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शुक्रवार, फ़रवरी 07, 2020

"गमों के बोझ का साया बहुत घनेरा "(चर्चा अंक - 3604)

स्नेहिल अभिवादन।
         हम भारतीयों की एक विशिष्टता सदैव से रही है कि हम अपने खानपान की गुणवत्ता को लेकर हमेशा सचेत रहते हैं। उत्तम तरीके से तैयार की गयी खाद-सामग्री हमारी प्रथम प्राथमिकता होती है भले ही आर्थिक स्थिति आड़े आती हो परंतु हमारे खाने-पीने की परंपरा की वजह से न तो हमारे देश में और न ही अन्य पड़ोसी देशों में कभी किसी वायरस ने तांडव मचाया होगा। 
 पड़ोसी देश चीन में अवतरित घातक कोरोना वायरस धीरे-धीरे कई देशों में प्रवेश कर रहा है और यह बीमारी इतनी घातक सिद्ध हो रही है कि इसका इलाज आसानी से उपलब्ध नहीं है व इसके नियंत्रण पर भी मुश्किल आ रही है। क्या कहें अब पड़ोसियो सचेत हो जाओ। ये चले तो चले चांद तक वरना गली के आंगन में फुस्स् हो जाने वाली  बीमारियों से बचें।
यही प्रयास करें कि हमेशा खाद्य पदार्थ को अच्छे से पकाकर ही खाया जाए ...आज बस यही कहूंगी कि  सभी स्वस्थ रहें और अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखें।
आइए चले आज की रचनाओं की ओर-
            अनीता लागुरी 'अनु'
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जिसका डर था वही हुआ..
.सामने महिला की गोद में खेल रहा बचा रो दिया
और रेल की रफ़्तार में हिलते गुरदीप के विचारों की
रेलगाड़ी का मोनोलॉग भी टूट गया। कुछ बातें कह दी,
कई बातें रह गई! नदीम की सांस में सांस
आई कि तभी गुरदीप ने कहा...
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 My Photo
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यह बात एकदम सकते हैं कि जो व्यक्ति अकेला होना और अकेले में 
रोना वह इंसान को बहुत मजबूत बनाता है पर कई बार इंसान टूट भी जाता है 
अकेलेपन के कारण इसलिए अपनों को टाइम जरूर दें क्योंकि रिश्तो की 
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काश वो और समाज के सारे ऐसी सोच वाले लोग ये समझ पाते कि माता-पिता
हमारे बुजुर्ग हमसे बस थोडे से प्यार, सम्मान और देखभाल की उम्मीद करते हैं,
 और ये हमारा सौभाग्य ही है कि हमे उनकी थोडी सी भी सेवा का
या साथ रहने का मौका मिले।
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मेरा भारत महान

कहाँ जागे हुंकार भरी स्वामी विवेकानन्द ने
 हमने तब भी यकीन नहीं 
किया आज भी जगाया जा रहा है 
हम इधर-उधर ताकने लगते हैं 


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"सायली छन्द"
My Photo
अनचीन्हे  संदली ख्वाब सीप में मोती जैसे पनपतेप्रतिपल...  🍂🍁🍂🍁🍂🍁
बसंत....!!  
 
चितेरा कागा सुनाये बेसुरा आलाप

कोयल पपीहा बुलबुल लगाये उसे डाँट

फूलों के गुच्छे में सहेजकर ख़त
पाहुन का संदेशा लेकर आये बसंत
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कोशिश
सच की ओर
कुछ कदम
लिखने
की
होती है

कोशिश
जारी
रहती है

जारी
रहनी चाहिये 


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आज का सफ़र यही तक 
फिर मिलेंगे आगामी अंक में 
अनीता लागुरी 'अनु '

19 टिप्‍पणियां:

