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Tuesday, February 25, 2014

"मुझे जाने दो" (चर्चा मंच-1534)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
--
मुझे जाने दो 
कोई पुकार रहा  है
मुझे जाने दो
पर कोई जाने नहीं देता
कहा जाने को है बेक़रार
घर में सभी उसका कर रहे है इंतजार
पर वो नहीं आता
सभी को लगा चला तो नहीं गया
आती है आवाज़
मुझे जाने दो... 


मेरा फोटो
aashaye पर garima 
--
शब्द और ईश्वर !!! 
हर शब्द की उत्पत्ति इन्सान ने किसी विशेष अर्थ /अनुभव /एहसास इत्यादि व्यक्तकरने के लिए किया है इसीलिए शब्द शक्ति सिमित है ,ईश्वर को इन शब्दों में व्यक्त नहीं किया जासकता क्योंकि ईश्वर अनंत है, असीमित है l यही कारण है आजतक सभी धर्मशास्त्र ईश्वर का सहीस्वरुप को व्यक्त करने में असमर्थ रहे है क्योंकि .कोई भी धर्म शास्त्र पूर्ण नहीं है जबकि ईश्वर पूर्ण हैं...
अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
--
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व्हाट्स-एप अपडेटड 

फेसबुक द्वारा खरीदे जाने के बाद वॉट्सएप ने एंड्रॉयड यूजर के लिए 2 नए फीचर्स दिए हैं। इन फीचर्स को प्राइवेसी के लिए जरूरी बताया जा रहा है। अब एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर वॉट्सएप इस्तेमाल कर रहे लोग दूसरे यूजर को दिखने वाली 'लास्ट सीन' नोटिफिकेशन को डिसेबल कर सकते हैं। मतलब साफ है कि अब अगर यूजर चाहे तो किसी को यह मालूम नहीं चलेगा कि उसने पिछली बार वॉट्सएप कब खोला था। यह नया फीचर वॉट्सएप के एड्रॉयड एप की प्राइवेसी सेटिंग्स में मिलेगा। कैसे करें इस फीचर का इस्तेमाल --.
KNOWLEDGE FACTORY पर Misra Raahul 
--
हिमालय देखते देखते भी 
अचानक भटक जाती है सोच 
गंदे नाले की ओर 
शायद किसी
सुबह हो
या किसी शाम
को ढलते
सूरज दिखे
लालिमा सुबह की
चमकती सफेद चाँदी
के रंग में या फिर
स्वर्ण की चमक से
ढले हुऐ हिमालय
कवि सुमित्रानंदन की
तरह सोच भी बने
क्या जाता है
सोच लेने में...

उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
--
यादों के झरोखे से ... 
लोग अक्सर कहते हैं  
यादों के अनगिनत लम्हों पर  
धूल की परत चढती रहती है ...  
समय की धीमी चाल 
शरीर पे लगा हर घाव 
धीरे धीरे भर देती है ... 
पर क्या सचमुच ऐसा ही होता है ... 
समय बीतता है ...  
या बीतते हैं हम ... 
स्वप्न मेरे.. पर Digamber Naswa
डाली डाली [कुण्डलिया] 
डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर 
रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर...
गुज़ारिशपरसरिता भाटिया
--
रे मौसेरे चोर, प्रलापी अबतो चुपकर- 
बानी केजरि वाल की, प्रश्न रही है दाग | 
नमो न मो दी गैस नूँ , आग लगा के भाग | 
आग लगा के भाग, भाग सरकार छोड़ के | 
गुणा-भाग में लाग, नियम कानून तोड़ के | 
है सांसत में जान, बिगड़ती राम-कहानी | 
खाँसी से नादान, भगाएगा अम्बानी... 
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
तमाशबीन 
हताश से दीख रहे हैं ये हरे पेड़ 
बनती देख बिल्डिंगें अपने आस पास 
उन्हें पता है उनके इतने फलदार होते हुए भी 
उनके प्रति 
कोई नहीं व्यक्त करेगा अपनी सहानुभूति 
उनके पालनहार ही बनेंगे उनके भक्षक...
मेरी कविताएं पर 

