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गुरुवार, फ़रवरी 06, 2020

'बेटियां पथरीले रास्तों की दुर्वा "(चर्चा अंक - 3603)

स्नेहिल अभिवादन। 

 आज गुरुवारीय प्रस्तुति आदरणीय दिलबाग सर की अनुपस्थिति में पेश कर रहीं हैं

आदरणीया रेणु दीदी जी. ब्लॉग जगत उनके लेखन से  बख़ूबी परिचित है चर्चामंच पर उनका हार्दिक स्वागत है.आज प्रस्तुत हैं आदरणीया रेणु दीदी जी की पसंद की रचनाएँ

--अनीता सैनी 

सभी  को मेरा सादर सप्रेम नमस्कार ||
आज चर्चामंच  की
 अतिथि रचनाकार बनकर अपने
 पाठकों  और  सहयोगी  मित्रों से
  मुख़ातिब  होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है |
अभी हाल ही  में मैंने अपने ऑनलाइन
लेखन  के तीन  वर्ष
 पूरे  किये हैंजिसके दौरान
  अनेक रचनाकारों से परिचय हुआ और
उनके  लेखन के  हर तरह  के रंगों
को निहारने का मौक़ा मिला  |
यूँ तो हर   रचनाकार की  हरेक रचना अपने
 आप में विशेष होती  है ,
पर फिर भी उनमें से कई रचनाएँ
अविस्मरणीय  होती हैं
 जो कभी भूलती नहीं |
ब्लॉग जगत की   ऐसी  ही
 कुछ यादगार रचनाओं
का स्मरण  करना चाहूंगी।
 जिनमें सबसे  पहले  युवा रचनाकारों
की सार्थक रचनाओं का जिक्
 करना चाहूंगी जो भविष्य का साहित्य   रच रहे हैं
और साहित्य जगत  उन्हें   एक  आशा भरी
निगाह से देख रहा है
सबसे पहले  युवा  कवियित्रो  आँचल  पाण्डे
 जो अपने ब्लॉग 'आत्मरंजन'
 के माध्यम से   बहुधा  आध्यात्मिक
 विषयों पर  लेखन करती हैं पर
समसामयिक   विषय से भी उनकी
कलम अछूती नहीं रहती |
 अभी हाल ही में  उनकी लिखी एक रचना
मुझे  अतुलनीय लगी  जिसमें
 राष्ट्र  में फैली अराजकता  और
अव्यवस्था के खिलाफ   ,
एक युवा मन की बेचैनी  झलकती है--
ये क्षण का आक्रोश है
- रेणु बाला 

हैं लाख सी जल रही 
अधिकारों की पोथियाँ 
और द्रौपदी भस्म हुई 
सिक गयी सियासी रोटियाँ,
जब खो बैठे धृतराष्ट विवेक 
तब मौन हुए पांडव अनेक 
क्या सकल सजगता लोप है?
ये क्षण का बस रोष है।
**
घनघोर निशा, फिर महक रही क्युँ ये निशिगंधा?
निस्तब्ध हो चली निशा, खामोश हुई दिशाएँ,
अब सुनसान हो चली सब भरमाती राहें,
बागों के भँवरे भी भरते नहीं अब आहें,
महक उठी है,फिर क्युँ ये निशिगंधा?
प्रतीक्षा किसकी सजधज कर करती वो वहाँ?
मन कहता है जाकर देखूँ, महकी क्युँ ये निशिगंधा?
**
युवा कवि ध्रव सिंह एकलव्य की 
पैनी नज़र सर तरह के हालात पर रहती है,
 देश की राजनीति के बिगड़ते समीकरण हों या
 समाज के कमजोर तबके का दर्द हो, 
सब पर उनकी क़लम ख़ूब चलती है 
जिसे वे अपने ब्लॉग एकलवय पर लिखते हैं, 
अभी हाल ही में उन्होंने साहित्य के पुरोधा प्रेमचंद को समर्पित समर्पित
 एक नवगीत लिखा है जिसमें क़लम के इस अमर सिपाही का संदेश 
भावी संतति के नाम पिरोया गया है जो मुझे बहुत अच्छा लगा

