सादर प्रणाम
हार्दिक अभिवादन
पिछली बार हम एक अतिथि चर्चाकार के रूप में प्रस्तुत थे और आज आप सभी के शुभाशीष के फलस्वरूप ' चर्चा मंच ' जैसे बड़े मंच पर एक चर्चाकार के रूप में अपनी प्रथम प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप सुधि पाठकों के नेह आशीष के हम सदा आभारी हैं। साथ ही आदरणीय शास्त्री सर, आदरणीय रवीन्द्र सर, आदरणीय दिलबाग सर, आदरणीय कामिनी मैम, आदरणीया अनीता मैम, आदरणीया मीना मैम, आदरणीया अनु दीदी जी की बहुत आभारी हूँ जो हमपर विश्वास कर आपने हमे इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी।
'चर्चामंच' जैसे ख्यातिप्राप्त मंच की चर्चाकारा होना मेरे लिए बड़े गर्व और हर्ष का विषय है। हम प्रयासरत रहेंगे कि आप सब को कभी निराश ना करें और निःस्वार्थ भाव से मंच और साहित्य की सेवा में लगे रहें।
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आज 14 फरवरी है। सभी वैलेंटाइन दिवस मना रहे। सभी को शुभकामनाएँ। और नारायण से ये प्रर्थना कि ये संसार ' प्रेम ' और ' मोह ' के मध्य का अंतर समझ सके।
अब 'प्रेम' है क्या?
नारद भक्तिसूत्र में प्रेम के लिए कहा गया है कि " अनिर्वचनीयं प्रेमस्वरूपम्।" अर्थात् प्रेम वह है जिसका निरुपण शब्दों में नही किया जा सकता। प्रेम हवा की तरह बस महसूस किया जा सकता है। प्रेम भाव है और इसका तन से कोई संबंध नही। प्रेम आत्मीय है। रंग,रूप,आकार से इसका कुछ लेना देना नही। जब संसार की दृष्टि में कोई कुरूप होता है तो प्रेम की दृष्टि में वो अति रूपवान होता है। इसका कारण? कारण यह कि संसार तन की आँखों से देखती है और प्रेम.....प्रेम देखता है मन की आँखों से। प्रेम हर बंधन से परे हर भाव से शुद्ध है। जहाँ प्रेम होता है वहाँ मोह नही होता। मोह तो क्षण भर में नष्ट हो जाता है और प्रेम सदा अमर रहता है राधा कृष्ण की भाँति। ये प्रेम ही था जिसका पाठ पढ़े बिना उद्धव जी का ज्ञान भी अधूरा था और ये प्रेम ही है जिसका ज्ञान पाकर बिरज की गँवार गोपियाँ भी महाज्ञानी हो गयी। प्रेम भक्ति भी है,त्याग भी है और समर्पण भी। प्रेम ईश्वर का सुंदर स्वरूप है। पर अफ़सोस आज लोग प्रेम और मोह में अंतर नही समझते। और इसी कारण परिशुद्ध प्रेम और मनुष्य के बीच इतना अंतर आ गया। मेरी ईश्वर से पुनः प्रर्थना कि मनुष्य मोह के भ्रम से निकल कर परिशुद्ध प्रेम को अपनाए और इसी कामना के साथ पुनः सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
-आँचल
आइए अब आगे बढ़ते हैं आज की कुछ खास लिंकों के संग
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आरंभ आदरणीय शास्त्री सर के उत्तम दोहों से करते हैं -
दोहे " चौदह फरवरी - मातृ पितृ पूजन दिवस "
मात-पिता के चरण छू, प्रभु का करना ध्यान।
कभी न इनका कीजिए, जीवन में अपमान।१।
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अब 'प्रेम' है क्या?
