स्नेहिल अभिवादन।
विशेष रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शब्द-सृजन-9 का विशिष्ट अंक लेकर हाज़िर हूँ।
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शब्द-सृजन में हमने विषय दिया था 'मेहंदी'/'हिना' जिस पर उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन हुआ है। दोहे, कविता, लेख, संस्मरण, हाइकु आदि विधाओं में रची गयीं बेहतरीन रचनाएँ सम्मिलित हुईं हैं
आज के अंक में।
मेंहंदी जिस तरह हाथों को रचती और महकाती है उसी तरह हमारी स्मृतियों में रच-बसकर जीवन रंग-विरंगे आयामों में समेटती हुई ऊर्जस्वित बनाये रखती है। आज मेहंदी एक सांस्कृतिक उत्सव का अंग बन चुकी है। समाज में मेलजोल बढ़ाती,रंग बिखराती हमें सकारात्मक ऊर्जा से भरती है। मेहंदी में निहित रंग हमें सीख देता है कि अपने मूल्य अंतरनिहित रखने से ही जीवन गुणकारी,रसमय और सुखमय बनता है।
-अनीता सैनी
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आइए पढ़ते हैं आपके द्वारा सृजित मेहंदी पर विभिन्न विधाओं की रचनाएँ-
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विशेष रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शब्द-सृजन-9 का विशिष्ट अंक लेकर हाज़िर हूँ।
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शब्द-सृजन में हमने विषय दिया था 'मेहंदी'/'हिना' जिस पर उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन हुआ है। दोहे, कविता, लेख, संस्मरण, हाइकु आदि विधाओं में रची गयीं बेहतरीन रचनाएँ सम्मिलित हुईं हैं
आज के अंक में।
मेंहंदी जिस तरह हाथों को रचती और महकाती है उसी तरह हमारी स्मृतियों में रच-बसकर जीवन रंग-विरंगे आयामों में समेटती हुई ऊर्जस्वित बनाये रखती है। आज मेहंदी एक सांस्कृतिक उत्सव का अंग बन चुकी है। समाज में मेलजोल बढ़ाती,रंग बिखराती हमें सकारात्मक ऊर्जा से भरती है। मेहंदी में निहित रंग हमें सीख देता है कि अपने मूल्य अंतरनिहित रखने से ही जीवन गुणकारी,रसमय और सुखमय बनता है।
-अनीता सैनी
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आइए पढ़ते हैं आपके द्वारा सृजित मेहंदी पर विभिन्न विधाओं की रचनाएँ-
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हल्की गुलाबी मेहँदी रची तो दूल्हा मिलेगा हसींन
गहरी रची तो आएगा ऐसा होगा जो मन का रंगीला
ये हैं निशानी सुहाग की ,लाली इसमें अनुराग की।
कुआँ किनारा~
मेहंदी पत्ता तोड़े
नन्ही बालिका।
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प्रफुल्ल की कोशिश यही होती थी
कि वह अपनों को प्रसन्न रखे।
स्नेह भरे संबंधों पर कृत्रिमता का रंग न चढ़ने
पाए और वह बिल्कुल हिना के
रंग की तरह सुर्ख हो..।
रंग की तरह सुर्ख हो..।
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मेहंदी
दुल्हन की डोली सजती,
पिया को लुभाती है मेहंदी
पुरातन काल से रचती आ रही मेहंदी
उल्लास से हाथों में सजती आ रही मेहंदी।
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मेंहदी तेरे रूप अनेक
मेहंदी
दुल्हन की डोली सजती,
पिया को लुभाती है मेहंदी
पुरातन काल से रचती आ रही मेहंदी
उल्लास से हाथों में सजती आ रही मेहंदी।
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मेंहदी तेरे रूप अनेक
जब मेंहदी हाथों में लगी होती
तो अम्माँ बड़े प्यार से
अपने हाथों से हमें खाना खिलातीं !
पैरों में लगी होती
तो सारा घर हम लोगों के काम के लिए
तैयार रहता मजाल नहीं थी
किसीकी जो कोई मना कर दे
किसी भी काम के लिए !
उन दिनों हम लोगों
का रुतबा रानी महारानियों
जैसा हो जाया करता था !
अपने हाथों से हमें खाना खिलातीं !
