मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"अब तो करो प्रहार"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सीमाओं पर पाक का, बढ़ा सतत् उत्पात।
बद से बदतर हो रहे, दुश्मन के जुल्मात।१।
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सैनिक अपने मर रहे, चिन्ता की है बात।
आँखें सबकी नम हुई, लगा बहुत आघात।२।
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बन्द कीजिए पाक से, कूटनीति की बात।
बता दीजिए नीच को, अब उसकी औकात।३...
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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'आइना सच नहीं बोलता'
मातृभारती मातृभारती पर प्रकाशित हो रहे धारावाहिक उपन्यास 'आइना सच नहीं बोलता' की इस पहली और दूसरी कड़ी की लेखिका हैं नीलिमा शर्मा और कविता वर्मा... नंदिनी की इस कहानी को पढ़िए और सुझावों व् प्रतिक्रियाओं से अवगत कराइये..
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क्षमा
(कविता)
बुद्ध, जैन, सिख, ईशाई, हिन्दू, मुसलमान
सबका मत एक ही है, क्षमा ही महा दान |
हर धर्म मानता है क्षमा, शांति का है मूल
जानकर भी फैलाते नफरत, क्यों करते यह भूल...
कालीपद "प्रसाद"
बस बड़ा हो जाऊँ
आज ऑफिस से आते आते
कुछ ऐसे विचार मन में आये
कि हमेशा ही हम बड़े होने की बात सोचते हैं,
परंतु कभी भी कितने भी बड़े हो जायें
पर हमें खुद पर यकीन ही नहीं होता है,
कि अब भी हम कोई काम ठीक से कर पायेंगे...
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अन्वित
बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट कर रही हूँ ..
बेटे के लिए एक कविता लिखी है
कितना सुन्दर है प्यारे बेटे तेरा इस जीवन में आना
शीतल कोमल पूर्ण चन्द्र सा मद्धम मद्धम मुस्काना
इस दुनिया के सब रिश्तों पर धीरे से भारी पड़ जाना
हौले हौले से मेरा सबसे प्यारा अन्वित (दोस्त) हो जाना...
kanu.....
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पुण्य स्मरण
सभी धर्मों या विश्वासों में अपने पितरों को पूजने व याद करने के तरीकों का निरूपण किया गया है, हमारे सनातन धर्म में भाद्रपद मास के पूरे शुक्ल पक्ष को पितरों को समर्पित किया गया है. मातृपक्ष व पित्रपक्ष दोनों ही के तीन तीन पीढ़ियों को पिंडदान व तर्पण करके उनके मोक्ष की कामना की जाती है. हमारे धार्मिक साहित्य में वैदिक काल से ही श्राद्ध के विषय में अनेक विधि-विधान व कथानकों का उल्लेख मिलता है. ये भी सत्य है की श्राद्धों में पोषित पुरोहित वर्ग द्वारा कर्मकांडों में अनेक पाखण्ड जोड़े जाते रहे हैं
पर इससे श्राद्ध का महत्व कम नहीं होता है...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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तमन्ना
एक फौजी के दिल की बात,
जब वह दूर बैठे अपने परिवार के लिए सोचता है ...
तमन्ना है, कुछ लम्हें मिले ...
तमन्ना है, कुछ लम्हें और मिले ...
तमन्ना है, कुछ लम्हें और साथ मिले ...
तमन्ना है, कुछ लम्हें साथ साथ मिले ...
Nivedita Dinkar
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आवेश
सबसे अधिक चोट लगती है तो शब्दों से
और सबसे अधिक खुशी होती है तो भी शब्दों से
आवेश में कभी कभार हम कुछ कहते है
रोते भी है पर कहे शब्द वापिस नहीं आते है
क्योंकि सबसे अधिक चोट लगती है
तो शब्दों से टूट जाते है
रिश्तों में बंधे कई हाथ छूट जाते है...
प्रभात
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एक खत - मोदी जी के नाम
कुछ करिये मोदी जी !
अब तो कुछ करिये !
करोड़ों भारतवासियों की नज़रें आप पर टिकी हैं !
यह चुप्पी साधने का नहीं हुंकार भरने का समय आया है !
इस एक पल की निष्क्रियता सारी सेना का मनोबल
और सारे भारतवासियों की उम्मीदों को तोड़ जायेगी !
इतने वीरों के बलिदान को निष्फल मत होने दीजिये...
अब तो कुछ करिये !
करोड़ों भारतवासियों की नज़रें आप पर टिकी हैं !
