आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
ये दुनिया किसी के बगैर अधूरी नहीं होती
मंज़िल की पहचान तुम्हें ही करना है
अंदर की कमज़ोरी कठोर ही जानता है
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अंदर की कमज़ोरी कठोर ही जानता है
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धन्यवाद
दिलबाग विर्क
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
सुन्दर सार्थक सूत्रों से युक्त आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी !
जवाब देंहटाएं'नीम हकीम' को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद दिलबाग़ जी.
जवाब देंहटाएंबोलते चित्रों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
बढ़िया चर्चा दिलबाग जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक संयोजन ........आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स, सुन्दर चर्चा आदरणीय दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंलगभग सभी रचनाएं पढ़लीं . अच्छा चयन है आपका . गीत जी की कविताओं को पढ़वाने के लिये आपका आभार .मेरी रचना को शामिल करने के लिये भी .
जवाब देंहटाएंलगभग सभी रचनाएं पढ़लीं . अच्छा चयन है आपका . गीत जी की कविताओं को पढ़वाने के लिये आपका आभार .मेरी रचना को शामिल करने के लिये भी .
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