सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया सुधा देवरानी जी की रचना से)
हौसला माँ ने दिया , 'पर' दे रहे पापा
कहकही सुन डर भला,क्यों खोयें हम आपा
यूँ ना अब से डरेंगे हम ,
आसमाँ चूम लेंगे हम
माँ का हौसला और पापा की देखभाल वो खाद पानी है जो यदि मिले
तो बेटियों को आसमान छूने से कोई नहीं रोक सकता
बेटियों का हौसला बढ़ती सुधा जी की लाज़बाब सृजन
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आज शहीदे-ऐ-आजम भगत सिंह का जन्मदिवस भी है
1907 में 27 और 28 सितम्बर की रात पंजाब के लायलपुर जिले (वर्तमान में पाकिस्तान का फैसलाबाद) के बांगा गाँव में हुआ था, इसलिए इन दोनों ही तारीखों में उनका जन्मदिन मनाया जाता है।भगत सिंह वो अमर शहीद है जिन्होंने देशवासियों के दिलों में क्रांति की चिंगारी जलाई थी। ऐसे व्यक्तित्व कभी मरते नहीं वो कही-न-कही,किसी-न-किसी रूप में युवा पीढ़ी के दिलों में देशप्रेम की ज्वाला जला ही देते हैं....
भारत के इस महान क्रांतिकारी को सत-सत नमन करते हुए
चलते हैं,आज की रचनाओं की ओर....
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खारे जल का पान कर, मोती देती सीप।
आलोकित जग को करें, आसमान के दीप।।
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माया मालिक की नहीं, कोई पाया जान।
विज्ञानी सब जगत के, हो जाते हैरान।।
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ख्वाब हर पूरा करेंगे, भेड़ियों से ना डरेंगे
सीख कर जूड़ो-कराँटे, अपने लिए खुद ही लडेंगे
हर बुरी नजर की नजरें नोंच लेंगे हम
आसमाँ चूम लेंगे हम
खुशी से झूम लेंगे हम ।
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अभी-अभी...
घर- आंगन के हर कोने से
स्मृतियों के तो तार जुड़े है
कौन तार गठरी में बाँधू
सब के सब अपने लगते हैं
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भटकता मुसाफिर..
आखिर तुम्हें क्या तकलीफ है पथिक
खामोश और तन्हा घूम रहे हो
सूरज भी झील मे डूब गया है,
और कोई पक्षी भी चहचहाता नहीं है।
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मन की बातें .......शब्दों के सहारे...
सत्य ईश्वर से परिचित कराता ,सत्य जीवन को
खुशियों से भरता
सत्य शान्ति का पाठ पढ़ाये,सत्य वक्त का मरहम होता है।
सत्य पर अडिग रहो सत्य ही सही राह दिखाता
सत्य को भूलो नही सत्य ही ईश्वर सत्य ही ईमान होता।।
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साधक
-----------------पुराने सिक्के
पुराने सिक्कों को देख कर
मां को याद आ जाते हैं पिता
पंच पैसी या दस पैसी
चवन्नी अठन्नी या रूपया को देख
पिता के संग यात्रा कर लेती है वह
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जागो-जागो ऐ इंसान
मत कर मानव झूठी शान,धरा रह जाएगा गुमान।
जरा तू मेरी भी तो मान,जागो-जागो ऐ इंसान।
छल-छद्दम से दो पैसे जब, हाथ कभी पा जाते हो।
तुझ-सा बड़ा न कोई प्राणी,ऐसी अकड़ दिखाते हो।
तू है बहुत बड़ा नादान,जागो-.......
धन-दौलत का गर्व क्यों करते,इसका कोई मोल नहीं।
साथ न तेरे जाएगा यह,जाएगा तू छोड़ यहीं।
गर्व क्यूं करता है इंसान,जागोे.......
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पेड़ों की व्यथा हर किसी को सुनाई नहीं देती मगर...
गौर से सुनिए "पेड़ भी हमारी खातिर ही रो रहें हैं.....
उनका अपना कोई निहित स्वार्थ नहीं है...
पेड़ों के दर्द को महसूस कीजिये संदीप जी की इस रचना में...
कट जाएगी जीवन की उम्मीद
मेरे
कटे शरीर पर
लोग पैर रखकर
बतिया रहे हैं
कि
पर्यावरण बहुत बिगड गया है, गर्मी भी बहुत है।
मैं सुन पा रहा हूं
प्रकृति और धरा की चीख
मेरे कटे शरीर को देखकर
उसमें मां का दारुण दर्द है।
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आज हमारी देश की सुरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी का भी जन्मदिन है
उनको जन्मदिन की अशेष शुभकामनायें
ऐसी हस्तियाँ भी कभी-कभी ही जन्म लेती है।
आज का सफर यही तक ,अब आज्ञा दे
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
सदैव की तरह सुन्दर चयन। 'पुराने सिक्के' अन्तरतल को भीगो गई यह रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति भगत सिंह की जयंती पर लिखा गया लेख बहुत ही सरहानीय है! इसके लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया 🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंभारत के वीर सपूत और हमारी आन बान शान सरदार भगत सिंह की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन हम हमेशा आपके आभारी रहेंगे!🙇🙌❤
आप हमारे आदर्श थे,आदर्श हो और हमेशा रहोगे!
इस कदर वाकिफ़ है
मुझ से मेरी कलम
कि इश्क़ भी लिखना चाहता हूँ
तो इंकलाब लिख जाता है!
जला अस्थियाँ बारी-बारीचिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर और बेहतरीन सूत्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति ।शहीदे-ऐ-आजम भगत सिंह को कोटि कोटि नमन। आज की नायाब प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना को शामिल करने के लिए साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंआपका तहे-दिल से आभार mam आपने मेरी रचना को इतने गुणी जनों की रचना के साथ शामिल किया, अपना आशिर्वाद हमेसा बनाए रखें धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ,कामनी जी आपका बहुत बहुत आभार हमारी रचना को ज़हमिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक तथा सामयिक संकलन कामिनी जी, हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाओं से सजा अंक। साथी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंअमर शहीद भगतसिंह की पुण्य स्मृति से लेकर सुर कोकिला लतामंगेशकर जी के जन्मदिन की जानकारियों के साथ बहुत ही रोचक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं उत्कृष्ट।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने एवं शीर्षक में लेने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीय कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति। सभी रचनाएं बेहतरीन।
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