सादर अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आ. विभा रानी श्रीवास्तव जी की रचना से -
हौले से चढ़े
एक-एक सीढ़ियाँ
गुरु का ज्ञान।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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तीन-चार दिन अस्पताल की आई.सी.यू. में रहने के बाद मेरी हालत में सुधार होने लगा तो मुझे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। 12 दिन में वहाँ मैं कोरोना से मुक्त हो गया और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर अपने घर आ गया। लेकिन भूख बिल्कुल समाप्त हो गयी थी। ऑक्सीजन के सिलिंडर और दूध के बल पर 2 महीने गुजर गये। उसके बाद ऑक्सीजन का सिलिंडर तो हट गया। लेकिन स्वास्थ्य बहुत गिर गया। मैं बिल्कुल चल नहीं पाता था। किन्तु मेरे सफाई कर्मचारी ने पुत्र से भी बढ़कर मेरी मेरी सब तरह से सेवा की और मैं अब थोड़ा-थोड़ा चलने लगा हूँ।
01. मेघ के स्पर्धा
अभिनय की मुद्रा
हवाई यात्रा
महसूस करता हूँ हर पल मैं तुम्हें
मेरे संग परछाई तुम्हारी है।
कटता है हर पल सदियों के बराबर
मेरे दिल में आज भी यादें तुम्हारी है।
हे वृक्ष
कतिपय
तुम्हारी छाया के अवलंबन में
अभ्रांत सहृदयता के पलों के
सात्विक तत्व से
आश्रय पाकर ही
सूर्य की तेजस्विता से
आलोकित होता है जीवन ...!!
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घर के रिनोवेशन का काम चल रहा था ,तभी एक शादी में जाने का निमंत्रण आया । काम से थका तन ,मन को सहला गया कि आज तो बिना मेहनत के ही अच्छा भोजन मिलेगा । बिखरे सामानों में खोजने पर भी मनचाही चप्पल नहीं मिली तो एक रिजेक्टेड चप्पल पहन ली कि साड़ी के नीचे से चप्पल कौन देखेगा । वेन्यू पर हम बारात के साथ ही पहुँचे । बस दूल्हे को देखने की उत्सुकता में पैर मुड़ा और चप्पल का एक स्ट्रेप हवा में और मैं लड़खड़ा गयी । बिना कुछ जताए ,पास पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गयी । पतिदेव ने खाने के लिए चलने को कहा ,तब बताया कि मैं तो चल नहीं पाऊँगी वो खा लें । बिचारे परेशान से बोले ,"तुम नहीं खा पाओगी तो छोड़ो घर चलते हैं ।" मैं तुरन्त बोल पड़ी ,"सुनो ! आप खाना खा लो ,अब वापस जा कर मैं तो नहीं बनानेवाली ।" पास से गुजरते वेटर से स्नैक्स ले अपना काम चलाया मैंने 😄
हे गजकर्ण पधारो
मेरी उस अनंतर्ध्वनि में
जिसमें आज भी प्रश्न
गूंजता है कि
क्यों नहीं सुनी थी
तुमने मेरी पुकार
मेरी चीत्कार
मय लिख मयखाना लिख
कुछ पीना लिख कुछ पैमाना लिख
दिन हो गये कुछ नहीं लिखे
लिख ले किसी दिन सारा जमाना लिख
नियम लिखने लिखाने के रहने दे
बेखौफ लिख
लेखक एक दीवाना लिख
बदल गयी वो सारी गुलज़ार गालियाँ आज l
मशहूर थी इश्क़ चर्चे से जो कभी सरेआम ll
दीमक लग गयी उन यादोँ की रंगत को आज l
बहा ले गयी थी अश्क जिसे कभी अपने साथ ll
भक्ति भाव खुशियां आनंद से ,
हल्दी चन्दन और कुमकुम से
स्वागत है स्तुति वंदन से ,
गणपति विराजे हैं ऋद्धि सिद्धि संग से ।
• जब ये अच्छे से मिल जाये इस में चीनी पाउडर और केसर वाला दूध डाले। धीमी से मध्यम आंच पर लगातार चलाते रहे। जब मिश्रण मावे (चित्र 3) जितना गाढ़ा हो जाये तब गैस बंद कर दीजिए। हमें यह मिश्रण बहुत ज्यादा गाढ़ा नहीं करना है। क्योंकि थंडा होने पर यह और गाढ़ा होता है। इसी स्टेज पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि यदि यह मिश्रण ज्यादा पतला रह गया तो मोदक बराबर नहीं बन पायेंग़े और यदि मिश्रण ज्यादा गाढ़ा हो गया तो भी मोदक बराबर नहीं बन पायेंगे। मिश्रण ज्यादा गाढ़ा होने पर वो बिखर भी जाता है।
• इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए दूसरे किसी बाउल में निकाल लीजिए। पैन में ही रहने देने से वो और ज्यादा गाढ़ा हो जायेगा।
आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
आभार अनिता जी | आदरणीय शास्त्री जी के लिए शुभकामनाएं शीघ्र स्वस्थ होंवें |
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा 'मेघ के स्पर्धा'(चर्चा अंक-४१८४) पर करने हेतु सादर धन्यवाद ।
सभी रचनाएं बेहतरीन, सभी आदरणीय को बधाई एवं शुभ कामनाएं ।
जय श्री गणेश ।
उम्दा कहरच। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता।
जवाब देंहटाएंविविध रंगों से सजा आज का अंक !! बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी ,आज के लिंक में मेरी रचना भी स्थान दिया !!
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी के अवसर पर सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनायें, सुंदर चर्चा, शास्त्री जी को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति अनीता जी । बहुत सुन्दर लिंक संयोजन । चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी|