चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को
विषय विशेष पर आधारित चर्चा
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शब्द-सृजन-7 का विषय होगा -
विषय विशेष पर आधारित चर्चा
"शब्द-सृजन" के अन्तर्गत
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी।
आगामी शब्द-सृजन-7 का विषय होगा -
'पाँखुरी'/ 'पंखुड़ी'
इस विषय पर अपनी रचना का लिंक सोमवार से शुक्रवार
(शाम 5 बजे तक ) चर्चामंच की प्रस्तुति के
कॉमेंट बॉक्स में भी प्रकाशित कर सकते हैं।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कल चर्चा मंच की चर्चाकार
अनीता लागुरी "अनु" का भी जन्मदिन था
किन्तु जानकारी न होने के कारण
शुभकामनाएँ भी न दे पाये।
खैर देर आयद-दुरुस्त आयद।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
अनीता लागुरी "अनु" के ब्लॉग
"अनु की दुनिया" की
कुछ पोस्टों का लिंक प्रस्तुत है-
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बिट्टू
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
यूँही बहारों संग बह जाऊँरंगो से अपने सब मन छू जाऊँगमो को भुलाकर फ़िर से उड़ जाऊँचुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ...
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कल चर्चा मंच की चर्चाकार
चर्चाकार (शुक्रवार)
अनीता लागुरी "अनु" का भी जन्मदिन था
किन्तु जानकारी न होने के कारण
शुभकामनाएँ भी न दे पाये।
खैर देर आयद-दुरुस्त आयद।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
अनीता लागुरी "अनु" के ब्लॉग
"अनु की दुनिया" की
कुछ पोस्टों का लिंक प्रस्तुत है-
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बिट्टू
बिट्टू!!!
का री नादान गुड़ियाँ,
चल पास आ मेरे
तेरी धमा चौकड़ी थमती नहीं
तेरे बालों में आ तेल लगा दूँ
कसकर एक जुड़ा बना दूँ
बींधते है जो नज़र तुझे
उन ऩजरों से बचाकर
माथे में एक काला टीका लगा दूँ...
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बुधवार, 27 दिसंबर 2017
कुछ अनचाहा हुआ था....
दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में
कुछ अनचाहा हुआ था
चिथड़ों में बांधे उसे कोई छोड़
गया था..!
उठा अंधेरे का फ़ाएदा
बना गुनाहों की गठ्ठरी
क्योंकर कोई फेंक गया था...
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गुरुवार, 29 मार्च 2018
भ्रम के सिक्के
आज फिर वो एक
भ्रम को पाले उठेगा
उठा के गमछा,कुदाल
पी के सत्तु का घोल
चल देगा सड़क की ओर
और लगेगा ताकने,
उस ओर , जहां आते हैं
लोग मज़दूरों को चुनने...
भ्रम को पाले उठेगा
उठा के गमछा,कुदाल
पी के सत्तु का घोल
चल देगा सड़क की ओर
और लगेगा ताकने,
उस ओर , जहां आते हैं
लोग मज़दूरों को चुनने...
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भूख का चल रहा वह भीषण दौर भयावह था,
चीख़ती आवाज़ें अंतरमन की अकेलेपन के नुकीले दाँत,
वसंत में फूटती मटमैली-सी मन की अभिलाषा,
मैं जीवन का सारा सब्र चबा चुकी थी...
Anita saini, गूँगी गुड़िया
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आ गया बसंत
अल्हड़ मन पर छा गया बसंत ,
प्रकृति के प्रवाह में
होता नहीं कोमा या हलंत।
उत्सव मनाओ कुदरती मेलों में
जिओ सजीव बसंत ,
पोस्टर ,कलेंडर ,फिल्मांकन,अंतर्जाल में
हम ढूँढ़ते हैं आभासी निर्जीव बसंत।
@रवीन्द्र सिंह यादव
अल्हड़ मन पर छा गया बसंत ,
प्रकृति के प्रवाह में
होता नहीं कोमा या हलंत।
उत्सव मनाओ कुदरती मेलों में
जिओ सजीव बसंत ,
पोस्टर ,कलेंडर ,फिल्मांकन,अंतर्जाल में
हम ढूँढ़ते हैं आभासी निर्जीव बसंत।
@रवीन्द्र सिंह यादव
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत
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चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
हौले से मन के पंख फैलाऊँपंख फैलाकर मस्त उड़ जाऊँचुपके चुपके चुपके चुपकेचुपके से तितली मैं बन जाऊँ
यूँही बहारों संग बह जाऊँरंगो से अपने सब मन छू जाऊँगमो को भुलाकर फ़िर से उड़ जाऊँचुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ...
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एक अधूरी कविता,सोचा कल पूरी करुंगी
अधूरी इसलिए कि भाव और विचार
आए और चले गए , कल ही की तरह
कल का क्या ? आज के बाद
रोज ही आता है और रोज ही जाता है
कल कभी आया नही और
कविता पूरी हुई नही...
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" प्यार क्या है ? " सदियों से ये सवाल सब के दिलो में उठता रहा है और सदियों तक उठता रहेगा। सबने इस सवाल का जबाब ढूढ़ने की पूरी कोशिश भी की हैं। " प्यार" शब्द अपने आप में इतना व्यापक और विस्तृत है कि इसकी व्याख्या करना बड़े बड़ों के लिए भी काफी मुश्किल रहा है तो मेरे जैसे छोटे कलमकारों की क्या बिसात जो इसके बारे में कुछ लिखे .लेकिन फिर भी मैं ये हिमाकत कर रही हूँ। अपने जीवन के अनुभव से जो कुछ भी मैंने जाना और समझा है वही आप सब से साझा कर रही हूँ। .और पढ़िए...
