स्नेहिल अभिवादन।
विशेष शनिवारीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
बयार अर्थात बहती हुई मोहक सुखदायी हवा. अलग-अलग ऋतुओं में बयार की तासीर पृथक-पृथक ढंग से प्रकृति में अपना असर दर्शाती है. सर्वाधिक चर्चित है बसंती बयार. प्रकृति जब फूल-पत्तों, रंग-बिरंगी लहलहाती फ़सलों, मयूर का नृत्य, कोयल की मधुर कूक और मधुमास में अंतरमन को छूती मनभावन बसंती बयार परिवेश को रुमानी बना देती है.
आइए पढ़ते हैं बयार शब्द पर शब्द-सृजन-6 के लिये प्राप्त रचनाएँ-
-अनीता सैनी
**
**
तभी उसे अपने जीवन के एक और कठोर सत्य का सामना करना पड़ा
जिस स्नेह पुष्प को बसंत समीर ने महीनों में खिलाया था,
उसे संदेह की लू का एक झोंका पलक झपकते ही जला कर राख कर देता है..
**
बयार
जब चली वासंती बयार
मंद गति से वन उपवन में
बाग़ में आई बहार
धरती ने किया नव श्रृंगार ओढ़ी चूनर धानी
दी सूचना वसंत आगमन की |
**
बसंत गीत
मन के वातायन
**
ये हवाएं
हवा हूँ हवा मैं
बसंती हवा हूँ
बड़ी बावली
बड़ी मस्तमौला।
नहीं कुछ फिकर हैं
बड़ी ही निडर हूँ।
जिधर चाहती हूँ ,
उधर घूमती हूँ।
बयार आज अचानक कुछ-कुछ..
चिरायंध गंध से है क्यों बोझिल
शायद गाँव के हरिजन टोले में फिर
लाए गए किसी श्मशान से अधजले बाँस में
बाँध कर पैर चारों किसी जिन्दा सूअर के
लटका कर उल्टा उसे है पकाया जा
रहा पर .. साहिब !... आवाज़ तो रिरियाने की
**
Sharad Singh
घेरे में धूप
गाँठ बँधी हल्दी से दिन,
खिड़की में
झाँकते पलाश
फूलों की देह चुभे पिन,
माँझी के
साथ खुली नाव
धाराएँ,मौसम प्रतिकूल ।
आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
शब्द-सृजन का यह अंक अत्यंत सराहनीय है। सशक्त भूमिका और संबंधित रचनाओं से सजा यह मंच निश्चित ही आज ब्लॉग जगत में चर्चा का विषय होगा। इन्हीं श्रेष्ठ रचनाओं के मध्य मेरे भी लेख को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ अनीता बहन।
जवाब देंहटाएंवैसे तो, प्रकृति ने जिन बयारों का सृजन कर रखा है, मौसम परिवर्तन के साथ उसकी अनुभूति हमें होती है, परंतु हम इंसानों ने भी एक सियासी बयार का निर्माण कर रखा है।
यह बयार इतनी शक्तिशाली होती है कि तनिक -सी जुबां खुली नहीं कि समाज में उथल-पुथल मची जाती है। आम चुनाव में इस इस राजनैतिक बयार के समक्ष बड़े से बड़े प्रभावशाली राजनेता नतमस्तक होते हैं।
मुझे याद है कि अपने जनपद में ऐसे भी जनप्रतिनिधि पूर्व में हुये , जिन्हें सही मायने में विकास पुरुष कहा जा सकता है , किन्तु वे जातीय और मजहबी बयार के समक्ष चुनाव हार गए ।
अपने क्षेत्र में विकास पुरुष के प्रर्याय रहे एक माननीय से कभी मैंने जब पूछा था कि मंत्री जी, आपके पराजय का क्या कारण है, तो उन्होंने सिर्फ एक वाक्य में कहा कि हवा का रुख बीते एक सप्ताह में बदल गया और उनके सारे विकास कार्य उसमें बह गए।
अतः छल प्रपंच से कतिपय राजनेताओं द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले इसी सियासी बयार से हमें सावधान रहना होगा।
आपसभी वरिष्ठ रचनाकारों को प्रणाम।
खूबसूरत लिंक्स
जवाब देंहटाएंशब्द सृजन के अन्तर्गत शब्द विशेष "बयार" पर बहुत अच्छे लिंक आपने प्रस्तुत किये है।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और शुभाशीष।
लाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक से सजा शब्द -सृजन का आज का अंक |पढ़ने में मजा आ गया |
जवाब देंहटाएंवाह!!प्रिय सखी अनीता ,सुंदर लिंकों से सजा अंक .
जवाब देंहटाएंआज तो चर्चा मंच पर ही मधुमास आ गया हैं ,ये बासंती बयार सुकून दे रहा हैं ,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार अनीता जी
सभी रचनाकारों को ढेरो शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
वाह बसंत की बयार का जादू तो चर्चा मंच पर भी छा गया। बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया मैम। सभी रचनाएँ बहुत सुंदर। सभी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंआप सभी का हार्दिक आभार |अनीता जी आपका विशेष आभार अपने गुलदस्ते में शामिल करने हेतु |
जवाब देंहटाएंबसंत सी बसंती बयार लिए मोहक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक चयन।
सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
बहुत सुंदर बासंती बयार की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबयार विषय पर शानदार भूमिका के साथ एक से बढ़कर एक रचनाओं का सृजन हुआ है.
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.