  1. विविध रचनाओं से सजा मंच लुभाने वाला है।
    और भूमिका भी समसामयिक है, क्योंकि जब भी ऐसी किसी खतरनाक बीमारी की पदचाप सुनाई देती है, एक भय का वातावरण सृजित हो जाता है।
    जैसे-जैसे विज्ञान का विकास हो रहा है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक कार्य हो रहे हैंं, वैक्सीन आदि का निर्माण हो रहा है , वैसे- वैसे नए-नए वायरस उसे चुनौती दे रहे हैं।
    परंतु सत्य यह भी है कि चुनौतियाँ ही मनुष्य को उसकी अपरिमित शक्तियों के प्रति जागरूक बनाती हैं।
    इन्हीं शब्दों के साथ सभी को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद शशि जी ....जी बिल्कुल सही कहा आपने भय का माहौल हमारे देश के साथ साथ अन्य पड़ोसी देशों में भी शुरू हो चुका है परंतु इस तरह की बीमारियों के मामले में जब बीमारी धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में फैलने लगे तो बहुत बड़ी चिंता की बात हो जाती है। अगर आज किसी घातक बीमारी के लिए वैक्सीन तैयार हो जाती है तो फिर कुछ दिनों के बाद कोई और घातक बीमारी पहचान में आ जाती है इसी तरह से क्रम चलते जा रहा है वो कहने के इसके पीछे हम लोगों का गलत ढंग से खानपान रहन-सहन प्रकृति को नुकसान पहुंचाना यह बहुत सारी चीजें हैं.. अपने अपने विचार रखे इस की बेहद खुशी है बहुत-बहुत धन्यवाद।

      हटाएं
  2. एक से एक बढ़कर लिंक।
    सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आभार आपका अनीता लागुरी जी।।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर चर्चा सारे लिंक एक से बढ़कर एक मुझे आज की पोस्ट में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

    आज का आगरा

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत-बहुत धन्यवाद,अनीता जी.

    सीमा सदा जी की पंक्तियों पर मन अटक गया...
    माँ मन के आँगन में
    तेरे नाम की
    तुलसी लगी है
    निरोगी रहेगा
    सदा मेरा मन

    सीमा सदा जी, हृदयस्पर्शी ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. .. आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद आप आए हमें बहुत अच्छा लगा

      हटाएं
  5. आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
    सुंदर प्रस्तुति के संग सभी चयनित रचनाएँ बेहद उम्दा। सभी की हार्दिक बधाई। आपकी भूमिका आज एक महत्वपूर्ण विषय की ओर हम सबका ध्यान केंद्रित कर रही है। कोरोना वायरस जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उचित है सब अधिक से अधिक सतर्क रहें किंतु इस डिजिटल युग में भी बहुत से लोग इससे अंजान हैं और कुछ ये सोच कर निश्चिंत हैं कि ये तो चीन में फैला हुआ है तो हम क्यों डरें अतः इस विषय में जागरुकता की बहुत आवश्यकता है। साथ ही एक खटकने वाली बात यह भी है कि कुछ लोग इस बात से संतुष्ट हैं कि चीन में ऐसा हुआ! अरे! मतलब लोगों की संवेदनाएँ कहाँ हैं? यदि किसी व्यक्ति विशेष या किसी देश को लेकर आपके मन में खटास है तो आप उसके बुरे वक़्त का जश्न मनायेंगे? ये मानसिकता मानवों की नही हो सकती।.....बाकी तो नारायण से प्रर्थना है कि ये वायरस शीघ्र नष्ट हो और सभी स्वस्थ रहें।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. .. अब आराम से इस मामले में लोग निश्चिंता अपना रहे हैं तो यह बहुत ही घातक सिद्ध हो सकती है.. यह सारी बीमारियां आधुनिक तरह की बीमारियां है इनको फैलने में ज्यादा देर नहीं लगती है, जितना हो सके हमें लोगों को इस कोरोनावायरस के प्रभाव के प्रति सचेत करना चाहिए.. और रही संवेदनाओं की बात वह तो कब की खत्म ही हो चुकी है.. पता नहीं किस तरह के आचार विचार के साथ आज का समाचार देवर रहा है यह सारी चीजें घातक है इन सब चीजों से इंकार नहीं किया जा सकता है बहुत ही अच्छा लगता है जब तुम विस्तृत रूप से अपनी बात कहती हो और जो हम लोग कहना चाहते हैं उसकी जड़ तक जाती हो...।
      ऐसे में लिखना मानूं सफल हुआ महसूस होता है बहुत-बहुत धन्यवाद आंचल तुम्हारा एक बार और🙏

      हटाएं
  6. ज्ञानवर्धक भूमिका के साथ ,सुंदर लिंको से सजा बेहतरीन प्रस्तुति ,अनु जी
    सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन भूमिका के साथ सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनु जी ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद शानदार प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय अनु. सराहना से परे भूमिका..
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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