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बुधवार, सितंबर 22, 2021

‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’ (चर्चा अंक-4195)

मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

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वर्ष 2021 के बुकर प्राइज़ के लिए शॉर्ट लिस्ट हुये उपन्यासों की सूची हुई जारी 

वर्ष 2021 के बुकर प्राइज़ के लिए जिन उपन्यासों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है वह निम्न हैं:

वर्ष 2021 के बुकर प्राइज़ के लिए शॉर्ट लिस्ट हुये उपन्यासों की सूची हुई जारी
बुकर 2021 के लिए शॉर्ट लिस्ट हुए उपन्यास 

एक बुक जर्नल 

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गुब्बारेवाला इन्हीं दिनों एक बार फिर श्री रविंद्रनाथ टैगोर की कालजयी कृति ''काबुलीवाला'' पढ़ते हुए विचार आया कि यदि वह घटना आज घटी होती, तो रहमत खान जेल से छूटने पर आज जैसी विषम परिस्थितियों में  अफगानिस्तान कैसे जा पाता ! अपने वतन ना लौट पाने की मजबूरी में उस जेलयाफ्ता को कहां शरण मिलती ! कौन उसे पनाह देता ! उसी महान रचना ''काबुलीवाला'' से प्रेरित है यह अदना सा प्रयास "गुब्बारेवाला"! एक भावनात्मक आदरांजलि आदरणीय गुरुदेव को  

बाबा ! बेलून  !"   

बाजे जिनिश ! आमरा बॉल निए खेलबो !"

ना ss ! आमाके बेलून चाई  !"

कुछ अलग सा 

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माटी की मूरत 

उमड़-घुमड़ उठे मन में खुशी के बदरा  
जब देखी मैंने हो गई मूरत बन के तैयार 
पर आह! पल में फिसली वह हाथों जो मेरे 
टूटी-चटकी सारी मेहनत हुई मेरी बेकार
तभी तो  कहता संभल जरा 
हाथों मूरत न फिसल जाय
टूट-चटक फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

..अर्जित रावत  

KAVITA RAWAT 

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जब अकेले ही जहाँ में आ गये-जायेंगे भी... 

विशाल चर्चित (Vishaal Charchchit) 

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एक निमन्त्रण हवा में 

उम्र के भटकाव पर बेहोश भीड़ जहाँ लगाती है नारा,
उस गाँव में कर रहा हूँ
इन्तजार मैं तुम्हारा।
मुझसे मिलनेवालों! आओ
मुझसे मिलो और देखो कि
मैं कहाँ जी रहा हूँ, कैसे जी रहा हूँ 
एकोऽहम् 

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सेकेंड फ्लोर से फेंक दिया 1 महीने का बच्चा और फिर... 

देशनामा 

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गहमा-गहमी के बाद तय हुआ  चन्नी का नाम  

नए मुख्यमंत्री का नाम तय होने के बाद भी यह विवाद खत्म होने वाला नहीं है, क्योंकि पंजाब के प्रभारी हरीश रावत ने किसी चैनल पर कह दिया कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू बनेंगे। इस बात पर सुनील जाखड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सिद्धू समर्थक भी इस बात से नाराज है कि उनके नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। अब प्रतिक्रियाएं श्रृंखला की शक्ल लेंगी और उनके जवाब आएंगे। शायद नेतृत्व ने इन बातों पर विचार नहीं किया था। 
जिज्ञासा 

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इतिहास लेखन को देनी होगी नई दृष्टि, नहीं तो इतिहास के कई गौरवपूर्ण तथ्य बने रहेंगे अनजान 

भारत के राष्ट्रवादी इतिहासकारों को उन घटनाओं को खोज निकालना चाहिए जो इतिहास में गुम हो गईं वीर सावरकर का उचित मूल्यांकन भी आवश्यक। देश प्रेम से ओत-प्रोत ऐसी घटनाओं के बारे में इतिहास की पुस्तकों में कोई विवरण नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह है एकांगी इतिहास लेखन। *कृपाशंकर चौबे।* इतिहास की पुस्तकों में जलियांवाला बाग और चौरीचौरा जैसी घटनाओं का वृत्तांत तो मिलता है, किंतु स्वाधीनता संग्राम के दौरान ऐसी कई खौफनाक घटनाएं घटीं, जो आज भी... 
कबीरा खडा़ बाज़ार में 

