योग्य धनुर्धर होने को
हो पूर्ण ध्यान निशाने पर
लक्ष्य भेदन तभी संभव
जब एकाग्र हो मन निरंतर
शिक्षा थी गुरू की यही...
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दोहे"आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
poet kavi
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किताबों की दुनिया -127
नीरज गोस्वामी
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समय को मत समझाया करकिसी को एकदम उसी समय
सुशील कुमार जोशी
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खुमान, मुक्तिबोध और दिवाकर
संजीव तिवारी
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आ गया -स्मार्टफ़ोनों का बाप आ गया!
Ravishankar Shrivastava
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मांग भरने की प्रथा के प्राचीन प्रमाण
ब्लॉ.ललित शर्मा
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चीन यात्रा - ११
Praveen Pandey
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क्रोध बनाम सौंदर्य -
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तुम रुको,..
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नारी सशक्तिकरण ..
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इसलिए मै टूट गया …..फेसबुक
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आधुनिकता
Gopesh Jaswal
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भली करेंगे राम, भाग्य की चाभी थामे
रविकर
(1)
माने मूरख स्वयं को, यदि मूरख इंसान।
निश्चय ही वह बन सके, मूरख से विद्वान्।
मूरख से विद्वान्, सुनी हैं कई कथाएं।
लेकिन यदि विद्वान्, स्वयं को विज्ञ बताएं।
कह रविकर विद्वान, उक्ति कह गये सयाने।
बन सकता वह मूर्ख, बदल फिर जाए माने।।
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
परिश्रम के साथ की गयी स्तरीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिनक्स
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
सुन्दर मंगलवारीय अंंक । आभार 'उलूक' का रविकर जी उसके सूत्र 'समय को मत समझाया कर किसी को एकदम उसी समय' को स्थान दिया ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
गणेशोत्सव की सभी पाठकों को हार्दिक बधाई ! सुन्दर सार्थक सूत्रों से युक्त आज की चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएं@ये दुनिया किसी के बगैर अधूरी नहीं होती..................पर
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