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मंगलवार, सितंबर 14, 2021

"हिन्द की शान है हिन्दी हिंदी"(4187)

 सादर अभिवादन

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक और भूमिका आदरणीया सुजाता प्रिया जी की रचना से )


"भारत मां के माथे की,चमकती-सी है यह बिंदी,

इसकी आन है हिन्दी,इसका प्राण है हिन्दी।"

14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं.... 

हिंदी तो हमारी मातृभाषा है... 

और हमारे लिए ये एक दिन नहीं....नित्य पूजनीय है...

अपनी मातृभाषा को नमन करते हुए और इसके गरिमा को बनाये रखने का संकल्प करते हुए 

चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की और....

-------------------------हिन्द की शान है हिन्दी

लिपि देवनागरी इसकी,सहजता से समझ आती,
पुरातन भाषा संस्कृत की,सुनो संतान है हिन्दी।

बड़ी ही है सरल भाषा,बड़ा आसान उच्चारण,
खुले मन से इसे बोले,तो लगती शान है हिन्दी।

जब हम बोलते हिंदी,मधुर झंकार करती है,
हमारी गीतों की लगती,सुर-लय-तान है हिन्दी।

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धीरे-धीरे ही सही हमारा समाज दो प्यार करने वालों की कद्र कर रहा है!!इतिहास गवाह है कि दो प्यार करने वालों को जमाने ने बहुत कोसा...बहुत यातनाएं दी...मानो उन्होंने प्यार करके बहुत बड़ा गुनाह किया हो...चाहे हीर-रांझा हो, चाहे लैला-मजनू हो, चाहे सलीम-अनारकली हो...समाज से इन्हें अपमान के अलावा कुछ नहीं मिला। आज भी दो प्यार करनेवालों की ऑनर किलिंग के नाम पर सरे आम हत्या की जाती है। ऐसे में जब सिध्दार्थ शुक्ला की मौत के बाद सिध्दार्थ और शहनाज गिल के घरवालों ने सिध्दार्थ और शहनाज के प्यार को इज्जत दी उसे देख कर दिल को थोड़ा सुकून मिला है। इन्होंने ये साबित किया है कि धीरे धीरे ही सही हमारा समाज प्यार की कद्र करना सीख रहा है।--

अतिक्रमण (कहानी)इंटरवल के बाद रजनी अपने विद्यालय का राउन्ड लगा कर अपने कार्यालय-कक्ष में लौटी तो दसवीं कक्षा की छात्रा अरुणा के साथ कोई सज्जन वहाँ बैठे थे। वह समझ गई कि अरुणा उसके आदेशानुसार अपने पिता को लेकर आई है। जैसे ही वह अपनी कुर्सी पर बैठी, अरुणा ने अपने पिता का परिचय कराया -मैडम, यह मेरे पापा हैं।
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बमों बारूद के ढेर पर बेठा जमाना है....
जख्मों की इन्तिहा अब होगई
जिन्दगी भी एक इम्तहान होगई।।

 इंसान ही इंसान पर जुल्म करता है
 जहां में प्रभु अब रक्तबीज पैदा करता है।।

होशियारों,फरेबों का बोलबाला है
इंसानी सभ्यता संस्कृति केवल एक बहाना है।
______

प्रेम का संत्रास

तुम्हारी चुप्पियों का विस्तारित आकाश

भर देता है मुझे दर्द के नक्षत्रों से

आकाश गंगा की समग्रता

भंग करती है मेरी एकाग्रता और

पैदा करती है मुझमें एक नयी चौंक



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सहर


उनींदी आँखों लिखने बैठा तेरी सहर की कली l 
नज़्म ढलती गयी खुद ही नज़र की इस कली ll

जादू कर गयी तेरे ताबीज़ की वो कच्ची डोरी l
बंधी थी जिससे तेरे संग मेरे रूह की डोरी ll  

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नारीत्व का मूल्य - -

एक अजीब सा भयाक्रांत शैशव हम
छोड़ जाते हैं पीपल के नीचे, न
जाने कितने गल्प और
कहानियों को बाँट
जाते हैं लिंग
भेद के

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आज का सफर यही तक 
अब आज्ञा दें 
आपका दिन मंगलमय हो 





17 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक से सजा आज का चर्चा मंच |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद कामिनी जी |

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात🙏
    साहित्य का श्रृंगार हिंदी,
    साहित्य की है जान हिंदी,
    हम सब की पहचान हिंदी,
    अपनत्व का एहसास हिंदी,
    भारत की है शान हिंदी!
    हिंदी दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! हिंदी के महत्व को बयां करती रचनाओं और विविध प्रकार के अंको से सजा बहुत ही उम्दा चर्चा मंच!

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
    हिंदी दिवस पर मेरा लेख https://www.jyotidehliwal.com/2018/09/Hindi-divas-Hindi-bolane-par-sharm-nahi-garv-kijie.html पढ़ीएगा।

    जवाब देंहटाएं
  5. हिंदी हमारी भाषा के महत्व तथा अन्य भाओं की रचनाओं से सजा चर्चा मंच बहुत सुन्दर है।हमारी रचना को इस चर्चा मंच में स्थान देने के लिए कामनी जी आपकी आभारी हूँ। धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. हिंदी दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ, आज भी अनेक पठनीय रचनाओं के लिंक्स दिए गये हैं, साहित्य की सेवा का यह सुंदर आयोजन है। आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा अंक ।सभी रचनाएं बेहतरीन।सभी रचनाकार मित्रों को हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. हिंदी दिवस पर सुंदर सराहनीय अंक, आपके श्रमसाध्य कार्य को हार्दिक नमन कामिनी जी ,हिंदी दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. दुःख तो तब होता है जब सिर्फ हिंदी के कारण विख्यात होने वाले, इसी की कमाई खाने वाले कृतघ्न, कोई मंच मिलते ही अंग्रेजी में बोलना शुरू कर देते हैं

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    उत्तर
    1. सहमत हूं आपसे सर,ये दोहरा व्यक्तित्व आज कल खुब प्रचलन में है, सादर नमन

      हटाएं
  10. मेरी कहानी 'अतिक्रमण' को इस चर्चामंच का हिस्सा बनाने के लिए आदरणीया कामिनी जी का बहुत आभार! 'हिन्दी दिवस' के पुनीत अवसर पर चर्चामंच के लिए यह सुन्दर संकलन तैयार करने का श्रम करने के लिए भी कामिनी जी को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूँगा। सभी विद्वजनों/रचनाकारों को हिन्दी दिवस की बधाई व सभी रचनाकार हिन्दी-जगत के गरिमामय उत्थान के लिए आयोजित हर साहित्य-यज्ञ में इसी प्रकार अपनी उत्कृष्ट कृतियों की आहूति देते रहें, ऐसी कामना करता हूँ।

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  11. बहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  12. चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही गहन चर्चा है...और गहन विषय पर...। अच्छी रचनाओं का संकलन है...खूब बधाई कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  15. चर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन, आप सभी को भी हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,हम सभी को हिन्दी की गरिमा को बनाए रखने के लिए सतत् प्रयासरत रहना ही होगा।

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    हिंदी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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