Vijay Kumar Shrotryia
--
राजनीति की मार, बगावत को उकसाए 
पाना-वाना कुछ नहीं, फिर भी करें प्रचार | 
ताना-बाना टूटता, जनता करे पुकार | 
जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें मिटाये | 
राजनीति की मार, बगावत को उकसाए...
रविकर की कुण्डलियाँ
--
"नवगीत-पंक में खिला कमल" 
स्वर अर्चना चावजी 


पंक में खिला कमल, 
किन्तु है अमल-धवल! 
बादलों की ओट में से, 
चाँद झाँकता नवल!! 
"धरा के रंग"
--
बेख्याली के ख्याल 

ज़िंदगी के दरख्त से सब  उड़ गए परिंदे

दहलीज़ तक भी नहीं आते अब कोई बाशिंदे ।
पास के शजर से जब आती है चहचहाहट

पड़ जाते हैं न जाने क्यों मोह के फंदे...
गीत.......मेरी अनुभूतियाँ पर 
संगीता स्वरुप ( गीत ) 
--
--
सरिता तीरे 

सरिता तीरे 
दो सूखे साखे वृक्ष 
है विडम्बना...
Akanksha पर Asha Saxena 
--
मन पलाशों के खिले हैं 

नेह के रथ से मिले
संकेत अमलतास के
लौट आए टहनियों के
लालनीले
पंख वाले दिन

मन पलाशों
के खिले हैं
हर घड़ी-पल-छिन
अंग फिर खुलने लगे हैं
फागुनी लिबास के...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
--
"सभ्यता का रूप मैला हो गया है" 
वातावरण कितना विषैला हो गया है।
मधुर केला भी कसैला हो गया है।।

लाज कैसे अब बचायेगी की अहिंसा,
पल रही चारों तरफ है आज हिंसा
सत्य कहने में झमेला हो गया है
मधुर केला भी कसैला हो गया है...
उच्चारण
--
--
नायिका .... 
लघु कथा..... 
अरे ! बहुत दिन बाद मिले हो शांतनु ! 
बताओ क्या नया लिखा है, एल्यूमिनी असोसिएशन की पार्टी में मिलने पर सरिता ने पूछ लिया | एक नया उपन्यास...’तेरे नाम’ | शांतनु ने बताया | ये मेरे ऊपर उपन्यास लिखने का क्या अर्थ...
डा श्याम गुप्त .. भारतीय नारी
--

27 comments:

  1. सुप्रभात
    कार्टून बढ़िया है |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

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  2. बहुत सुंदर चर्चा । उल्लूक का "हिमालय देखते देखते भी अचानक भटक जाती है सोच गंदे नाले की ओर" को स्थान देने के लिये आभार ।

    ReplyDelete
  3. बढ़िया सूत्र ! सुन्दर चर्चा !

    ReplyDelete
  4. बढ़िया चर्चा मंच
    आभार गुरुदेव-

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन सार्थक लिंकों के चयन के साथ सुन्दर प्रस्तुतिकरण ,धन्यबाद।

    ReplyDelete
  6. सुंदर चर्चा.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    ReplyDelete
  7. BAHUT BADHIYA SANKALAN !! SHUBHKAAMNAYEN AAP SAB VIDWANO KO !!
    आपका क्या कहना है साथियो !! अपने विचारों से तो हमें भी अवगत करवाओ !! ज़रा खुलकर बताने का कष्ट करें !! नए बने मित्रों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन स्वीकार करें !

    जिन मित्रों का आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ !!"इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
    " फिफ्थ पिल्लर - कारप्शन किल्लर "
    की तरफ से आप सब पाठक मित्रों को आज के दिन की
    हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं
    ये दिन आप सब के लिए भरपूर सफलताओं के अवसर लेकर आये , आपका जीवन सभी प्रकार की खुशियों से महक जाए " !!
    जो अभी तलक मेरे मित्र नहीं बन पाये हैं , कृपया वो जल्दी से अपनी फ्रेंड-रिक्वेस्ट भेजें , क्योंकि मेरी आई डी तो ब्लाक रहती है ! आप सबका मेरे ब्लॉग "5th pillar corruption killer " व इसी नाम से चल रहे पेज , गूगल+ और मेरी फेसबुक वाल पर हार्दिक स्वागत है !!
    आप सब जो मेरे और मेरे मित्रों द्वारा , सम - सामयिक विषयों पर लिखे लेख , टिप्प्णियों ,कार्टूनो और आकर्षक , ज्ञानवर्धक व लुभावने समाचार पढ़ते हो , उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स और लाईक देते हो या मेरी पोस्ट को अपने मित्रों संग बांटने हेतु उसे शेयर करते हो , उसका मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ !
    आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
    सधन्यवाद !!

