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शनिवार, सितंबर 24, 2016

"जागो मोहन प्यारे" (चर्चा अंक-2475)

मित्रों 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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गीत  

"जुल्म के आगे न झुकेंगे"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

Image result for साबुन से धोया हमने गधों को हजार बार,
हमने बनाए जिन्दगी में कुछ उसूल हैं।
गर प्यार से मिले तो जहर भी कुबूल है।।

हमने तो पड़ोसी को अभय-दान दिया है,
दुश्मन को दोस्त जैसा सदा मान दिया है,
बस हमसे बार-बार हुई ये ही भूल है।
गर प्यार से मिले तो जहर भी कुबूल है... 
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यही है मेरा कल 

यूँ तो भूलने की आदत 
बरसों पहले शुरू हो गयी थी 
जो अब इतनी पक गयी है कि 
उसके असमय बाल सफ़ेद हो गए हैं .  
आज इन्हें रंगने का 
कोई रंग भी नहीं बना बाज़ार में 
जो जाएँ खरीदें और रंग दें... 
vandana gupta 
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शादी का जोड़ा 

आज अचानकसफाई करते करते  
अपनी शादी का जोड़ादिख गया ..... 
उसे देखएक अजीब सीसिहरन महसूस हुई .... 
उसे हाँथ मे लेकरसहलाया 
ह्रदय से लगाया तो 
एक क्षण मे 
बाबुल का आँगन 
याद आ गया... 
प्यार पर Rewa tibrewal 
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जीने दे मुझे तू जीने दे 

सामाजिक बदलावों में फिल्मो की भूमिका पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। हमारे यहाँ फिल्मो को विशुद्ध मनोरंजन का साधन माना जाता है ऐसे में कोई फिल्म अगर सोचने को विवश करती है तो उस पर चर्चा की जाना चाहिए। हाल ही में शुजीत सरकार की फिल्म पिंक रिलीज हुई। महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिये पर सवाल उठाती इस फिल्म ने 
हर आयु वर्ग के चैतन्य लोगों को झकझोरा है 
और इस पर चर्चा जोर शोर से जारी है... 
कासे कहूँ? पर kavita verma  
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~**बचपन की गलियाँ (माहिया)**~ 

1

सपनों में आती हैं

बचपन की गलियाँ
यूँ पास बुलाती हैं।
2
चिटके सुख का प्याला
जैसे उम्र ढले
विष सी जीवन-हाला।... 
Anita Lalit (अनिता ललित )  
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असंवेदनशीलता के शिकार 

मानव जिज्ञासा तो अनंत हैहम सब सबसे उच्च तकनीकों जैसे स्मार्टफोन से लैस भी है जो हमारी जिज्ञासाओं को शांत करने में मदद करते है । जैसे-जैसे हम बुलंदियों को छूते जा रहे है वैसे ही वैसे हम दिन प्रतिदिन घटनाओं के प्रति असंवेदनशील भी होते दिखाई दे रहे है । यह असंवेदनशीलता और एक प्रकार का अनदेखापन हमारे लिए इतना खतरनाक हैकि हम कभी भी सांप सीढ़ी की तरह इतने नीचे जा सकते है कि वहां से फिर आगे बढ़ना ही मुश्किल हो जायेगा या हो सकता है हम नीचे जाने की बजाय अपना अस्तित्व भी खो दें । मानवीय संवेदनाओं की झलक ही न देखनी को मिलेगी और हम पशुओं की श्रेणी से भी नीचे आ जायेंगे. शायद इसलिए क्योंकि पशु फिर भी मानव से कहीं न कहीं समझदार ही लगते है... 
प्रभात  
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श्रद्धा की अभिव्यक्ति है 

आश्विन मास के कृष्ण-पक्ष में
आरम्भ महालय का होता है
पितरों को नमन करने का
अनुपम अवसर ये होता है.
जिनकी कृपा से तन-मन मिलता
कृतज्ञ ये सारा जीवन होता
उनको तर्पण-अर्पण करते
अर्पित करते वंदन-पूजा... 
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क्यों किया हमसे किनारा

था हमे तेरा सहारा चल दिए 
तोड़ कर दिल वो हमारा चल दिए ... 
रूठ कर हमसे चले हो तुम कहाँ 
बहुत हमने तो पुकारा चल दिए ... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi 
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उर्मियाँ 

