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सोमवार, फ़रवरी 03, 2020

"सूरज कितना घबराया है" (चर्चा अंक - 3600)


सादर अभिवादन।

         चर्चामंच के 3600 वें अंक में हार्दिक स्वागत है। चर्चामंच अपनी निरंतरता का सिलसिला आज तक बनाये हुए है जिसे इस बुलंदी तक पहुँचाने का श्रेय निस्संदेह आदरणीय शास्त्री जी को जाता है।आदरणीय दिलबाग जी लंबे समय से यहाँ सक्रिय हैं। पिछले वर्ष से अनीता सैनी जी ने अपनी सतत सक्रियता से चर्चामंच को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है। अनीता लागुरी 'अनु' ने ब्लॉग पर अपनी प्रतिक्रियाओं के ज़रिए नई शुरुआत की। आदरणीया कामिनी सिन्हा जी के जुड़ने से चर्चामंच पर अब और बेहतर चर्चाओं का सिलसिला शुरू हुआ है।
इस मक़ाम तक पहुँचने में आप सभी साहित्यप्रेमी सुधि पाठकों एवं रचनाकारों का विशेष योगदान है। चर्चामंच आपका तह-ए-दिल से आभारी है। चर्चामंच की ओर से सभी अतिथि चर्चाकारों व पूर्व चर्चाकारों का सादर आभार।
-रवीन्द्र सिंह यादव

शब्द-सृजन-7 का विषय है- 'पाँखुरी'/ 'पंखुड़ी'
आप अपनी रचना चर्चामंच पर संलग्न सम्पर्क फॉर्म के ज़रिये 
आगामी शुक्रवार शाम 5बजे तक भेज सकते हैं.

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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*****
कह मुकरी.....प्रथम प्रयास

बढ़ती भीड़ घटे बेचारा
      वही तो हम सबका सहारा
      उसके बिन न जीवन मंगल
     क्या सखी साजन ?.......
      

 .................  ना सखी जंगल
*****

जिजीविषा

नव रूप, रंग, आस

हरित मखमली गात

नव जिजीविषा के साथ

मैं प्रस्फुटित हूँ आज

नव सूर्य उम्मीदों का

है संग संग मेरे सदा

लड़ना है हर झंझा से

खानी नहीं मुझे मात

*****

सुख की फसल भीतर खिले 

जब नयन खोले यहाँ थे अज्ञात थी सारी व्यथा, कुछ खा लिया फिर सो गए  इतनी ही थी जीवन कथा ! *****

फरियाद

शायद और कोई फरियाद भी माँगी होती तो आज पूरी हो जाती पता नहीं था
 सुबह मुझे के आज का दिन इतना ख़ास हो जाएगा
 आने वाले जन्मदिन के इंतज़ार में मैं वैसे ही खुशी के खजाने से भरी हुई थी

*****

बजट 2.0 -डॉ. वर्षा सिंह 

 *****

ताशकंद यात्रा – १० आ अब लौट चलें 


बुखारा से अब ताशकंद लौटने का समय आ गया था ! 
पो ए कलान कॉम्प्लेक्स से बाहर निकलते ही 
हमारे गाइड महोदय हमें लंच के लिए एक ओपन एयर रेस्टोरेंट में ले गए !
 सब खूब थके हुए थे और प्यासे थे !


*****


 

माईईईई...!ऐ माई रे..! गज़ब हो गया..!
क्या हुआ रजुआ..? काहे सुबह-सुबह से चिल्ल मचाए हो?जानकी ने बाहर आकर पूछा।
अरे माई..!वो..वो हरिया काका..!
हांफते हुए रजुआ बोला।माई..!हरिया काका ने खुद को पेड़ से लटका लओ।
My Photo
बहुत दिनों के बाद आज समय मिला है ..आलमारी 
ठीक करने का । कितनी ही अनर्गल चीजें रख 
देती हूँ इसमें और फिर साफ करते करते सलीके से  ना 
जाने कितना समय लग जाता है ।
 *****
 
 *****
   
 *****
 My Photo 
 मैं अब तोड़ना चाहती हूँ 
उस अनवरत संवाद को जो तुम्हारी अनुपस्थिति में हुआ है 
तुमसे लागातार क्योकि  अब ये मुझे तोड़ने लगा है 
बाहर आना है इस भ्रम से कि तुम हो
 *****
आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले सोमवार। 
--
रवीन्द्र सिंह यादव

18 टिप्‍पणियां:

  1. जी बिल्कुल , आदरणीय शास्त्री जी ने जिस विनम्रता, शालीनता एवं ईमानदारी के साथ इस मंच का पोषण किया है, उसी का परिणाम है कि आज अन्य चर्चाकार भी उनका अनुसरण कर रहे हैं । गुरुजी का सदैव प्रयास रहा है कि किसी भी रचनाकार के साथ मंच पर भेदभाव न होने पाय और यह निष्पक्षता भविष्य में भी बनी रहे, ऐसा कामना करता हूँ।
    आज की सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको रविंद्र भैया जी एवं सभी रचनाकारों को सादर प्रणाम।

