आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर
आभार
--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
गांधी जी का त्याग
निरामिषभोजी होने की हैसियत से उन्हें दूध लेने का अधिकार है या नहीं, इस विषय पर गांधी जी ने खूब विचार किया। खूब पढ़ा भी। काफ़ी सोच-विचार कर उन्होंने दूध त्याग कर दिया। वे केवल सूखे और ताजे फलों पर रहने लगे। आग पर पकाई गई हर तरह की खुराक उन्होंने त्याग दी। केवल फल खाकर वे पांच साल तक रहे। इससे न उन्होंने कोई कमज़ोरी महसूस की और न उन्हें किसी प्रकार की कोई व्याधि ही हुई। शारीरिक काम करने की उनमें पूरी शक्ति वर्तमान थी। यहां तक कि वे एक दिन में पैदल 55 मील की यात्रा कर सकते थे। दिन में 40 मील की मंजिल तय कर लेना तो उनके लिए मामूली बात थी। गांधी जी का मानना है कि, “ऐसे कठिन प्रयोग आत्मशुद्धि के संग्राम के अंदर ही किए जा सकते हैं। आख़िर लड़ाई के लिए टॉल्स्टॉय फार्म आध्यात्मिक शुद्धि और तपश्चर्या का स्थान सिद्ध हुआ।”....
मनोज पर मनोज कुमा
--
किस्मत कहे या ...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद प्रसाद
--
विज्ञान समाचार /आरोग्य :
(१)
विज्ञान समाचार /आरोग्य :
(१)
क्या है होमोफोबिया ?
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
--
इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुयीं
अब तो आपकी पुस्तक पढ़ने की इच्छा बलवती हो गयी है...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta -
--
नेता या नंगा
कैसे हो दंगा?
जल्दी हो पंगा..
नारद पर कमल कुमार सिंह (नारद )
--
सम्बल दोगे .....
Sudhinama पर sadhana vaid
--
व्यंग्य---
कैटरीना किसकी?
और अन्ना किसके?
अन्ना हजारे भी आज के एक बड़े सेलिब्रेटी हैं। उनका ऊँट भी कब और किस करवट बैठेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। कल तक वे अरविन्द केजरीवाल की पीठ पर बैताल की तरह सवार रहा करते थे। फिर बन्दे मातरम, बन्दे मातरम कहते हुए संघ और भाजपा के कन्धों पर सवार हो गए। और फिर जब अरविन्द ने आप पार्टी बना कर इनको पीठ पर से उतार दिया, तो भाजपा और संघ के कन्धों से होते हुए सीधे कांग्रेस की गोद में जा गिरे। और कल तक जो अरविन्द और साथियों के द्वारा गाँव की गुमनामी से निकाल कर दिल्ली लाये गए थे, अब उनको ही गाँव से निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया।...
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
--
धर्म की शिक्षा जरूरी है भाई
नहीं तो लगेगा यहीं पर है मार खाई
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
अरे वाह!
हमने तो कभी ध्यान ही नहीं दिया इस ओर।
आज हमारे चर्चा के ब्लॉग "चर्चा मंच" पर
चार लाख बाइस हजार पचास (4,22,050) विजिटर हो गये हैं।
--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
गांधी जी का त्याग
निरामिषभोजी होने की हैसियत से उन्हें दूध लेने का अधिकार है या नहीं, इस विषय पर गांधी जी ने खूब विचार किया। खूब पढ़ा भी। काफ़ी सोच-विचार कर उन्होंने दूध त्याग कर दिया। वे केवल सूखे और ताजे फलों पर रहने लगे। आग पर पकाई गई हर तरह की खुराक उन्होंने त्याग दी। केवल फल खाकर वे पांच साल तक रहे। इससे न उन्होंने कोई कमज़ोरी महसूस की और न उन्हें किसी प्रकार की कोई व्याधि ही हुई। शारीरिक काम करने की उनमें पूरी शक्ति वर्तमान थी। यहां तक कि वे एक दिन में पैदल 55 मील की यात्रा कर सकते थे। दिन में 40 मील की मंजिल तय कर लेना तो उनके लिए मामूली बात थी। गांधी जी का मानना है कि, “ऐसे कठिन प्रयोग आत्मशुद्धि के संग्राम के अंदर ही किए जा सकते हैं। आख़िर लड़ाई के लिए टॉल्स्टॉय फार्म आध्यात्मिक शुद्धि और तपश्चर्या का स्थान सिद्ध हुआ।”....
मनोज पर मनोज कुमा
--
किस्मत कहे या ...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद प्रसाद
--
विज्ञान समाचार /आरोग्य :
(१)
विज्ञान समाचार /आरोग्य :
(१)
क्या है होमोफोबिया ?
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
--
इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुयीं
अब तो आपकी पुस्तक पढ़ने की इच्छा बलवती हो गयी है...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta -
--
नेता या नंगा
कैसे हो दंगा?
जल्दी हो पंगा..
नारद पर कमल कुमार सिंह (नारद )
--
सम्बल दोगे .....
Sudhinama पर sadhana vaid
--
व्यंग्य---
कैटरीना किसकी?
और अन्ना किसके?
अन्ना हजारे भी आज के एक बड़े सेलिब्रेटी हैं। उनका ऊँट भी कब और किस करवट बैठेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। कल तक वे अरविन्द केजरीवाल की पीठ पर बैताल की तरह सवार रहा करते थे। फिर बन्दे मातरम, बन्दे मातरम कहते हुए संघ और भाजपा के कन्धों पर सवार हो गए। और फिर जब अरविन्द ने आप पार्टी बना कर इनको पीठ पर से उतार दिया, तो भाजपा और संघ के कन्धों से होते हुए सीधे कांग्रेस की गोद में जा गिरे। और कल तक जो अरविन्द और साथियों के द्वारा गाँव की गुमनामी से निकाल कर दिल्ली लाये गए थे, अब उनको ही गाँव से निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया।...
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
--
धर्म की शिक्षा जरूरी है भाई
नहीं तो लगेगा यहीं पर है मार खाई
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
अरे वाह!
हमने तो कभी ध्यान ही नहीं दिया इस ओर।
आज हमारे चर्चा के ब्लॉग "चर्चा मंच" पर
चार लाख बाइस हजार पचास (4,22,050) विजिटर हो गये हैं।
सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच दिन पर दिन तरक्की करे यही कामनाऐं हैं । एक करोड़ विजिटर आयें । आज की सुंदर चर्चा में उल्लूक का "धर्म की शिक्षा जरूरी है भाई नहीं तो लगेगा यहीं पर है मार खाई" को जगह देने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंआकर्षक लिंक्स दिये हैं आपने चर्चामंच पर ! मेरी प्रस्तुति को भी शामिल किया आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स-
आभार आपका-
बहुत सुंदर लिंक्स प्रस्तुति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
बड़े सुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंकथित धर्म -निरपेक्ष राजनीतिक प्रबंध को पर्त दर पर्त खोलती लम्बी रचना।
जवाब देंहटाएंधर्म की शिक्षा जरूरी है भाई
नहीं तो लगेगा यहीं पर है मार खाई
My Photo
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
जवाब देंहटाएंदिलबाग भाई बढ़िया चर्चा सजाई है अव्वल दर्ज़े के सेतु आप लेकर आयें हैं साथ में हमें भी बिठाएं हैं आभार आपका।
आभार आपका।
जवाब देंहटाएंहमारे वक्त का संत्रास अकेलापन लिए है यह रचना।
किस्मत कहे या ...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद प्रसाद
जवाब देंहटाएंबढ़िया बिम्ब लिए है रचना।
जब से जिन्दगी को देखा करीब से
बढ़िया बिम्ब लिए है रचना। गीतात्मकता और सारल्य लिए है यह बालमिठाई बालसुलभ
जवाब देंहटाएंअल्मोड़ा की मिठाई
जवाब देंहटाएंयथास्थितिवादी भयभीत हैं आपसे। 'हाथ 'हाथ धरे बैठा है किंकर्त्तव्यविमूढ़ ,प्रतिक्रिया करने में असमर्थ -चिदम्बरम राजीव जी के हत्यारों को फांसी के एवज़ आजीवन कारावस की मिलने पर कहते हैं मैं नहीं कह सकता मैं इस फैसले से खुश हूँ या नाखुश। वोट के निशाने पर राजनीति करने वाले राजनीति के इन धंधे बाज़ों की खबर लेने के लिए है आप।
वर्चस्व स्वीकार करने से कतराते लोग
गज़ब का प्रावह है इस रचना में समर्पण की ज़िद है सर्वस्व तेरा ही तो है हवा पानी नदी सब।
जवाब देंहटाएंAmrita Tanmay
तो क्या हुआ ?
सुन्दर चर्चा, मेरी रचना "नेता या नंगा" शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअहर्निशं सेवामहम।
जवाब देंहटाएंभाई दिलबाग विर्क जी चर्चा मंच के प्रति आपकी निष्ठा-परिश्रम और नियमितता के लिए आपका आभारी हूँ।
हार्दिक आभार..
जवाब देंहटाएं