पैरों में लगी होती
तो सारा घर हम लोगों के काम के लिए
तैयार रहता मजाल नहीं थी
किसीकी जो कोई मना कर दे
किसी भी काम के लिए !
उन दिनों हम लोगों
का रुतबा रानी महारानियों
जैसा हो जाया करता था !
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मेंहदी
मेंहदी
मेंहदी का रंग जितना गहरा होता
गहन प्यार की गवाही देता
रचाई गयी कलात्मक मेंहदी से
लिखा जाता हथेली पर
प्रियतम का नाम
बादलों ने ली अंगड़ाई
खिलखिलाई ये धरा भी।
ताकती अपलक अम्बर को
गुनगुनाई ये धरा भी।
**
रची थी हाथों में मेंहदी
नारी का असीम स्नेह है मेहंदी,
प्रीतम का अगाध प्यार है मेहंदी।
बिना मेहंदी कोई रौनक नहीं,
त्यौहारों की शान है मेहंदी।
**
लौट आना
अब लौट आओ,
देखो ना !
मेरे लहूलुहान हाथों पर
मेंहदी का रंग है,
और मेहनत का भी !!!
लौट आओ !!!
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रची थी हाथों में मेंहदी
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मेहंदी के रंग नारी का असीम स्नेह है मेहंदी,
प्रीतम का अगाध प्यार है मेहंदी।
बिना मेहंदी कोई रौनक नहीं,
त्यौहारों की शान है मेहंदी।
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लौट आना
अब लौट आओ,
देखो ना !
मेरे लहूलुहान हाथों पर
मेंहदी का रंग है,
और मेहनत का भी !!!
लौट आओ !!!
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तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में
रख दी थी मैंने
अपनी भट्ट पड़ी हथेली
और तुमने
महावर लगे पांव
रख दिये थे
मेरे खुरदुरे आंगन में
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शरद चाँदनी से उजले हाथों में,
मेहंदी के मोहक उठाये पात,
पुलकित हृदय से इठलायी,
हर्षित फ़ज़ा से झूमी साँझ।
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आज का सफ़र यहीं तक,
फिर मिलेंगे आगामी शनिवार।
अनीता सैनी
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आज का सफ़र यहीं तक,
फिर मिलेंगे आगामी शनिवार।
अनीता सैनी
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मेहंदी पर सुंदर संकलन एवं भूमिका भी बेजोड़ है। मंच पर मेरे लेख का स्थान देने के लिए आपका आभार अनीता बहन..।
जवाब देंहटाएंइस लौकिक जगत में मेहंदी का रंग जिस पर न चढ़ा हो, उसके लिए यहाँ है ही क्या ?
परंतु हाँ, मेहंदी की तरह त्याग भी करना हमें आना चाहिए , जो स्वयं कठोर पत्थर पर घिस कर भी औरों के उदास (सूने ) हाथों को प्रीति के रंग से सुर्ख़ ( लाल ) कर देती है।
अपनों की स्नेह की दुनिया बनी रहे, इसके लिए मेहंदी अपना सर्वस्व बलिदान कर देती है।
इसी के साथ सभी वरिष्ठ रचनाकारों को सादर प्रणाम।
सुंदर सृजन और शानदार संकलन
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन |मेरी रचना मेंहदी को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
बहुत सुन्दर और उपयोगी लिंकों का संगम।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
बेहतरीन भूमिका अनीता जी ,मेहँदी की रंग और खुशबू को बिखेरता लाज़बाब प्रस्तुति ,मेरी रचना को मान देने के लिए दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
वाकई मेंहदी का श्रृंगार में अपना एक महत्व है और
जवाब देंहटाएंजीवन सारगर्भिता का प्रतीक है.
बहुत सुंदर भूमिका लिखी है आपने बधाई
सम्मिलित सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर
बहुत ही सुंदर रचनाएँ सृजित हुई हैं। मेंहदी ना केवल स्त्रियों के श्रृंगार का साधन है वरन एक शीतल औषधि है। मेरी रचना को स्वीकारने हेतु चर्चामंच एवं अनिताजी का बहुत बहुत आभार। बेहतरीन भूमिका और बहुत सुंदर अंक है। सादर।
जवाब देंहटाएंमेंहदी पर आधारित सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक ! मेरी प्रस्तुति को आपने सम्मिलित किया आपकी हृदय से आभारी हूँ अनीता जी ! सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
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