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  2. सकारात्मक भूमिका के साथ सुन्दर चर्चा।
    चर्चा मंच के सभी साथियों का आभारी हूँ।
    आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी आपका आभार।

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  3. 3600 वें अंक दिवस की शुभकामना। शायद याद किसी भी मंच की प्रथम उपलब्धि होगी जिसने अपने 3600 वाँ अंक पूर्ण किया हो। मैं भी ब्लॉगिंग में नियमित हुआ करता था लेकिन बाद में समय नहीं निकाल पाया। आदरणीय शास्त्री जी ने अपने ब्लॉग्स नियमित रखे, चर्चा मंच को निर्बाध रखा। मेरी बहुत बहुत बधाइयाँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्सआज की |३६०० वे अंक के लिए बधाई |

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  5. आदरणीय रवींद्र जी सर्वप्रथम मेरा प्रणाम स्वीकार करें! निसंदेह चर्चामंच आज ब्लॉग जगत की ऊँचाइयों को छू रहा परन्तु इसके पीछे इस मंच के निस्वार्थभाव से जुड़े चर्चाकारों की लगन और उनकी स्पष्टवादिता है जो कम ही देखने को मिलती हैं इसी सन्दर्भ में सभी चर्चाकारों अनीता सैनी जी , अनु लागुरी जी , आँचल जी , कामिनी सिन्हा जी ,दिलबाग विर्क जी ,आ. रवींद्र जी और शास्त्री जी को विशेषरूप से  धन्यवाद दूँगा। कहते हैं, "कोई भी राज्य और संस्थान जब लालच और स्वार्थपरक नीतियों पर चलते हों तो उस राज्य और उस संस्थान की दशा और दिशा दोनों की स्थिति भविष्य में चिंतनीय होगी और वह संस्थान विनाश की तरफ़ निश्चय ही अग्रसर होगा परन्तु  उसके चाटुकार कर्मचारी उस संस्थान को डूबता देख पहले ही वहाँ से भग लेंगे, क्योंकि राजा ने उन चाटुकार कर्मचारियों के बहकावे में आकर अपने मेहनती और कर्तव्यपरायण कर्मचारियों की छुट्टी पहले से ही कर रखी है। संस्थान तो डूबेगा निसंदेह परन्तु उस डूबते हुए संस्थान के ये चाटुकार कर्मचारी ऐसा ही कोई धन-संपन्न राज्य पुनः देख लेंगे।" आप सब की स्पष्टवादिता बनी रहे यही कामना है। ३६००वें अंक हेतु बधाई।  सादर 'एकलव्य'       

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  6. चर्चा मंच के संयोजकों व सभी रचनाकारों को को भी ३६००वें अंक के लिए बहुत बहुत बधाई ! मुझे भी इस प्रतिष्ठित मंच पर स्थान देने के लिए आभार !

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  7. बहुत सुन्दर चर्चा एवं सार्थक एवं स्तरीय लिंक्स ! मेरे यात्रा वृत्तांत को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! ३६०० का आंकड़ा पार कर एक उज्जवल कीर्तमान स्थापित करने के लिए चर्चा मंच व इसके सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! यह शास्त्री जी के सतत समर्पण एवं निष्ठा से ही संभव हो सका है ! उनके जैसी लगन से सभी नवोदित चर्चाकार असीम प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं ! एक बार पुन: चर्चामंच की समस्त टीम को बहुत बहुत बधाई ! सादर वन्दे !

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  8. चर्चा मंच की 3600 वीं प्रस्तुति के लिए आ. शास्त्री जी एवं उनकी सम्पूर्ण टीम को बहुत बहुत बधाई 💐💐💐💐 आज की प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार । सदैव की भांति सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

  9. निस्वार्थ भाव से हिन्दी चिट्ठों की सेवा करना
    चर्चा मंच के सभी चर्चाकारों का उद्देश्य और दायित्व भी है।

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  10. ३६००वे अंक की हार्दिक बधाई, चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय। बेहतरीन लिंक्स, सुंदर प्रस्तुति।

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  11. चर्चामंच के 3600 वें अंक तक का सफ़र आल्हादित करने वाला है. आदरणीय शास्त्री जी का ब्लॉग के प्रति समर्पण और श्रम हमें श्रद्धा से भर देता है. चर्चामंच की सफलता में आप सभी का अमूल्य योगदान है. हमारी ओर से आपके सहयोग एवं समर्थन के लिये बहुत-बहुत आभार. चर्चामंच से जुड़े सभी चर्चाकारों को ढेरों बधाइयाँ. हमारा सफ़र यों ही जारी रहे ऐसी उम्मीद है.
    आज की सुंदर प्रस्तुति के लिए ढेरों बधाई.
    सभी रचनाकारों को बधाई.
    मेरी रचना 3600 वें अंक में सम्मिलित करने के लिये सादर आभार.

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  12. ३६०० का आंकड़ा पार कर एक उज्जवल कीर्तमान बनाना सचमुच बड़े ही गर्व का विषय हैं। ये सफर बड़ा लम्बा रहा हैं , यकीनन इस सफर में कितनी ही बिघ्न -बाधाएं भी आई होगी ,कितने साथी जुड़ें होंगे कितने बिछड़ें होगें। लेकिन सफर जारी रहा हैं और परमात्मा के कृपा से आगे भी जारी रहेंगा।इस सफर के प्रथम राही आदरणीय शास्त्री सर को कोटि कोटि नमन। उन के होसलों की उड़ान ही हैं जिसने उन्हें कभी रूकने नहीं दिया। इस मंच से जुड़े सभी सहयोगी चर्चाकारों को भी कोटि कोटि नमन जिन्होंने ये सफर को बाखूबी जारी रखा और इस मंच को बुलंदियों पर पहुंचने मे अपना योगदान देते रहें।इस मंच से जुड़ना मेरे लिए भी बड़े गर्व की बात हैं। चर्चामंच से जुड़े सभी आदरणीय चर्चाकारों को ढेरों शुभकामनाएं।
    किसी भी मंच के सफलता में सुधि पाठकगणों का भी बहुमूल्य योगदान होता हैं। ये मंच हमेशा रचनाकारों और पाठकगणों के उम्मीदों पर खरा उतरा हैं।हमें उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि ये मंच आगे भी अपनी गरिमा बनाएं रखेगा। एक बार फिर से आदरणीय शास्त्री सर ,आदरणीय रवींद्र सर और सभी चर्चाकारों को ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  13. 3600 वां अंक ये किसी भी ब्लाग के लिए गौरव और उससे जुड़े सभी लोगों के लिए एक उपलब्धि हैं ,ब्लाग के सभी चर्चाकार प्रतिबद्धता से अपना काम करते हुवे सदा ब्लाग को और ऊंचा उठाने के लिए प्रयास रत रहते हैं,और उसके परिणामस्वरूप ब्लाग ध्रुव तारे सा चमक रहा है।
    आदरणीय शास्त्री जी सहित सभी चर्चाकार बधाई के पात्र हैं।
    चर्चामंच पर हमेशा शानदार लिकों के माध्यम से शानदार सृजन देखने को मिलते हैं,जो चर्चाकारों की अथक मेहनत का परिणाम है।
    3600 वें अंक में अपनी रचना को देखना मेरे लिए सम्मान का विषय है उसके लिए आदरणीय रविन्द्र जी को बहुत बहुत आभार।
    आज और सदा सभी मंच से जुड़े रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    भूमिका बहुत अच्छी बधाई है ।
    चर्चा मंच से जुड़े होने के लिए मैं सदा गर्व महसूस करती हूं।
    एक बार सभीज्ञको बहुत बहुत बधाई।

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  14. अरे वाह!
    3600 अंकों में चर्चा मंच ने 3600 छवि,3600 यादें,3600 बातें,3600 रंग,3600 ढंग और ना जाने क्या क्या जोड़ लिया। ये मात्र एक अंक नही अपितु तरंग है बेहद खास लम्हों की,भावों की। आदरणीय शास्त्री सर और सभी आदरणीय चर्चाकारों की मेहनत,लगन और निस्वार्थ भाव से साहित्य सेवा का ही फलस्वरूप है 3600 अंकों का ये सुंदर सफ़र। श्री नारायण करें ये सफ़र यूँ ही चलता रहे और ऐसे कई अंकों के मोती इसके ख़ज़ाने में बढ़ते रहे।
    आदरणीय रवीन्द्र सर आपकी सुंदर प्रस्तुति संग इस संकलन में सजी सभी रचनाएँ बेहद उम्दा। सभी को खूब बधाई।
    चर्चा मंच को,आदरणीय शास्त्री सर को और सभी चर्चाकारों संग सुधि पाठकों को 3600 वे अंक तक पहुँचने की ढेरों शुभकामनाएँ और हार्दिक बधाई। सादर प्रणाम 🙏 शुभ रात्रि।

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  15. चर्चामंच के 3600वें अंक पार करने की समस्त टीम को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं...
    शानदार प्रस्तुति एवं उम्दा लिंकों के साथ मेरी रचना को स्थान देने हेतु सहृदय धन्यवाद एवं आभार आपका...।

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  16. आप ने बहुत अच्छी जानकारी दी है मैं आपको धन्यवाद करता हूँ.
    आप मेरी वेबसाइट पर मोटिवेशन कोट्स पढ़ सकते हैं
    https://youtreex.com

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