मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक बहस
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होते है जब हमले तो दिल्ली इतना रोती है क्यों
कश्मीर की घाटी में ही खून हमेशा बहती हैं क्यों
राजनीति में ताने सीना खूब भाषण बाजी होती है
आकाश में गंगा बहाने की इंद्र तक बातें चलती है
रोज फाईव स्टार होटल में सितारों से बतियातें हैं
हमारे नेता श्रद्धांजलि तो ट्विटर पर ही दे जाते हैं...
प्रभात
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हिंदी पखवाड़े में हिंदी कंप्यूटिंग जगत् को
श्री जगदीप डांगी का अमूल्य उपहार -
रेमिंगटन कीबोर्ड आधारित
वर्ड प्रोसेसर और फ़ोनेटिक वर्ड प्रोसेसर
निःशुल्क उपयोग के लिए जारी.
Ravishankar Shrivastava
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कदम
क़दमों का क्या गुनाह बिन पिये ए लड़खड़ाते हैं
दो बूँद शराब की फिर से क़दमों में घुँघरू बंध जाते हैं
नचाती हैं जब दुनिया बिन पिये ही ए बहक जाते हैं
और संभलने को फिर से मयखाने चले आते हैं...
RAAGDEVRAN पर MANOJ
बेचैन निगाहें
बेचैन निगाहें जनवरी का सर्द महीना था ,सुबह के दस बज रहे थे और रेलगाड़ी तीव्र गति से चल रही थी वातानुकूल कम्पार्टमेंट होने के कारण ठण्ड का भी कुछ ख़ास असर नही हो रहा था ,दूसरे केबिन से एक करीब दो साल का छोटा सा बच्चा बार बार मेरे पास आ रहा था ,कल रात मुम्बई सेन्ट्रल से हमने हज़रात निजामुदीन के लिए गोलडन टेम्पल मेल गाडी पकड़ी थी ”मै तुम्हे सुबह से फोन लगा रही हूँ तुम उठा क्यों नही रहे ”साथ वाले केबिन से किसी युवती की आवाज़ , अनान्यास ही मेरे कानो से टकराई,
शायद वह उस बच्चे की माँ की आवाज़ थी...
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विंडोज 10 में यूनिकोड हिंदी टाइपिंग के लिए
रेमिंगटन (कृतिदेव 010) कीबोर्ड
कैसे इंस्टाल करें व प्रयोग में लें?
Ravishankar Shrivastava
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भारतीय संस्कृति
यहाँभारतीय संस्कृति में जीवन में सोलह संस्कार मनाये जाते हैं अर्थात सोलह बार परिवारीजन उसको होने का अहसास और वे हैं उसके लिये अभिव्यक्त करते रहते हैं कि आप हमारे हैं । भरतीय संस्कृति में उत्सव त्यौहार और संस्कार सबका नियमन केवल पारिवारिक रिश्तों को एक दूसरे को जोड़े घटाने के लिये हैं और इसमें विवाह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है...
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एक ग़ज़ल :
निक़ाब-ए-रुख में....
निक़ाब-ए-रुख में शरमाना,
निगाहों का झुकाना
क्या ख़बर हो जाती है दिल को,
दबे पाँवों से आना...
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हल्के लोग
(कविता)
हल्के लोग करते हैं
सदैव हल्की ही बातें
और करते हैं सबसे ये उम्मीद
कि उनकी हल्की बातों को
भारी माना जाए...
SUMIT PRATAP SINGH
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छोटा सा चाँद
छोटा सा चाँद हो एक लम्बी सी चंदनिया
तारों की बारात में रात हो दुल्हनियां
हो झुमके परिजात के हवाओं की हो डोलियां
जुगनू के दीपक हो झिंगुर की हो बोलियां
किरणों की मेखला बादलों में हो बिजलियां
आओ सपनों से शब्द बुने भावों से रंग चुने
कहाँ हो सजनिया
Mera avyakta पर
राम किशोर उपाध्याय
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सोचता था लिखूँ तुझको उन्वान कर
तू मना कर दिया जाने क्या जानकर
सोचता था लिखूँ तुझको उन्वान कर
पा लिया मैं ख़ुशी उम्र भर की सनम
दो घड़ी ही भले तुझको मिह्मान कर ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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बहुत बढ़िया सूत्र संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर शुक्रवारीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!