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गुरुवार, दिसंबर 31, 2020

अलविदा 2020 ( चर्चा - 3932 )

 आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 

भले ही आप भारतीय कलेंडर की बात करें, लेकिन इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज वर्ष 2020 का अंतिम दिन है| वैसे एक विचार यह भी है कि हर दिन नया होता है| यदि हम हर दिन आत्ममंथन कर सकते हैं तो यह धारणा बहुत अच्छी है, लेकिन ज्यादातर लोग ऐसे नहीं होते| इस दृष्टिकोण से नए वर्ष की धारणा इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि हम इस दिन विचार कर सकें कि हमने बीते वर्ष क्या खोया, क्या पाया| कितने मित्र गँवाए, कितने मित्र कमाए| कहाँ-कहाँ गलतियाँ की और कहाँ-कहाँ सुधार की गुँजाइश है| इस अवसर पर नए वर्ष के लिए संकल्प भी लिए जा सकते हैं| अत: सिर्फ विरोध के लिए विरोध न कर इसे आत्ममंथन और संकल्प हेतु उपयोग किया जाना चाहिए|आशा के साथ जो नया है वह बीते से बेहतर होगा|

चलते हैं चर्चा की ओर 

ओ तथागत-2020

बुधवार, दिसंबर 30, 2020

"बीत रहा है साल पुराना, कल की बातें छोड़ो" (चर्चा अंक-3931)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में देखिए!
मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत "बीत रहा है साल पुराना"  

बीत रहा है साल पुरानाकल की बातें छोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारोसम्बन्धों को जोड़ो।।

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आओ दृढ़ संकल्प करेंगंगा को पावन करना है,
हिन्दी की बिन्दी कोमाता के माथे पर धरना है,
जिनसे होता अहित देश काउन अनुबन्धों को तोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारोसम्बन्धों को जोड़ो।।

उच्चारण  
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मेरी चाहत |  ग़ज़ल |  डॉ. वर्षा सिंह |  संग्रह - सच तो ये है 

धूप के दर से होकर चली जो हवा 

क्या बताएगी वो चांदनी का पता 

वो ही सावन है "वर्षा" वही है घटा 

फिर भी मौसम ये लगने लगा है नया

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अबूझ है मन 
मुँह लगे सेवक सा कब 
हुकुम चलाने लगता है 
पता ही नहीं चलता 

कभी सपने दिखाता है मनमोहक 

कि आँखें ही चौंधियाँ जाएँ

और कभी आश्वस्त करता है 

पहुँचा ही देगा मंजिल पर 

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नया वर्ष शुभ हो सबके हित  इस वर्ष को समाप्त होने में मात्र दो दिन और चंद घंटे ही बाकी हैं, फिर पल भर को पर्दा गिरेगा,  विदा होगा वर्तमान वर्ष और आगत वर्ष मंच पर कदम धरेगा. खुशामदीद कह कर कुछ लोग नाचेंगे, कुछ  उठायेंगे खुशी का जाम और दुआ करेंगे कि उनकी  जिंदगी में रोशनी आए। कुछ नए वादे किए जाएंगे खुद से, लोग एक दूजे को  मुबारकबाद देगें। नए का स्वागत हो यह रीत है दुनिया की।
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नव वर्ष 

बहुत दिनों से बहुत ही दिनों से
  सुराही पर मैं तुम्हारी यादों के 
  अक्षर से विरह को सजा रही हूँ 
छन्द-बंद से नहीं बाँधे उधित भाव 
कविता की कलियाँ पलकों से भिगो 
कोहरे के शब्द नभ-सा उकेर रही हूँ।

अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया 
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जिन्दगी जीनी ही पड़ती है 
चाहे रो के जियो
चहे हँस के जियो
चाहे डर के जियो
चाहे जिन्दादिली से जियो ।
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi 
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चराग़-ए-आरज़ू  
जलाये रखना, 
उम्मीद आँधियों  में  
बनाये रखना। 

अब  क्या  डरना 
हालात की तल्ख़ियों से,
आ गया हमको 
बुलंदियों का स्वाद चखना।
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत 

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  • "उलझन-सुलझन" 
  •  जिंदगी कभी-कभी उलझें हुए धागों सी हो जाती है,जितना सुलझाना चाहों उतना ही उलझती जाती है। जिम्मेदारी या कर्तव्यबोध,समस्याएं या मजबूरियों के धागों में उलझा हुआ बेबस मन। ऐसे में दो ही विकल्प होता है या तो सब्र खोकर तमाम धागों को खींच-खाचकर तोड़ दे....उलझन खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी...

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  • “शीत ऋतु” 
  • (This image has been taken from google)
    गीली सी धूप में
    फूलों की पंखुड़ियां
    अलसायी सी
    आँखें खोलती हैं ।

    ओस का मोती भी
    गुलाब की देह पर
    थरथराता सा
    अस्तित्व तलाश‎ता है ।
  • मंथन, मीना भारद्वाज 
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गृहपालित पाखी 
मोहक
चाल ढाल में, कुछ अदृश्य स्पर्श
देह में रहते हैं कोशिकाओं तक
अवशोषित, वो भूल जाते
हैं मुक्त उड़ान, बस
रहना चाहते
हैं अपनों
के
नज़दीक यथावत शिकस्ता हाल
में 
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :  
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सोचा-समझा प्यार 

बदले समय में ज़रूरी है 

कि हम सोच-समझकर 

नफ़ा-नुकसान देखकर 

प्यार करना सीख लें. 

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न्यू इयर रेसोल्युशन (resolution) पूूरे  क्यों नहीं हो पाते?
सबसे पहले आप सबको 'आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल' की ओर से नए साल की बहुत बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप अपने नए साल के रेसोल्युशन पूरे करने में सफल रहे... 
नए साल पर ज्यादातर लोग कोई न कोई रेसोल्युशन (resolution) याने संकल्प जरुर लेते है। मैं यहां पर यह नहीं बताउंगी कि नए साल पर कौन से रेसोल्युशन लेना चाहिए। ये हर व्यक्ति की अपनी प्राथमिकता और रुची अनुसार अलग अलग हो सकते है। शोध बताते है कि नए साल पर लिए जाने वाले रेजोल्युशन सिर्फ़ 8% ही पूरे हो पाते है! जबकि हर व्यक्ति सोचता है कि इस बार वो अपना रेसोल्युशन जरुर पूरा करेगा। ज्यादातर व्यक्ति थोड़े ही दिनों में बिना उन्हें पूरा किए ये भी भुल जाते है कि उन्होंने कौन से रेसोल्युशन लिए थे! आइए, जानते है कि बड़ी मेहनत और लगन से लिए गए नए साल के रेसोल्युशन पूरे क्यों नहीं होते?  
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आज की चर्चा में बस इतना ही...!
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मंगलवार, दिसंबर 29, 2020

"नया साल मंगलमय होवे" (चर्चा अंक 3930)

स्नेहिल  अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

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(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )

"नया साल मंगल मय होवे,
महके-चहके घर-परिवार।।"

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"बहुत ही सुंदर प्रार्थना"
नया साल मंगलमय होगा,हर घर-आंगन जरूर महकेगा... 
यदि हम गुजरे दिनों से सबक लेकर,अपनी गलतियों को सुधारेंगे....
अपनी सोच अपने कर्म और व्यवहार में परिवर्तन लायेगें..... 
परमात्मा हमें सद्बुद्धि दे,इसी कामना के साथ.... 
चलते हैं,आज की रचनाओं की ओर.... 
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गीत "महके-चहके घर परिवार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

कोकिल गायें मधुर तराने,
प्रेम-प्रीत का हो संसार।
नया साल मंगलमय होवे,
महके-चहके घर परिवार।।

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 सेतु

चारों तरफ मैरी किसमस सैंटा सांता क्लॉज का शोर मचा हुआ था..। इस अवसर पर मिलने वाले उपहारों का  शैली को भी बेसब्री से प्रतीक्षा थी। कॉल बेल बजा और एक उपहार उसे घर के दरवाजे पर मिल गया। चार-पाँच साल की नन्हीं शैली खुशियों से उछलने लगी,-"मम्मा! मम्मा मैं अभी इसे खोल कर देखूँगी। सैंटा ने मेरे लिए क्या उपहार भेजा है?"

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  • "गिफ्ट"
  •  बहुत देखभाल के बाद पूर्वी के लिए सुहानी ने एक तोता पसन्द किया और जन्म दिन पर 

     उसका गिफ्ट उसके सामने रख दिया । साथ ही सुमित को सख़्त हिदायत दी कि वह अपनी शरारतों से बाज आए और बहन और उसके तोते से छेड.-छाड़ न करे ।

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एक विधवा वन से लकड़ियां काटकर उन्हें घर -घर बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करती थी अचानक वन विभाग से लकड़ी काटने पर सख्त मनाही होने से वह जंगल से लकड़ियां नहीं ला पायी तो घर में भुखमरी की नौबत आ गयी उससे ये सब सहा न गया तो वह रात के अंधेरे में जंगल से लकड़ियां चुराने निकल पड़ी, 
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धूपवाली सुबह की उम्मींद | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | लघुकहानी | ऑनलाइन कथापाठ
जाड़े की रात अपना कहर बरपा रही थी। ठंड मानो आसमान से बरस रही थी और किसी बाढ़ आई नदी की तरह उस फ्लाई ओव्हर के नीचे से गुज़र रही थी जहां दर्जन भर से ज़्यादा परिवार सिकुड़े पड़े थे। उनके फटे कंबल और चीकट हो चली कथरियां उस ठिठुराते जाड़े से मुक़ाबला करने में असमर्थ थीं।
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एक पत्र , मानव के नाम ......
    
         आज मैं बहुत खुश हूँ ,बताऊँ क्यों ? 
   बस चार दिन शेष हैं मेरी जिंदगी के .....😊
   आप कहेगें ,अरे भाई .... जीवन समाप्त होने को है और तुम खुश हो !  हाँ ...बहुत खुश ....।

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शून्य का चक्र

शून्य हूँ ! कल शून्य में मिलना मुझे है 
पर सफर ये शून्य का कैसे करूँ मैं ।
शून्य के अंजान पथ पर अग्रणी हो 
चल रे मनवा हाथ तेरा पकड़ लूँ मैं ।।

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साल मुबारक! / अमृता प्रीतम
जैसे समय के होंटो से
एक गहरी साँस निकल गयी
और आदमज़ात की आँखों में
जैसे एक आँसू भर आया
नया साल कुछ ऐसे आया...

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डिजिटल मीडिया और पॉडकास्टिंग
डिजिटल मीडिया (अंकीय माध्यम) का नाम आजकल हम ख़ूब सुन रहे हैं। डिजिटल को हम इस तरह समझ सकते हैं कि कोई भी डेटा जिसे डिजिट्स यानी अंकों की सीरीज़ द्वारा दर्शाया जा सकता है और मीडिया का मतलब किसी भी डेटा  को प्रसारित करने या दूसरों तक पहुंचाने के माध्यम।
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आप सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं 
आप सभी स्वस्थ रहें,प्रसन्न रहें 
इसी  कामना के साथ,इस साल में आप सभी से विदा लेती हूँ 
मिलती हूँ फिर नये साल में,नई उम्मीद और नये उत्साह के साथ 
अब आज्ञा दे 
कामिनी सिन्हा
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