मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"हिन्दी महँगी, अंग्रेजी सस्ती"
मैट्रो रेलवे परिसर में थूकने पर
जुर्माने का प्रावधान है।
किन्तु आपको जुर्माना अदा करते समय
यह बताना होगा कि आपने
हिन्दी में थूका है
या अंग्रेजी में।
यदि अंग्रेजी में थूका है तो
जुर्माने की राशि रु. 250 होगी
और यदि हिन्दी में थूका है तो
जुर्माने की राशि 500 रुपये होगी।
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ग़ज़ल
"नमकीन पानी में बहुत से जीव ठहरे हैं"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हँसी भी है-खुशी भी है, तमन्नाओं की लहरे हैं
तभी नमकीन पानी में, बहुत से जीव ठहरे हैं
हँसी भी है-खुशी भी है, तमन्नाओं की लहरे हैं
तभी नमकीन पानी में, बहुत से जीव ठहरे हैं
उमड़ती भावनाएँ जब, तभी तो ज्वार आता है
समन्दर की तलहटी में, पड़े माणिक सुनहरे हैं
कई सदियों से डूबी हैं, यहाँ गुस्ताख़ चट्टानें,
अभी इन कन्दराओं में, बसे असुरों के चेहरे हैं...
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स्व प्रतिभागी
रोहित का आज आठवीं कक्षा का परिणाम घोषित होना था। पिछले वर्ष वह प्रथम आया था, इस वर्ष भी उसे यही उम्मीद थी। विद्या्लय में प्रतिवर्ष परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिये एक बडा आयोजन होता था। जिसमें सभी बच्चों के अभिभावक आमन्त्रित किये जाते थे। किसी कारणवश रोहित के पिता जी आज इस समारोह में नही आ सके थे। परिणामों की घोषणा हुयी, और उम्मीद के अनुसार, रोहित इस वर्ष भी अपनी कक्षा मे प्रथम स्थान पर रहा। उसे अपने पिता जी के ना आने का दुख हो रहा था। रोहित आयोजन समाप्त होने का बेसब्री से इन्तजार करने लगा कि कब वो घर पहुचे और कब अपने पिता जी को रिपोर्ट कार्ड दिखा कर उनसे पुरस्कार ले...
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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मैं हूँ हिन्दुस्तानी
मैंने सुनी मालवी ,मराठीबुन्देलखंडी ,राजस्थानीअपने बचपन से आज तकपर बोली सदा हिन्दी बोलीइसी लिए हूँ हिन्दुस्तानी...
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कुहुकती कोयलिया ,
अम्बुआ डार पे
खिला खिला उपवन ,पवन चले शीतल
भँवरे करें गुँजन , बगिया बहार पे
फूलों पर मंडराये तितली चुराये रँग
कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ डार पे
गीत मधुर गा रही ,डाली डाली झूम रही
हौले हौले से चलती मदमस्त हवा चूम रही
फूल फूल ,लहर लहर जाये है
रँगीन छटा छाई ,नज़ारे निखार पे
Rekha Joshi
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लेखन के अपने अभिनय.....
लेखक अपनी मर्जी से तथ्यों को तोड़ता मरोड़ता है ही कहानी को अपने मन मुताबिक लिख पाने के लिए ! एक पहलू यह है कि कई लेखकों को देखा है जो वो लिखते है , वो स्वयं हैं नहीं ...इसलिए मेरा तर्क होता है कि यह कत्तई आवश्यक नहीं कि लेखक के आचरण का असर उसके लेखन पर भी हो ...
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फुहारें गुनगुनाती हैं, शज़र भी झूमता देखो
हवाओं में तरन्नुम है, चमन गाने लगा देखो
फुहारें गुनगुनाती हैं, शज़र भी झूमता देखो
घटाएँ झूम कर बरसीं, छमाछम नाचतीं बूँदें
गुलाबी ये फ़ज़ा देखो...
हिमकर श्याम
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आसान नहीं होता...
इन्दु रवि सिंह
मर जाना सबसे आसान है लोग कहते हैं
लेकिन मरने की चाह रखना भले आसान हो
मर जाना कतई आसान नहीं होता...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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:1:
पूछा तो कभी होता
पूछा तो कभी होता
दिल से जो मेरे
दिल से जो मेरे
ये, किस के लिए रोता ?
:2:...
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आपका ब्लॉग पर
आनन्द पाठक
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अर्ज करो भगवान से, वे हैं बड़े महान |
सफ़ल करे हर काम में, सबको देते ज्ञान ||
गए नहीं गर स्कूल तुम, आओ मेरे पास |
उन्नति होगी वुद्धि की, छोडो ना तुम आस...
कालीपद "प्रसाद"
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अभी-अभी एक sms आया – 13 दिन शेष हैं, अपनी छिपी सम्पत्ती उजागर करने के लिये। अपनी जेब पर निगाह गयी, कहीं कुछ छिपा है क्या? यहाँ तो जिसे सम्पत्ती कहें ऐसा भी कुछ नहीं है लेकिन खुद को धनवान तो हमेशा से ही माना है। एक खजाना है जो मन के किसी कोने में दुबका बैठा है, जैसे ही कोई अपना सा मन लेकर आता है, वह खजाना बांध तोड़ता सा बाहर निकल आता है।
पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें -
smt. Ajit Gupta
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यह फाइल मैनेजर है या जादुई छड़ी?
Ravishankar Shrivastava
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सोमवार की चर्चा होना चाहिये रविवार की जगह संशोधन कर लीजिये । सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात भैय्या जी
हटाएंअब बताईए
किस किस पर ध्यान दें पंण्डित जी
रचनाओं के लिंक पर
या फिर
दिन और दिनांक पर
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आजकल मैं रोज लेट हो जाती हूँ टिप्पणी डालने में अस्वस्थ्यता के कारण |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंBahut badhiya charcha...meri rachna shamil karne ke liye dhnyawad.
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