Image result for उगता सूरज
लगता है मुझे  मनमोहक
घंटों सागर तट पर बैठना
अंतहीन सागर को निहारना
तरंगों के संग बह जाना |
उत्तंग तरंगें नीली नीली
उठती गिरतीं आगे बढ़तीं
आपस में टकरातीं
चाहे जब विलीन हो जातीं |
प्रातः झलक बाल अरुण की
रश्मियों के साथ दीखती
कभी अरुण को बाहों में भरतीं  
चाहे जब उर्मियों से खेलतीं... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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पछतावा 

मनसुख के गांव में आज गर्वयुक्त उदासी बिखरी हुई है। एक शहीद की अंत्येष्ठि में शामिल होना है। बड़ी -बड़ी कदम भरते उसी ओर चल पड़े जिधर हजारो कदम बहके बहके से चले जा रहे है। बहुत दिनों बाद ऐसा लग रहा है, देश और देशभक्ति की अनोखी बयार हवा में घुल गई है। 
सभी मन ही मन गौरवान्वित महसूस कर रहे है... 
Kaushal Lal 
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'डॉटर्स डे' पर एक बेटी का 

अपने माता-पिता को पत्र 

आदरणीय मम्मी-पापा!
 सादर चरणस्पर्श।
परसों “डॉटर्स डे” (सितंबर का चौथा रविवार) है। आप दोनों सोशल मीडिया पर सक्रिय हो। आप दोनों का फ़ेसबुक पर अकाउंट है और व्हाट्सएप पर भी आप लोग कई ग्रुप में शामिल हो। ऐसे में जाहिर है कि आज आप लोग भी बेटियों पर कई मैसेजेस लाइक करेंगे, फॉरवर्ड करेंगे। बेटियों का गुनगान करेंगे। लेकिन ऐसे मैसेजेस फॉरवर्ड करने से पहले मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं, एक निवेदन करना चाहती हूं, जो शायद आपके समक्ष रहने पर नहीं कह पाती। छोटा मुंह और बड़ी बात करने के लिए माफी चाहती हूं... 
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अपराध ये करता रहा 

हो सर्व-व्यापी किन्तु मैं तो खोजता-फिरता रहा।
तुम शब्द से भी हो परे पर नाम मैं धरता रहा ।
हो सर्व ज्ञाता किन्तु इच्छा मैं प्रकट करता रहा।
अपराध ये करता रहा पर कष्ट तू हरता रहा।। 
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर 
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पाक के तोते होंगे फेल.... 

 घुसपैठ का जवाब घुसपैठ से ...  
पाक के तोते होंगे फेल 
बनेगी नवाज की रेल 
गंजी खोपड़ी में लगायेगा 
मच्छर उड़ाऊ तेल ... 
Vikram Pratap Singh Sachan 
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बंदरों पर एक वृत्त-चित्र का प्रसारण किया जा रहा था – ताकतवर नर बन्दर अपना मादा बन्दरों का हरम बनाकर रहता है और किसी अन्य युवा बन्दर को मादा से यौन सम्बन्ध बनाने की अनुमति नहीं है। यदि युवा बन्दर उस मठाधीश को हरा देता है तो वह उस हरम का मालिक हो जाता है। ऐसी ही जीवन प्रणाली अनेक पशुओं में पायी जाती है। इसीकारण ताकतवर को जीवित रहने का अधिकार है, इस सिद्धान्त की रचना हुई। मनुष्यों में भी यही प्रवृत्ती पायी जाती है, चूंकि मनुष्य के पास बुद्धि है तो उसने अपना सभ्यता का विकास किया और विवाह पद्धति को स्वीकार किया, जिसकारण कमजोर से कमजोर मनुष्य को भी यौन सुख प्राप्त हो सके। इसलिये इस सृष्टि पर दो प्रकार का वर्गीकरण है – एक शिकारी और दूसरा शिकार। नर शिकारी की भूमिका में है और मादा शिकार की।... 
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बुरा-भला खोटी खरी, क्षमा करूँ अज्ञान।
अगर जान लेते मुझे, मियाँ छिड़कते जान।।
उड़ो नहीं ज्यादा मियां, धरो धरा पर पैर।
गुरु-गुरूर देगा गिरा, उड़ो मनाते खैर ।।  
"लिंक-लिक्खाड़"
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10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

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  2. उम्दा चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

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  3. sundar links say saja charcha manch.......meri rachna ko sthan dene kay liye abhar

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  4. उम्दा चर्चा व् सूत्र |आज अपनी रचना देख कर बहुत अच्छा लगा |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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  5. बहुत दिन बाद चर्चामंच पर आने का सौभाग्य मिला। ...अब नियमित आऊंगा।।बहुत सार्थक परिचर्चा।

    जवाब देंहटाएं

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