सादर अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आ.अरुण चंद्र राय जी की रचना से -
ईश्वर के प्रांगण में
प्रस्तरों पर उत्कीर्ण मुद्राओं को बताते हुए
मार्गदर्शक ने बताया कि
जब यह मंदिर नहीं था यहां
जब स्वयं ईश्वर भूमि से प्रकट नहीं हुए थे
उससे भी पहले मौजूद था
वह वृक्ष और सरोवर।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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दोहे "जन्मदिन-नरेन्द्र मोदी"
गाँधी और पटेल ने, जहाँ लिया अवतार।
मोदी का गुजरात ने, दिया हमें उपहार।।
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देवताओं से कम नहीं, होता है देवेन्द्र।
सौ सालों के बाद में, पैदा हुआ नरेन्द्र।।
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ईश्वर के प्रांगण में
वह आह्लादित होकर
बता रहा था ईश्वर की महिमा
भाव विभोर होकर बताया कि
किस तरह इस वृक्ष पर
धागा बांधने से पूरी हुई मनोकामना
तुम मत करो उनका ब्याह
वे खुद रचा लेती हैं अपनी मेंहदी
इतनी साधारण-सी बातें भी
नहीं समझती हैं जब पीढ़ियाँ
तब फिर लगते हैं नारे
उठते हैं हल्ले, बन्द, और प्रदर्शन
होती हैं हड़तालें, चलती हैं गोलियाँ।
जुडती हैं शोक-सभाएँ
और फिर खीझ-आक्रोश
और अन्ततः निराशा
आदमी।
आदमी के चेहरे पर
आदमी
और आदमी के
जम़ीर पर पैर लटकाकर बैठा आदमी।
पैरों से आदमी को गिराता आदमी
पैरों को पकड़कर गिड़गिड़ाता आदमी।
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मंजिल अभी और दूर कितनी, किसे पता है
मिलेंगें राह में कांटें या कलियां, किसे पता है
फर्ज मुसाफिर का सिर्फ चलते चले जाना
मिले किसे मोड, हमसफर, किसे पता है
फेंक दो गुलेलें,
एक यही तो खेल नहीं है.
देखो, पेड़ों की डालियों पर
सहमे बैठे हैं पंछी,
क्या तुम्हें नहीं भाता
उनका चहचहाना?
अवसर का सोपान बना कर
समय काल का लाभ लिया।
रीति नीति की बातें थोथी
निज के हित का घूँट पिया।
बचपन की यादों से जिसने
समझौता कर डाला
और तुम्हारे ही सपनों को
सर आँखों रख पाला
पर उसके अपने ही मन से
उसको मिलने दोगे ?
तुम उसके जज्बातों की
भी कद्र कभी करोगे ?
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अपराधी गले माला ,राजनीति के संग।
पुलिस जिसकी तलाश में ,अब वही रक्षक संग।।
काला धन होय सफ़ेद ,राजनीति के संग।
साथी सब नेता कहें ,शत्रु रह जायें दंग।।
पुलिस जिसकी तलाश में ,अब वही रक्षक संग।।
काला धन होय सफ़ेद ,राजनीति के संग।
साथी सब नेता कहें ,शत्रु रह जायें दंग।।
चश्मे के उस पार -
इतिहास के पृष्ठों में गुम है कहीं सूखा
हुआ गुलाब, उधड़ी हुई कमीज से
ज़िन्दगी पोछती है, घिसे हुए
चश्मे के कोर, कहीं से
काश, नज़र तो
आए
हुआ गुलाब, उधड़ी हुई कमीज से
ज़िन्दगी पोछती है, घिसे हुए
चश्मे के कोर, कहीं से
काश, नज़र तो
आए
शाह परिवार के लोग शिवालिक इंडस्ट्रीज पर कई वर्षों से एक छत्र राज करते आए थे परन्तु अब उनके राज को डगमगाने एक व्यक्ति भारत आ चुका था।
यह व्यक्ति कांति देसाई था जो शाह परिवार के हाथों से शिवालिक इंडस्ट्रीज का नियंत्रण लेकर उसकी कमान खुद संभालने की इच्छा रखता था। कांति देसाई अपने इस इरादें में कामयाब होते भी नजर आ रहा था। ऐसा भी कहा जा रहा था कि कनाडा से लौटे कांति के पीछे भारत सरकार का हाथ था जो कि शाह परिवार के बड़ते रुतबे को कम करना चाहती थी। पर शाह परिवार ने भी कच्ची गोलियाँ नहीं खेली थी और वह कांति शाह को रास्ते से हटाने की पूरी योजना बना चुके थे।
एक युद्ध होने को तैयार था। ऐसा युद्ध जो शिवालिक के अगले मालिक का नाम निर्धारित करता।
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाऍं उपलब्ध कराई हैं आपने। बहुत-बहुत धन्यवाद। 'एक ही अंजाम' की समीक्षा, उपन्यास पढने को उकसाती है।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम धन्यवाद ! मेरी रचना को सम्मान दे के लिए ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय आपका चयन हमेशा से उम्दा एवं बहुआयामी होता है।
आभार आपका अनीता जी..। मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु घन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन ।
जवाब देंहटाएंशीर्षक बहुत आकर्षक है।
सभी लिंक बेहतर से बेहतरीन है, सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को संकलन में शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
सुंदर भूमिका के साथ रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंचर्चा का सुन्दर अंक|
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए
अनीता सैनी जी आपका आभार|
अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंविविधतापूर्ण सराहनीय सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना संकलन। कभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारिए। आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद प्रिय अनीता जी!
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
सुंदर संकलन आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद
जवाब देंहटाएं