मित्रों
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कंधे से सटकर बैठने में बहुत सुख है...
Pratibha Katiyar
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अंग्रेजी भाषा के हम तो, खाने लगे निवाले हैं
खान-पान-परिधान विदेशी, फिर भी हिन्दी वाले हैं
खान-पान-परिधान विदेशी, फिर भी हिन्दी वाले हैं
अपनी गठरी कभी न खोली, उनके थाल खँगाल रहे
अपनी माता को दुत्कारा, उनकी माता पाल रहे
कुछ काले अंग्रेज, देश के बने हुए रखवाले हैं...
अपनी माता को दुत्कारा, उनकी माता पाल रहे
कुछ काले अंग्रेज, देश के बने हुए रखवाले हैं...
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एक रहस्यात्मक पन्ना
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फेसबुकिया पोस्ट
आप कितने उदार है। ज्ञान देते है,
और हम लोग बड़े प्रेम से दो डब्बे बने बनाये स्माईल के डाल देते है। य
कीं नहीं होता मैंने अपने जीवन में इतनी सुंदरता से अभी हंसा होऊंगा।
लेकिन बात क्या है न यहाँ का समाज तो
कितना अच्छी तरह से बनता और बिगड़ता है,
बनता है तो दूषित कहलाता है
और बिगड़ता है तो प्रदूषित। ...
प्रभात
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हमे तो अब ख़ुशी से खिलखिलाना है
सजन मिल आशियाना अब बसाना है
हमें तो प्यार तुमसे ही निभाना है ...
Rekha Joshi
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तेरे कूचे से हम जो गुज़रे
तेरे कूचे से हम जो गुज़रे, ज़माना फिर से गुज़र गया।
इक सूखा सा दरख्त कोई, हरा हो फिर से शज़र गया...
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विजेंद्र और एकांत से
महत्वपूर्ण कवि हैं शम्भु बादल
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वसुधैव कुटुम्बकम
इतनी विशाल दुनिया में
दूर दराज देशों में रहते लोग
अनेक परिवेश
जिनके भिन्नभाषाएँ हैं
अनेक बात
जब होती वसुधैव कुटुम्बकम की...
दूर दराज देशों में रहते लोग
अनेक परिवेश
जिनके भिन्नभाषाएँ हैं
अनेक बात
जब होती वसुधैव कुटुम्बकम की...
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या तो इस पार की या तो उस पार की
अब तलक जो हुई सब थी बेकार की
चाहिए बात हो अब ज़रा प्यार की...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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पंचकुला का कैक्टस पार्क
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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हर भूले को राह दिखाना बनकर दीपक बाती--
ललित छंद
टिक टिक करती घड़ियाँ बोलीं,
साथ समय के चलना
सोने से सो जाते अवसर,
मिलता कोई हल ना ....
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तब ही समझ तुम पाओगे.....
पगतलियों के छालों को सहलाते भींचे लबों से
जब कुछ गुनगुना पाओगे
अश्रु छिपे कितने मुस्कुराती आँखों के सागर में
तब ही समझ तुम पाओगे ...
वाणी गीत
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छोटे किसानों का बड़ा भला कर सकता है GST
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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पगड़ी और कंगना होंगी आमने-सामने!
Shivraj Gujar
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पिंक पोएम
अनिरूद्ध रायचौधरी की फिल्म 'पिंक' में यह प्रेरक कविता है। इसे तनवीर क्वासी ने लिखा है।फिल्म में अमिताभ बच्चन ने इसका आेजपूर्ण पाठ किया है। फिल्म के संदर्भ में इस कविता का खास महत्व है। निर्माता शुजीत सरकार और उनकी टीम को इस प्रयोग के लिए धन्यवाद। हिंदी साहित्य के आलोचक कविता के मानदंड से तय करें कि यह कविता कैसी है...
ajay brahmatmaj
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तेरी तो हर बात ग़ज़ल ...
डा श्याम गुप्त ...
तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
तेरी तो हर बात ग़ज़ल |
प्रेम-प्रीति की रीति ग़ज़ल,
मुलाक़ात की बात ग़ज़ल...
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शुभदा वाजपेयी की रचनाएँ
कानपुर विश्वविद्यालय की स्नातक
श्रीमती शुभदा वाजपेयी
हिन्दी की श्रेष्ठ गीतकार ग़ज़लकार
दोहाकार और मुक्तक लेखिका हैं...
Sahityayan. साहित्यायन
कानपुर विश्वविद्यालय की स्नातक
श्रीमती शुभदा वाजपेयी
हिन्दी की श्रेष्ठ गीतकार ग़ज़लकार
दोहाकार और मुक्तक लेखिका हैं...
Sahityayan. साहित्यायन
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"अच्छे दिन" और "काला धन" को
जुमला कहे जाने पर भी
जो आसक्त रहते है,
हे तात कलि काल में
उसे ही भक्त कहते है.. ----
#साथी के #बकलोल वचन
जुमला कहे जाने पर भी
जो आसक्त रहते है,
हे तात कलि काल में
उसे ही भक्त कहते है.. ----
#साथी के #बकलोल वचन
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हो गई पूजा
याद पगी थी
तेरी खुशबू संग
ठुकराता क्यों ?
कहीं न गया
तुझे याद किया है
हो गई पूजा ।
आए थे याद
भूले-बिसरे पल
जिए दोबारा ।
साहित्य सुरभि
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सुन्दर शानिवारीय चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |बढिया संयोजन |मेरी दो लिंक्स आज देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ |इस हेतु आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर शानिवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, आभार हमारी रचना शामिल करने के लिए|
जवाब देंहटाएंसुंदर मंच और प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं