सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ सोनचिरैया भी जब केवल विस्फ़ोटों की धुन गाती हो बुलबुल के पंखों से भी जब बारूदों की बू आती हो जब हत्यारे जमा हुए हों, घर-खेतों से बाज़ारों तक जब विषधर फुफकार रहे हों झोंपड़ियों से मीनारों तक जब अधनंगे लाखों बच्चे रोटी को भी तरस रहे हों मुस्कानों की जगह आँख से खारे आँसू बरस रहे हों जब निर्धनता गली-गली और चौराहों पर नाच रही हो जब कंगाली फुटपाथों पर रोटी-रोटी बाँच रही हो आहों और कराहों को मैं कैसे मंगलगान लिखूँ सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ जब शिक्षा के बाद हाथ में आती हो केवल बेकारी जब आँसू में घुली हुई हो भूखे पेटों की लाचारी जहाँ रूप के बाज़ारों में टके-टके काया बिकती हो जहाँ आसमां के चंदा में भी केवल रोटी दिखती हो जब खादी के पहन मुखौटे झूठ पड़ा हो सिंहासन पर जब बेबस-लाचार नयन ले साँच खड़ा हो निर्वासन पर पतझर का ही शासन हो तो फागुन कैसे भा सकता है सारे जग की पीड़ा लेकर कैसे कोई गा सकता है कैसे चिथड़ों से कपड़ों को मोती का परिधान लिखूँ सोने की चिड़िया है कैसे मेरा हिन्दुस्तान लिखूँ (साभार : कुमार पंकज) |
आ. शास्त्री जी की अनुपस्थिति में, मंगलवारीय चर्चा मंच में, मैं, राजीव कुमार झा, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ,आप सबों का स्वागत करता हूँ.
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एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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न जाने
कैसे गुजरेगा
अबके बरस...
सर्दियों का मौसम!!!
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कि हम पर असर गुलाबो का होने लगा हैधड़कने तेज होने लगी हैं..दिन प्यार के चलने लगे है … ..! |
नवल ऋतु का अभिवादन
शीत विदा कर आया वसंत रंग-बिरंगे फूलों से कुसुमित हुए बाग अत्यंत |
नीरज कुमार नीर
विषाद के क्षण को भी जी भरकर जीता हूँ,
विष अगर मिल जाये हंसकर मै पीता हूँ.
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सोलह कलाओं से खिला चंद्रमा , ऐश्वर्यपूर्ण लावण्यमई लाजवंती चंद्रिका , ऐसा ऐश्वर्य पा , लाज से निर्झर सी झरती, |
पारूल चंद्रा
तुम्हारे चेहरे पर तुम्हारी पूरी कहानी दिखती है
चेहरे की सिलवटों में छिपे हैं संघर्ष तुम्हारे
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विभा रानी श्रीवास्तव
तारे बराती
अम्ब धरा की शादी
रवि घराती ।
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फिर मिलन की कामना अच्छी नहीं
दर्द की संभावना अच्छी नहीं
हो सके तो कर्म का सन्धान हो बस उदर की साधना अच्छी नहीं |
राजेंद्र शर्मा
जिव्हा खोली कविता बोली
कानो में मिश्री है घोली
जीवन का सूनापन हरती
भाव भरी शब्दो की टोली
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Spring time Soft breeze Leaves whisper Birds chirp Bees hum |
हुआ वह दूर क्यूं ?
आशा सक्सेना
अनगिनत सवाल
अनुत्तरित रहते
जिज्ञासा शांत न होती
जब मन में घुमड़ते |
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सुशील कुमार जोशी
लिखा हुआ पत्र
एक हाथ में कोई लिया हुआ था किस समय और कहाँ पर बैठ कर या खड़े होकर लिखा गया था |
(१) गुणकारी है छोटी इलायची (Cardamom ),बॉडी फैट (चर्बी )को दक्षता
पूर्ण तरीके से ठिकाने लगाने ,जलाने में मदद करती है। |
Kirtish Bhatt
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शीर्षकहीन
नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।
रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।
अंतर्मन की लहरें पर सारिका मुकेश
"दे रहे हैं सब बधायी"
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मन उमंगों से भरा है, देह में कम हो गया दम।
आज मेरी ज़िन्दगी का, हो गया इक साल कम।।
आज घर-परिवार में, खुशियाँ समायी,
जन्मदिन की दे रहे हैं सब बधायी,
प्यार पाकर आज इतना, हो गयी है चश्म नम।
आज मेरी ज़िन्दगी का, हो गया इक साल कम।।
उच्चारण
भैंस मिलने की खुशी में "ताऊ गुरू-घंटाल महोत्सव - 2014" का आयोजन
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संजय जोशी 'सजग " मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
उसके साथ मुस्कुराता है बसंत
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अमृतरस पर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति
आल्हा छन्द
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आदिकाल के मानव ने था , रखा सभ्यता के पथ पाँव
और बाँटते रहा हमेशा , अपनी नव-पीढ़ी को छाँव
कालान्तर में वही सभ्यता , चरम -शिखर पर पहुँची आज
आओ हम मूल्यांकन कर लें,कितना विकसित हुआ समाज...
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
मौसम का रुख फिर बदलने लगा हैं
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'आहुति' पर sushma 'आहुति'
"आ गया बसन्त"
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आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो,
आ गया बसन्त है!
खेत लहलहा उठे,
खिल उठी वसुन्धरा,
चित्रकार ने नया,
आज रंग है भरा,
पीत वस्त्र धार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो,
आ गया बसन्त है!...
उच्चारण |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी पर समस्त चर्चा मंच सदस्यों को शुभ कामनाएं |
विविध लिंक्स पठनीय |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
आशा
आदरणीय, विगत कुछ माह से लगातार अति-व्यस्तातावश नेट से दूर रहने की बाध्यता है, कृपया ब्लागर मित्र मेरी अनुपस्थिति को अन्यथा न लें.आज का बासंती चर्चा-मंच विविध रंगों से सुसज्जित है. प्रत्येक लिंक मनोहारी है. मुझे भी स्थान देने के लिए मंच के प्रति ह्रदय से आभार...........
जवाब देंहटाएंआज वसंत पंचमी पर
जवाब देंहटाएंसमस्त चर्चा मंच के
सदस्यों को शुभकामनाएं ।
खास मौका भी है
आदरणीय मयंक जी का
जन्मदिन भी यहीं मनाऐं ।
उन्हें ढेरों शुभकामनाऐं दे जायें ।
बहुत सुंदर चर्चा में
उल्लूक का सूत्र
"कुछ ना इधर कुछ ना उधर कहीं हो रहा था"
दिखाने के लिये आभार !
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जवाब देंहटाएंriderfreelance.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, माँ सरस्वती पूजा हार्दिक मंगलकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबसंत पर अनेक सुंदर लिंक्स और प्रभावी चर्चा !!बसंत पंचमी की शुभकामनायें !!हृदय से आभार मेरी कृति यहाँ चर्चा मंच पर आपने ली !!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर लिंक्स से आपने आज की चर्चा सजाई है , अभी एक एक कर पढता हूँ, सुबह से वक्त ही नहीं मिला .. आपका आभार .
जवाब देंहटाएंमनपसंद..मनमोहक चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक ... आभार मेरी रचना को मंच पे लेने की ...
जवाब देंहटाएंबड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र
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