सुंदर और समसामयिक रचनाओं के साथ उत्तम प्रस्तुति। मेरी लघु कथा प्रीति का यह कैसा रंग को पटल पर स्थान देने के लिए आपका आभार दिलबाग जी। प्रेम दिवस का उल्लास हाई स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर युवाओं तक में छाया हुआ है। अपने शहर के प्राचीन पक्काघाट पर जो कि जो कि महिला सौंदर्य सामग्री के लिए अब नया पहचान रखता है, गर्लफ्रेंड के साथ 15 वर्ष से लेकर 20-22 वर्ष तक के किशोर एवं युवकों की चहलकदमी देखते ही बन रही है।
समय के साथ हमारे संस्कार बदल रहे हैं। शारीरिक आकर्षण को प्रेम समझ लिया जा रहा है जो अंततः घातक होता है। अभी दो माह पहले ही 17 वर्षीया लड़की की हत्या कर शव को लड़के ने अपने मित्र के सहयोग से और उसी की मोटर साइकिल से शास्त्री पुल से नीचे गंगा में फेंक दिया था। दोनों पढ़ने नगर में आए हुए थे । अच्छे परिवार के थे।
कहने का तात्पर्य है कि प्रेम और वासना में कंचन और कांच जैसा अंतर को समझने की जरूरत है और अभिभावक को अपने बच्चों को भी बिना झिझक इसे बताना चाहिए। प्रेम में बाधाएँ है नहीं होती हैं, उसका तो अंत बलिदान है। वहीं वासना में शारीरिक भूख है।
हाँ, यह कहना चाहूँगा कि आज मंच पर अपनी लघुकथा को पाकर अत्यंत हर्ष हुआ। ब्लॉक पर सूचना नहीं आई थी, फिर भी समसामयिक यह रचना चर्चा मंच पर दिख गई। इसके लिए बहुत-बहुत आभार भाई जी।
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।
सुंदर और समसामयिक रचनाओं के साथ उत्तम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी लघु कथा प्रीति का यह कैसा रंग को पटल पर स्थान देने के लिए आपका आभार दिलबाग जी।
प्रेम दिवस का उल्लास हाई स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर युवाओं तक में छाया हुआ है। अपने शहर के प्राचीन पक्काघाट पर जो कि जो कि महिला सौंदर्य सामग्री के लिए अब नया पहचान रखता है, गर्लफ्रेंड के साथ 15 वर्ष से लेकर 20-22 वर्ष तक के किशोर एवं युवकों की चहलकदमी देखते ही बन रही है।
समय के साथ हमारे संस्कार बदल रहे हैं। शारीरिक आकर्षण को प्रेम समझ लिया जा रहा है जो अंततः घातक होता है।
अभी दो माह पहले ही 17 वर्षीया लड़की की हत्या कर शव को लड़के ने अपने मित्र के सहयोग से और उसी की मोटर साइकिल से शास्त्री पुल से नीचे गंगा में फेंक दिया था। दोनों पढ़ने नगर में आए हुए थे । अच्छे परिवार के थे।
कहने का तात्पर्य है कि प्रेम और वासना में कंचन और कांच जैसा अंतर को समझने की जरूरत है और अभिभावक को अपने बच्चों को भी बिना झिझक इसे बताना चाहिए।
प्रेम में बाधाएँ है नहीं होती हैं, उसका तो अंत बलिदान है।
वहीं वासना में शारीरिक भूख है।
आप सभी को सादर प्रणाम।
हाँ, यह कहना चाहूँगा कि आज मंच पर अपनी लघुकथा को पाकर अत्यंत हर्ष हुआ। ब्लॉक पर सूचना नहीं आई थी, फिर भी समसामयिक यह रचना चर्चा मंच पर दिख गई। इसके लिए बहुत-बहुत आभार भाई जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लोई बहुत बहुत धन्यवाद, दिलबाग भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमयी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद और आभार,
आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
सुंदर प्रस्तुति आदरणीय दिलबाग जी द्वारा.बेहतरीन रचनाओं का चयन. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंकों से सजा सुंदर चर्चा अंक ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति! सभी रचनाकारों को बधाई| सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर. मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति संग सभी रचनाएँ बेहद उम्दा। सभी को हार्दिक बधाई।