मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पलायन का दर्द
छुड़ाए गाँवनौकरी की तलाशचलो शहर
पेट की भूखउड़ा कर ले चलीघर से दूर
छूटे माँ बापछूटा घर आँगनरिक्त हृदय...
पेट की भूखउड़ा कर ले चलीघर से दूर
छूटे माँ बापछूटा घर आँगनरिक्त हृदय...
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अमन का चमन ये वतन है हमारा।
नही दानवों का यहाँ है गुजारा।।
खदेड़ा हैं गोरों को हमने यहाँ से,लहू दान करके बगीचा सँवारा।
बजें चैन की वंशियाँ मन-सुमन में,नही हमको हिंसा का आलम गवारा।
दिया पाक को देश का पाक हिस्सा,अनुज के हकों को नही हमने मारा।
शुरू से सहा आज तक सह रहे हैं,छोटा समझ कर दिया है सहारा।
खदेड़ा हैं गोरों को हमने यहाँ से,लहू दान करके बगीचा सँवारा।
बजें चैन की वंशियाँ मन-सुमन में,नही हमको हिंसा का आलम गवारा।
दिया पाक को देश का पाक हिस्सा,अनुज के हकों को नही हमने मारा।
शुरू से सहा आज तक सह रहे हैं,छोटा समझ कर दिया है सहारा।
दरियादिली बुजदिली मत समझना,
समझदार बन कर समझना इशारा।
हिदायत हमारी है सीमा न लाँघो,
मिटा देंगे पल भर में भूगोल सारा।
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लड़ी जा सकनेवाली एक लड़ाई
पूरा देश राष्ट्रोन्माद और गुस्से में उफन रहा है। विदेशों में बैठे भारतीय भी इसी दशा में हैं। सबकी एक ही इच्छा है-इस बार पाकिस्तान को निपटा ही दिया जाए। यह भावना अकारण नहीं है। लोक सभा चुनावों के दौरान पाकिस्तान के सन्दर्भ में मोदी ने लोगों को जो भरोसा दिलाया था, उसी भरोसे के आधार पर लोग न केवल यह चाह रहे हैं बल्कि विश्वास भी कर रहे हैं कि मोदी अपनी बात पर अमल करेंगे...
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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कैराना :
राजनीति पलायन की
कैराना उत्तर प्रदेश की यूं तो मात्र एक तहसील है किन्तु वर्तमान विधान सभा चुनाव के मद्देनजर वोटों की राजधानी बना हुआ है. इसमे पलायन का मुद्दा उठाया गया है और निरन्तर उछाल दे देकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देकर वोट बैंक में तब्दील किया जा रहा है जबकि अगर हम मुद्दे की गहराई में जाते हैं तो पलायन की जो मुख्य वजह है "अपराध" वह कोई एक दो दिन में पनपा हुआ नहीं है वह कैराना क्षेत्र की जड़ों में बरसो - बरस से फैला हुआ है. रंगदारी की मांग यहाँ अपराध का एक नवीन तरीका मात्र है. आम जनता में अगर हम जाकर अपराध की स्थिति की बात करें तो आम आदमी का ही कहना है कि कैराना में कभी दंगे नहीं हो सकते क्योंकि अगर यहां दंगे होते हैं तो सेना यहां आकर घर घर पर दबिश देगी और उससे यहां पर घर घर पर अस्तित्व में रहने वाले बम, कट्टे, तमंचे, नशीली दवाओं आदि के अवैध कारोबार का पटाक्षेप हो जायेगा और यही एक कारण है जिस वजह से आज कैराना " मिनी पाकिस्तान" की उपाधि पा चुका है. मिनी पाकिस्तान यूं क्योंकि जो मुख्यतः पाकिस्तान है वह आतंक के अपराध के अड्डे के रूप में वर्तमान में विश्व में खूब नाम कमा रहा है...
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मोदी का भाषण :
कान खोल कर सुन ले पाकिस्तान...
खुशदीप
उरी आर्मी बेस पर आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव चरम पर है. ऐसे में हर किसी को इंतजार था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को क्या संदेश देते हैं. हमले के एक हफ़्ता बीतने के बाद प्रधानमंत्री कोझीकोड में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोलने के लिए सामने आए. पीएम मोदी ने इस भाषण में नपे-तुले शब्दों का इस्तेमाल किया. मोदी के भाषण में पाकिस्तान को लेकर अहम बातें ये रही- 1 पाकिस्तान के हुक्मरान ये कान खोल कर सुन ले कि हम उरी में अपने 18 जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. हम पाकिस्तान को दुनिया भर में अलग-थलग यानी अकेला रहने को मजबूर कर देंगे...
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प्यार की धुन पर सजन फिर से बजी शहनाइयाँ
तुम मिले साजन हमें अब मिट गई तनहाइयाँ
अब हमारे बीच तो बढ़ने लगी नज़दीकियाँ ..
साज़ मेरी ज़िन्दगी का बज उठा दिल में सजन
प्यार की धुन पर सजन फिर से बजी शहनाइयाँ ...
Rekha Joshi
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ग्राम
गांधी चरखा
सूत कातती बाला
व्यस्त कार्य में |
काम ही काम
नहीं कोई आराम
यही जीवन।...
Akanksha पर Asha Saxena
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स्त्री - भोग्या नही भाग्य है
मेरी मुस्कान, कब बन गयी मौन स्वीकृति वो स्वीकृति जो मैने कभी दी ही नही वो स्वीकृति जो चाहता था पुरुष कभी अनजानी लडकी से, कभी अपनी सहकर्मी से कभी अपनी शिष्या से, कभी जीवनसंगिनी से खुद से ही गढ लेता है पुरुष वो परिभाषायें जैसा वो चाहता है और परिभाषित कर देता है स्त्री का पहनावा, उसकी चाल ढाल अधिकारी बन जाता है समाज आंचल में ट्कने को अनगिनत नाम हद की पराकाष्ठा को भी पार करते हुये अपने हिसाब से रच देता है उसका चरित्र दोषी बन, नजरें छुपाये ताने सुनती है वो छलनी की जाती है जिसकी अस्मिता तार तार हो जाता है सुहागिन बनने का सपना और लुटेरा छलता रहता है जाने कितने सुहाग कब समझेगा दम्भी, अभिमान...
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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लोहे का घर-20
एक झपकी सी लगी थी लोहे के घर में। बर्फिली पहाड़ियों से दिखते कास के फूल लहुलुहान हो गये थे सहसा! आ गया होऊँ जैसे युद्ध के मैदान में। नहीं, शामिल नहीं था किसी आत्मघाती दस्ते में। ऐसे दस्ते बनाने की मनाही है अपने देश में। पार कर रहा था पाक अधिकृत कश्मीर का आखिरी दर्रा अकेले ही। खलबली थी पाक खेमे में। ये कौन कर रहा है बमों की बारिश...
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**~प्यारी बेटियाँ ~**
जीवन में कुछ रिश्ते दिल के बहुत-बहुत क़रीब होते हैं -माँ, पिता, बेटा, बेटी और दोस्त ! विशेषकर 'बिटिया' तो दिल की धडकन की तरह हरपल साथ होती है !फिर उसके लिए किसी एक दिवस की कोई दरक़ार कहाँ !
ये कविता हर दिन, हर पल - सभी बेटियों को असीमित स्नेह एवं शुभकामनाओं सहित समर्पित ~
भोर सी सुहानी होती हैं बेटियाँ !
पाँव पड़ते ही जिनके
हो जाता है घर में उजाला,
सूरज की किरणों सी-
बिछ जाती हैं,
ढक लेती हैं,
हर अँधेरे कोने को
अपनी सुनहरी आभा से ...
बूँद-बूँद लम्हे पर
Anita Lalit
(अनिता ललित)
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माँ तू बोली थी न
माँ तू बोली थी नजब पापा तेरे आएंगेढेर खिलौने लाएंगेपर पापा खाली हाथ लिए
ओढे तिरंगा सोए हुए हैंमाँ ! क्या हुआ है पापा कोक्यों बाहर इतनी भीड़ लगी हैंजय जय सब क्यों बोल रहे हैअंदर दादी रोए रही हैतू काहे बेहोश पडी हैउठ माँ! ये तो बतला देक्या हुआ है पापा को...
अभिव्यंजना पर
Maheshwari kaneri
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"पाक"से युद्ध चाहने वाले देश भक्त हैं
या नहीं चाहने वाले ?? -
56"का सीना जो आजकल नापने वाले लोग हैं,उनके चाल,चेहरे और चरित्र की परीक्षा-समीक्षा शायद ही किसी पुरस्कार वापिस करने वाले लेखकों, असहिष्णु बताने वाले अभिनेताओं,कामरेडों और समझदार दिखाई देने वाले पत्रकारों ने करने की कोशिश करि हो !कोशिश इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि ऐसा करने का "दम" तो कभी उनमें था ही नहीं ...
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
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बड़ी मग़रूर किस्मत हो गई है
हमें जबसे मुहब्बत हो गई है
मुहब्बत भी सियासत हो गई है
चलो फिर इश्क़ में खाते हैं धोखा
हमें तो इसकी आदत हो गई है...
मुहब्बत भी सियासत हो गई है
चलो फिर इश्क़ में खाते हैं धोखा
हमें तो इसकी आदत हो गई है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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हम ख़ुद बताएं
न तुम कुछ कहोगे न हम कुछ कहेंगे
यहां सिर्फ़ अह् ले-सितम कुछ कहेंगे
जहां तुमको एहसासे-तनहाई होगा
वहां मेरे नक़्शे-क़दम कुछ कहेंगे ...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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माँ को गए आज चार साल हो गए पर वो हमसे दूर है शायद ही किसी पल ऐसा लगा ... न सिर्फ मुझसे बल्कि परिवार के हर छोटे बड़े सदस्य के साथ माँ का जो रिश्ता था वो सिर्फ वही समझ सकता है ... मुझे पूरा यकीन है जब तक साँसें रहेंगी माँ के साथ उस विशेष लगाव को उन्हें भुलाना आसान नहीं होगा ... बस में होता तो आज का दिन कभी ना आने देता पर शायद माँ जानती थी जीवन के सबसे बड़े सत्य का पाठ वही पढ़ा सकती थी ... सच बताना माँ ... क्या इसलिए ही तुम चली गईं ना ...
ज़िन्दगी की अंजान राहों पर
अब डर लगने लगा है
तुमने ही तो बताया था
ये कल-युग है द्वापर नहीं
कृष्ण बस लीलाओं में आते हैं अब
युद्ध के तमाम नियम
दुर्योधन के कहने पर तय होते हैं
देवों के श्राप शक्ति हीन हो चुके हैं
मैं अकेला और दूर तक फैली क्रूर नारायणी सेना
हालांकि तेरा सिखाया हर दाव
खून बन के दौड़ता है मेरी रगो में
एक तुम ही तो सारथी थीं
हाथ पकड़ कर ले आईं यहाँ तक
मेरी कृष्ण, मेरी माया
जिसके हाथों सुरक्षित थी मेरी जीवन वल्गा
अकेला तो मैं अब भी हूँ
जिंदगी के ऊबड़-खाबड़ रास्ते भी हैं हर पल
और मेरा रथ भी वैसे ही दौड़ रहा है
सच बताना माँ
मेरी जीवन वल्गा अब भी तुम्हारे हाथों में ही है न ...?
Digamber Naswa
बहुत सुंदर चर्च सजी है मेरी कविता को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र और पठनीय चर्चा आज की ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार शास्त्री जी ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सोमवारीय अंक । आभार 'तू भी कुछ फोड़ना सीख 'उलूक' को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ... आभार मेरी भावनाओं को पोस्ट में जगह देने के लिए
जवाब देंहटाएंPLEASE VISIT
जवाब देंहटाएंhttp://kucugrabaatein.blogspot.in/2016/09/blog-post.html
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार देश भक्ति से ओत प्रोत चर्चा है जी !रूप जी आपका हार्दिक धन्यवाद !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ओजपूर्ण सूत्र-संकलन...हमारी रचना शामिल करने के लिए आभार !
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