चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चुभन
उलझनों की अति हो गई
बोझ मन का कैसे हल्का हो
कहने को शब्द नहीं मिलते
मुंह तक आते आते ही
बेआवाज होते जाते हैं...
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बेटी घर की शान
घर की शान होती है बेटियाँ
दिल का अरमान होती है बेटियाँ
बेटों से बढ़कर होती है बेटियाँ
पापा की आन होती है बेटियाँ...
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तुम उगाओ अन्न हमें बेचने दो
तुम उगाओ अन्न हमें बेचने दो
तुम चलाओ हल हमें सोचने दो
तुम्हे वाणिज्य वित्त व्यापार नहीं आता
ये अर्थ की बाते हैं हमें करने दो -
तुम ग्रामीण अनपढ़ असभ्य हो...
तुम चलाओ हल हमें सोचने दो
तुम्हे वाणिज्य वित्त व्यापार नहीं आता
ये अर्थ की बाते हैं हमें करने दो -
तुम ग्रामीण अनपढ़ असभ्य हो...
udaya veer singh
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रेत पर बैठकर भींग जाऊंगा
ख्वाहिशें दिल की हैं जो कुछ
जब कभी पूरी न होंगी
तो रेत पर बैठकर भींग जाऊंगा...
प्रभात
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प्यार में कोई शर्त नही होती....!!!
क्या तुम नही जानते कि,
प्यार में कोई शर्त नही होती....
पर तुमने हर मोड़ पर शर्त रखी,
कि जैसे ये रिश्ता सिर्फ मेरा हो..
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सुन आज प्यार की धुन
छंद ईश
112 121 22
यह ज़िन्दगी हमारी
हमने यहाँ सँवारी
थमना नहीं कभी तुम
चलते रहे सदा हम
....
सपने यहाँ कभी बुन
सुन आज प्यार की धुन
मनमीत पास तेरा
मत छोड़ साथ मेरा
112 121 22
यह ज़िन्दगी हमारी
हमने यहाँ सँवारी
थमना नहीं कभी तुम
चलते रहे सदा हम
....
सपने यहाँ कभी बुन
सुन आज प्यार की धुन
मनमीत पास तेरा
मत छोड़ साथ मेरा
Rekha Joshi
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यह आहिस्ता ही जैसे
तेजेंद्र की कहानियों की
शिनाख़्त है कि कहीं कुछ शोर न हो
और सब कुछ टूट जाए
तेजेंद्र शर्मा की कहानियां जैसे दादी की रजाई हैं ...
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
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जीत लो जग का निश्छल प्यार
नयन में उतर रहे कुछ स्वप्न
सार जिनका मुझसे अनभिज्ञ
आज और कल की ऊहापोह
अब कहाँ रहा मेरा मन विज्ञ ?...
सार जिनका मुझसे अनभिज्ञ
आज और कल की ऊहापोह
अब कहाँ रहा मेरा मन विज्ञ ?...
वंदे मातरम् पर
abhishek shukla
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हँसते हँसते कट जायें रस्ते भाग 1
रोजमर्रा की जिंदगी में कितनी ही बातें ऐसी होती हैं जिन्हें जब याद करो हंसी फूट पड़ती है। ये छोटी छोटी बातें घटनायें हमें जीने की ऊर्जा देती हैं। कुछ घटनायें गहरी तसल्ली दे जाती हैं कुछ खुद की पीठ थपथपाने का मौका। ऐसी ही घटनाओं को कलमबद्ध करने का मन आज हो आया। आप भी पढिये और मुस्कुराइये...
कासे कहूँ? पर
kavita verma
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सार्थक रहने दो शब्दों को --
क्या शब्द था - दिव्य !!!
जैसे प्रसन्न आकाश , मुक्त,भव्य ,असीम .
कितना सार्थक दीप्त त्रुटिहीन .
अर्थ का अनर्थ , घोर अपकर्ष
कैसी मनमानी वंचना
शब्दों से कर डाला अपूर्ण विकल विहीन,...
शिप्रा की लहरें
क्या शब्द था - दिव्य !!!
जैसे प्रसन्न आकाश , मुक्त,भव्य ,असीम .
कितना सार्थक दीप्त त्रुटिहीन .
अर्थ का अनर्थ , घोर अपकर्ष
कैसी मनमानी वंचना
शब्दों से कर डाला अपूर्ण विकल विहीन,...
शिप्रा की लहरें
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अब सुशासन बाबू नहीं रहे
नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल तक 'सुशासन बाबू' के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब उनकी यह छवि पीछे छूटने लगी है। बिहार में अब सुशासन नहीं बल्कि अपराध की बहार है। शहाबुद्दीन की वापसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में अपराध पर लगाम लगाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाकामयाब साबित हो रहे हैं...
अपना पंचू
नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल तक 'सुशासन बाबू' के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब उनकी यह छवि पीछे छूटने लगी है। बिहार में अब सुशासन नहीं बल्कि अपराध की बहार है। शहाबुद्दीन की वापसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में अपराध पर लगाम लगाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाकामयाब साबित हो रहे हैं...
अपना पंचू
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अपना ही पोस्टमार्टम कराना है ....
क्या पता कि मैं आदमी ही झक्की हूँ
या अपने इरादे की पूरी पक्की हूँ
सुखरोग टाइप बीमार हूँ
फ्री में मिलती सहानुभूति की शिकार हूँ
सबके सामने बस अपना दुखड़ा रोती हूँ
नई बीमारियों को अपने लम्बे लिस्ट में पिरोती हूँ ....
मुझपर रिसर्च करते कई - कई डॉक्टरों की टीम है
और हाथ साफ करते बड़े - बड़े नीम - हकीम हैं
मेरा घर ही जैसे कोई बड़ा अस्पताल है
पर सुधार से एकदम अनजान मेरा हाल है .....
Amrita Tanmay
क्या पता कि मैं आदमी ही झक्की हूँ
या अपने इरादे की पूरी पक्की हूँ
सुखरोग टाइप बीमार हूँ
फ्री में मिलती सहानुभूति की शिकार हूँ
सबके सामने बस अपना दुखड़ा रोती हूँ
नई बीमारियों को अपने लम्बे लिस्ट में पिरोती हूँ ....
मुझपर रिसर्च करते कई - कई डॉक्टरों की टीम है
और हाथ साफ करते बड़े - बड़े नीम - हकीम हैं
मेरा घर ही जैसे कोई बड़ा अस्पताल है
पर सुधार से एकदम अनजान मेरा हाल है .....
Amrita Tanmay
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं । सुन्दर बुधवारीय चर्चा ।
जवाब देंहटाएंअंधियारे को चीर कर ये प्रतिष्ठित मंच अपनी अति सुंदरी हिन्दी का रूप और निखार रहा है । आप सबों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
आभार गुरुदेव, बहुत सुंदर परिचर्चा। चर्चामंच नियमित ज्ञान वर्धन करता रहता है।
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