स्नेहिल अभिवादन।
रविवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है
मेहंदी के पौधे के निकट से गुज़रना ख़ुद को एक महक से सुवासित करने जैसा लगता है. मेहंदी जब हाथों पर रचती है तब आकर्षण का विशेष कारण बनती है इसीलिए इसे सोलह शृंगार में समाहित किया गया है. हिना अब एक सांस्कृतिक पहचान-सी हो गयी है. विभिन्न त्योहारों और विशेषकर करवाचौथ के मौक़े पर मेहंदी की चर्चा सबको आकर्षित करती है. विवाहोत्सवों में मेहंदी की रस्म अब एक प्रिय आयोजन बन गया है. रचनाकारों का मेहंदी के प्रति विशेष आकर्षण किसी से छिपा नहीं है.
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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ठहर जा, दो पल, ऐ चाँद जरा,
अंधेरे हैं घने, तू लड़, कुछ और जरा,
भुक-भुक सितारों, संग खड़ा,
हो मंद भले, तेरे दामन की रौशनी,
पर, तू है चाँदनी,
कोशिशें, कर तू रात भर!
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प्रेम ना बाड़ी उपजै_____लेख
दूर देश भेजती समाचार।
सुलझाती है हर कारोबार।
ज्ञानी इसको करते स्वीकार।
ज्ञान से यह भरती है भंडार
चांद सा चेहरा तेरा उस पर जुल्फों का आना,
तेरा उन्हें पकड़ना बाधना, फिर खोलना
मेरा यूं तेरे को टकटकी लगा कर देखना ।
तेरी अदाओं पर मेरा पिघलना सांसो का थमना,
मेरे पर काबू ना होना
हाय कमबख्त मुझे एक तरफा मोहब्बत का होना...
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आभार आपका, अनिता जी।
जवाब देंहटाएंमेहंदी से संबंधित भूमिका मनभावन है। स्मरण हो आया कि महिलाओं से जुड़े ऐसे पर्वों पर जब माँ, मम्मी और मौसी तीनों को ही मेहंदी बचपन में मैं ही लगाया करता था।
जवाब देंहटाएंहाँ, स्नेह के उस नश्वर संसार से आज मुक्त हूँ।
सत्य तो यही है कि मेहंदी का रंग वही चटक दिखता है, जहाँ दांपत्य जीवन में पति-पत्नी के मध्य ऐसा संकल्प होता है --
साझा संकल्प तो यही लिया था
कि,मार देंगे
संघर्ष के गाल पर तमाचा
और जीत के जश्न में
हंसते हुए
एक दूसरे में
डूब जायेंगे
अपन दोनों---
इस सुंदर प्रस्तुत के लिए नमन अनीता बहन। आज तो पुरुषोत्तम जी रेणु दी सहित कई प्रमुख रचनाकार मंच पर हैं।
बहुत आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक।सभी रचनाएँ बहुत सुंदर, मनभावन एवं भावपूर्ण । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।मेरी रचना को साझा करने के लिए सादर धन्यबा एवं आभार।
जवाब देंहटाएंसदैव की भाँति शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा को लगाने में आप बहुत मेहनत करती है आनीता जी।
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आभार आपका। सुप्रभात।
पढने वालों के लिए बेहतरीन अंक है आज का. मंजे हुए साहित्यकारों से नौजवान साहित्यकार लौहा ले रहे हैं.
जवाब देंहटाएंमुचे चर्चा मंच का हिस्सा बनने में हमेशा गर्व महसूस होता है. यहाँ बहुत बड़े बड़े नामी-ग्रामी ब्लॉगर हस्ती मौजूद है लेकिन इनकी पहुंच किसी भी कारण से नये ब्लॉग या लिंक्स दिए गये ब्लॉग तक नहीं हो पाती. इसका आने वाले ब्लॉग जगत के लिए उदासीनता का भाव पैदा होता है, जो नुकसानदायक है.
हमें जल्द से जल्द सुध लेने की आवश्यकता है.
सार्थक और सटीक बात कही है
हटाएंबेहतरीन लिंक्स का चयन किया है आज आपने अनीता जी... सभी चयनित लिंक्स में प्रेम की ठंडी फुहारे पड़ रही है, ना तो राजनीतिक आपाधापी और ना ही आध्यात्मिक हो जाने का भाव.. बस एक पुरसकून एहसास हुआ मन को आज के लिंक को पढ़ना शुरू किया..तब।
जवाब देंहटाएंवाकई में रिश्तो और प्रेम के मध्य छोटी मोटी चुहल के बीच से गुजरता हुआ सामान ऐसा एहसास हुआ इन्हें पढ़कर आपको इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाई...💐👌👍
मेंहदी, प्रेम और महावर की सार्थकता के साथ लिखी गयी भूमिका आज के लिंक की जान है.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं प्रेम के शीरे से पगी हैं, सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
आपको शानदार जानदार प्रस्तुति के लिए
साधूवाद
सादर
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रिय अनीता जी ,सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ,सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर, सार्थक प्रस्तुति प्रिय अनीता। भूमिका उल्लेखनीय और भावपूर्ण है। मेहंदी संग नारी मन की भावनाओं के रंग खिलते है। बहुत अच्छी भूमिका लिखी तुमने। मेरे निबंध को भी आज की चर्चा में लाने लिए बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया मैम।सभी रचनाएँ बहुत सुंदर। सादर प्रणाम
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