नारद भक्तिसूत्र में प्रेम के लिए कहा गया है कि " अनिर्वचनीयं प्रेमस्वरूपम्।" अर्थात् प्रेम वह है जिसका निरुपण शब्दों में नही किया जा सकता। प्रेम हवा की तरह बस महसूस किया जा सकता है। प्रेम भाव है और इसका तन से कोई संबंध नही। प्रेम आत्मीय है। रंग,रूप,आकार से इसका कुछ लेना देना नही। जब संसार की दृष्टि में कोई कुरूप होता है तो प्रेम की दृष्टि में वो अति रूपवान होता है। इसका कारण? कारण यह कि संसार तन की आँखों से देखती है और प्रेम.....प्रेम देखता है मन की आँखों से। प्रेम हर बंधन से परे हर भाव से शुद्ध है। जहाँ प्रेम होता है वहाँ मोह नही होता। मोह तो क्षण भर में नष्ट हो जाता है और प्रेम सदा अमर रहता है राधा कृष्ण की भाँति। ये प्रेम ही था जिसका पाठ पढ़े बिना उद्धव जी का ज्ञान भी अधूरा था और ये प्रेम ही है जिसका ज्ञान पाकर बिरज की गँवार गोपियाँ भी महाज्ञानी हो गयी। प्रेम भक्ति भी है,त्याग भी है और समर्पण भी। प्रेम ईश्वर का सुंदर स्वरूप है। पर अफ़सोस आज लोग प्रेम और मोह में अंतर नही समझते। और इसी कारण परिशुद्ध प्रेम और मनुष्य के बीच इतना अंतर आ गया। मेरी ईश्वर से पुनः प्रर्थना कि मनुष्य मोह के भ्रम से निकल कर परिशुद्ध प्रेम को अपनाए और इसी कामना के साथ पुनः सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
-आँचल
आइए अब आगे बढ़ते हैं आज की कुछ खास लिंकों के संग
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आरंभ आदरणीय शास्त्री सर के उत्तम दोहों से करते हैं -
दोहे " चौदह फरवरी - मातृ पितृ पूजन दिवस "
मात-पिता के चरण छू, प्रभु का करना ध्यान।
आदरणीय शशि सर के ब्लॉग से -
" जान ! ये मेरा आखिरी वैलेंटाइन डे है।"
मोबाइल पर बात करते हुये सोनाक्षी कुछ इसतरह रुआँसी हो गयी थी कि सुमित तड़प उठा था।
उसने खुद को संभालते हुये कहा- " यूँ उदास न हो ,मेरे मनमंदिर में तुम सदैव रहोगी।"
--आदरणीया अनु दीदी की ब्लॉग से -
वैलेंटाइन- डे
पता है ?
मुझे लगता है .....
जब तुम मुस्कुराते हो
तब कहीं झरने की कल-कल करती
मधुर-सी आवाज
यूँ ही मेरे आसपास बिखर जाती है..!
--आदरणीया रेवा मैम की ब्लॉग से-
इश्क
जब तेरे शहर से होकर हवा
मुझे छू जाती है
तो होता है इश्क़
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आदरणीया निधि सहगल जी के ब्लॉग से -
क्या तुम साथ निभा पाओगे!
मिट जाए जो सुख की लकीरें,
दुख आकर द्वार पर चीखे,
जिस दिशा देखूं, हो विचलित,
रूठ जाए कर्म के लेखे जोखे,
क्या उस क्षण भी इस क्षण भांति,
ईश बनकर,मेरे प्रियवर,
मेरे धीरज कहलाओगे!
क्या तुम साथ निभा पाओगे !
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आदरणीया कुसुम दीदी की ब्लॉग से -
कुण्ड़लिया कृष्ण के २६ नाम
नागर नटखट निर्गुणी , गोविंदा गोपेश ।
अजया अचला अक्षरा, दामोदर देवेश ।
--आदरणीय ध्रुव सर के ब्लॉग से -
पंचर फ़रिश्ता ( लघुकथा )
फेंकूराम मंद-मंद मुस्कराता हुआ अपने किशोरवय लड़के से कहता है-
"बेटा,आजकल इसे ही दुनियादारी कहते हैं।"
"हमरे कुलही नेतागण भी तो यही कर रहे हैं ना।"
आदरणीया ज्योति मैम के ब्लॉग से -
वैलेंटाइन-डे का अनमोल गिफ्ट गिफ़्ट
'क्या हैं कल? तुझे कल कहां जाना हैं, ये मुझे कैसे पता होगा?''
