए सेतु संयोजन किया है हमें भी जगह दी आपने आपका आभार दिल से।

    ReplyDelete
  10. वाह !क्या बात है -

    भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर |
    वाँछित करे विकास यह, मुँह में मियाँ मसूर |

    मुँह में मियाँ मसूर, कर्मरत कई आलसी |
    देश-काल गतिमान, बदलना नहीं पॉलिसी |

    रविकर भकुआ एक, "आप" की लेत बलैया |

    ReplyDelete
  11. और एक दिन वह भी जब घूरे के भी दिन फिरते हैं हैं न भाई साहब। एवरी डॉग हेस हिज़ डे

    कोई नया नहीं है
    बहुत पुराना है
    फिर से आ रहा है वही दिन

    उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी -

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  12. सहज सुन्दर अभिव्यक्ति :

    पूरब से जो उगता है और पश्चिम में छिप जाता है।
    यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।।


    "हमारा सूरज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर मुखड़ा है :

    सुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
    दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।
    पूरी रचना लाज़वाब :

    फूलती खेतों में सरसों आम बौराने लगे,
    जुगलबन्दी छेड़कर, प्रेमी युगल गाने लगे,
    चहकते प्यारे परिन्दे, दुर्ग की दीवार पर।
    दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।


    "दे रहा मधुमास दस्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
    उच्चारण

    ReplyDelete
  14. जिनकी कोशिशों से यह मुमकिन हुआ हार्धिक बधाई जी

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