मित्रों।
साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?
चर्चा तो प्रतिदिन लगेगी ही।
मंगलवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसंद के लिंक।
ढूंढते फिरे तुम मुझे...
तुमने मुझे भाषा के घर में ढूंढा
पुकारा नदियों के किनारों पर
तलाशा जगलों में सहराओं में भी
खोजा समंदर की लहरों से
पूछा मेरा पता खेतों में...
प्रतिभा की दुनिया ... पर
Pratibha Katiyar
तुमने मुझे भाषा के घर में ढूंढा
पुकारा नदियों के किनारों पर
तलाशा जगलों में सहराओं में भी
खोजा समंदर की लहरों से
पूछा मेरा पता खेतों में...
प्रतिभा की दुनिया ... पर
Pratibha Katiyar
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सात फेरे और सात वचन याद है मुझे
मुझे आदर करती हूँ
मै तुम्हारा और सब का यहाँ
क्योंकि मै तुम्हारी हूँ
और तुम्हारे अपने मेरे है...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
मुझे आदर करती हूँ
मै तुम्हारा और सब का यहाँ
क्योंकि मै तुम्हारी हूँ
और तुम्हारे अपने मेरे है...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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आबादी: एक समस्या ?
दोस्तों-परिचितों से गपशप करते हुए कितनी बार बात आबादी पर आ रुकती है। यह हम सबका अनुभव है-पानी की समस्या, बिजली की समस्या, रोजी-रोटी की समस्या, गरीबी-बदहाली की समस्या, जरायम और तस्करी की समस्या आदि-आदि। ले-देकर सारी समस्या की जड़ हमारी विशाल आबादी है...
लो क सं घ र्ष ! पर
Randhir Singh Suman
दोस्तों-परिचितों से गपशप करते हुए कितनी बार बात आबादी पर आ रुकती है। यह हम सबका अनुभव है-पानी की समस्या, बिजली की समस्या, रोजी-रोटी की समस्या, गरीबी-बदहाली की समस्या, जरायम और तस्करी की समस्या आदि-आदि। ले-देकर सारी समस्या की जड़ हमारी विशाल आबादी है...
लो क सं घ र्ष ! पर
Randhir Singh Suman
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तू कर अपने मन की
हम अपनी करनी करवाते हैं
अब अगर कोई आम चोर रहा हो
और दूसरा उसे देखते हुऐ भी कुछ भी नहीं कह रहा हो
हो सकता है उसकी नजर सेबों पर हो
सेबों के गायब होते समय
आम खाने वाला चुप हो जायेगा
उस समय भी तू मामले को उठा कर
उसका पोस्ट मार्टम करना ...
क्या करे कोई
अगर अच्छा देखने का भी
बुरा नजरिया होता है
...मेरे शहर का
मिजाज तब
और होता था
आज कुछ
और होता है
पागल पहले
भी हुऐ है
लिखने और
बोलने वाले
आज भी होते हैं...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
हम अपनी करनी करवाते हैं
अब अगर कोई आम चोर रहा हो
और दूसरा उसे देखते हुऐ भी कुछ भी नहीं कह रहा हो
हो सकता है उसकी नजर सेबों पर हो
सेबों के गायब होते समय
आम खाने वाला चुप हो जायेगा
उस समय भी तू मामले को उठा कर
उसका पोस्ट मार्टम करना ...
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क्या करे कोई
अगर अच्छा देखने का भी
बुरा नजरिया होता है
...मेरे शहर का
मिजाज तब
और होता था
आज कुछ
और होता है
पागल पहले
भी हुऐ है
लिखने और
बोलने वाले
आज भी होते हैं...
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द्रुपद -सुता की पीड़ा
नियति को
कब और क्या है हमारी किस्मत में मंजूर
सबब इसका है जानना नामुमकिन ,
हमारी पहुँच से है दूर
चंद लम्हों में बदल देती है किस्मत,....
Roshi
नियति को
कब और क्या है हमारी किस्मत में मंजूर
सबब इसका है जानना नामुमकिन ,
हमारी पहुँच से है दूर
चंद लम्हों में बदल देती है किस्मत,....