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Rewa Tibrewal, प्यार
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गगन शर्मा, कुछ अलग सा
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Anita, डायरी के पन्नों से
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पी.सी.गोदियाल "परचेत", 'परचेत'
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संजय कौशिक विज्ञात,
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बहुधा, गिनता रहता हूँ, पल-पल,
बस यूँ, चुपचाप!
सूनी राहों पर, वो पदचाप!
लगता है, इस पल तुम आए हो,
यूँ बैठे हो, पास!
सुखद वही, इक एहसास,
तेरा ही आभास,
और चुप-चुप,
सूनी राहों पर, वो पदचाप...
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा,
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Asha Lata Saxena, Akanksha
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चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’, अंदाज़े ग़ाफ़िल
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virendra sharma, कबीरा खडा़ बाज़ार में
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अन्त में मेरे जन्मदिन पर
अपने सभी सहयोगियों, इष्ट-मित्रों,
पाठकों और परिवारीजनों का
हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ-
सुख से बीते आज तक, मेरे सभी बसन्त।
देने को शुभकामना, आते हैं श्रीमन्त।।
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दिल से निकली भावना, है सच्चा उपहार।
जन्मदिवस पर सभी का, करता हूँ आभार।।
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सुंदर चर्चा और विविध विषयों पर रचना भी..
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा " बड़े लोग" को मंच पर स्थान देने केलिए आपका आभार गुरु जी।
आज फिर वो एक
भ्रम को पाले उठेगा
उठा के गमछा,कुदाल
पी के सत्तु का घोल
चल देगा सड़क की ओर..
अनु जी की यह रचना प्रभावित करने वाली है।सुबह जब में दुर्गा मंदिर से गुजरता हूं तो ऐसे ही मजदूर काम की तलाश में खड़े रहते हैं प्रातः 5 बजे से...ये सभी कसरहट्टी के मजदूर हैं...
पुनः 9 बजे राजगीर मिलते हैं..चंद पैसों के लिए हर दिन इनकी बोली लगती है। जिस दिन काम मिला उस दिन साढ़े तीन - चार सौ मिलते हैं।
परंतु मैं इन्हें स्वयं से अच्छा समझता हूँ। पत्रकार हो कर भी जीवन में किसी दिन मैं इतना कभी नहीं कमा सका , क्योंकि हमारी बिरादरी को डाका डालने का अघोषित लाइसेंस जो मिला है।
भूखे मरो या जुगाड़ करो.. ऐसी हमारी जिंदगी है।
और उस निम्न- मध्यवर्ग का कोई नहीं सोचता , जिससे प्रतिदिन प्रतिष्ठा पर 12 घंटे काम लिया जाता और मिलता कितना मात्र 5-6 हजार प्रतिमाह।
उस अध्यापक पर कोई नहीं लिखता जिसके पास तमाम डिग्रियाँ है, पर वेतन है 6-7 हजार।
सादर।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजो मिला, हर कोई खा गया नग्न करके,
जवाब देंहटाएंइस पडाव पे आके अब किस-किस को कोसे हैं,
आलू सी बनकर रह गई है जिन्दगी,
अंदर उबला हुआ, बाहर से लिपटे हुए पकोड़े-समोसे हैं । :-)
आभार आपका चर्चा मे मुझे शामिल करने के लिए।
सुन्दर विविध व बेहतरीन रचनाओं का समावेश। हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर |
.. आदरणीय शास्त्री जी, अभी मैं ब्लॉग पर आई और यहां अपनी कविता को सबसे शीर्ष पर देखा. पल भर को आश्चर्यचकित हो गई आप की ओर से चर्चा मंच की ओर से यह मेरी अब तक की सबसे अच्छी साहित्यिक तोहफे कह सकती हूँँ इसे..... चर्चामंच की लोकप्रियता और गुणवत्ता से सभी परिचित है और इस ब्लॉग में चर्चा कारा के रूप में जुड़े रहना यह भी बहुत बड़ी उपलब्धि है एक और बार मैं आपको और अपने सभी चर्चामंच के आदरणीय एवं सहयोगियों को अपनी ओर से दिल से धन्यवाद कहती हूँँ.
जवाब देंहटाएंहम सबों लोग का चर्चा मंच का यह सफर य यूँँही साहित्यिक गतिविधियों के साथ बढ़ता रहे, यही दुआ करुंगी और सभी चयनित रचनाएं बहुत अच्छी है हालांकि अभी मैंने पढ़ा नहीं है अभी पढूंगी.।🙏
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक सर ,मेरी एक पुरानी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार आपका,सादर नमन
जवाब देंहटाएंप्रिये अनु को एक बार फिर से ढेरों शुभकामनाएं,आप स्वस्थ रहें खुश रहें
विविध सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।मेरी पुरानी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। अनु जी के लिये शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री द्वारा। सभी रचनाएँ अपनी विशिष्टताओं के साथ। रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना चर्चा हेतु शामिल करने एवं शीर्षक के रूप में प्रस्तुत करने हेतु सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।
अनु जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। उनकी लेखनी को पैनी धार मिले।
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सर। सभी चयनित रचनाएँ बेहद उत्क्रष्ट। रचनाकारों को खूब बधाई। मेरी पुरानी और साधारण सी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंआदरणीया अनु दीदी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सभी को सादर प्रणाम 🙏
बहुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन।
सभी रचनाकारों को बधाई।