 वे कह गये थे अक़्स से 
परदे हटाना तुम!
बोतलों को मुँह में भर 
जो लिख रहे कविता, 
फूस की रोटी जली 
उनको खिलाना तुम!
**

दास्तान-ए-कलम (मेरी कलम आज रोई थी)

दास्तान-ए-कलम (मेरी कलम आज रोई थी)फिर सवाल इक मुझको मिला, मेरी इसी किताब में,
क्यूँ अक्स अपना छोड़ गयी, वो मेरे हर इक खुआब में?
मिलता है रोज़ चाँद अब, लग के गले रुसवाई के,
सितारे भी अब जलने लगे, मेरे दिल के इस निसाब में।
मेरी वफ़ा का मुझे, ऐ-खुदा क्या सबब मिला,
लिखा न एक हर्फ़ भी, उसने मेरे जवाब में।
न अब कहीं वो मेरी है, न तब वह मेरी होई थी,
जो न हुई उसे याद कर, मेरी कलम आज रोई थी।।
**


अमर जवान 

**
ग़मों  से  तिलमिलाती  ज़िंदगियाँ , 
कभी  ग़मों  से  मिल  कर  देखिये , 
  पिता  के  प्यार  से  महरुम  बच्चे ,
जवानों   के  परिवार  में  देखिये। 
मिट्टी  में  ख़ुशबू , 
हवाओं   में  अपनापन  तलाशकर  देखिये , 
मुहब्बत  आज भी  पनपती , 
जवानों   से  मुहब्बत  करके  देखिये। 

बेटियां, पथरीले रास्तों की दुर्वारतनार क्षितिज का

 एक मनभावन छोरउतर आया हो 

जैसे धीरे-धीरे क्षिति के कोर ।

जब चपल सी बेटियां उड़ती घर 

आंगनअपने रंगीन परों से तितलियों समान ।

घर कहीं गुम हो गया 

Image courtesy -photobucket.com

एक  हरा - भरा पेड़  बेशाख-शजर  हो गया
  जिस प'खिलने थे फूल बेबर्ग-शजर हो गया।  
अँधेरे कोने में बैठा दिले-तन्हा, 
दम-ब-खुद सा ,पिता अब 
इस दर्द को अपने अन्दर समा रहा है
दी हुई क़ूल्फ़तें अब कबूल कर रहा है... 

**
चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को 
विषय विशेष पर आधारित चर्चा 
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत 
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी। 
आगामी शब्द-सृजन-7 का विषय होगा - 
'पाँखुरी'/ 'पंखुड़ी'
इस विषय पर अपनी रचना का लिंक सोमवार से शुक्रवार 
(शाम 5 बजे तक ) चर्चामंच की प्रस्तुति के 
कॉमेंट बॉक्स में भी प्रकाशित कर सकते हैं। 
--
आज का सफ़र यही तक 
प्रस्तुति :रेणु बाला 






31 टिप्‍पणियां:

  1. ऑनलाइन लेखन के तीन वर्ष पूरे होने की आपको शुभकामनाएँ रेणु दी।
    आप साहित्यप्रेमी ही नहीं कुशल चयनकर्ता के रूप में भी आज मंच पर दिख रही हैं।
    आदरणीय आँचल पांडेय की रचनाएँ मुझे भी अचंभित कर देती हैं। भाव एवं शब्दों के साथ विषय का चयन उनका अतुलनीय है।
    साहित्य जगत उनकी ओर देख रहा है।
    उन्हें सावधान सिर्फ इससे रहना है कि वे औरों को चिकोटी काट प्रगतिशील विचारवादी कहलाने वालों की राजनीति से बचे। मेरा ऐसा सुझाव सभी युवा साहित्यकारों केलिए हैं।
    सृजन के माध्यम से स्नेह का ऐसा रंग वे निर्मित करें कि जिसका प्रभाव स्वतः ही सबपर पड़े, सब एक जैसे हो जाए, बसंत उत्सव पर ऐसा ही तो होता है न...?

