मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मित्र
( हाईकू )
कृष्ण सुदामा
मित्रता की मिसाल
जग जानता |
हों सच्चे मित्र
कैसे जाना जा सके
वख्त बताए...
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अहंकार
...हमें सहज जीवन जीना चाहिए। सादा जीवन, उच्च विचार, होने चाहिए हमारे।
बुल्लेशाह का कहना है,
गया गयाँ गल्ल मुकदी नहीं, भावै कितने पिंड भराय;
‘बुल्लेशाह’ गल ताईं मुकदी, जब ‘मैं’ खड्याँ लुटाय।
गया जाने से बात समाप्त नहीं होती, वहां जाकर चाहे तू कितना ही पिंडदान दे। बात तो तभी समाप्त होगी, जब तू खड़े-खड़े इस ‘मैं’ को लुटा दे।...
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रायप्रवीण :
जिसके आगे अकबर को भी झुकना पड़ा
( ओरछा गाथा भाग - 3 )
मित्रों अभी तक आपने ओरछा गाथा के प्रथम दो भागों पर जो रूचि दिखाई और मुझ खाकसार का उत्साहवर्धन किया , मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है । तो अभी तक हमने माँ बेतवा से ओरछा के उत्थान से लेकर रामराजा के आगमन की कथा जानी , अब उसके आगे की कथा माँ के शब्दों में ही .. महराज मधुकर शाह की आठ संताने थी । बड़े पुत्र रामशाह अकबर के दरबार में बुंदेलखंड के प्रतिनिधि के तौर पर आगरा में थे ...
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चिट्ठी आई है
(व्यंग्य)
चिट्ठी आई है। किसी के घर में नहीं बल्कि मीडिया में आई है। किसी ऐरे-गैरे ने नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा के महानायक ने इसे लिखा है। इसलिए ये चिट्ठी स्वतः ही चिट्ठियों की महानायिका बन गई और मीडिया ने इसे हाथों-हाथ ले लिया। इसमें वास्तविक जीवन में नाना-दादा का डबल रोल कर रहे महानायक की भावनाओं का समंदर भरा हुआ है। एक जमाना था जब नाना और दादा के रूप में बुजुर्गों को नाती-पोते निष्ठा और आदर से सुनते थे पर अब इतना समय नाती-पोतों के पास है ही कहाँ जो वो अपने खूसट नाना या दादा की फालतू बातें सुन सकें...
SUMIT PRATAP SINGH
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तो मैंने भी सोंचा ...
एक कोशिश लोगों ने की थी हमें तोड़ने की
तो मैंने भी सोंचा एक कोशिश हम भी कर लें
लोगों को जोड़ के देख लें !!
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खाली हाथ
भारतीय संस्कृति में जीवन में सोलह संस्कार मनाये जाते हैं अर्थात सोलह बार परिवारीजन उसको होने का एहसास और वे हैं उसके लिये अभिव्यक्त करते रहते हैं कि आप हमारे हैं । भरतीय संसक्ृति में उत्सव त्यौहार और संस्कार सबका नियमन केवल पारिवारिक रिश्तों को एक दूसरे को जोड़े रक्षने के लिये हैं और इसमें विवाह सर्वाघिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवन का एक ऐसा मोड़ है जहॉं जिन्दगी बदल जाती है....
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देर कर दी...
हाँ ! देर कर दी मैंने
हर उस काम में जो मैं कर सकती थी
दूसरों की नज़रों में
ख़ुद को ढालते-ढालते
सबकी नज़रों से छुपाकर
अपने सारे हुनर
दराज में बटोर कर रख दी
दुनियादारी से फ़ुर्सत पाकर
करूँगी कभी मन का...
डॉ. जेन्नी शबनम
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आँखों से छलकता तेरे प्यार है
आँखों से छलकता तेरे प्यार है
लब से करते फिर कैसे इन्कार है ...
Rekha Joshi
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दाऊद खां कहते,
हनुमान की तरह सीना चीर दिखा दूँ,
मेरे रोम-रोम में बसते हैंं राम
सिर्फ जुबां नहीं अंतर्मन में सिर्फ एक ही नाम था, हनुमान की तरह जीवन में जिनके बसा राम था। वे कहते रामकथा करते निकले जान, मौत से पहले अंतिम वाक्य हो हे राम ..इस कलयुग में छत्तीसगढ़ में हनुमान की तरह ही ऐसा ही भक्त था दाऊद खां। जी हां हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक रहें दाऊद खां अब हमारे बीच नहीं रहा। गृह नगर धमतरी स्थित आवास में ९४ साल की उम्र में शुक्रवार ९ सितंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली। जानकरी के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह दाऊद खां का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए प्रस्तावित किया था। मुस्लिम धर्म से होने के बाद भी हिन्दु संस्कार से राम को अपनी जिंदगी में समाहित करने वाले दाऊद खां को हम विमन्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं...
संजीव तिवारी
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जहाँ अरमान पलते हैं
वहीं पर दीप जलते हैं
जहाँ बरसात होती है
वहीं पत्थर फिसलते हैं
लगी हो आग जब दिल में
तो शोले ही निकलते हैं...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रविवारीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा,मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिनक्स हैं ...चैतन्य की पोस्ट शामिल की, आभार आपका
जवाब देंहटाएंBadhiya chacha ...
जवाब देंहटाएंMeri rachna ko shamil Kearney ke liey dhanyawad..
सभी की रचनाएँ अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंमेरी प्रस्तुति शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।