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बुधवार, सितंबर 15, 2021

"राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल ?" (चर्चा अंक-4188)

प्रिय ब्लॉगर मित्रों।

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

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गीत "अपनी भाषा हिन्दी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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भारतमाता के सुहाग की

जो है पावन बिन्दी। 

भोली-भाली सबसे प्यारी

अपनी भाषा हिन्दी।। उच्चारण 

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हिन्दी भारत की जनभाषा,
राजभाषा है फिर भी
यह आज भी राष्ट्रभाषा नहीं
 

विभिन्न स्रोतों के अनुसार भारत में 121 भाषायें, 270 मातृबोलियां हैं और इनमें से मात्र 22, भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची सूची भाग अ में प्रमुखता से वर्णित हैं। भाग ब में 99 अन्य बोली – भाषाओं का जिक्र है। लफ़्फाजी करें तो यह भारत के वैविध्यपूर्ण प्रतिभा की अभिव्यक्ति है। किन्तु व्यावहारिक धरातल पर देखें तो विश्वस्तर पर हमारी सृजनात्मकता की राह में यही सबसे बड़ा रोड़ा भी है। विश्व के सभी विकसित देशों की अपनी एक प्रमुख भाषा है। हमारी निज भाषा कौन है, भारत का क्षेत्रीय बुद्धिजीवी इस पर शोर करने लगता है। 

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है भारत की शान तिरंगा 

मस्ती में झूमे

सातों गगन चूमे

तिरंगा प्यारा

 

मिली आज़ादी

विहँसी माँ भारती

प्रफुल्ल देश 

Sudhinama 

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एक क़ता हिंदी दिवस पर... लेखनी का गान हिंदी आपकी पहचान हिंदी चेतना औ ज्ञान इससे वाणी का वरदान हिंदी "रजनी" चाँदनी रात ( लक्ष्य ) 

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भाव मन के 

कब कहा है

किसी ने कब कहा

कहता गया 

प्यार से या रोष से

मालूम  नहीं 

Akanksha -Asha Lata Saxena 

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हिंदी-दिवस 

हिंदी दिवसहिंदी पखवाड़ा आदि का नाटक हम 1960 के दशक से देखते और सहते आ रहे हैंभारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्ति -

'निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल'

को सुन-सुन कर तो हमे घर के पालतू तोते भी उसे गुनगुनाने में निष्णात हो गए हैं.

हिंदी को भारत के माथे की बिंदी बताने की रस्म आज हिंदी भाषी क्षेत्र का बच्चा-बच्चा निभा रहा है.

अल्लामा इक़बाल के क़ौमी तराने की पंक्ति-

'हिंदी हैंहम वतन हैंहिन्दोस्तां हमारा'

का अर्थ समझे बिना आज के दिन हिंदी भक्त उसे दोहराते आए हैं

तिरछी नज़र 

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हिंदी दिवस की शुभकामनाएं 

आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं संस्कारों की परिचायक है। यह हमारी राष्ट्रभाषा
ही नहीं हमारी पहचान भी है, 
जो संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में पिरोती है।
आइए, हम सब मिलकर 
हिंदी को अधिक से अधिक उपयोग में लाए।

जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम
हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम

मालीगांव 

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दूरी 

काश कि मेरी ख़ुशी में 

तुम भी शामिल होते. 

एक वक़्त वह भी था,

जब हर ख़ुशी में 

हम साथ होते थे,

मैं तुम्हारे पास 

या तुम मेरे पास,

 कविताएँ 

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श्रीसाहित्य पर पढिये हिंदी का परचम-  

*हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं* *हमारा गौरव हमारी शान* *हमारा मान सम्मान,अभिमान* *हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।* *इसका पोषण हमारा कर्तव्य भी है,* *बाइस भारतीय भाषाओं की* *सूत्रधार है हिन्दी,* sudhir-sriwastwa 

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चेतावनी चेतना को 

कोई नहीं तोड़ता चुप्पी
कोई नही करता हल्ला
कहाँ गई सारी चेतना?
क्या हो गया है इन दिशाओं को? 
एकोऽहम् 

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एक चेहरा एक शख्सियत जरूरी है सामने रखना बेचने के लिये सब कुछ अंदर बाहर का सारा सब कुछ लगाये बिना कोई भी नकाब 

उलूक टाइम्स 

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कविता : 'हिंदी भाषा न्यारी' नागेश पांडेय 'संजय' 

बालसाहित्य सृजन 

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हिंदी दिवस पर शुभकामनाएँ 

सदियों से चले आ रहे 

अविरल विचार प्रवाह के साथ 

जोड़ती है हमें हमारी भाषा 

जिसे  जीवित रखना है 

तो समृद्ध बनाना होगा 

तकनीक से जोड़कर 

रोजगार लायक सिखाना होगा 

हिंदी दिवस पर जरा रुककर देखें 

मंज़िलें तय की हैं कितनी

मन पाए विश्राम जहाँ 

--

अध खुला दरवाज़ा 

मैं अक्सर ख़ुद
को ढूंढता हूँ,
शहर भी
वही
है, लोग भी जाने पहचाने, आख़िर
मेरे चाहने वाले, जाने किधर
गए 
अग्निशिखा 

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हिंदी, अपनाना है तो दिल से अपनाएं 

14 सितम्बर, हिंदी दिवस। अपनी राष्ट्र भाषा को संरक्षित करने के लिए, उसकी बढ़ोत्तरी, उसके विकास के लिए मनाया जाने वाला दिन। पर मेरे लिए इस दिन की शुरुआत ही बड़ी अजीब रही ! अभी अपने संस्थान पहुंचा ही था कि एक छात्रा सामने पड़ गयी। छूटते ही बोली, हैप्पी हिंदी डे सर  ! मैं भौंचक, क्या बोलूँ क्या न बोलूँ ! सर हिला कर आगे बढ़ गया। पर दिन भर दिमाग इसी में उलझा रहा कि क्या हम सचमुच अपनी भाषा का आदर करते हैं ? क्या हमारी दिली ख्वाहिश है की हिंदी आगे बढे ! इसे विश्व परिदृश्य में सम्मान मिले ! इसकी एक समृद्ध भाषा के रूप में पहचान बने ? या फिर इस एक दिन की नौटंकी सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए वातानुकूलित कमरों में बैठ सिर्फ सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने के लिए की जाती है ?  
शिखर की  दस भाषाओं  ने विश्व की करीब 40 प्रतिशत आबादी  को समेट रखा है। उन दस  भाषाओं  में  हमारी हिंदी  तीसरे स्थान पर  है। उसके  आगे  सि र्फ चीन की मैंड्रीन पहले नम्बर पर तथा दूसरे नम्बर पर अंग्रेजी है। इन आंकड़ों से हिंदी की अहमियत  को अच्छी तरह समझा जा सकता है 

कुछ अलग सा 

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राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल ? 

(लेखक : स्वराज करुण)
  हमारे  अनेक विद्वान साहित्यकारों और महान  नेताओं ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में महिमामण्डित किया है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता की भाषा भी कहा है ।   उनके विचारों से हम  सहमत भी हैं । हमने  15 अगस्त  2021 को अपनी आजादी के 74 साल पूरे कर लिए और  हिन्दी को राजभाषा का संवैधानिक दर्जा मिलने के 72 साल भी आज 14 सितम्बर 2021 को पूरे हो गए। लेकिन राष्ट्रभाषा और राजभाषा को लेकर आज भी कई सवाल जस के तस बने हुए हैं। उनके जवाबों का हम सबको   इंतज़ार है।

मेरे दिल की बात 

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एक पत्र बेटे के नाम 

प्रिय बेटे,

            सदैव खुश रहो !
 "आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास" है, कि तुम फिर पिछले साल की तरह इम्तहान के लिए, "दिन दूनी रात चौगुनी" मेहनत कर रहे होगे । तुम्हारा पत्र देखते ही दादी माँ "खुशी से फूली नहीं समाई" ।  

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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आज के लिए बस इतना ही..।

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13 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक|मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स आज के अंक की |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संकलन आदरणीय सर।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. हिन्दी दिवस पर बहुत सुंदर सारगर्भित अंक । वैविध्यपूर्ण अंक के संकलन के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवम अभिनंदन । मेरे पत्र को स्थान देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. आज के चर्चा -मंच में बेहतरीन रचनाओं के लिंक्स आपने दिए हैं। रचनाओं को पढ़कर उनका सार -संकलन तैयार करने में आपका परिश्रम निश्चित रूप से सराहनीय है। मुझे भी स्थान देने के लिए आपको बहुत -बहुत धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरा स्वास्थ्य तो अभी ठीक नहीं है।
      बस... किसी तरह से राम-राम जपते हुए,
      प्रतिकूल परिस्थितियों में चर्चा लगाता हूँ।

      हटाएं
  8. हिन्‍दी को लेकर इतनी, ढेर सारी सामग्री एक ही स्‍थान पर पाना, मुझ जैसों के लिए तो लाटरी खुल जाने से कम नहीं है। आपका परिश्रम मुझे अत्‍यधिक सहायक होगा। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  9. श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर अभिवादन

    जवाब देंहटाएं
  10. शानदार चर्चा अंक।
    सुंदर लिंको का चयन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार चर्चा बहुत ही सुंदर सुंदर ब्लॉग्स को एक साथ पिरोने का जो काम आपने किया है आप बधाई के पात्र है
    मेरी पोस्ट ओ चर्चा में शामिल करने के लिए आपका आभार धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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