मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक गीत -
यह ऋषियों की भूमि -
तपोभूमि उत्तराखण्ड की महिमा पर
यह ऋषियों की भूमि यहाँ की कथा निराली है |
गंगा की जलधार यहाँ सोने की प्याली है |
हरिद्वार ,कनखल ,बद्री केदार यहीं मिलते ,
फूलों की घाटी में मोहक फूल यहीं खिलते ,
नीलकंठ पर्वत की कैसी छवि सोनाली है...
जयकृष्ण राय तुषार
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"मेरे मंजुल भाव"
मेरी श्रीमती का जन्मदिन
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मंजुल माला के लिए, लाया सुमन समेट।
श्रीमती का जन्मदिन, दूँगा उनको भेंट।।
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यज्ञ-हवन करके करूँ, विधना से फरियाद।
सजनी के संसार में, कभी न हो अवसाद।।
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उपवन में मंगल रहे, खिलें खुशी के फूल।
ग्रह और नक्षत्र सब, रहें सदा अनुकूल।।
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उम्र हुई है आपकी, पूरे बासठ साल।
लेकिन अब भी मोरनी, जैसी ही है चाल।।
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जितना दाता ने दिया, करो उसे उपभोग।
जब तक है यह जिन्दगी, तब तक रहो निरोग।।
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भरे हुए हैं हृदय में, मेरे मंजुल भाव।
अन्त समय तक भी रहे, सखाभाव-समभाव।।
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साधारण आहार से, सभी लोग हैं पुष्ट।
अपनी चादर में हुए, परिवारी सन्तुष्ट।।
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बेटे भी शालीन हैं, बहुएँ मिलीं कुलीन।
किलकारी की गूँज में, रहते हम तल्लीन।।
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देश बदला हो या नहीं मेरा पत्रकार जरूर... —
अभिसार Abhisar Sharma
on Indian Media
Shabdankan पर
Bharat Tiwari
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श्रद्धा से करते श्राद्ध हम
आते है याद बहुत
नमन करते हम उन्हें
छोड़ कर जो चले गए दूर
हमसे सदा सदा के लिए
थे जो कभी हमारे अपने ..
Rekha Joshi
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लिखा है मैंने एक आखिरी प्रेम गीत...
ज़िन्दगी की रात में लिखा है मैंने ,
एक आखिरी प्रेम गीत।
अगर सुनाई दे तुम्हें ,
तो सुन लेना...
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... चरित्र-नाशिनी इंजेक्शन लगवा लिया। अब लड़के वालों की स्थिति उस डॉक्टर जैसी हो गयी है जो उस लड़की को तलाश रहे हैं जिसने इंजेक्शन नहीं लगवाया हो। सारे ही होटल और क्लबों के रजिस्टर चेक किये जा रहे हैं लेकिन सफलता हाथ नहीं आ रही। सोचो ऐसा हो जाएगा तो क्या होगा? जो समाज केवल लड़की के चरित्र को देखता है और लड़के को पवित्र मानता है, ऐसे समाज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है, इसलिये चरित्र की ऐसी दोहरी व्याख्या करना बन्द कीजिये नहीं तो परिणाम घातक होंगे।
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भारत ने 10 मिनट में पाकिस्तान को धोया
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतरराष्ट्रीय मंच से मात्र 10 मिनट में पाकिस्तान को दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब कर दिया। अपने उद्बोधन में श्रीमती स्वराज ने बड़ी स्पष्टता के साथ पाकिस्तान और भारत में अंतर स्थापित कर दिया। उनके भाषण की खासियत रही कि उन्होंने पहले भारत के वर्तमान और भविष्य को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। सबको बताया कि भारत किस प्रकार विश्व कल्याण के मार्ग पर अग्रसर है। उसके बाद उन्होंने बताया कि विश्व शांति में एक देश (पाकिस्तान) किस प्रकार खतरनाक सिद्ध हो रहा है। यह देश आतंक ही बोता है, आतंक ही उगाता है और आतंक ही बेचता है। आतंक को पालना इसका शौक हो गया है। भारत के साथ ही पेरिस, न्यूयोर्क, ढाका, इंस्ताबुल, ब्रूसेल और काबुल में हुए आतंकी धमाकों जिक्र करके विदेश मंत्री ने दुनिया को बताने की कोशिश की कि पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में पैदा हो रहा आतंकवाद दुनिया को बर्बाद कर देगा...
अपना पंचू
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतरराष्ट्रीय मंच से मात्र 10 मिनट में पाकिस्तान को दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब कर दिया। अपने उद्बोधन में श्रीमती स्वराज ने बड़ी स्पष्टता के साथ पाकिस्तान और भारत में अंतर स्थापित कर दिया। उनके भाषण की खासियत रही कि उन्होंने पहले भारत के वर्तमान और भविष्य को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। सबको बताया कि भारत किस प्रकार विश्व कल्याण के मार्ग पर अग्रसर है। उसके बाद उन्होंने बताया कि विश्व शांति में एक देश (पाकिस्तान) किस प्रकार खतरनाक सिद्ध हो रहा है। यह देश आतंक ही बोता है, आतंक ही उगाता है और आतंक ही बेचता है। आतंक को पालना इसका शौक हो गया है। भारत के साथ ही पेरिस, न्यूयोर्क, ढाका, इंस्ताबुल, ब्रूसेल और काबुल में हुए आतंकी धमाकों जिक्र करके विदेश मंत्री ने दुनिया को बताने की कोशिश की कि पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में पैदा हो रहा आतंकवाद दुनिया को बर्बाद कर देगा...
अपना पंचू
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मैं दोनों के लिए लड़ती हूँ ,और दावे से कहती हूँ ,
मेरी हिंदी भी उत्तम है मेरी उर्दू भी आला है।
ram ram bhai
मेरी हिंदी भी उत्तम है मेरी उर्दू भी आला है।
ram ram bhai
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गीत
"रास्तों को नापकर बढ़े चलो-बढ़े चलो"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कारवाँ गुजर रहा, रास्तों को नापकर।
मंजिलें बुला रहीं, बढ़े चलो-बढ़े चलो!
है कठिन बहुत डगर, चलना देख-भालकर,
धूप चिलचिला रही, बढ़े चलो-बढ़े चलो!!
दलदलों में धँस न जाना, रास्ते सपाट हैं
ज़लज़लों में फँस न जाना, आँधियाँ विराट हैं,
रेत के समन्दरों को, कुशलता से पार कर,
धूप चिलचिला रही, बढ़े चलो-बढ़े चलो...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात उम्दा चर्चा आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति । आभार शास्त्री जी 'उलूक' के सूत्र 'सुमित जी की पुत्री अदिति के जन्मदिन पर' को आज की चर्चा में जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी आपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंसंवेदना से भरपूर है आज की चर्चा !! धन्यवाद मेरी रचना के प्रकाशन हेतु !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर
जवाब देंहटाएं