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Tuesday, February 04, 2014

"कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ" : चर्चामंच : चर्चा अंक -1513

 अभिशापों से भरी धरा को मैं कैसे वरदान लिखूँ
सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ

सोनचिरैया भी जब केवल विस्फ़ोटों की धुन गाती हो
बुलबुल के पंखों से भी जब बारूदों की बू आती हो
जब हत्यारे जमा हुए हों, घर-खेतों से बाज़ारों तक
जब विषधर फुफकार रहे हों झोंपड़ियों से मीनारों तक
जब अधनंगे लाखों बच्चे रोटी को भी तरस रहे हों
मुस्कानों की जगह आँख से खारे आँसू बरस रहे हों
जब निर्धनता गली-गली और चौराहों पर नाच रही हो
जब कंगाली फुटपाथों पर रोटी-रोटी बाँच रही हो
आहों और कराहों को मैं कैसे मंगलगान लिखूँ
सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ

जब शिक्षा के बाद हाथ में आती हो केवल बेकारी
जब आँसू में घुली हुई हो भूखे पेटों की लाचारी
जहाँ रूप के बाज़ारों में टके-टके काया बिकती हो
जहाँ आसमां के चंदा में भी केवल रोटी दिखती हो
जब खादी के पहन मुखौटे झूठ पड़ा हो सिंहासन पर
जब बेबस-लाचार नयन ले साँच खड़ा हो निर्वासन पर
पतझर का ही शासन हो तो फागुन कैसे भा सकता है
सारे जग की पीड़ा लेकर कैसे कोई गा सकता है
कैसे चिथड़ों से कपड़ों को मोती का परिधान लिखूँ
सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ
(साभार : कुमार पंकज)    
 नमस्कार  !
आ. शास्त्री जी की अनुपस्थिति में, मंगलवारीय चर्चा मंच में, मैं, राजीव कुमार झा,  कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ,आप सबों का स्वागत करता हूँ.  
--
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
 सर्दियों का मौसम !!! 
रविश 'रवि'    
न जाने 
कैसे गुजरेगा 
अबके बरस...
सर्दियों का मौसम!!!
My Photo

कि हम पर असर गुलाबो का होने लगा है 

धड़कने तेज होने लगी हैं.. 

दिन प्यार के चलने लगे है … ..!

अर्चना तिवारी   

नवल ऋतु का अभिवादन
शीत विदा कर आया वसंत
रंग-बिरंगे फूलों से
कुसुमित हुए बाग अत्यंत


                                                             नीरज कुमार नीर    
विषाद के क्षण को भी जी भरकर जीता हूँ,
विष अगर मिल जाये हंसकर मै पीता हूँ.
 जीवन को और चाहिए भी क्या …???
अनुपमा त्रिपाठी 

सोलह कलाओं से खिला चंद्रमा ,
ऐश्वर्यपूर्ण लावण्यमई लाजवंती चंद्रिका ,
ऐसा ऐश्वर्य पा ,
लाज से निर्झर सी झरती,
पारूल चंद्रा      

तुम्हारे चेहरे पर तुम्हारी पूरी कहानी दिखती है 
चेहरे की सिलवटों में छिपे हैं संघर्ष तुम्हारे 

विभा रानी श्रीवास्तव   
 
तारे बराती
अम्ब धरा की शादी 
रवि घराती ।
मेरा फोटो
फिर मिलन की कामना अच्छी नहीं
दर्द की संभावना अच्छी नहीं
हो सके तो कर्म का सन्धान हो
बस उदर की साधना अच्छी नहीं
राजेंद्र शर्मा           
मेरा फोटो
जिव्हा  खोली कविता बोली 
कानो  में मिश्री  है घोली 
जीवन का सूनापन हरती 
भाव  भरी शब्दो की  टोली

Rajeev Kumar Jha    

Spring time
Soft breeze
Leaves whisper
Birds chirp  
Bees hum
हुआ वह दूर क्यूं ?
आशा सक्सेना      


अनगिनत सवाल
अनुत्तरित रहते
जिज्ञासा शांत न होती
जब मन में घुमड़ते |


 सुशील  कुमार जोशी    
My Photo 
लिखा हुआ पत्र
एक हाथ में कोई
लिया हुआ था
किस समय और
कहाँ पर बैठ कर
या खड़े होकर
लिखा गया था 

वीरेन्द्र कुमार शर्मा 

मेरा फोटो

                                               
(१) गुणकारी है छोटी इलायची (Cardamom ),बॉडी फैट (चर्बी )को दक्षता 
                                   पूर्ण तरीके से ठिकाने लगाने ,जलाने में मदद करती है।

 Kirtish Bhatt
     uttarakhand flood, vijay bahuguna, congress cartoon, cartoons on politics, indian political cartoon


नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।

रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।

धन्यवाद !
--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शीर्षकहीन

अंतर्मन की लहरें पर सारिका मुकेश

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"दे रहे हैं सब बधायी" 
मन उमंगों से भरा है, देह में कम हो गया दम।
आज मेरी ज़िन्दगी का, हो गया इक साल कम।।

आज घर-परिवार में, खुशियाँ समायी,
जन्मदिन की दे रहे हैं सब बधायी,
प्यार पाकर आज इतना, हो गयी है चश्म नम।
आज मेरी ज़िन्दगी का, हो गया इक साल कम।।
उच्चारण

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भैंस मिलने की खुशी में "ताऊ गुरू-घंटाल महोत्सव - 2014" का आयोजन 

ताऊ डाट इनपरताऊ रामपुरिया 
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माँ शारदे वर दे... 
संजय जोशी 'सजग " 

मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 

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उसके साथ मुस्कुराता है बसंत 

अमृतरस पर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति

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आल्हा छन्द 
आदिकाल के  मानव ने  था , रखा  सभ्यता के पथ पाँव
और  बाँटते  रहा  हमेशा  , अपनी  नव-पीढ़ी  को  छाँव
कालान्तर में वही सभ्यता , चरम -शिखर पर पहुँची आज
आओ हम मूल्यांकन कर लें,कितना विकसित हुआ समाज...
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

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मौसम का रुख फिर बदलने लगा हैं 

'आहुति' पर sushma 'आहुति'

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"आ गया बसन्त" 
आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो
आ गया बसन्त है!

खेत लहलहा उठे,
खिल उठी वसुन्धरा,
चित्रकार ने नया,
आज रंग है भरा,
पीत वस्त्र धार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो
आ गया बसन्त है!...
उच्चारण

10 comments:

  1. सुप्रभात
    वसंत पंचमी पर समस्त चर्चा मंच सदस्यों को शुभ कामनाएं |
    विविध लिंक्स पठनीय |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
    आशा

    ReplyDelete
  2. आदरणीय, विगत कुछ माह से लगातार अति-व्यस्तातावश नेट से दूर रहने की बाध्यता है, कृपया ब्लागर मित्र मेरी अनुपस्थिति को अन्यथा न लें.आज का बासंती चर्चा-मंच विविध रंगों से सुसज्जित है. प्रत्येक लिंक मनोहारी है. मुझे भी स्थान देने के लिए मंच के प्रति ह्रदय से आभार...........

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  3. आज वसंत पंचमी पर
    समस्त चर्चा मंच के
    सदस्यों को शुभकामनाएं ।
    खास मौका भी है
    आदरणीय मयंक जी का
    जन्मदिन भी यहीं मनाऐं ।
    उन्हें ढेरों शुभकामनाऐं दे जायें ।
    बहुत सुंदर चर्चा में
    उल्लूक का सूत्र
    "कुछ ना इधर कुछ ना उधर कहीं हो रहा था"
    दिखाने के लिये आभार !

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  4. Mujhe ad kare
    riderfreelance.blogspot.com

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, माँ सरस्वती पूजा हार्दिक मंगलकामनाएँ !

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  6. बसंत पर अनेक सुंदर लिंक्स और प्रभावी चर्चा !!बसंत पंचमी की शुभकामनायें !!हृदय से आभार मेरी कृति यहाँ चर्चा मंच पर आपने ली !!

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  7. वाह बहुत ही सुन्दर लिंक्स से आपने आज की चर्चा सजाई है , अभी एक एक कर पढता हूँ, सुबह से वक्त ही नहीं मिला .. आपका आभार .

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  8. मनपसंद..मनमोहक चर्चा....आभार

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  9. सुन्दर लिंक ... आभार मेरी रचना को मंच पे लेने की ...

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  10. बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र

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