सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
किसान आंदोलन लंबा खिंच अब तक
सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंगी अब तक
किसान की उपेक्षा आख़िर कब तक?
देखो डटा हुआ है किसान दिल्ली की सीमा पर अब तक!
आइए पढ़ते हैं कुछ पसंदीदा रचनाएँ-
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शिक्षक दिवस पर पढ़िए उन कवियों की रचनाएं,
जिन्होंने शिक्षक धर्म भी निभाया
कुछ होठों में क़ैद तराने
मंज़िल के गुमनाम भरोसे
सपनों के लाचार बहाने
जिनकी ज़िद के आगे सूरज
मोरपंख से छाया मांगे
उनके ही दुर्गम्य इरादे
वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
छींटाकसी से कोसों दूर भगवती ताई अपने सौम्य स्वभाव के लिए जानी जाती है।
औलाद न होने का दुःख कभी उनके चेहरे से नहीं झलका।
” बात तो ठीक कहो जीजी! थोड़ी धीरे चालो। मैं तो यूँ कहूँ,थारो भी मन टूटतो होगो। टाबरा बिन फिर यो जीवन किस काम को। म्हारे देखो चार-चार टाबर आँगन गूँजतो ही रह है ।”
सरबती काकी ने अपनी मनसा परोसी कि वह अपना दुखड़ा रोए और कहे।
”हाँ मैं अभागी हूँ,मेरा तो भाग्य ही फूटेड़ो है जो औलाद का सुख नसीब नहीं हुआ।”
परंतु भगवती ताई इन सब से परे अपनी एक दुनिया बसा चुकी है।
”आपणों मारवाड़ आपरी बेटियाँ न टूटणों नहीं,सरबती! उठणों सिखाव है। तू कद समझेगी।”
भगवती ताई दोनों मटके प्याऊ में रखते हुए कहती है।
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धरा पर धारा डोल रही है !!
सीमाओं का ज्ञान नही होता।
भान नही होता।।
क्योंकि जन्मसिद्ध हैं।
वह भी तो स्वयंसिद्ध हैं।।
शादी के बारह साल बाद भी मोहन के कोई बच्चा नहीं था। घरवाले सब दूसरी शादी के लिए दबाव बना रहे थे।जब वो छुट्टी में पहाड़ जा रहा था तो मैंने कहा मीना को यहाँ ले आओ इलाज करवाते हैं।तो गाँव जाने पर मेरे कहने से अपनी बीबी मीना को भी ले आया साथ।
सालों बाद दोनों साथ-साथ रहते बहुत खुश थे।किचिन में काम करते समय धीरे- धीरे पहाड़ी गीत गाते रहते।मैं किसी काम से किचिन में जाती तो उनका मीठा सा पहाड़ी गान सुन कर दबे पाँव मुस्कुरा कर वापिस लौट आती।
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
सार्थक भूमिका के साथ सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा को मंच पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया सर।
सादर
बहुत सुन्दर और सार्थक सूत्रों से सजी प्रस्तुति । बेहतरीन और लाजवाब सूत्रों के मध्म मेरे सृजन को स्थान देने के लिए सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंआज की इस सारगर्भित चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए ह्रदय से धन्यवाद् रवींद्र जी |
जवाब देंहटाएंइतने चहेते मंच पर मुझे स्थान देने के लिए आभार रवींद्र जी, खूबसूरत रचनाओं को पढ़वाने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सारगर्भित तथा सामयिक रचनाओं का संकलन, श्रमसाध्य कार्य तथा सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई । मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी ।सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत प्रस्तुति
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