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मोहब्बत उसे भी थी- 

हां मोहब्बत उसे भी थी, वो प्यार का सागर सारा। उर तरंगे ले हिलोरे, अविरल बहती नेह धारा।ramakant-soni

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मेरा अस्तित्व 

फिसल रहा

सिक्ता कणों सा

मैं खोजती रही उसे भी 

पर  खोज अधूरी  रही

उसे तो खोया ही

खुद का वजूद

भी न मिला  

Akanksha -Asha Lata Saxena 

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सर ए० ओ० ह्यूम का विलाप 

(सूरदास के पद – ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’ की तर्ज़ पर)

कांग्रेस की डूबत नैया
मात-सपूत जबर जोड़ी जब जाके बने खिवैया
दल के नेता संकेतन पै नाचैं ताता थैया
प्रतिभा-भंजक युवा-बिरोधी घर-घर फूट पडैया

तिरछी नज़र 

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एक गीत- चाँदनी निहारेंगे 

रंग चढ़े

मेहँदी के

मोम सी उँगलियाँ हैं ।

धानों की

मेड़ों पर

मेघ की बिजलियाँ हैं। 

छान्दसिक अनुगायन 

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हारी हुई बाज़ी 

कई
बार न चाह कर भी हम जीते हैं
किसी और के लिए, इस
सोच में कि हमारे
खोने से कहीं
उजड़ न
जाए
किसी और का सपनों का गांव 
अग्निशिखा  

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पितर पक्ष 

दादू का श्राद्ध दादीजी की यादों का खुला पिटारा  हायकु गुलशन..*HAIKU GULSHAN * 

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बुढ़ापा और एकल परिवार शहर ही नहीं, अब गांवों में भी एकल परिवार हो गए हैं। बच्चे और युवा मोबाइल पर या आधुनिक संसाधनों में व्यस्त रहते हैं। खेती बाड़ी की जगह नौकरी पेशे ने ले ली है।  अब गांवों में भी युवा वर्ग कम ही नज़र आता है।  और शहरों में तो यह हाल है कि जहाँ बच्चों की विधालय शिक्षा पूर्ण हुई, उसके बाद कॉलेज, फिर नौकरी अक्सर दूसरे शहर या देश में ही होती है।  यानि बच्चे व्यस्क होकर एक बार घर से निकले तो फिर कभी कभार मेहमान बनकर ही घर आते हैं।  शादी के बाद तो निश्चित ही अपना घर बनाने का सपना आरंभ से ही देखने लगते हैं। ऐसे में बड़े अरमानों से बनाये घर में मात पिता अकेले ही रह जाते हैं।   अंतर्मंथन 

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कवित्त मेरे पूज्य पिता श्री घासीराम आर्य का सातवाँ वार्षिक श्राद्ध (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

श्रद्धा भाव से करूँगा आज श्राद्ध को,
मेरे पूज्य पिता श्री आपको नमन है।
जीवन भर आपने जो प्यार और दुलार दिया,
मन की गहराइयों से आपको नमन है।

उच्चारण --

आज के लिए बस इतना ही।

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14 टिप्‍पणियां:

  1. राजनीतिक समीक्षाऍं देखकर अच्‍छा लगा। आज का चयन एकतरफा अनुभव होता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स आज के अंक की |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. इस बार लिंक्स ज़रा हट के हैं पर अच्छे हैं। शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी। 🙏🏻

    जवाब देंहटाएं
  4. सराहनीय संकलन,बेहतरीन प्रस्तुति ।बहुत शुभकामनाएं आदरणीय शास्त्री जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु बहुत-बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. आपको फिर व्यस्त और सक्रिय देख कर बहुत अच्छा लगा! सदा स्वस्थ व प्रसन्न रहें । मुझे सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार । यूहीं स्नेह बना रहे

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी श्रमसाध्य प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचनाओं से सुसज्जित श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  10. विविध विषयों एवं विधाओं से सजी लिंक । सभी पोस्ट पर नही जा सकी इसके लिए माफी चाहूँगी । मेरी रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय शास्त्री जी सादर प्रणाम।आपका हार्दिक आभार

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  12. https://ulooktimes.blogspot.com/2021/09/blog-post_13.html?showComment=1632451404477&m=1#c2802651303892541668

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