    होली के दिन दिल खिल जाते हैं
    रंगों में रंग मिल जाते हैं
    गिले शिक़वे भूल के दोस्तों
    दुश्मन भी गले मिल जाते हैं...

    और कुसुम दी के काव्य सृजन की तो बात ही क्या है, प्रकृति के सौंदर्य को अपनी लेखनी से शब्द चित्र के माध्यम से जिस तरह से वे पाठकों तक पहुँचाती हैं, जिसे पढ़कर उदास मन भी आनंदित होता है, वास्तव में कवि तो वही है।

    अन्य सभी रचनाएँ भी श्रेष्ठ हैं।

    रेणु दी की चयन क्षमता को भला कौन चुनौती दे सकता है ?
    ब्लाग जगत के निष्पक्ष लोगों में मेरी दृष्टि में उनका स्थान श्रेष्ठ है।
    वह निश्छलता मैं उनमें पाता हूँ , जिसकी तलाश में ब्लॉग पर आया था..।
    इन्हीं शब्दों के साथ अनीता बहन आप एवं सभी को सादर प्रणाम।



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    1. शशि भाई आपके स्नेहिल भावों के लिए कोटि आभार 🙏🙏

      हटाएं
  2. .. ऑनलाइन लिखने के 3 वर्ष पूरे होने की आपको ढेर सारी शुभकामनाएं आप आगे भी लिखते रहिए और बेहतर और बेहतर और बेहतर... युवाओं के मद्देनजर आज की संकलन आज कुछ अलग ही प्रभाव छोड़ रही है.. सत्य है आंचल की लेखनी को देखकर में भी स्तब्ध हूं, जब उसकी कलम चलती है तो हमेशा एक बेहतरीन काव्य सृजन हमारी नजरों के सामने होता है.. मेरी ओर से भी ढेर सारी शुभकामनाएं एक बेहतरीन कवियत्री नजर आ रही है उसके अंदर... अन्य चयनित रचनाएं भी बहुत अच्छी है और आपकी लेखनी के तो मैं भी बहुत बड़ी कायल हूं वाकई में बहुत ही अच्छा संकलन आज आपने तैयार किया आपकी पारखी नजर सभी रचनाओं पर नजर आ रही है ..यूँ ही चर्चामंच के साथ साथ बनाए रखिएगा बहुत-बहुत धन्यवाद आपको दी🙏

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    उत्तर
    1. प्रिय अनु , हार्दिक आभार इस स्नेह भरी प्रतिक्रिया के लिए। 🙏😊

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  3. आदरणीया रेणु बाला जी।
    आपने बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है।
    ऑनलाइन लेखन के 3 वर्ष पूरे होने पर
    आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।
    अतिथि चर्चाकार के रूप में आपको प्रस्तुत करने के लिए
    अनीता सैनी जी का आभार।

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    1. आदरणीय सर, चर्चा मंच को कोटि आभार , मुझे अपनी पसंद की रचनाएँ प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करने के लिए।आजकल पारिवारिक विवाह समारोह में हूँ , सो प्रस्तुति में कई रचनाएँ आने से रह गयी । चयनित लिंकों पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे नहीं पायी , सो मैं क्षमा चाहती हूँ। फिर भी प्रिय अनीता ने बहुत सहयोग किया । मेरा तो नाम भर है सारी मेहनत उन्ही की है। और चर्चा मंच के सभी पाठकों को मेरा बार बार आभार जिन्होंने मेरे साधारण लेखन को ढेर सारा स्नेह दिया। आज के सभी सहभागियों को मेरी शुभकामनायें। प्रबुद्धजनों की सभी रचनाएँ मेरे लिए एक पाठशाला की तरह हैं। साहित्यसाधना में रत रह सभी यूँ ही आगे बढ़ते रहे मेरी यही कामना है । पुनः आभार 🙏🙏🙏

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  4. लाजवाब अंक। शुभकामनाएं रेणु बाला जी के लिये।