''क्या मैडम, आप भूल जाती हैं! कल वैलेंटाइन डे हैं न! इसलिए मेरा घरवाला कल मुझे पिक्चर देखने ले जाने वाला हैं।
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गत वर्ष आज ही के दिन हमारे देश में मातम छा गया था। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में हमारे सी.आर.पी.एफ.के 40 से अधिक वीर जवान शहीद हो गये थे। आइए माँ भारती के उन लाड़लों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पढ़ते हैं उस वक्त की लिखी गयी कुछ रचनाएँ -
गत वर्ष आज ही के दिन हमारे देश में मातम छा गया था। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में हमारे सी.आर.पी.एफ.के 40 से अधिक वीर जवान शहीद हो गये थे। आइए माँ भारती के उन लाड़लों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पढ़ते हैं उस वक्त की लिखी गयी कुछ रचनाएँ -
आदरणीय शास्त्री सर की कलम से -
रणकौशल में निपुण हैं, सैनिक-सेनाधीश।
झुकने देंगे वो नहीं, भारत माँ का शीश।।
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आदरणीय रवीन्द्र सर की पंक्तियाँ -
मातम का माहौल है
कन्धों पर सरहद के
जाँबाज़ प्रहरी आ गये
देश में शब्दाडम्बर के
उन्मादी बादल छा गये
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आदरणीय गोपेश सर के ब्लॉग से -
बच्चों की किलकारी का कोलाहल भी अब कष्ट न देगा,
शांत, सुखद, श्मशान-महीषी, बन, आजीवन सुख से जीना.
अरे मृतक की बेवा तुझको, इस अवसर पर लाख बधाई,
आम सुहागन से तू, बेवा ख़ास हुई है, तुझे बधाई !
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आदरणीया श्वेता दीदी की पंक्तियाँ -
न हृदय लगा के रो पाई
न चूम पाँव को धो पाई
तन के टुकड़े कैसे चुनती
आँचल छलनी असमर्थ हूँ मैं
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आदरणीया रेणु दीदी की कलम से -
रचा चक्रव्यूह
शिखंडी शत्रु ने
छुपके घात लगाई
कुटिल चली चाल
मांद जा जान छिपाई
पल में देता चीर
ना आया आँख मिलाने को !
लौटा माटी का लाल
माटी में मिल जाने को !!
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बोलता ताबूत
शहीद का दर्जा,
चोला भगवा का पहना दिया,
चोला भगवा का पहना दिया,
खेल गए वो राजनीति,
मुझे ताबूत में सुला दिया |
मुझे ताबूत में सुला दिया |
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आइए अब शहीदों को नमन करते हुए
डॉ.कुमार विश्वास जी का एक गीत सुनते हैं
डॉ.कुमार विश्वास जी का एक गीत सुनते हैं
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को
विषय विशेष पर आधारित चर्चा
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शब्द-सृजन-8 का विषय होगा -
विषय विशेष पर आधारित चर्चा
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शब्द-सृजन-8 का विषय होगा -
'पराग'
इस विषय पर अपनी रचना का लिंक सोमवार से शुक्रवार
(शाम 5 बजे तक ) चर्चामंच की प्रस्तुति के
कॉमेंट बॉक्स में भी प्रकाशित कर सकते हैं।
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आज के लिए बस इतना ही...
अगले चर्चा अंक में फिर यहीं मिलूँगी।
-आँचल पाण्डेय
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आज के लिए बस इतना ही...
अगले चर्चा अंक में फिर यहीं मिलूँगी।
-आँचल पाण्डेय
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सर्वप्रथम तो प्रेम दिवस की सबको शुभकामनाएं सब के जीवन में प्रेम समाहित है किसी न किसी रूप में,
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आँचल प्रेम भाव है एहसास है उसका कोई रंग रूप नहीं है वह तो बस एक ठंडी हवा के समान एक मीठी बयार है .. जो हर रिश्तो के मध्य से कभी न कभी गुजरता है ..जरूरी नहीं कि प्रेम की व्याख्या सिर्फ युवा दिलों को देखकर की जा सकती है प्रेम पति पत्नी के रिश्ते में भी होता है माली और उसके बाग में खिलने वाले फूलों के बीच भी हो सकता हैएक ऑटो ड्राइवर को उसकी ऑटो से भी हो सकता है..!
प्रेम पुंज अनंत भाव समेटे है ,
जितने इसके तले प्रेम रूपी तैल डालोगे ये उतना ही उज्ज्वल होगा..!
प्रिय आंचल आज तुम्हारी यह प्रथम प्रस्तुति है और भूमिका के शुरुआती लाइनों में ही तुमने खूबसूरत समा बांध दिया है..!
बेहद खूबसूरत तरीके से प्रेम के आध्यात्मिक रूप को तुमने अपने सरल शब्दों में बखूबी प्रस्तुत किया.. ईश्वर से जुड़ी आस्था ही सच्चा प्रेम है वरना वर्तमान परिपेक्ष में प्रेम कहां रह गया है सभी रिश्तो से प्रेम फुर्र होकरा उड़ जाता है,
तुम्हारी मेहनत पूरी प्रस्तुति में नजर आ रही है मुझे बेहद खुशी हुई तुम्हारी प्रस्तुति को देखकर मुझे अपने दिन याद आ गए.. सभी अच्छे लिंक्स का चयन किया है तुमने.... पुलवामा के शहीदों को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि अच्छा तालमेल प्रस्तुत किया है! तुमने एक तरफ तो स्वयं से प्रेम की भावना और दूसरी तरफ देश से प्रेम की भावना.. मेरी रचना को भी मान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ऐसे ही आगे बढ़ते रहो और साहित्य के क्षेत्र में अपना एक अच्छा मुकाम बनाओ यही मेरी तुम्हारे लिए प्रार्थना है बस धन्यवाद आंचल🙏
आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
हटाएंहमने तो बस प्रयास किया था किंतु प्रेम पर आपकी इस विस्तृत व्याख्या ने इसे और सहज रूप से समझा दिया। उचित कहा आपने प्रेम जड़ और चेतन के मध्य भी होता है और इससे परे भी। आपकी सराहना ने मेरा खूब उत्साह बढ़ाया। और आपका सहयोग मुझे सदा ही आगे बढ़ाता है जिसके लिए आभार बहुत छोटा शब्द है।आपका नेह आशीष मुझपर सदा बना रहे। साभार पुनः प्रणाम।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभूमिका में प्रेम की सुंदर व्याख्या आपने की है आँचल जी साथ ही प्रस्तुति भी अतुलनीय है। मेरी लघुकथा को भी इन श्रेष्ठ रचनाओं के मध्य आपने स्थान दिया है। अतः हृदय से आपका आभार।
जवाब देंहटाएंप्रेम की बात हो रही है, तो इसका संबंध आत्मा से है न कि प्रकृति से।
प्रकृति से जीतने भी संबंध हैं , वह वासना है।
और प्रकृति तो परिवर्तनशील है, तो ऐसे बाह्य संबंध किस तरह से स्थायी होंगे, जरा विचार करें आप भी।
वहीं आत्मा अमर , इसलिए जब हम ईश्वर को अपना प्रेम समर्पित करते हैं, तो उसमें निरंतर वृद्धि होती है।
और अंततः मीरा अपने आराध्य कृष्ण में समाहित हो जाती है , क्यों कि प्रेम में जयपराजय नहीं होती है। यहाँ दो का भेद नष्ट कर एकीकरण हो जाता है।
सत्य तो यही है कि हम ऐसे कृत्रित जीवन के अभ्यस्त हो गये हैं कि सहज प्रेम के निर्मल भाव को समझ ही नहीं पाते हैं।
सभी को प्रणाम, स्नेह के इस विशेष पर्व पर मानवीय मूल्यों का संरक्षण हो, ऐसी कामना करता हूँँ।
आदरणीय सर सादर प्रणाम।
हटाएंउचित कहा आपने ईश्वर से प्रेम ही सर्वोत्तम प्रेम है और भक्ति ही प्रेम का सुंदर स्वरूप जो निःस्वार्थ है। आपकी सराहना भरे शब्दों ने जो मेरा उत्साह बढ़ाया इस हेतु आपका हार्दिक आभार।
चर्चामंच पर आपकी विस्तृत टिप्पणी निरंतर पढ़ती आ रही हूँ। सदा ही कुछ नया जानने और सीखने को मिलता है।
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा आँचल जी।
जवाब देंहटाएंआपकी पहली ही चर्चा ने मन मोह लिया।
चर्चा मंच परिवार में आपका स्वागत है।
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आशा है कि भविष्य में भी आपकी लेखनी का जादू यहाँ चलता रहेगा।
हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
आदरणीय सर सादर प्रणाम।
हटाएंमंच से जुड़ना और आप सभी का सानिध्य प्राप्त करना मेरे लिए बड़े हर्ष का विषय है। हम सदा प्रयासरत रहेंगे कि आप सबको निराश ना करें और आप गुणीजनों के मध्य आने का जो सुअवसर हमे मिला है इसका लाभ उठाते हुए आप सभी से निरंतर कुछ ना कुछ सीखते भी रहें।
आपके सराहना और आशीष भरे शब्दों के लिए आपका हार्दिक आभार सर।
चर्चाकार के रूप में प्रथम प्रस्तुति पर बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंप्रेम का मर्म समझाती सराहनीय भूमिका. बेहतरीन अंक बन पड़ा है विविध विषयक रचनाओं के समागम से.
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
पुलवामा में गत वर्ष 14 फरवरी को शहीद हुए सैनिकों को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार.
आदरणीय सर सादर प्रणाम।
हटाएंहमने बस प्रयास किया था आपकी सराहना ने इसे सार्थक कर दिया। आपका आशीष सदा हमपर बना रहे। हार्दिक आभार।
आंचल दी, चर्चाकार के रुप में पहली प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई। आप मेरी रचना को 'चर्चा मंच' में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम सादर प्रणाम। उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदय से हार्दिक आभार।
हटाएंमाँ भारती के वीर सपूतों को शत शत नमन । सुन्दर भूमिका और विविधतापूर्ण सूत्रों से सजी अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति आँचल जी ।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम सादर प्रणाम। उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंपुलवामा के वीर शहीदों को सत सत नमन ,उनकी कुर्बानी हम सब पर कर्ज हैं।
जवाब देंहटाएंशास्त्री सर के रचना की ये दो पंक्तियाँ
अपनाओ वो सभ्यता, जिसमें हो अनुराग।
पश्चिम अनुकरण का, अब तो कर दो त्याग।
एक बड़ा सन्देश हैं जो आज हमारे समाज के उत्थान के लिए बेहद जरुरी हैं।
सुंदर सराहनीय प्रस्तुति प्रिय आँचल ,प्रेमदिवस की हार्दिक बधाई
आदरणीया मैम सादर प्रणाम। उचित कहा आपने आदरणीय शास्त्री सर ने अपनी पंक्तियों द्वारा एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।
हटाएंस्वागत, बहुत बहुत बधाई प्रिय आँचल चर्चामंच पर आपको चर्चाकार के रूप में देख बहुत खुशी हुई।
जवाब देंहटाएंभूमिका बहुत सुंदर,प्रेम पर बहुत सुंदर विस्तृत और सार्थक लेखन।
शानदार प्रस्तुति शानदार लिंक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम।
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।
पहली आधिकारिक चर्चामंच प्रस्तुति में बहुत गंभीर और मनन करने योग्य भूमिका लिखी है प्रिय आँचल. आज की विशेष प्रस्तुति में पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों की प्रथम वर्षी पर श्रद्धांजलि अर्पित करती रचनाओं के साथ वेलेंटाइन डे पर भी चर्चा को समेटा गया है. श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिये बधाई प्रिय आँचल.
जवाब देंहटाएंशहीदों को कोटि-कोटि नमन.
सभी रचनाकारों को बधाई.
मेरी रचना शामिल करने के लिये बहुत सारा आभार.
आदरणीया मैम सादर प्रणाम।
हटाएंउत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।
प्रिय आँचल, प्रतिष्ठित मंच , चर्चा मंच की पहली ही चर्चा में तुमने
जवाब देंहटाएंबहुत ही आत्मीयता से पाठकों का मन जीत लिया है। लाजवाब भूमिका में विचारों का प्रवाह देखकर दंग हूँ। माँ सरस्वती तुम पर अपनी ये कृपा बनाये रखे। एक सशक्त रचनाकार के साथ तुम चर्चाकार की भूमिका में भी सफल रहो , यही दुआ है। कल किसी कारणवश आते -आते रह गयी जिसका अफसोस रहा मुझे । यूँ ही सफलता के पथ पर अग्रसर रहो । मेरा प्यार और शुभकामनायें। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई। प्रेम दिवस के दिन पिछले वर्ष हमारे चालीस जांबाज़ वीरों की शहादत को समर्पित मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान मिला , जिसके लिए मंच को बहुत -बहुत आभार। वीरों की शहादत को बार- बार नमन। उनका ये बलिदान हिमालय से ऊँचा है। पर फिर भी भगवान से यही प्रार्थना है, कि ऐसा काला दिन राष्ट्र और सैनिकों के परिवारों को कभी ना दिखाये। एक बार फिर शुभकामनायें।