    प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is -www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! मेरा इ मेल ये है : - pitamberdutt.sharma@gmail.com. मेरे ब्लॉग और फेसबुक के लिंक ये हैं :-www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7
    www.pitamberduttsharma.blogspot.com
    मेरे ब्लॉग का नाम ये है :- " फिफ्थ पिलर-कोरप्शन किल्लर " !!
    मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
    आपका प्रिय मित्र ,
    पीताम्बर दत्त शर्मा,
    हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
    R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
    जिला-श्री गंगानगर।
    " आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!
    BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
    Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)

    ReplyDelete
  8. चर्चा मंच एक ऐसा मंच है जहां लेखन कार्य सीखने के साथ साथ पाठक वर्ग तक अपने लेखो को पहुंचाया जा सकता है
    इस शानदार " चर्चा मंच " के निर्माण के लीये आद्रणीय शास्त्री जी का मै तहे दील से आभारी रहूँगा

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  9. विस्तृत चर्चा ... आभार मुझे भी स्थान देने का ...

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  10. सुन्दर और पठनीय सूत्र।

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  11. लाभकारी लिंक सूची!

    ReplyDelete
  12. चर्चा मंच की प्रस्तुति बहुत शानदार रही किसी एक सेतु का संदर्भ जुटाना शेष के साथ ज्यादती होगी बहुत उत्कृष्ट चयन एवं संयोजन रहा सेतुओं का हमारे सेतु (लिंक )को खपाने के लिए आभार।

    ReplyDelete
  13. सुन्दर अप्रतिम सार्थक अभिव्यक्ति सांगीतिक ताल लिए। हमारे वक्त की विडंबना को स्वर देती प्रस्तुति।
    वातावरण कितना विषैला हो गया है।
    मधुर केला भी कसैला हो गया है।।

    लाज कैसे अब बचायेगी की अहिंसा,
    पल रही चारों तरफ है आज हिंसा
    सत्य कहने में झमेला हो गया है
    मधुर केला भी कसैला हो गया है...
    उच्चारण

    ReplyDelete
  14. चर्चा मंच की प्रस्तुति बहुत शानदार रही किसी एक सेतु का संदर्भ जुटाना शेष के साथ ज्यादती होगी बहुत उत्कृष्ट चयन एवं संयोजन रहा सेतुओं का हमारे सेतु (लिंक )को खपाने के लिए आभार।

    सुन्दर अप्रतिम सार्थक अभिव्यक्ति सांगीतिक ताल लिए। हमारे वक्त की विडंबना को स्वर देती प्रस्तुति।

    राजनीति की मार, बगावत को उकसाए
    पाना-वाना कुछ नहीं, फिर भी करें प्रचार |
    ताना-बाना टूटता, जनता करे पुकार |
    जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें मिटाये |
    राजनीति की मार, बगावत को उकसाए...
    रविकर की कुण्डलियाँ

    पाना-वाना कुछ नहीं, फिर भी करें प्रचार |
    ताना-बाना टूटता, जनता करे पुकार |

    जनता करे पुकार, गरीबी उन्हें मिटाये |
    राजनीति की मार, बगावत को उकसाए |

    आये थे जो आप, मिला था एक बहाना |
    किन्तु भगोड़ा भाग, नहीं अब माथ खपाना ||

    साही की शह-मात से, है'रानी में भेड़ |
    खों खों खों भालू करे, दे गीदड़ भी छेड़ |

    दे गीदड़ भी छेड़, ताकती ती'जी ताकत |
    हाथी बन्दर ऊंट, करे हरबार हिमाकत |

    अब निरीह मिमियान, नहीं इस बार कराही |
    की काँटों से प्यार, सवारी देखे साही ||
    राजनीति के बढ़िया व्यंग्य रंग ले आये झोली भर रविकर

    ReplyDelete
  15. लय ताल बद्ध अर्थ पूर्ण प्रस्तुति कोमलकांत पदावली शाश्त्रीजी की :

    डण्ठलों के साथ-साथ,
    तैरते हैं पात-पात,
    रश्मियाँ सँवारतीं ,
    प्रसून का सुवर्ण-गात,
    देखकर अनूप-रूप को,
    गया हृदय मचल!
    बादलों की ओट में से,
    चाँद झाँकता नवल!!

