हवा
की आँख में चुभने लगा है
नदी
दम तोड़ बैठी तशनगी से
समन्दर बारिशों में भीगता है
कभी
जुगनू कभी तितली के पीछे
मेरा बचपन अभी तक भागता है
सभी
के ख़ून में ग़ैरत नहीं पर
लहू सब की रगों में दौड़ता है
जवानी
क्या मेरे बेटे पे आई
चलो
हम भी किनारे बैठ जायेंमेरी आँखों में आँखें डालता है
ग़ज़ल
ग़ालिब-सी दरिया गा रहा है
(साभार : जतिंदर परवाज) |
मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक : 1524 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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मध्ययुगीन साधकों में संतकवि रैदास या रविदास का विशिष्ट स्थान है। निम्नवर्ग में समुत्पन्न होकर भी उत्तम जीवन शैली, उत्कृष्ट साधना-पद्धति और उल्लेखनीय आचरण के कारण वे आज भी भारतीय धर्म-साधना के इतिहास में आदर के साथ याद किए जाते हैं।
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दिल के जख्मों को मुस्कुराने तो दो यादों में इसे तेरी डूब जाने तो दो। |
जिस प्रकार धागा टूटने पर जुड़ नहीं सकता यदि जोड़ भी दे तो गांठ पड़ जाती है उसी प्रकार प्यार के रिश्तों में भी एक बार दरार पड़ जाय तो जुड़ना मुश्किल हो जाता है, अविश्वास की गांठ पड़ ही जाती है उस रिश्ते में !
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प्रतिभा सक्सेना
अभी तो पाट पर बैठी
छये मंडप तले
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कॉफी पीने की भी लत पड़ जाती है इसलिए यकबयक कॉफी पीना बंद न कीजिये ऐसा करना सिरदर्द की वजह बन सकता है धीरे धीरे ही कॉफी पीने की आदत से बाहर आइये। |
चेतन रामकिशन "देव"
जिंदगी जीने का तुम, मुझको सबक दे जाओ! मेरी आँखों में सितारों की, चमक दे जाओ! |
एलीफेंटा लेक इस झील को क्यों कहते हैं इसके बारे में ड्राइवर ने हमें दिखाया कि देखो इस झील को गौर से ये दूर से देखने पर हाथी की तरह दिखायी देती है । हाथी के हाथ वे रहे और पैर ये हैं और ये है सूंड
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शिक्षा के मंदिर नापाक हुए,
मर्यादाएं, चरित्र खाक हुए,
चली है ये हवा पश्चिम से,
कहते हैं इसे वैलेंटाइन-डे...
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कल्पना रामानी
बल भी उसके सामने निर्बल रहा है।
घोर आँधी में जो दीपक जल रहा है। |
Dreams
I know you so well
That often amidst you
I forget myself.
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किस्सा लडकी से परी बन जाने का ।
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
यह जादुई किस्सा उस समय का है जब मैं शायद सातवीं कक्षा में थी और किशोर भैया (मेरे मौसेरे भाई ) आठवीं या नौवीं में ।
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निवेदिता श्रीवास्तव
हाँ ,सुना है
कल्पवृक्ष
पूरी करता है
कामनाएं सबकी
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सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, सन 1879 ई. को हैदराबाद में भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय के यहाँ हुआ था। इनकी माता का नाम वरदासुन्दरी था।
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अरूण साथी
यूँ ही बिना वज़ह गुलों का खिलना।। अच्छा लगता है। |
विभा रानी श्रीवास्तव
वसंत की अनुभूति और उसकी अभिव्यक्ति
अपनी निजी अवस्था पर निर्भर होती होगी ना जैसे एक सिक्के का दो पहलू आशा और निराशा |
'Muse'- कुछ शब्दों की खुशबू उनकी अपनी भाषा में ही होती है, अब जैसे हिन्दी में मुझे इस शब्द का कोइ अनुवाद नहीं मिला है...प्रेरणा बहुत हल्का शब्द लगता है, म्यूज के सारे रोमांटिसिज्म को कन्वे भी नहीं कर पाता है।
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दिगंबर नासवा
वेलेंटाइन ...
सुनो मेरी वेलेंटाइन घास पे लिखी है इक कहानी ओस की बूँदों से मैंने |
राकेश श्रीवास्तव
हम दोनों ने कब सोचा था,
होगा जीवन का सफर सुहाना, सालों-साल ऐसे गुजर गए, जैसे हो एक सुंदर सपना। |
तुम मिले तो.. जीवन में वसंत छा गया
धीरे से कानों में मेरे,प्रेम गीत गा गया |
"दोहे-प्रेमदिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
प्रेम दिवस पर सभी को, लगा प्रेम का रोग।
झूठे मन से कर रहे, प्रणय-निवेदन लोग।१।
सेहतनामा (१) कीलमुंहासों से निजात के लिए आंवला कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma Are the Tannins in Green Tea Unhealthy? Vitamin A rich diet essentialfor proper lung formationआपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharmaखुदा की कयानात / कयानात का खुदा
मैं भारतीय हू़ शिक्षित हूं मुझे लघु कविताओ / शायरियों/ तुकबन्दियों के माध्यम से
अपने विचारों की अभिव्यक्ति करता रहता हूं पहले पन्ने लिख समेटते रहते रहे जिस
की अभिव्यक्ति करता रहता हूं पहले पन्ने लिख समेटते रहते रहे...
