मित्रों!
मौसम बदल गया है अब। बसन्त के का अन्तिम पर्व होली है। होलिकोत्सव में आप चीन के रंगों और अबीर का प्रयोग न करें। क्योंकि अबीर चीन के उसी भूभाग से आता है जहाँ कि कौरोना वायरस भयंकर महामारी का रूप ले चुका है। भारत में अधिकतर अबीर चीन से ही आता है। अतः एकबार पुनःकरबद्ध निवेदन है कि इस बार होली में अबीर का बिल्कुल भी प्रयोग न करें।
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सरकार द्वारा आवश्यक कदम न उठाने के कारण दिल्ली में शाहीनबाग के धरने को ढाई महीने से अधिक हो गया है। जिसके कारण प्रदर्शनकारियों के हौसले इस कदर बुलन्द हो गये हैं कि असामाजिक तत्वों ने दिल्ली के ही नहीं देश के भी कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन होने लगे हैं। सरकार का यह दायित्व है कि वह सख्ती के साथ इन गतिविधियों को काबू में करे। इसके साथ-साथ प्रबुद्ध नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि अपने क्षेत्र में ऐसी हरकतों की जानकारी मिलते ही शासन-प्रशासन को तुरन्त सूचित करेंं।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--Anita saini, गूँगी गुड़िया --
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मौसम बदल गया है अब। बसन्त के का अन्तिम पर्व होली है। होलिकोत्सव में आप चीन के रंगों और अबीर का प्रयोग न करें। क्योंकि अबीर चीन के उसी भूभाग से आता है जहाँ कि कौरोना वायरस भयंकर महामारी का रूप ले चुका है। भारत में अधिकतर अबीर चीन से ही आता है। अतः एकबार पुनःकरबद्ध निवेदन है कि इस बार होली में अबीर का बिल्कुल भी प्रयोग न करें।
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सरकार द्वारा आवश्यक कदम न उठाने के कारण दिल्ली में शाहीनबाग के धरने को ढाई महीने से अधिक हो गया है। जिसके कारण प्रदर्शनकारियों के हौसले इस कदर बुलन्द हो गये हैं कि असामाजिक तत्वों ने दिल्ली के ही नहीं देश के भी कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन होने लगे हैं। सरकार का यह दायित्व है कि वह सख्ती के साथ इन गतिविधियों को काबू में करे। इसके साथ-साथ प्रबुद्ध नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि अपने क्षेत्र में ऐसी हरकतों की जानकारी मिलते ही शासन-प्रशासन को तुरन्त सूचित करेंं।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--Anita saini, गूँगी गुड़िया --
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फूल खिले हैं डाल पे, महक उठा है बाग।
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ऐसे गले लगाऊँगा,
दुल्हन तुझे बनाऊँगा,
आना है मुझे तेरी गली,
डोली में बिठा कर ले जाऊँगा।
दुल्हन तुझे बनाऊँगा,
आना है मुझे तेरी गली,
डोली में बिठा कर ले जाऊँगा।
Nitish Tiwary,
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'खरगोश अभी तक नहीं दिखा' , एक सवाल आकर टंग गया हवा में...
Bhavana Lalwani, Life with Pen and Papers
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मन मौन हुआ जाता है
मुखर हुआ था सदियों पहले
शब्दों की चादर ओढ़े,
घर से निकला... घूम रहा था
अब लौटना चाहता है
शब्द काफी नहीं उसके लिए...
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
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लता लता को खाना चाहे
कहीं कली को निगले
शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे
जो रागों को निगले...
Anuradha chauhan, सैलाब शब्दों का
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महेन्द्र वर्मा, शाश्वत शिल्प -
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anita _sudhir, काव्य कूची
--उच्चारण
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शब्द-सृजन-10 का विषय है-
'नागफनी'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं.चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
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आज के लिए बस इतना ही...
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शब्द-सृजन-10 का विषय है-
'नागफनी'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं.चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
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आज के लिए बस इतना ही...
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बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंजब ऐसी बात है, तो सरकार को आगे आकर यह बयान जारी करना चाहिए कि इस बार लोग अबीर का प्रयोग न करें। जिला प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिया जाना चाहिए , अन्यथा अब तो अपने देश में अबीर लगाना एक कुप्रथा-सा है। दो-चार मुट्ठी अबीर जबरन ही सिर से लेकर गालों पर मल दिया जाता है।
जवाब देंहटाएं---
रही बात जहानाबाद कांड की तो ऐसी घृणित राजनीति तब तक होती रहेगी जब तक कतिपय प्रबुद्ध लोग जहर उगलते रहेंगे...।
अन्यथा तो आपसी सद्भाव के लिए आज भी हमारे देश में बहुत कुछ है.. मसलन, प्रशासनिक पहल पर अपने मीरजापुर में मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी तब लोगों की आँखों का तारा बन गयी ,जब महाशिवरात्रि के जुमे के दिन उसने दरियादिली दिखाते हुये घनघोर मुस्लिम इलाके से गुजर रहे देवाधिदेव महादेव के जुलूस का खैरमकदम गजरा और सद्भाव के पुष्पों से किया जो एक अनूठी पहल रही।
गुरुजी, आपने समसामयिक भूमिका के माध्यम पाठकों को बेहद महत्वपूर्ण जानकारी एवं सुझाव दिया है। साथ ही रचनाएँ भी खूबसूरत है नीतीश जी का सृजन बेमिसाल है।
बहुत सुंदर लिंक्स, बेहतरीन रचनाएं, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना ,बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक सर ,आपने बहुत ही महत्वपूर्ण विषय की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करवाया हैं ,डरना जरुरी हैं।
जवाब देंहटाएंवैसे भी " सतर्कता गई दुर्घटना हुई " हमें इन दोनों संवेदनशील बातों के लिए हर पल सतर्क रहना ही होगा।
हमें जागृत करने के लिए आभार आपका ,सादर नमस्कार सर
अच्छी रचनाओं का सुन्दर संकलन .
जवाब देंहटाएंआभार .
सादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु.
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन और लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएं