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गुरुवार, अप्रैल 28, 2022

चर्चा - 4414

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
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हर हर महादेव

इस वर्ष ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित होना है इसलिए लगातार सृजन जारी है।आपको कमेंट के लिए परेशान करना मेरा उद्देश्य नहीं है। आप् सभी को कुछ अच्छा लगे तभी टिप्पणी करें।आपका दिन शुभ हो। 

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जानती हूँ भींच ली है तुमने मुट्ठी
दबोच लिए हैं मेरे सारे सपने,
मेरी आशाएं, मेरी अभिलाषाएं और
रोक लगा दी है मेरी हर उड़ान पर,
मेरी हर कल्पना पर, मेरी हर सोच पर !
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''बहुत भाग्यशाली है हमारी रीता! बहुत ही अच्छी ससुराल मिली है उसे। उसके ससुराल वाले बहुत ही खुले विचारों के है। वे बहू और बेटी में कोई फर्क नहीं करते। उनका कहना है कि बहू जो चाहे वो पहन सकती है... 
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बुद्धि और ज्ञान ,दोनों चलते साथ - साथ

बुद्धि थाहे ज्ञान को ,पकड़े उसका हाथ

सही समय दें ज्ञान ,अनुभव कराती बुद्धि

अहंकार के भाव को ,वह चढ़ने न दे माथ ! 

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कभी सुकून कभी बेताबी बन कर छा गया 

वह क्या था जो अक्सर इस दिल को भरमा गया 


पहरों बैठ कर सुलझाये थे सवाल जिसके 

वह दिलेफूल तो इक पल में ही मुरझा गया 

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घर  
एक छत के नीचे कुछ  
लोगों के रहने  से  
घर नहीं होता |  
घर बनता है 
संस्कारी लोगों के साथ 
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धन्यवाद 
दिलबाग 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति|
    आपका आभार आदरणीय दिलबाग सिंह विर्क जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सूत्रों से सजी आज चर्चा प्रस्तुति में मेरे सृजन के सूत्र को साझा करने के लिए सादर आभार दिलबाग सिंह जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शायद दिलबाग सिंह विर्क सर के पास
    समय का अभाव होगा।
    इसलिए मैंने चित्र लगा दिये
    और चर्चा को विस्तारित कर दिया।
    दिलबाग सिंह विर्क सर से क्षमा के साथ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया सर, चित्र मुझे लग नहीं पा रहे थे, बहुत देर प्रयास किया, फिर बिना चित्र लगाने की सोची क्योंकि तब तक काफ़ी समय हो गया था और उस समय किसी को कहना ठीक नहीं लगा। आपने चित्र लगाकर इसे सुंदर बना दिया। इसलिए आभार

      हटाएं
  4. पठनीय सूत्रों से सजी सुंदर चित्रात्मक चर्चा! आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित पठनीय चर्चा ! मेरी रचना को भी सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग सिंह जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिलाबागसिंह जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी लिंक्स अच्छे।हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  8. सराहनीय संकलन।
    'मोजड़ी ' लघुकथा को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. लघुकथा- एक कप चाय , कविता- बंद मुट्ठी और मोजड़ी सहित सभी रचनायें एक से बढ़कर एक हैं...धन्‍यवाद रवींद्र जी और शास्‍त्री जी...चर्चामंच पर इतने सुंदर कलेक्‍शन को पढ़वाने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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