मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इन दिनों हिंदी में
साहित्यिक विवादों की जगह
व्यक्तिगत राग-द्वेष ने ले ली है
— अनंत विजय @anantvijay
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उन आँखों की अनकही....!!!
अपनी खूबसूरती तो...
मैंने तुम्हारी आँखों में देखी थी....
जो अपलक मुझे देखे जा रही थी,
कुछ अनकहे शब्द आँखों में,
उतर आये थे तुम्हारे...
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मोबाइल में व्यस्त हो गया :
सौरभ पारे
ज्ञानगंगा कालेज के लेक्चरर..
सौरभ अपने पापा की तरह ही संगीत में रमे रहते हैं
उनका छोटा सा ट्रेवलाग पेश है )...
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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"हिन्दी की राष्ट्रीय स्वीकार्यता" :
अभियान की अवधारणा
( प्रथम भाग)
जिस देश में कोस कोस पे पानी और चार कोस पे बानी की बात कही जाती है, जहां १७९ भाषाओं ५४४ बोलिया हैं बावजूद इसके देश का राजकाज सात समंदर पार एक अदने से देश की भाषा में हो रहा है , इस तथ्य पर मंथन होना चाहिए I भारतीय भाषायें अभी भी खुले आकाश में सांस लेने की बाट जोह रही हैं I हिन्दी को इसके वास्तविक स्थान पर स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि इसकी सर्वस्वीकार्यता हो...
PAWAN VIJAY
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जियो तो ऐसे जियो
पोपला मुँह डगमगाती चाल दो चार बाल
नाक पे चढ़ा चश्मा जलवा बेमिसाल !
चाँदी से बाल झुर्रीदार चेहरा मीठे ख़याल
गुदगुदाती हँसी बचपन कमाल !
आत्मनिर्भर है खुद पे भरोसा
हाथ हुनर न देखो श्वेत बाल
देखो मेरा जमाल !
Sudhinama पर sadhana vaid
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14 सितंबर हिन्दी दिवस पर विशेष /
हिन्दी के साथ ‘मौसी’ नहीं ‘मां’ का संबंध हो /
सूर्यकांत मिश्रा
रचनाकार पर
Ravishankar Shrivastava
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इसे हार नहीं कहते
मैं तो ज़िंदा हूँ फिर खाली हो गए
कमरे सा मेरा अंदरूनी हिस्सा गूंज क्यूँ रहा है !
भूलभुलैये सा बन गया मस्तिष्क
जाने किन बातों के जाल में खो सा गया है...
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सेकेण्ड की सूई
मैं सेकेण्ड की सूई की तरह तेज़-तेज़ घूमता रहता हूँ,
पर हर बार ख़ुद को वहीँ पाता हूँ,
जहाँ मंथर गति से घूमनेवाली
मिनट और घंटे की सूइयां होती हैं....
कविताएँ पर Onkar
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मेरा सादा सा दिल है और सादी सी ही फ़ितरत है
जला है जी मेरा और उसपे मुझसे ही शिक़ायत है
न कहना अब के ग़ाफ़िल यूँ ही तो होती मुहब्बत है...
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कराहता आज ......
मायने बदलते रहते है पल-पल
शायद कल के होने का
आज में कोई मायने नहीं रहता,
किन्तु फिर भी ,
इतिहास के पन्ने के संकीर्ण झरोखे से
आने वाले कल के होने के मायने में व्यस्त हम
सब बस कुचलता जाता है आज...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वाह ! क्या बात है ! सुन्दर सार्थक लिंक्स आज के ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक हैं और सार्थक सामग्री | धीरे-धीरे सभी को पढ़ना चाहूंगी |
जवाब देंहटाएंमेरी कहानी 'विदआउट मैन' के लिंक को चर्चा में शामिल करने के लिए आपका आभार सर | आशा करती हूँ कि मित्र पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देंगे |
सादर
गीता पंडित
सुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर मेरे रचना प्रेम पत्र को आज के चर्चा सेतु में शामिल करने के लिए दिल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआज की सभी सुंदर रचनाओ के लिए रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया , ..आज की ' चर्चा ' में मेरे लिखे को भी शामिल किया गया ..आभार .
जवाब देंहटाएंआदरणीय -
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम तो आप का आभार प्रगट करता हूँ कि इस चर्चा मंच पर आप ने मेरा व्यंग्य सम्मलित किया ।
इस पॄष्ठ के शीर्ष पर आप द्वारा व्यक्त ’व्यथा" भी पढ़ी ’ .....दुख होता है कि वो लोग भी चर्चा मंच पर नही आ पाते हैं जिनके ’लिन्कों’ की चर्चा हम मंच पर करते हैं। आप के व्यथा सही है .. मात्र मंच पर आना और हर रचनाकार का अपनी अपनी रचनाओं के प्रति ...धन्यवाद...आभार ..अनुगृहुत हूं~ ...बधाई जताना ही तो काफी नही । अच्छा तो तब होता जब उन रचनाओ पर गुण-दोष के आधार पर सार्थक चर्चा होती .कमियाँ या खूबियाँ बताई जाती कि रचना को और परिष्कृत किया जा सके..परन्तु अफ़सोस कि इस मंच पर या किसी मंच पर ऐसी चर्चा नहीं होती....
सार्थक टिप्पणियाँ भी नही की जाती ...जिधर देखिए उधर बस ’चलाताऊ ’टिप्पणी -- "पीठ -खुजाऊ टिप्पणी ही दिखाई देती हैं... जिसे देखिए बस यही लिखता है ..बहुत अच्छा..बहुत उम्दा...अतुलनीय..अनुपम...रचना पढ़ कर निराला याद आ गए...पंत याद आ गए ,,,महादेवी वर्मा याद आ गईं ...। कहने का मतलब यह कि उन्हे वही लोग याद आते है जो हाई-स्कूल इन्टर के हिन्दी की किताबों में पढ़ी है ..लगता है इन महापुरूषों के बाद हिन्दी में कुछ लिखा ही नहीं गया......बात तो बहुत है कहने की ...मगर छोडिए..
हद तो तब हो गई जब एक टिप्पणी पढ़ी ..कि ’अमुक कवि’ के उज्जैन आगमन से ऐसा लगा कि ’कालिदास’ का आगमन हो गया....
मेरी शुभ कामना है इस मंच के साथ
सादर