Roshi
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लंबा है अभी सफ़र
बहुत लंबा है अभी सफ़र कुछ देर तलक तो साथ रहो
राह में है मुश्किलें बहुत कुछ कदम तो साथ रहो...
सादर ब्लॉगस्ते! पर raviish 'ravi'
बहुत लंबा है अभी सफ़र कुछ देर तलक तो साथ रहो
राह में है मुश्किलें बहुत कुछ कदम तो साथ रहो...
सादर ब्लॉगस्ते! पर raviish 'ravi'
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Valentine special....
उनका हाथ थाम कर चलने लगे है
आज कल...
उनका हाथ थाम कर चलने लगे है..!
उनकी बांहो में गिरने और संभलने लगे है....
एक वो जो साथ ह तो
ये रास्ते भी मंजिल लगने लगे है...
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
उनका हाथ थाम कर चलने लगे है
आज कल...
उनका हाथ थाम कर चलने लगे है..!
उनकी बांहो में गिरने और संभलने लगे है....
एक वो जो साथ ह तो
ये रास्ते भी मंजिल लगने लगे है...
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
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नारी की दुनिया -
नारी की सोच
भारतीय कानून व् संविधान महिलाओं की समाज में बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं और इसका उदाहरण दामिनी गैंगरेप कांड के बाद इस तरह के मामलों में उठाये गए कांनुनी कदम हैं .ऐसे ही विशाखा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के मामले से भी सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की स्थिति बहुत सुदृढ़ की है जिसके कारण तरुण तेजपाल जैसे सलाखों के पीछे हैं और रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली जैसी हस्ती पर कानून की तलवार लटक रही है ...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
नारी की सोच
भारतीय कानून व् संविधान महिलाओं की समाज में बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं और इसका उदाहरण दामिनी गैंगरेप कांड के बाद इस तरह के मामलों में उठाये गए कांनुनी कदम हैं .ऐसे ही विशाखा बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के मामले से भी सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की स्थिति बहुत सुदृढ़ की है जिसके कारण तरुण तेजपाल जैसे सलाखों के पीछे हैं और रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली जैसी हस्ती पर कानून की तलवार लटक रही है ...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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दो कवितायेँ
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
(1)
बच्ची
बच्ची अब
ठुमक-ठुमक कर चलने लगी है
घर-आँगन, कोना-कोना, पड़ोस
गुलज़ार हो गया है
बच्ची अब....
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2)
कैसे कहूं?
बंदिशों के मौसम में
जब मुस्कराना भी कानूनन गुनाह हो
तो तुम ही कहो
कैसे कहूं
कि मैं तुम्हे प्यार करता हूँ...
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"पागल मधुकर घूम रहे आवारा हैं"
वासन्ती परिधान पहनकर, मौसम आया प्यारा है।
कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है।।
तितली सुन्दर पंख हिलाती, भँवरे गुंजन करते हैं,
खेतों में लहराते बिरुए, जीवन में रस भरते हैं,
उपवन की फुलवारी लगती कंचन का गलियारा है।
कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है...
उच्चारण
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लघुकथा
संदेह के घेरे
सुधा भार्गव जावित्री की साध थी कि डाक्टर बेटे के लिए बहू भी डॉक्टर हो और वह साध पूरी हो गई। पता लगते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया। विवाह के अवसर पर सावित्री बोली –जावित्री, भगवान ने तेरे मन की मुराद तो पूरी कर दी...
तूलिकासदन पर सुधाकल्प
संदेह के घेरे
सुधा भार्गव जावित्री की साध थी कि डाक्टर बेटे के लिए बहू भी डॉक्टर हो और वह साध पूरी हो गई। पता लगते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया। विवाह के अवसर पर सावित्री बोली –जावित्री, भगवान ने तेरे मन की मुराद तो पूरी कर दी...
तूलिकासदन पर सुधाकल्प
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जहाँ तुम मेरे अपने तो होते हो
सुनो !
कल मैंने तुम्हें फिर से सपने में देखा
कितने सौम्य कितने अपने से लगे
चेहरे पर वही चिरपरिचित मुस्कान
जो मैंने देखी थी
पहली बार जब तुम मुझसे मिले थे
लेकिन यह सच तो ना था...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
सुनो !