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  5. बेहद उम्दा प्रस्तुति ।रेणु बाला जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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  6. ऑनलाइन लेखन के सफल तीन वर्ष पूरे करने के लिए हार्दिक बधाई सखी रेनू जी ...आपका ये सफर निरंतर चलता रहे यही शुभेच्छा है । शानदार प्रस्तुति ,सभी लिंक बहुत ही उम्दा ।

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    1. प्रिय शुभा जी, हार्दिक आभार आपके स्नेह के लिए 🙏🙏

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  7. चर्चामंच पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय रेणु दीदी।आपकी सारगर्भित भूमिका बहुत प्रभावी है जो आपकी प्रचुर शब्दावली और वैचारिकी को दर्शाती है।
    बेहतरीन रचनाओं का चयन करते हुए एक पठनीय प्रस्तुति आपने सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की है। डिजिटल दुनिया में लेखन के सफल तीन वर्ष पूरे करने पर हार्दिक बधाई। हम उम्मीद करते हैं आपने लेखन में तीव्र गति आयेगी।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।


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    1. सादर आभार भाई रविंद्र जी। आपकी स्नेह भरी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत खास है। 🙏🙏🙏

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  8. रेणु जी आपको तो ऑनलाइन लेखन के 3 वर्ष हुए हैं हमारे तो सम्पूर्ण लेखन के भी 3 वर्ष नहीं हुए हैं।
    आपकी सारपूर्ण टिप्पणी का इन्तज़ार मुझे मेरी रचनाओ पर हमेशा रहता है।
    आपका तहे दिल से आभार आपने इतना मान सम्मान दिया जो इतने उच्च कोटि के साहित्यकारों के बीच मुझे जगह दी। मेरी ये भूली बिसरी रचना हो गयी थी। जिसमें आपने आज प्राण फुंक दिए।
    ☺️

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    1. प्रिय रोहितास, मेरा यही लेखन संपूर्ण लेखन है बंधु! आपकी लेखन शैली ब्लॉग जगत में अपनी
      अलग पहचान रखती है ।कोटि आभार इस स्नेह भरी उपस्थिति के लिए। 🙏😊

      हटाएं
  9. आपको अतिथि चर्चाकार के रूप में देखकर बहुत खुशी हुई।
    मन मोह लिया रेणु बहन आपकी शानदार प्रस्तुति ने ,मेरी रचना की पंक्ति शीर्ष पर देख मन गदगद हो गया ,
    आप कलम की धनी हैं बहुत सुंदर भूमिका बनाई है आपने सुंदर और सार्थक रचनाओं का चयन ।
    और आपके लेखन के तीन साल सभी उपलब्धियों के लिए बहुत बहुत साधुवाद और बधाई।
    बहुत सुंदर अंक सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को आपकी पसंद में देख बहुत खुशी हुई ।
    बहुत बहुत स्नेह आभार।

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    उत्तर
    1. प्रिय कुसुम बहन, आपकी स्नेह भरी विस्तृत प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ। आपकी ये रचना मुझे बहुत पसंद आई थी पर पिछले कुछ समय से व्यस्तता का दौर चल रहा है , सो इस प्यारी सी रचना पर प्रतिक्रिया ना दे सकी। इसलिए इस संकलन में से शामिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा। आपके स्नेह की ऋणी हूँ। कोटि आभार 🙏🙏🙏

      हटाएं
  10. प्रिय सखी रेणु जी की पसंदीदा रचनाएं सभी एट से बढ़कर एक हैंऔर चर्चा मंच की प्रस्तुति बहुत ही शानदार......।ब्लॉग जगत के सफलतम तीन सालो की बधाई एवं शुभकामनाएं सखी !

