स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
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(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )
"नया साल मंगल मय होवे,
महके-चहके घर-परिवार।।"
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"बहुत ही सुंदर प्रार्थना"
नया साल मंगलमय होगा,हर घर-आंगन जरूर महकेगा...
यदि हम गुजरे दिनों से सबक लेकर,अपनी गलतियों को सुधारेंगे....
अपनी सोच अपने कर्म और व्यवहार में परिवर्तन लायेगें.....
परमात्मा हमें सद्बुद्धि दे,इसी कामना के साथ....
चलते हैं,आज की रचनाओं की ओर....
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गीत "महके-चहके घर परिवार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
कोकिल गायें मधुर तराने,
प्रेम-प्रीत का हो संसार।
नया साल मंगलमय होवे,
महके-चहके घर परिवार।।
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सेतु
चारों तरफ मैरी किसमस सैंटा सांता क्लॉज का शोर मचा हुआ था..। इस अवसर पर मिलने वाले उपहारों का शैली को भी बेसब्री से प्रतीक्षा थी। कॉल बेल बजा और एक उपहार उसे घर के दरवाजे पर मिल गया। चार-पाँच साल की नन्हीं शैली खुशियों से उछलने लगी,-"मम्मा! मम्मा मैं अभी इसे खोल कर देखूँगी। सैंटा ने मेरे लिए क्या उपहार भेजा है?"
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- "गिफ्ट"
बहुत देखभाल के बाद पूर्वी के लिए सुहानी ने एक तोता पसन्द किया और जन्म दिन पर
उसका गिफ्ट उसके सामने रख दिया । साथ ही सुमित को सख़्त हिदायत दी कि वह अपनी शरारतों से बाज आए और बहन और उसके तोते से छेड.-छाड़ न करे ।
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एक विधवा वन से लकड़ियां काटकर उन्हें घर -घर बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करती थी अचानक वन विभाग से लकड़ी काटने पर सख्त मनाही होने से वह जंगल से लकड़ियां नहीं ला पायी तो घर में भुखमरी की नौबत आ गयी उससे ये सब सहा न गया तो वह रात के अंधेरे में जंगल से लकड़ियां चुराने निकल पड़ी,
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