सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की चर्चा का शीर्षक श्री सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी की लेखनी से निसृत कविता "लीक पर वे चलें" से हैं -
लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं ।
--
इसी कवितांश के साथ बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्रों की ओर -
"उत्तराखण्ड के कर्मठ मुख्यमन्त्री मान. पुष्कर सिंह धामी का जन्मदिन"
मधुर वाणी-शिष्टता से
जो दिलों में छा गया।
देवताओं की धरा को,
मुख्यसेवक भा गया।
वाटिका सुमनों ने मिलकर फिर सजाई,
जन्मदिन की आपको पुष्कर बधाई।।
***
मन्दिर जिसे समझ रहे हैं आप प्यार का
मलबा है भाई सा’ब! वो मेरी दीवार का
मीना बाजार के भरोसे आ तो गये आप
भीतर नजारा देखिये मछली बजार का
पूजा की थालियों को अभी फेंकिये नहीं
वे खौफ खा रहे हैं उसी अन्धकार का
***
”ग्वार की भुज्जी हो या सांगरी की सब्ज़ी, गाँव में भोज अधूरा ही लगता है इनके बिन।”
महावीर काका चेहरे की उदासी को शब्दों से ढकने का प्रयास करते हैं और अपने द्वारा लाई सब्ज़ियों की बड़बड़ाते हुए सराहना करने लगते हैं।
***
अनुज्ञात क्षणों में स्वयं लेखनी ने कहा है कि -
लेखनी चलती रहनी चाहिए
चाहे ऊँगलियां किसी की भी हो
अथवा कैसी भी हो
चाहे व्यष्टिगत हो
अथवा समष्टिगत हो
चाहे एकल हो
अथवा सम्यक् हो
***
दूर
कहीं कोई
जीवन
अकेला खड़ा है।
जंगल
अब विचारों में
समाकर
किताब के पन्नों
पर
***
ममतामयी हृदय पर
अंकुरित शब्दरुपी कोंपलें
काग़ज़ पर बिखर
जब गढ़ती हैं कविताएँ
सजता है भावों का पंडाल
प्रेम की ख़ुशबू से
***
घटाटोप घनघोर अंधेरा,
विरसता की छाया है।
अब जाके इस जड़ ‘विश्व’ का,
खेल समझ में आया है।
नहीं रुकना है यहाँ किसी को,
जो आया, उसे जाना है।
ठहरने की हठी यह लिप्सा,
मन को बस भरमाना है।
***
प्रेम पंख देता है
उड़ने को तो सारा आकाश है
विश्वास की आंच में
इसे पकना होता है
और समर्पण की छाँव में
पलना होता है
***
उस स्वर की अकुलाहट से बींधकर
मन से फूटकर नमी फैल गयी थी
रोम-रोम में
जिसके
एहसास की नम माटी में
अँखुआये थे
अबतक तरोताज़ा हैं
साँसों में घुले
प्रेम के सुगंधित फूल ।
***
आवारा मसीहा शरत चंद्र थे नारी मन और भारतीय समाज के कुशल चितेरे
शरत चंद्र ने अपना जीवन एक खानाबदोश की तरह जिया था। जीवन के कई वर्ष उन्होंने बिहार और रंगून में काटे थे। अपनी लेखनी और अपने व्यवहार के चलते उन्होंने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने का प्रयास किया था। शायद यही कारण था कि लेखक विष्णु प्रभाकर ने उन्हें आवारा मसीहा कहा था।
***
टाइल्स पर के सिलेंडर/जंग के दाग कैसे साफ़ करें?
जहां हम सिलेंडर रखते है, वहां की टाइल्स पर अक्सर सिलेंडर के बहुत ही जिद्दी दाग पड़ जाते है। दाग टाइल्स की रंगत और चमक दोनों ही ख़राब कर देते है। ये दाग आसानी से नहीं निकलते। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि ''आपकी सहेली'' आपको बता रही है बहुत ही आसान उपाय जिससे टाइल्स पर के सिलेंडर/जंग के दाग चुटकियों में साफ़ हो जायेंगे।
***
अपना व अपनों का ख्याल रखें…,
आपका दिन मंगलमय हो...
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
'विकलित चित्त' और 'लेखनी चलती रहनी चाहिए....' सुन्दर बन पडी हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर 'विकलित चित्त' और 'लेखनी चलती रहनी चाहिए' की तारीफ़ हेतु।
हटाएंसादर नमस्कार
विविधता से परिपूर्ण बहुत सुंदर अंक,सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका मीना जी...। रचना को स्थान देने के लिए साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीय मीना दी।
जवाब देंहटाएंआपकी जितनी तारीफ़ करुँ कम ही होगी।
एक-एक मोती चुनकर लाए हो आप...
मुझे भी स्थान देने हेतु दिल से आभार।
आपको ढ़ेर सारा स्नेह।
सादर
वाह! उम्दा प्रस्तुति। आभार!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं के लिंक्स का संयोजन, आभार मुझे भी स्थान देने हेतु!
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन एक नूतन लीक इस सम्मानित मंच से भी निसृत होता है जो अनेकानेक विषयों एवं भावों में सैर कराता है । सम्माननीय प्रस्तुतकर्ताओं को हार्दिक शुभकामनाएँ । यूँ ही लेखनी चलती रहनी चाहिए । हार्दिक आभार भी आज की सुंदर प्रस्तुति के लिए ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका, विविधापूर्ण सराहनीय सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार दी।
जवाब देंहटाएंप्रणाम
सादर।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति👌
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भुमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन, लाजबाव प्रस्तुति आदरणीया मीना जी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं, फुर्सत मिलते ही सभी ब्लॉगों पर जरुर आऊंगी,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसजित चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा|
जवाब देंहटाएंआद. मीना भारद्वाज जी आपका आभार|