शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है.
शब्द-सृजन-10 के लिये विषय दिया गया था-
'नागफनी'
नागफनी मरुभूमि में उगने वाला एक ऐसा पौधा है जो जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करता हुआ जीकर दिखाता है. जल की अनुपलब्धता उसके अस्तित्त्व को डिगा नहीं पाती है. नागफनी अपने में अनेक परिवर्तन परिस्थितियों एवं परिवेश के अनुसार करती हुई अपनी कुरूपता पर रोती नहीं है बल्कि चुनौतियों का मुक़ाबला करने की हिम्मत पैदा करती है.
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं नागफनी विषय पर सृजित विविध रंग की रचनाएँ-
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शब्द-सृजन-10 के लिये विषय दिया गया था-
'नागफनी'
नागफनी मरुभूमि में उगने वाला एक ऐसा पौधा है जो जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करता हुआ जीकर दिखाता है. जल की अनुपलब्धता उसके अस्तित्त्व को डिगा नहीं पाती है. नागफनी अपने में अनेक परिवर्तन परिस्थितियों एवं परिवेश के अनुसार करती हुई अपनी कुरूपता पर रोती नहीं है बल्कि चुनौतियों का मुक़ाबला करने की हिम्मत पैदा करती है.
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं नागफनी विषय पर सृजित विविध रंग की रचनाएँ-
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"नागफनी का रूप"...उच्चारण
सुमन ढालता स्वयं को, काँटों के अनुरूप।
नागफनी का भी हमें, सुन्दर लगता रूप।
सियासती दरवेश अब, नहीं रहे अनुकूल।
मजबूरी में भा रहे, नागफनी के फूल।।
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घेरा पूरा खेत,
मरुभूमि ने
दिली सत्कार किया
विहँसी भूरी रेत।
इतरायी नागफनी ख़ुद पर...
हिंदी आभा भारत
तान वितान जब
नागफनी ने घेरा पूरा खेत,
मरुभूमि ने
दिली सत्कार किया
विहँसी भूरी रेत।
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" नागफनी सी कँटीली हो गई हैं
ये तो , इसके बोल नागफनी के काँटे से ही चुभते हैं।"
हर कोई मुझे यही कहता हैं।
क्या सभी को मुझमे नागफनी के पौधे की भाँति ही सिर्फ और सिर्फ
मेरी कठोरता और कँटीलापन ही नजर आता हैं ?
क्या मेरे भीतर की कोमल भावनाएं किसी को बिलकुल ही नजर नहीं आती हैं ?
" बस ,कह दिया नागफनी सी हो गई हैं
" नागफनी के अस्तित्व को धारण करना आसान होता हैं क्या ?
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झूठा-सा सबकों लगा
आँखों में उनकी गड़ा
छल अपनों का सहा
क्यों मैं कैक्टस बना ?
फूल मुझपे भी रहा
लाल रक्त-सा खिला
बागवां न कोई मिला
संघर्ष क्यों व्यर्थ गया ?
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फूल नागफणी के लगते आकर्षण दूर से
छूने का मन होता बहुत नजदीक से
पर पास आते ही कांटे चुभ जाते
जानलेवा कष्ट पहुंचाते |
लगते उस शोड़सी के समान
जिसका मुह चूम स्पर्श सुख लेना चाहता
पर हाथ बढाते ही सुई सी चुभती
कटु भाषण की बरसात से |
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नागफनी.. कुछ खट्टी कुछ मीठी पर मैं करता काम भलाई
रखता उनसे दूर बुराई,
फिर क्यूँ मुझको दुत्कार लगाई
ये बात भैया समझ न आई।
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जब आज
जीवन सरल एवं सपाट नही
तब मेरी कविता से यह
उम्मीद कैसे रखते है आप ?
एक चाँद, इक लडकी,
एक फूल पर कविता
एक फूल पर कविता
सरल सपाट कविता,
श्रृंगार रस की कविता की
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श्रृंगार रस की कविता की
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ओ मेरे हृदय !
नहीं सीख पाई मैं,
तुम्हारी धड़कन बनकर गूँजना !
साँसों में समाकर, रक्त में घुलकर,
तुमको छूकर निकलती रही,
क्षण प्रतिक्षण !!!
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नागफनी आँचल में बाँध सको तो आना
धागों बिन्धे गुलाब हमारे पास नहीं।
हम तो ठहरे निपट अभागे
आधे सोए, आधे जागे
थोड़े सुख के लिए उम्र भर
गाते फिरे भीड़ के आगे
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आशा के सुंदर सुमन हैं नागफनी के...
गूँगी गुड़िया
सौगंध अनुबंध के बँधन में,
विश्वास का गुबार,
लू की उलाहना,
जड़ों को करती है और गहरी,
जीवन जीने की ललक में,
पनप जाते है उनके भी अनचाहे,
कँटीले काँटे कोमल देह पर।
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आशा के सुंदर सुमन हैं नागफनी के...
गूँगी गुड़िया
वह भी
बाँधती है शीतल पवन को, सौगंध अनुबंध के बँधन में,
विश्वास का गुबार,
लू की उलाहना,
जड़ों को करती है और गहरी,
जीवन जीने की ललक में,
पनप जाते है उनके भी अनचाहे,
कँटीले काँटे कोमल देह पर।
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आज का सफ़र यही तक
कल फिर मिलेंगे.
- अनीता सैनी
आज का सफ़र यही तक
कल फिर मिलेंगे.
- अनीता सैनी
शब्द आधारित विषय पर बहुत सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुति, मेरे सृजन को स्थान देने के लिए आपको नमन।
जवाब देंहटाएंमुझे तो लग रहा है कि नागफनी उसी आत्मज्ञानी अष्टावक्र की तरह जनक की सभा अथार्त तत्वज्ञान न जानने वाले लोगों के मध्य खड़ा हँसे हुये कहा ---- " इन चमारों की सभा में सत्य ( स्वरूप) का निर्णय हो रहा है, कैसा आश्चर्य ! इनको चमड़ी ही दिखाई पड़ती है, मैं नहीं दिखाई पड़ता। ये चमार हैं। चमड़ी के पारखी हैं। इन्हें मेरे जैसा सीधा-सादा आदमी दिखाई नहीं पड़ता, इनको मेरा आड़ा-तिरछा शरीर ही दिखाई देता है। वह कह रहा है कि मंदिर के टेढ़े होने से आकाश कहीं टेढ़ा होता है? घड़े के फूटे होने से आकाश कहीं फूटता है? आकाश तो निर्विकार है। मेरा शरीर टेढ़ा-मेढ़ा है लेकिन मैं तो नहीं। यह जो भीतर बसा है, इसकी तरफ तो देखो। मेरे शरीर को देखकर जो हंसते हैं, वे चमार नहीं तो क्या हैं? "
सभी को सादर प्रणाम।
नागफनी पर इतनी रचनाएं एक साथ पढ़ कर बहुत आनंद आया |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |
आदरणीया मैम सादर प्रणाम 🙏
जवाब देंहटाएंनागफनी पर आपकी सुंदर भूमिका संग प्रस्तुति भी बेहद उम्दा। और सभी चयनित रचनाएँ भी लाजवाब हैं। सभी को ढेरों शुभकामनाएँ और बधाई।
शब्द-सृजन ' नागफनी' पर बहुत बढ़िया रचनाएँ प्रस्तुतिकरण हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंनागफनी पर इतने विचार, इसका इतना विशाल रचना संसार और वो भी एक ही जगह.... बहुत ही गज़ब कलेक्शन अनीता जी ... आपके इस अद्भुत प्रयास के लिए हम आपके आभारी हैं
जवाब देंहटाएंएक ही मंच तले नागफनी के ऊपर अगर इतनी सारी एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ने को मिले तो यह अपने आप में एक बहुत ही खूबसूरत अनुभव है शब्द सृजन के दिन यही तो खास बात होती है कि विभिन्न तरह की सोच देखने को मिलती है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रयास है आपका अनीता जी धन्यवाद एवं बधाई
शब्द सृजन का बेहतरीन अंक ,आज ऐसा लग रहा हैं जैसे काँटों से सजी महफ़िल भी गुनगुना रही हैं ,
जवाब देंहटाएंलाज़बाब रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाए एवं नमस्कार
मेरी रचना को भी इस महफ़िल में सजाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया अनीता जी,सादर स्नेह
बहुत सुंदर परिभाषा देती सुंदर भुमिका ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक ।
सभी रचनाकारों का सार्थक सृजन सुंदर सरस ।
सभी को बहुत बहुत बधाई।
अक्सर उस व्यक्ति को नागफनी बनना पड़ता है जिसे बहारों का, सावन की मनभावन फुहारों का आनंद जीवन में मिला ही नहीं। नागफनी मरती नहीं, मैदान छोड़कर भागती नहीं, रेगिस्तान के तप्त और शुष्क वातावरण में भी स्वयं को जिंदा रखती है। काँटों में तो गुलाब भी खिलता है पर मौसम की मार कहाँ सह पाता है वह ? परंतु नागफनी सब सह लेती है।
जवाब देंहटाएंयही वजह है कि गुलाबों के आशिक नागफनी को बर्दाश्त नहीं कर पाते।
आज के अंक की विशेषता यही कि बहुत गहन संदेश छिपे हैं रचनाओं में। कवि किशन सरोज की कविता -
"नागफनी आँचल में बाँध सको तो आना
धागों बिन्धे गुलाब हमारे पास नहीं।"
यह मेरी प्रिय कविताओं में से एक है।
मेरी रचना को स्वीकार करने हेतु सादर धन्यवाद। प्रस्तुति एवं भूमिका दोनों प्रशंसनीय और पठनीय हैं।
नागफनी पर बहुत शानदार चर्चा हेतु बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह! प्रिय अनीता, सुंदर भूमिका के साथ सार्थक रचनाये और साथ ही सभी टिप्पणीकारों का नागफनी पर गज़ब का चिंतन 👌👌👌👌 सभी रचनाकारों को बधाई 🙏🙏
जवाब देंहटाएंइन सबके साथ उन सबका भी अभिनंदन किया जाना चाहिए जो आज चार साल बाद अपना जन्मदिन मना रहे हैं।