नमस्कार....
आज चर्चामंच की रविवारीय मंच पर मेरा
ई॰ राहुल मिश्रा का प्यार भरा नमस्कार.....!!!
गुलज़ार के एक विडियो से शुरुआत करते हैं चर्चा का
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अपने पसंदीदा लिंक प्रस्तुत कर रहा हूँ.....
अपने पसंदीदा लिंक प्रस्तुत कर रहा हूँ.....
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आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक...(अलकनंदा सिंह)
मिर्जा़ गा़लिब ने यह कहते हुये ना जाने कितने जन्मों का सफर तय किया होगा,
ना जाने कितनी बदहालियों को अपनी इन लाइनों में समेटा होगा कि..
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श्यामपट्ट....(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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विभा की कहानी ..... (विभा रानी श्रीवास्तव)
इस बार मुजफ्फरपुर गई तो मेरी देवरानी बोली :-
दीदी ,विभा लौट आई हैं और अपने घर में ही रह रही हैं .....
मुजफ्फरपुर के आम गोला में पड़ाव पोखर के पास
श्री रामचंद्र सिंह के मकान में हमारा परिवार
1982 से 1995 तक किरायेदार के रूप में रहा
1982 से 1988 तक मैं अपने ससुर जी के साथ रक्सौल रही
लेकिन मेरे पति , मेरे दोनों देवर ,ननद और एक देवरानी वहाँ रहते थे
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अपने माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस 2013....रविशंकर श्रीवास्तव
अब आप अपने माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस 2013 (एमएस वर्ड 2013) में माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा जारी अधिकारिक हिंदी वर्तनी जांच की सुविधा निःशुल्क जोड़ सकते हैं.
इससे पहले आपको इसका हिंदी पैक कोई डेढ़ हजार रुपए में खरीदना होता था. हिंदी पैक तो पहले की तरह ही विक्रय हेतु उपलब्ध है, परंतु अब हिंदी वर्तनी जांच की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करवा दी गई है.
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फ़र्ज़ का अधिकार....अलोकिता(Alokita)
इस पुरुष प्रधान समाज में
सदा सर्वोपरि रही
बेटों की चाह
उपेक्षा, ज़िल्लत, अपमान से
भरी रही
बेटियों की राह
सदियों से संघर्षरत रहीं
हम बेटियाँ
कई अधिकार सहर्ष तुम दे गए
कई कानून ने दिलवाए
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लानत है, इस संकीर्ण सोंच के लिए .... सतीश सक्सेना
कल इसी देश के एक बच्चे को पीट पीट कर राजधानी में मार दिया गया जबकि वह अपना प्रान्त और भाषा छोड़ कर सबसे विकसित शहर दिल्ली में शिक्षा लेने आया था ! सुदूर उत्तर पूर्व क्षेत्र के, हमारे यह सीधे साधे देशवासी, भारत वासी होने का क्या अभिमान करें ?
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चल यार मनाएंगे.....इमरान अंसारी
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शिफार की तरह....यशवंत यश
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जुस्तजू.....रंजना भाटिया
क्या फिर से मौसम बहारों का आयेगा,
जिसकी जुस्तजू है वो फिर कभी ना आयेगा।
तन्हा तन्हा सी है क्यों ये जिंदगी की शाम
क्या कोई फिर से जीवन में बसंत लायेगा।
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एक और दिन जी जाने की मुहर.....रश्मि प्रभा
दरवाजे रोज खोलती हूँ
फिर भी जंग लगे हैं
शायद - इसलिए कि -
मन के दरवाजे नहीं खुलते !!!
तभी, अक्सर
ताज़ी हवाओं का कृत्रिम एहसास होता है
दम घुटता है
कुछ खोने की प्रक्रिया में !
कुछ खोना नहीं चाहता मन
पर इकतरफा पकड़ भी तो नहीं सकता
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जिसे जीना बाक़ी है...मानव कौल
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विरेचन....अपर्णा भागवत
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Valentine sepical..दिन प्यार के चलने लगे है...सुषमा 'आहुति'
धड़कने हो गयी है तेज,
दिन प्यार के चलने लगे है...
फिर से बरसो पुराने ख़त,
सूखे गुलाब....
डायरी में कही मिलने लगे है...!
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इंसान होना पड़ता है....मंजु मिश्रा
प्रेम को
महसूस करने के लिए
आँखों को पढ़ना पड़ता है
रूह को समझना पड़ता है
ये वो नहीं जानते
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शादी रंगा–रंग.... शशि पाधा
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increase-your-internet-speed-internet....भारत योगी
दोस्तों आज में आपको कुछ ऐसा जुगाड़ बताऊंगा जिससे आप अपने इन्टरनेट की स्पीड बढ़ा सकते हें में किसी बात को ज्यादा लम्बा नही खींचता इसलिए अब मुद्दे पर आजाते हें
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नाम उसका मुहब्बत था शायद....अजय कुमार झा
किसी मुझ जैसे की डायरी का एक पन्ना ..............
"नाम उसका मुहब्बत था शायद ,जिंदगी के हर मोड पे मुझसे टकराई थी वो ,
मैं चलता रहा और इश्क भी ,जाने खुद को और मुझको कहां ले आई थी वो "
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....धन्यवाद.....
"अद्यतन लिंक"
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कालीपद प्रसाद
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आया बसंत लाया समस्त
उर में अनंत सपने जीवंत
है दिग- दिगंत पुष्पित सुगंध
स्पर्श वंत मद मस्त गंध...
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आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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अब नही मैं दासता का भार ढोना चाहता हूँ।
मैं जगत के बन्धनों से, मुक्त होना चाहता हूँ....
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बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहमेशा की तरह बहुत सुन्दर लिंक्स !
ReplyDeleteसुंदर चर्चा.
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा !
ReplyDeleteसुन्दर सुन्दर बातें.....क्या कहने...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,रोचक व पठनीय सूत्र। बहुत सुंदर चर्चा ।
ReplyDeleteसोमवारीय चर्चा 1512 नहीं दिख रही है :(
ReplyDeleteशुक्रिया राहुल जी हमारे ब्लॉग की पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए |
ReplyDeleteशुक्रिया राहुल मिश्रा जी. सार्थक पोस्ट्स पढने मिलीं
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