कल मैंने तुम्हें फिर से सपने में देखा
कितने सौम्य कितने अपने से लगे
चेहरे पर वही चिरपरिचित मुस्कान
जो मैंने देखी थी
पहली बार जब तुम मुझसे मिले थे
लेकिन यह सच तो ना था...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
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बंद
बंद कर दिए जाते हैं
कल-कारखाने कार्यालय
कार्य करने के सभी स्थान व संस्थान
अवरुद्ध किये जाते हैं सब मार्ग
बंद कर दी जाती हैं सड़के
वाहन रोक दी जाती है
गति बंद नहीं होती है ...
मेरी कविताएं पर
Vijay Kumar Shrotryia
बंद कर दिए जाते हैं
कल-कारखाने कार्यालय
कार्य करने के सभी स्थान व संस्थान
अवरुद्ध किये जाते हैं सब मार्ग
बंद कर दी जाती हैं सड़के
वाहन रोक दी जाती है
गति बंद नहीं होती है ...
मेरी कविताएं पर
Vijay Kumar Shrotryia
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इशारों को समझो
गर तुम हर दिन आत्मा के इशारों को समझो
गर हर दिन तुम सुकर्मों में खुद को डूबने दो
प्रकृति काअचम्बा अगले साल देखते रह जावोगे...
पथिकअनजाना आपका ब्लॉग
गर तुम हर दिन आत्मा के इशारों को समझो
गर हर दिन तुम सुकर्मों में खुद को डूबने दो
प्रकृति काअचम्बा अगले साल देखते रह जावोगे...
पथिकअनजाना आपका ब्लॉग
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हसीन पल
ए हसीन पल तनिक ठहरो
मैं हूँ वही तुम्हारा एक हिस्सा
यही अनुभव करने दो...
Akanksha पर Asha Saxena
--
कश्मीर रेलवे
मुसाफिर हूँ यारों पर
नीरज कुमार ‘जाट’
--
फागुन की धूप
आँगन में पसरी है
फागुन की धूप
मौसम की महक हुई
कितनी अनूप
बिंब लगे बनने
कितने रंगों में
उतरने लगी उमंग
तन के अंगों में ...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा -
--
न्यूजलपाई गुडी से गंगटोक
Yatra, traveling India पर
Manu Tyagi
--
सहजि सहजि गुन रमैं :
बाबुषा कोहली
समालोचन पर arun dev
--
Dual Boot
कंप्यूटर में किसी एक ऑपरेटिंग सिस्टम को
केसे डिसेबल किया जाता है ?
INTERNET and PC RELATED TIPS पर
Hitesh Rathi
--
भवँर
उजाले में रोशनी कि कवायद थी
पर यहाँ उजाले में भी
अंधरे कि सुगबुगाहट थी
वो मर्मस्पर्शी चेतना मानो
चेतना शून्य हो भटक रही थी
मुश्किल इस डगर कि राह मानो
चमत्कारिक उजियारे कि बाट जोह रही थी...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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हसीन पल
ए हसीन पल तनिक ठहरो
मैं हूँ वही तुम्हारा एक हिस्सा
यही अनुभव करने दो...
Akanksha पर Asha Saxena
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कश्मीर रेलवे
मुसाफिर हूँ यारों पर
नीरज कुमार ‘जाट’
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फागुन की धूप
आँगन में पसरी है
फागुन की धूप
मौसम की महक हुई
कितनी अनूप
बिंब लगे बनने
कितने रंगों में
उतरने लगी उमंग
तन के अंगों में ...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा -
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न्यूजलपाई गुडी से गंगटोक
Yatra, traveling India पर
Manu Tyagi
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सहजि सहजि गुन रमैं :
बाबुषा कोहली
समालोचन पर arun dev
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Dual Boot
कंप्यूटर में किसी एक ऑपरेटिंग सिस्टम को
केसे डिसेबल किया जाता है ?
