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Tuesday, September 21, 2021

"बचपन की सैर पर हैं आप"(चर्चा अंक-4194)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से)

जो ले चल रहें हैं हमें बचपन की सैर पर 

और मैं

लौट आता हूं

आज में

उस खूबसूरत कल से 

दोबारा लौटने का वादा कर।

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संदीप जी,एक बार बचपन की उन गलियों में जाने के बाद लौटने का दिल तो नहीं करता

पर,लौटना पड़ता....

आपका दिल से शुक्रिया बचपन की गलियों में सैर करवाने के लिए... 

जहाँ कम में भी खुशियों ज्यादा होती थी।  

दुःखद है, आज की पीढ़ी के बच्चें तो उन खुशियों से भी महरूम है... 

वो तो पैदा होते ही बड़े हो जा रहें हैं.... 

खुशकिस्मत थे हम 

चलिए, जीते है चंद पल कल्पनाओं की दुनिया में.... 

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बचपन की सैर पर हैं आप


कभी 

जब उदास होता हूं

लौट जाता हूं

बचपन की राह

यादों की उंगली थामकर।

कितने खरे थे

जब 

शब्दों में तुतलाहट थी

बेशक कहना नहीं आता था

लेकिन


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माटी की मूरत
माटी संग पढ़ा, खेला-कूदा बड़ा हुआ मैं
गूँथ-गूँथ मैंने उसे अच्छे से तैयार किया
जब वह ज्यादा तरल और न थी  सख्त
तब मैंने उसे नरम आटा सा बना दिया
पर जरा सम्भलकर
कहीं देर न हो जाय
गूँथी मिट्टी फिर वापस
पहले जैसे न रह पाए

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गुब्बारेवाला
विजय बाबू, शहर के नामी-गिरामी बड़े वकील, अपनी पांच वर्षीय बिटिया मिनी के साथ शाम को टहलने निकले थे। वहीं पार्क गेट के सामने ही एक गुब्बारेवाला अपनी रेहड़ी पर गैस सिलिंडर और उस पर धागे से बंधे हवा में लहराते गैस भरे तरह-तरह के रंगीन गुब्बारों को बेचते खड़ा था। ------------
मुहब्बत की बरसात हो (ग़ज़ल)
जिंदगी में मुहब्बत की बरसात हो।
मुहब्बत ही हमारा बस सौगात हो।

मुहब्बत का बादल , छाये गगन में,
गरज के साथ मुहब्बत का प्रपात हो।

मुहब्बत की धरा पर,गिरे बूंद बनकर,
दिन में शुरू हो गिरना तो फिर रात हो।

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स्त्री लिपि
मनुस्मृति के पन्नों पर
एक श्रद्धा थी स्त्री लिपि
जो मनु की ताकत बन पहुंची थी
उसके उद्विग्न मन के आगे,
 थमाई थी उसे अपनी जीवनदायिनी उंगली
और प्रकृति के कण कण में मातृरूप लिए
 हवाओं की छुवन को आत्मसात किया था ।

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पिण्डदान
क्या करूँ..! पितृपक्ष लगभग सितम्बर में ही आता है। वैसे भी जब मन अवकाश में होता है.. शीतलता उष्णता का अनुभव कर लेता है। अगर मजबूरी में आना होता तो शायद बुद्धिमानी नहीं होती.. लेकिन हमारे पास वातानुकूलित स्थल होने बाद भी हम यहाँ आये। संस्थापक कुमारगुप्त प्रथम को विश्वास दिलाना था... स्वर्ण काल का इतिहास दोहराया तिहराया जा सकता है।"-------
स्थगित

रेल की पटरियों पर बदहवास रोती चली जा रही दीप्ति के

 पीछे एक भिखारिन लग गई 

-ए सिठानी तेरे कूँ मरनाईच न तो अपुन को ये शॉल, 

स्वेटर और चप्पल दे न…ए सिठानी …!

दीप्ति ने शॉल, स्वेटर और चप्पल उसकी तरफ उछाल दिए। 

 भिखारिन और तेजी से पीछा करने लगी।

- ऐ सिठानी ये चेन और कंगन भी दे न…भगवान भला करेंगे…!


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राहुल आज जब स्कूल से लौटा तो बहुत अनमना सा दिखाई दे रहा था, रोज की तरह आते ही ना तो उसने मम्मी से खाने के बारे में पूंछा और ना ही अपने स्कूल की कोई बात की। बस सीधा आकर बैग और जूते उतार सोफे पर उल्टा लेट गया। राधिका के मन में थोडी चिंता हुयी। 
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लघुकथा- बेकरी शॉप।
सोहन और शोएब बचपन के दोस्त थे। एक ही गली में आमने-सामने दोनों के पुश्तैनी मकान थे तो दोस्ती होना लाजमी था। दोनों के घरवालों में भी खूब बनती थी इसलिए जब सोहन और शोएब बड़े हुए तो अपने घर वालों की मदद से पास के ही मार्केट में एक बेकरी शॉप खोल दिया।-------
प्रिय मनीषा प्रेम का पौधा कभी नहीं मुरझाता बिना 
खाद-पानी के भी वो आजीवन हरा भरा ही रहता है 


जो ले कर आयेगी, 
मेरे कष्ट भरे जीवन में खुशियाँ!
इसी आश में वो आज भी खड़ा है, 
कभी मुरझाया, 
तो कभी हरा- भरा है! 

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चलिए अब कल्पनाओं की दुनिया से हक़ीक़त की दुनिया में वापस आते है 
क्योंकि जीना तो यही है 

आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे 
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 



12 comments:

  1. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!

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  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति। सभी रचनाएं उत्तम।

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  4. सभी अंक बहुत ही बेहतरीन और पढ़ने योग्य है!
    मेरी रचना को चर्चा मंच में जगह देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏🙏🙏🙏

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  5. बहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना का मान देने के लिए साधुवाद...।

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  6. आप जी अलग अलग ब्लॉग्स के पोस्ट एक साथ माला में पिरोकर पेश कर रहे है उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद सर जी
    मेरे दूसरे ब्लॉग विश्व आदर्श भाम्बू परिवार पर पधारने ओर उसकी पोस्ट को भी अपनी चर्चा में शामिल करने की।कृपा करें आपकी अति कृपा होगी
    https://bhamboofamily.blogspot.com

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  7. चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
    आपका धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी।

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  8. बहुत सुंदर शानदार चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपको ।

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  9. रचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार !

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  10. सुन्दर सराहनीय सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।

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  11. बहुत उम्दा चर्चा…कामिनी जी मेरी रचना को भी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, 🙏

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  12. चर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार आप सभी को

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