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बुधवार, सितंबर 07, 2016

हो गए हैं सब सिकन्दर इन दिनों ...चर्चा मंच ; 2458


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रविकर के दोहे 

रविकर 
जो बापू के चित्र के, पीछे रही लुकाय।
वही छिपकली रात में, मन भर जीव चबाय ।।

बेवकूफ बुजदिल सही, सही हमेशा पीर।

किन्तु रहा रिश्ता निभा, दिल का बड़ा अमीर।। 
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।

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  2. बहुत बढ़िया बुधवारीय अंक रविकर जी । आभार 'उलूक' का सूत्र 'अर्जुन को नहीं छाँट कर आये इस बार गुरु द्रोणाचार्य' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. विविधता से पूर्ण चर्चा में मुझे भी सम्मिलित करने के लिये आभार ,आ. शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. विविधता से पूर्ण चर्चा में मुझे भी सम्मिलित करने के लिये आभार ,आ. शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़ि‍या चर्चा..मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आभार..धन्‍यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रभावी चर्चा आज की ....
    आभार मुझे शामिल करने का आज की चर्चा में ...

    जवाब देंहटाएं
  8. आज लिखने को मन किया इस लिए लिख रहा हूँ..बहुत दिनों से ब्लॉग लेखन से हमलोग जुड़े है और अब हम खुद इस्पे कम आते है, अपने शिकायत लिख रखी है. सही है, पर इसका एक कारन ब्लॉग का असहज होना है...ज्यादातर लोग मोबाइल से उपयोग करते है पर मोबाइल पे ब्लॉग का खुलना आज भी सहज नहीं है..इसी लिए यह अप्रासंगिक होता जा रहा है..

    खैर मैं क्षमाप्रार्थी हूँ...अब नियमित रहूँगा..

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

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