INTERNET and PC RELATED TIPS पर
Hitesh Rathi
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भवँर
उजाले में रोशनी कि कवायद थी
पर यहाँ उजाले में भी
अंधरे कि सुगबुगाहट थी
वो मर्मस्पर्शी चेतना मानो
चेतना शून्य हो भटक रही थी
मुश्किल इस डगर कि राह मानो
चमत्कारिक उजियारे कि बाट जोह रही थी...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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चहकने लगी बुलबुल अब दिल की
आ गई बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की ...
फूलों पर भंवरे लगे मंडराने
लगी शर्माने कलियाँ गुलशन की ....
Ocean of Bliss पर Rekha Josh
आ गई बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की ...
फूलों पर भंवरे लगे मंडराने
लगी शर्माने कलियाँ गुलशन की ....
Ocean of Bliss पर Rekha Josh
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" ये तीसरे मोर्चे वाले भ्रष्टाचारियों
और देश द्रोहियों का साथ क्यों देते हैं "
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
--
पहली समीक्षा और प्रतिक्रिया कहानी संग्रह
'परछाइयों के उजाले
Upasna Siag लेखिका कविता वर्मा जी की कहानियों की मैं बहुत प्रशंशक हूँ। सबसे पहले मैंने उनकी लिखी कहानी वनिता पत्रिका में पढ़ी। मुझे बहुत पसंद आई। कहानी का नाम था " परछाइयों के उजाले "...
कासे कहूँ? पर kavita verma
--
दिल धक-धक करने लगा...
इस मौसम में माधुरी दीक्षित की याद आ रही है और याद आ रहा है उनका गाया सुपर हिट गीत—दिल धक-धक करने लगा...। मैने घर-बाहर टटोला तो पाया कि मेरा ही नहीं, सभी का दिल धक-धका रहा है...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
--
महाभारत से मोह्मद्द गोरी तक का
कार्य काल....
महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है…! आपको यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया था….
I Love my India.परAditya Chetan
--
झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(१)
ईश्वर-वन्दना
(ख)
‘कलि-ज्वाल’
" ये तीसरे मोर्चे वाले भ्रष्टाचारियों
और देश द्रोहियों का साथ क्यों देते हैं "
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
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पहली समीक्षा और प्रतिक्रिया कहानी संग्रह
'परछाइयों के उजाले
Upasna Siag लेखिका कविता वर्मा जी की कहानियों की मैं बहुत प्रशंशक हूँ। सबसे पहले मैंने उनकी लिखी कहानी वनिता पत्रिका में पढ़ी। मुझे बहुत पसंद आई। कहानी का नाम था " परछाइयों के उजाले "...
कासे कहूँ? पर kavita verma
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दिल धक-धक करने लगा...
इस मौसम में माधुरी दीक्षित की याद आ रही है और याद आ रहा है उनका गाया सुपर हिट गीत—दिल धक-धक करने लगा...। मैने घर-बाहर टटोला तो पाया कि मेरा ही नहीं, सभी का दिल धक-धका रहा है...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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महाभारत से मोह्मद्द गोरी तक का
कार्य काल....
महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है…! आपको यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया था….
I Love my India.परAditya Chetan
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झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(१)
ईश्वर-वन्दना
(ख)
‘कलि-ज्वाल’
प्रभु ! देखो ऐसी जली, यहाँ ‘पाप की आग’ |
सभी जले ‘कलि-जवाल’ में, कहाँ सकें हम भाग ??
देवदत्त "प्रसून"
--
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंविभिन्न रंगों से सजी लिंक्स |चर्चा मंच की हैं विशेषता |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी |
चर्चा लगाने की लगन और मेहनत को सलाम ।
जवाब देंहटाएंआज की सुंदर चर्चा में उल्लू भी है और उल्लूक
के अखबार की दो दो खबरें भी बहुत बहुत आभार ।
"कर अपने मन की हम अपनी करनी करवाते हैं"
और
"क्या करे कोई अगर अच्छा देखने का भी
बुरा नजरिया होता है"
अत्यन्त रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
धन्यवाद मयंक जी... मेरी रचना को इस मंच पर लाने के लिए... विजय
जवाब देंहटाएंलाजबाब,बेहतरीन चर्चा ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
sundar links ...shamil karne ke liye abhar ..
जवाब देंहटाएंhttp://kavita-verma.blogspot.in/
badhiya links .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लाजबाब,बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएं