सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय संदीप जी की रचना से)
जो ले चल रहें हैं हमें बचपन की सैर पर
और मैं
लौट आता हूं
आज में
उस खूबसूरत कल से
दोबारा लौटने का वादा कर।
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संदीप जी,एक बार बचपन की उन गलियों में जाने के बाद लौटने का दिल तो नहीं करता
पर,लौटना पड़ता....
आपका दिल से शुक्रिया बचपन की गलियों में सैर करवाने के लिए...
जहाँ कम में भी खुशियों ज्यादा होती थी।
दुःखद है, आज की पीढ़ी के बच्चें तो उन खुशियों से भी महरूम है...
वो तो पैदा होते ही बड़े हो जा रहें हैं....
खुशकिस्मत थे हम
चलिए, जीते है चंद पल कल्पनाओं की दुनिया में....
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कभी
जब उदास होता हूं
लौट जाता हूं
बचपन की राह
यादों की उंगली थामकर।
कितने खरे थे
जब
शब्दों में तुतलाहट थी
बेशक कहना नहीं आता था
लेकिन
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विजय बाबू, शहर के नामी-गिरामी बड़े वकील, अपनी पांच वर्षीय बिटिया मिनी के साथ शाम को टहलने निकले थे। वहीं पार्क गेट के सामने ही एक गुब्बारेवाला अपनी रेहड़ी पर गैस सिलिंडर और उस पर धागे से बंधे हवा में लहराते गैस भरे तरह-तरह के रंगीन गुब्बारों को बेचते खड़ा था। ------------
क्या करूँ..! पितृपक्ष लगभग सितम्बर में ही आता है। वैसे भी जब मन अवकाश में होता है.. शीतलता उष्णता का अनुभव कर लेता है। अगर मजबूरी में आना होता तो शायद बुद्धिमानी नहीं होती.. लेकिन हमारे पास वातानुकूलित स्थल होने बाद भी हम यहाँ आये। संस्थापक कुमारगुप्त प्रथम को विश्वास दिलाना था... स्वर्ण काल का इतिहास दोहराया तिहराया जा सकता है।"-------
रेल की पटरियों पर बदहवास रोती चली जा रही दीप्ति के
-ए सिठानी तेरे कूँ मरनाईच न तो अपुन को ये शॉल,
स्वेटर और चप्पल दे न…ए सिठानी …!
दीप्ति ने शॉल, स्वेटर और चप्पल उसकी तरफ उछाल दिए।
भिखारिन और तेजी से पीछा करने लगी।
- ऐ सिठानी ये चेन और कंगन भी दे न…भगवान भला करेंगे…!
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राहुल आज जब स्कूल से लौटा तो बहुत अनमना सा दिखाई दे रहा था, रोज की तरह आते ही ना तो उसने मम्मी से खाने के बारे में पूंछा और ना ही अपने स्कूल की कोई बात की। बस सीधा आकर बैग और जूते उतार सोफे पर उल्टा लेट गया। राधिका के मन में थोडी चिंता हुयी।
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लघुकथा- बेकरी शॉप।
सोहन और शोएब बचपन के दोस्त थे। एक ही गली में आमने-सामने दोनों के पुश्तैनी मकान थे तो दोस्ती होना लाजमी था। दोनों के घरवालों में भी खूब बनती थी इसलिए जब सोहन और शोएब बड़े हुए तो अपने घर वालों की मदद से पास के ही मार्केट में एक बेकरी शॉप खोल दिया।-------
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बहुत सुंदर प्रस्तुति। सभी रचनाएं उत्तम।
जवाब देंहटाएंसभी अंक बहुत ही बेहतरीन और पढ़ने योग्य है!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में जगह देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏🙏🙏🙏
बहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना का मान देने के लिए साधुवाद...।
जवाब देंहटाएंआप जी अलग अलग ब्लॉग्स के पोस्ट एक साथ माला में पिरोकर पेश कर रहे है उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद सर जी
जवाब देंहटाएंमेरे दूसरे ब्लॉग विश्व आदर्श भाम्बू परिवार पर पधारने ओर उसकी पोस्ट को भी अपनी चर्चा में शामिल करने की।कृपा करें आपकी अति कृपा होगी
https://bhamboofamily.blogspot.com
चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी।
बहुत सुंदर शानदार चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपको ।
जवाब देंहटाएंरचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहनीय सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा…कामिनी जी मेरी रचना को भी चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, 🙏
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार आप सभी को
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