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Friday, September 24, 2021

"तुम रजनी के चाँद बनोगे ? या दिन के मार्त्तण्ड प्रखर ?" (चर्चा अंक- 4197)

सादर अभिवादन ! 

शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन ! 

आज की चर्चा का शीर्षक श्री रामधारी सिंह जी "दिनकर" के "धूप छांह" संग्रह से "शक्ति या सौंदर्य'

के कवितांश से लिया गया है -


तुम रजनी के चाँद बनोगे ?

या दिन के मार्त्तण्ड प्रखर ?

एक बात है मुझे पूछनी,

फूल बनोगे या पत्थर ?


तेल, फुलेल, क्रीम, कंघी से

नकली रूप सजाओगे ?

या असली सौन्दर्य लहू का

आनन पर चमकाओगे ?

--

आइए अब  बढ़ते हैं आज की चर्चा के चयनित सूत्रों की ओर -


प्रश्न-चिह्न

किन्तु मितवा!

रात काली और गहरी हो न जाये

और ये गूँगी दिशाएँ

ठेठ बहरी हो न जायें

इसलिए तुम आज ठहरो

***

चरैवेति .....चरैवेति .....!!

दिशा बोध 

हृदय  के भीतर के 

सूक्ष्म दिव्य प्रकाश की  परिणति है |

कर्म ही प्रकृति है ,

चलते रहना ही नियति है .....!!

चरैवेति .....चरैवेति .....!!

***

तुमसे प्रेम करते हुए-(२)

मेरे दिल से तुम्हारे मन तक

जो भावनाओं की नदी बहती है

निर्मल कल-कल,छल-छल,

जिसकी शीतल,मदिर धाराएँ

रह-रह कर छूती है

आत्मिक अनुभूति के 

सुप्त किनारों को

सोचती हूँ

***

निज पर विश्वास

दृष्टा बनके देख

अजा का अद्भुत है लेखा

जिसने लेली सीख

बदल ली हाथों की रेखा

उलझा रेशम छोड़

बटे तृण में मोती पोया।।

***

जाना उस देश

ओ वर्षा के पहले बादल

काले कजरारे भूरे बादल

तुम जाना काली दास की नगरी में  

जहां से मैं आया हूँ  |

मालव प्रदेश मुझे ऐसा भाया

जिसे मैं भूल न पाया

***

आर्थिक दरकार

बड़ी मेहनत से कमाया

इच्छाओं पर अंकुश लगा 

पाई-पाई कर बचाया

कुछ जरूरी जरूरतों के अलावा

नहीं की कभी मन की 

न बच्चों को करने दी

***

कुछ क्षणिकाएँ..अनुभूति

खामोशियाँ 

लिहाज का वसन

अंगवस्त्र बदन

कहने को गुस्ताखियाँ


सहनशक्ति

घातक निरंकुश

मन पर अंकुश

अपरमित असीम भक्ति

***


उम्मीदों का साथ न छोड़ो 

कर्म पथ पर बढ़े चलो

हिम्मत वाले हो तुम तूफानों की दिशाएं मोड़ो

उम्मीदों का साथ न छोड़ो

पतझड़ आता है और चला जाता है

वृक्ष फिर सदा की भांति हरा हो जाता है

***

टूटती किरण

”आप नहीं समझोगी जीजी! साहब की पलकों पर राज जो करती हो, रिश्ते जब बोझ बनने लगते हैं तब दीवारें भी काटने को दौड़ती हैं, अब तो लगता है मरे रिश्तों को कंधों पर ढो रही हूँ, लाश वज़न से ज़्यादा भारी होती है ना!”


कहते हुए किरण रसोई में बर्तन साफ़ करने लगती है।

***

राष्ट्र चिंतक मतलब भगत सिंह

भगत सिंह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा एक इतिहास और एक क्रांति है! जिससे आज की युवा पीढ़ी में जोश आता है! एक ऐसा नास्तिक जो आस्तिकों के हृदय पर राज करता है!

"उम्र छोटी थी,

 पर समझदार बड़े थे।   

 कच्ची उम्र ने भारत माँ से 

 वादे पक्के किये थे।

***

राम का निर्णय(दैवयोग)

जैसे ही राम ने अपना अभिप्राय स्पष्ट किया, लक्ष्मण को यह समझ आ गया कि राम क्षात्रधर्म की सीमित व्याख्या को स्वीकार नहीं करेंगे। राज्य हस्तगत कर सुदृढ़ धर्म के द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन राम के विकल्पों में नहीं था। राम धर्म की “धारण करने वाली” परिभाषा पर अपना निर्णय आधारित कर 

रहे थे।

***

रिलायंस किराना दुकान और ईस्ट इंडिया कंपनी की फीलिंग

छोटे से कस्बाई शहर बरबीघा में भी रिलायंस स्मार्ट का किराना दुकान खुल गया। उसमें सब्जी, फल, मसाला, दूध, पनीर, घी, मक्खन से लेकर दाल चावल, बिस्कुट, चाय सभी कुछ उपलब्ध है।

निश्चित ही पूंजीवाद का यह एक सुरसा स्वरूप है। सब कुछ अपने कब्जे में कर लेने की कवायद दिखती है। 

***

अपना व अपनों का ख्याल रखें…,

आपका दिन मंगलमय हो...

फिर मिलेंगे 🙏

"मीना भारद्वाज"


14 comments:

  1. बहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय संकलन।
    मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु दिल से आभार आदरणीय मीना दी जी।
    सभी रचनाकरो को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति!
    मेरे लेख को चर्चामंच में जगह देने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद🙏

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  3. उत्कृष्ट चयनित सूत्र चर्चा के!!मेरी रचना को भी स्थान दिया हार्दिक धन्यवाद आपका मीना जी!!🙏🙏❤

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  4. उम्दा चयनित पोस्टो से सजा आज का चर्चा मंच |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |

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  5. 'रिलायंस किराना दुकान और ईस्‍ट इंडिया कंपनी की फीलिंग' आज की सर्वाधिक सामयिक, महत्‍वपूर्ण और लाकोपयोगी पोस्‍ट है। यह पढवाने के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुंदर सारगर्भित रचनाओं से सज्जित आज का संकलन, इन्ही के बीच मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार मीना जी,आपको मेरी असंख्य शुभकामनाएं ।

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  7. पढ़निये लिंकों से सजा बेहतरीन चर्चा अंक आदरणीय मीना जी,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन

    ReplyDelete
  8. बहुत सूंदर और उपयोगी लिंक।
    आपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।

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  9. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. मीना जी विभिन्न शानदार लिंक सश्रम आप चुनकर लाई हैं,सभी पठनीय आकर्षक सामग्री के साथ ।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

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  11. बहुत सुंदर चर्चा संकलन

    ReplyDelete
  12. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति।
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद जवं आभार मीना जी!
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  13. बहुत आभार आपका मेरी रचना का सम्मान देने के लिये।

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  14. अत्यंत सुंदर भूमिका और सारगर्भित रचनाओं से सजी बेहतरीन प्रस्तुति दी।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार।

    प्रणाम दी
    सादर।

    ReplyDelete

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