आपका ब्लॉग पर पथिक अंजाना"कहाँ आया है मुझे"
तुम्हारे आवाह्न पर
ठहर तो जाती हूँ सहसा
पर चलने लगती हूँ
फिर फिर
उन्हीं राहों पर.…
पर मुझे कहो,
कितना भी चलती हूँ
ये रास्ते मुझे यूँ
अनजाने क्यों ? ...
मीमांषा पर rashmi savita बासंती हाइकु आया बसंत निर्मल है आकाश दिल बसन्त... गुज़ारिश पर सरिता भाटिया सच सामने लाने में बबाल क्यों हो जाता है सच कड़वा होता है निगला नहीं जाता है गाँधी के मर जाने से क्या हो जाता है गाँधीवाद क्या उसके साथ में चला जाता है... उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी "पढ़ना-लिखना मजबूरी है" जो चाहा Akanksha पर Asha Saxena तुम आते एक बार... मुक्ताकाश.... पर आनन्द वर्धन ओझा जय हिन्द KNOWLEDGE FACTORY पर Misra Raahul |
सार्थक लिंकों के साथ बहुत सुन्दर ढंग से की गयी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजीव कुमार झा जी आपका आभार।
सुन्दर और पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi
जिंदगी की जद्दो-ज़हद में " राजू " गर मशरूफ न होते ! तेरी आँखों के समंदर में कब के डूब गए होते !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर कड़ियों से सजी बढ़िया चर्चा। मेरे लेख को यहाँ स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : भारत कोकिला सरोजिनी नायडू
क्या हिन्दी ब्लॉगजगत में पाठकों की कमी है ?
उम्दा सूत्रों से सजा आज का चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
Links look like a Rainbow.
जवाब देंहटाएंBeautifully presented.
And thanx for involving me.
Meemaansha.
सभी रंग के सूत्र बढ़िया संकलन.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआभार!
आदरणीय बहुत ही बढ़िया सूत्र दिए आपने .....सभी को पढने की इच्छा मन में हो रही है ... मेरी कविता को शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया :-)
जवाब देंहटाएंमेरे लिखे को मान और स्थान देने के लिए शुक्रगुजार हूँ
जवाब देंहटाएंआभार
सुन्दर चर्चामेरे लेख को स्थान देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय सूत्र ...... आभार !!!
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंकों के साथ बहुत सुन्दर ढंग से की गयी चर्चा, धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएं'चर्चा मंच' से महत्व के लिंक मिले, पठनीय सामग्री तक पहुँच सका! आभारी हूँ बंधु...! आभार इसका भी कि आपने मेरी कविता 'तुम आते एक बार...' को चर्चा में शामिल किया...!
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति । उल्लूक का आभार । सच सामने लाने में बबाल क्यों हो जाता है को शामिल करने पर ।
जवाब देंहटाएंपंख लगा दिए हैं इस रचना ने अभिव्यक्ति को ,सचमुच -
जवाब देंहटाएंनीड़ का निर्माण फिर न हो सकेगा। .....
Wednesday, 12 February 2014
नीड़ का निर्माण फिर फिर टल रहा है
बल भी उसके सामने निर्बल रहा है।
घोर आँधी में जो दीपक जल रहा है।
डाल रक्षित ढूँढते, हारा पखेरू,
नीड़ का निर्माण, फिर फिर टल रहा है।
हाथ फैलाकर खड़ा दानी कुआँ वो,
शेष बूँदें अब न जिसमें जल रहा है।
सूर्य ने अपने नियम बदले हैं जब से,
दिन हथेली पर दिया ले चल रहा है।
क्यों तुला मानव उसी को नष्ट करने,
जो हरा भू का सदा आँचल रहा है।
देखिये इस बात पर कुछ गौर करके,
आज से बेहतर हमारा कल रहा है।
मन को जिसने आज तक शीतल रखा था,
सब्र का घन धीरे-धीरे गल रहा है।
ख्वाब है जनतन्त्र का अब तक अधूरा,
आदि से जो इन दृगों में पल रहा है।
-----कल्पना रामानी
वही पत्ते, वही डाली,
जवाब देंहटाएंवही भोजन, वही थाली,
वही वो हैं वही हम हैं!
दिलों में उल्फतें कम हैं!!
बढ़िया निवेदन और चित्र प्रेम -प्रस्ताव दिवस का ,देह अनुराग दिवस ,बन जाता कुछ के लिए संत्रास दिवस।
17-yr-old Delhi girl lured to V -Day party ,raped TOI ,TIMES NATION ,P7 ,THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,EPAPER.TIMESOFINDIA.COM
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा बेहतरीन सेतु चयन एवं संयोजन ,आभार सेहतनामा शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएं--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सेहतनामा
(१)
कीलमुंहासों से निजात के लिए आंवला
कबीरा खडा़ बाज़ार में
पर
Virendra Kumar Sharma
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Are the Tannins in
Green Tea Unhealthy?
Vitamin A rich diet essential
for proper lung formation