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    1. प्रिय सुधा जी, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के बिना मेरी हर प्रस्तुति अधूरी है। आपका ये निर्मल स्नेह मेरे लिए अनमोल है। आभार नहीं,हार्दिक शुभकामनायें आपके लिए। 🙏😊

      हटाएं
  11. प्रिये सखी रेणु ,सबसे पहले देरी से आने की क्षमा चाहती हूँ। आज तुम्हे चर्चामंच पर पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। सुंदर लिंको से सजी आज का बेहतरीन अंक हैं। सागर से चुन चुनकर मोती निकल लाई हो तुम। तुम्हे सफल लेखन के तीन वर्ष पुरे करने की हार्दिक बधाई सखी। ये लेखन अनवरत जारी रहे यही माँ सरस्वती से प्रार्थना हैं.सादर स्नेह सखी ,
    सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं एवं सादर नमन

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    1. प्रिय कामिनी, तुम्हारा स्नेह और प्रस्तुति पर उपस्थिति मेरे लिए प्रेरणा है। हार्दिक आभार सखी। तुम्हारा ये प्यार कभी कम ना हो। 🙏😊

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  12. बहुत-बहुत स्वागत है आदरणीया रेणु दीदी आपका चर्चामंच पर. आपका प्रस्तुतीकरण काबिलेतारीफ़ है. बहुत सुंदर भूमिका लिखी है आपने. प्रिय आँचल जी के लेखन की भूरि-भूरि प्रशंसा लाज़मी है. आँचल जी को शुभकामनाएँ.
    प्रस्तुति में बेहतरीन रचनाएँ चुनी हैं आपने. आपके ऑनलाइन लेखन के सफलतापूर्ण तीन वर्ष होने पर बधाई.
    मेरी रचना को आज की प्रस्तुति में शामिल करने के लिये सादर आभार दीदी.

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    1. हार्दिक आभार प्रिय अनीता। मेरा नाम भर है। ये सराहना तुम्हारी मेहनत की है। 😊😊

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  15. प्रिय अनीता, आज तुमने अपनी मेहनत से मुझे ये मान दिलाया उसके लिए आभारी रहूँगी ।तुमने मेरी भेजी सामग्री को मेल से दुबारा लिखकर जो मेहनत की मुझे याद रहेगी। कुसुम बहन की रचना की पंक्ति से सजाकर तुमने प्रस्तुति को विशेष बना दिया। यूँ ही आगे बढती रहो , मेरी दुआ है। 🙏😊

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  16. आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏। आज आपको चर्चा मंच पर एक चर्चाकारा के रूप में देखकर अत्यधिक हर्ष हुआ। प्रथम तो आपको ऑनलाइन लेखन के सफल और सुंदर तीन वर्ष पूर्ण करने की हार्दिक शुभकामनाएँ। श्री नारायण करें आप ऐसे और सुंदर वर्ष पूर्ण करते हुए शीर्ष तक जाए और हम सबको प्रभावित करती रहें। आपकी लेखनी में जो अथाह प्रेम,निश्छलता और पवित्रता है वो सदा ही मन को छू लेती है। और देखिए आपके भीतर का वही नेह कैसे मंच पर भी छलक उठा। आपकी सुंदर प्रस्तुति ने तो मन मोह लिया। और सभी चयनित रचनाएँ भी बहुत उत्तम 👌सभी को हार्दिक बधाई। मेरी रचना को आपकी इस सुंदर प्रस्तुति में स्थान प्राप्त हुआ ये मेरा परम सौभाग्य है।आपके नेह आशीष युक्त सुंदर शब्दों ने सदा ही मेरा खूब उत्साह बढ़ाया है। आपके नेह के आगे मेरा आभार बहुत छोटा है किंतु मेरे पास कहने को बस यही है अतः मेरा हार्दिक आभार और प्रेम पूर्ण सादर प्रणाम स्वीकार करें 🙏
    पुनः हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं संग शुभ रात्रि।

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  17. रेणु जी बेहतरीन और शानदार प्रस्तुति । सभी लिंक्स एक से बढ़ कर एक हैं । आपकी प्रस्तुति देख और पढ़ कर असीम हर्ष की अनुभूति हुई ।

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    उत्तर
    1. प्रिय मीना जी, आपके स्नेह की आभारी हूँ। 🙏🙏🙏

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