यह चुप्पी साधने का नहीं हुंकार भरने का समय आया है !
इस एक पल की निष्क्रियता सारी सेना का मनोबल
और सारे भारतवासियों की उम्मीदों को तोड़ जायेगी !
इतने वीरों के बलिदान को निष्फल मत होने दीजिये...
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उरी में 17 जवान शहीद,
पीएम सिर्फ जुबानी खर्च में जुटे ...
उरी में 17 जवान शहीद,
पीएम सिर्फ जुबानी खर्च में जुटे ...
सीमाओं पर पाक का, बढ़ा सतत् उत्पात।
बद से बदतर हो रहे, दुश्मन के जुल्मात।१।
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सैनिक अपने मर रहे, चिन्ता की है बात।
आँखें सबकी नम हुई, लगा बहुत आघात।२।
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बन्द कीजिए पाक से, कूटनीति की बात।
बता दीजिए नीच को, अब उसकी औकात।३।
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बाँटी हमने पाक को, अभी तलक खैरात।
सदा-सदा के लिए अब, उससे पाओ निजात।४।...
बद से बदतर हो रहे, दुश्मन के जुल्मात।१।
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सैनिक अपने मर रहे, चिन्ता की है बात।
आँखें सबकी नम हुई, लगा बहुत आघात।२।
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बन्द कीजिए पाक से, कूटनीति की बात।
बता दीजिए नीच को, अब उसकी औकात।३।
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बाँटी हमने पाक को, अभी तलक खैरात।
सदा-सदा के लिए अब, उससे पाओ निजात।४।...
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हरिजन बनाम दिव्यांग-जन:
प्रधानमंत्री के नाम एक खुला ख़त
प्रधानमंत्री के नाम एक खुला ख़त
परम आदरणीय
श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी
देश के वर्तमान प्रधानमन्त्री (स्वकथित प्रधान सेवक)
महाशय,
कहना चाहूँगी कि एक राजनीतिज्ञ के रूप में यह अति प्रशंसनीय है कि पार्टी से ऊपर उठ कर आपने देश के महान राजनेता को तवज्जो दिया और स्वच्छ भारत अभियान को गाँधी जी के सपने के रूप में प्रचारित करके आगे बढ़ाया। किसी महान व्यक्ति के पदचिन्हों पर चलना अच्छी बात है पर ये जरुरी तो नहीं कि उसकी की हुई गलती को भी हम दोहराएँ?....
DEKHIYE EK NAJAR IDHAR BHI
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रविकर के दोहे
अजगर सो के साथ में, रोज नापता देह।
कर के कल उदरस्थ वह, सिद्ध करेगा नेह।।
नेह-जहर दोपहर तक, हहर हहर हहराय।देह जलाये रात भर, फिर दिन भर भरमाय।।
शूकर उल्लू भेड़िया, गरुड़ कबूतर गिद्ध।घृणा मूर्खता क्रूरता, अति मद काम निषिद्ध...
"कुछ कहना है"
अजगर सो के साथ में, रोज नापता देह।
कर के कल उदरस्थ वह, सिद्ध करेगा नेह।।
नेह-जहर दोपहर तक, हहर हहर हहराय।देह जलाये रात भर, फिर दिन भर भरमाय।।
शूकर उल्लू भेड़िया, गरुड़ कबूतर गिद्ध।घृणा मूर्खता क्रूरता, अति मद काम निषिद्ध...
"कुछ कहना है"
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तृषा जावै न बुंद से
प्रेम नदी के तीरापियसागर माहिं मैं पियासिबिथा मेरी माने न नीरा
सहज मिले न उरबासि
आसिकी होत अधीरघर उजारि मैं आपनाहिरदै की कहूँ पीर...
प्रेम नदी के तीरापियसागर माहिं मैं पियासिबिथा मेरी माने न नीरा
सहज मिले न उरबासि
आसिकी होत अधीरघर उजारि मैं आपनाहिरदै की कहूँ पीर...
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नजर अन्दाज मत करो जो आम होते है
पड़े जब वक्त वो ही तब हमारे काम होते है
सलाहें भी बहुत महंगी मिलेगी रोज लोगों से
मगर जब मान कहना बड़े ही दाम होते है...
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उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स आज की |
आज नये अन्दाज से आई है रविकर चर्चा :) सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा और बहुत ही सार्थक सूत्र ! आज की चर्चा में आपने मेरी रचना को भी सम्मिलित क्या ! आपका ह्रदय से बहुत - बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंप्रभावी चर्चा ।
जवाब देंहटाएं