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  16. मोदी चाय कुल्हड़ में ही होती है। चुनाव तो मोदी जीतेंगे चुनाव चिन्ह कोई भी हो ,भाजपा के सिरताज हैं मोदी। मोदी से भाजपा है भाजपा से मोदी।

    "चुनावचिह्न-चाय का कुल्हड़"

    कार्टूनिस्ट-मयंक

    ReplyDelete
  17. बहुत कोमल पदावली सुन्दर प्रस्तुति।

    बहुत कोमल पदावली सुन्दर प्रस्तुति।

    मन पलाशों के खिले हैं

    नेह के रथ से मिले

    संकेत अमलतास के

    लौट आए टहनियों के

    लालनीले

    पंख वाले दिन

    मन पलाशों

    के खिले हैं

    हर घड़ी-पल-छिन

    अंग फिर खुलने लगे हैं

    फागुनी लिबास के...

    यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा
    --
    "सभ्यता का रूप मैला हो गया है"

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है संगीता जी की :

    बेख्याली के ख्याल

    ज़िंदगी के दरख्त से सब उड़ गए परिंदे

    दहलीज़ तक भी नहीं आते अब कोई बाशिंदे ।
    पास के शजर से जब आती है चहचहाहट

    पड़ जाते हैं न जाने क्यों मोह के फंदे...
    गीत.......मेरी अनुभूतियाँ पर
    संगीता स्वरुप ( गीत )

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है संगीता जी की :

    बेख्याली के ख्याल

    ज़िंदगी के दरख्त से सब उड़ गए परिंदे

    दहलीज़ तक भी नहीं आते अब कोई बाशिंदे ।
    पास के शजर से जब आती है चहचहाहट

    पड़ जाते हैं न जाने क्यों मोह के फंदे...
    गीत.......मेरी अनुभूतियाँ पर
    संगीता स्वरुप ( गीत )

    अति सुन्दर रूपकत्व लिए बढ़िया बिम्ब परिधान लिए है यह रचना।

    ReplyDelete
  20. सुन्दर हैं डाली डाली कुण्डलियाँ :

    डाली डाली [कुण्डलिया]
    डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर
    रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर...
    गुज़ारिशपरसरिता भाटिया

    ReplyDelete
  21. सुन्दर हैं डाली डाली कुण्डलियाँ :

    डाली डाली [कुण्डलिया]
    डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर
    रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर...
    गुज़ारिशपरसरिता भाटिया

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  22. पूरी कविता में एक गुनगुनाहट सी है प्यार की तस्वीर बदस्तूर बनी रहती है प्यार के बाद भी:


    पपड़ी पपड़ी झर गया समय
    तुम्हारी तस्वीर के आस-पास की दिवार से
    झड़ जाती है जैसे उम्र भर की रौशनी
    दो कत्थई आँखों के उजाले से
    फिसल जाता है स्याह नशा
    आवारा से उड़ते रूखे बालों से
    और उड़ जाती है चेहरे की नमी
    अन-गिनत झुर्रियों के निशान छोड़ के

    हालाँकि ताज़ा है वो गहरा एहसास
    जिसके इर्द-गिर्द बुने थे कुछ लम्हे
    समय की मौजूदगी में
    प्रेम को हाजिर-नाजिर जान के

    उसी समय का हवाला दे कर
    डूब जाना चाहता हूँ मैं ... लंबी प्रार्थना में
    क्योंकि सब कुछ बदल कर भी
    नहीं बदली तुम्हारी तस्वीर समय ने
    एक उम्मीद, एक चाहत से टिकी रहती है नज़र
    शायद लौटेगी तुम बीती पगडण्डी पर

    दुःख का घुमंतू बादल भी तो लौट आते हैं
    बरस दर बरस बरसने को ...

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  23. पूर्ण अभिव्यक्ति है श्रीमदभागवत पुराण श्रीकृष्ण भगवान की आपके ईश्वर की। पौर्वत्य सनातन धर्म में भागवतपुराण के अलावा श्रीमदभगवत गीता तथा रामचरित मानस में भी ईश्वर की पूर्ण अभिव्यक्ति है। अलबत्ता उसके गुण अनंत हैं। रेत के कणों ,वर्षा की बूंदों को गिना जा सकता है ईश्वर के गुणों को नहीं उनका पूरा ब्योरा स्व्यं ईश्वर भी नहीं दे सकता।

    ReplyDelete
  24. कविता में इस्लाम है चित्र में दिखें सरदार ,

    अच्छी खासी रचना के साथ असंगत चित्र लगाया है:

    रविवार, 23 फ़रवरी 2014
    मेरी चाय में कहे तू कैसे ,स्वाद नहीं है आता,


    मोदी का हमला, 'भ्रष्टाचार की एबीसीडी है कांग्रेस'
    चले पहनकर सिर पर टोपी .अचकन और पजामी ,
    मियां शराफत ने हाथों में ले ली बेंत बदामी .
    .......................................................
    इत्र लगाया बांह पर अपनी ,मूंछ को किया रंगीन ,
    जूती पहनी पाकिस्तानी ,पैर न छुए ज़मीन .
    ..............................................................
    मिले अकड़कर गले दोस्त के ,बोले भाई सलाम ,
    तुमसे मिलने हम हैं आये ,छोड़ के काम तमाम .
    ..................................................
    अबकी बार खड़ा हूँ तेरे ,शहर विधायक पद पर ,
    जिम्मेदारी मुझे जिताने की ,तेरे काँधे पर .
    ..............................................................
    हम दोनों की जात एक है ,काम भी एक है प्यारे ,
    मेरा साथ अगर तू दे दे ,होंगे वारे न्यारे .
    ............................................................
    मैं बेचूं हूँ रोज़ तरक्की ,तुझको ख्वाब दिखाकर ,
    तू बेचे है आटा चावल ,कंकड़ धूल मिलाकर .
    ......................................................
    मेरी चाय में कहे तू कैसे ,स्वाद नहीं है आता,
    तेरे घर से दूध में पानी ,आता दूध से ज्यादा .
    ...................................................
    मैंने भला कहा क्या सबको ,तू झूठा मक्कार ,
    अब मेरे साथ में मेरे जैसा ,करना मेरे यार .
    .....................................................
    जैसे तेरी चलवाई है ,मेरी तू चलवाना ,
    अबकी बार मुझी को अपनी ,सारी वोट दिलाना .
    ................................................
    नेताओं के भेदभाव को ,दोस्त न तू अपनाना ,
    तेरे आगे हाथ मैं जोडूं ,मुझे न भूल जाना .
    .............................................
    हाथ मिलकर गले लगाकर ,चले मियां जी आगे ,
    पकड़के माथा दोस्त सोचता ,क्या देखा जब जागे .
    ................
    शालिनी कौशिक
    [कौशल ]

    बिल्ली को ख़्वाब में भी छिछड़े नज़र आते हैं।

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  25. बहुत धारदार रूपक बढ़िया प्रस्तुति मार्मिक प्रसंग लिए पेड़ हमारे संगी हैं ,लेकिन हैम फिरंगी हैं।

    तमाशबीन
    हताश से दीख रहे हैं
    ये हरे पेड़
    बनती देख बिल्डिंगें
    अपने आस पास

    उन्हें पता है
    उनके
    इतने फलदार होते हुए भी
    उनके प्रति
    कोई नहीं
    व्यक्त करेगा अपनी सहानुभूति

    उनके पालनहार ही बनेंगे
    उनके भक्षक
    उन्हें देख निहत्था व लाचार
    उनकी भावभीनी विदाई की
    करेंगे तैयारी

    तोड़ दिए जायेंगे
    मकड़ी के जालों से दीखते
    शाखाओं पर
    सवार रिश्ते
    हरी-हरी पत्तियों पर भी
    नहीं खायेगा कोई तरस

    काटते जायेंगे
    पेड़ों के पेड़

    बागों के बाग़

    और हम सब
    बने रहेंगे तमाशबीन
    बस में
    सड़क पर
    अस्पताल में
    घर में
    कार्यालयों में
    हर जगह
    बैसे ही जैसे
    दिल्ली की
    सोलह दिसंबर दो हज़ार बारह
    वाली रात
    दोहराई जा रही हो
    दामिनी, निर्भया
    या
    ज्योति के
    नाम में गुमनाम।

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