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गुरुवार, सितंबर 02, 2010

इस महाभारत के कौरव कौन, पांडव कौन ?---(चर्चा मंच-265)

image पाँच हजार वर्ष पूर्व ठीक आज ही की तरह विश्व के क्षितिज पर भादों मास की अंधेरी तमिस्त्रा अपनी निगूड कालिमा के साथ छा गई थी. तब भी भारत में धन था, शक्ति थी, साहस था पर एक अकर्मण्यता भी थी,जिससे सब कुछ अभिभूत,मोहाच्छन और तमसावृ्त था. महापुरूष अनेक हुए पर लोक,नीति और अध्यात्म को समन्वय के सूत्र में गूँथकर “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” का पान्चजन्य फूँकने वाले वो एक ही थे----कृ्ष्णकृ्ष्ण…और सिर्फ कृ्ष्ण. जी हाँ विश्व के महान विभूति-सम्पन्न पुरूषों के मूर्धन्य कहे जाने उन्ही भगवान कृ्ष्ण जी के आज पावन जन्मोत्सव पर "चर्चा मंच" की ओर से आप सभी को बहुत बहुत बधाई और अशेष शुभकामनाऎँ!!!

चलिए,आज की चर्चा आरम्भ करते हैं रमेश जोशी कविराय जी की इस व्यंग्य रचना तोताराम और सज्जनता पर संकट से

आज अखबार और दूध के आने से पहले ही मुँह-अँधेरे दरवाजे पर दस्तक हुई। कुछ अजीब सा लगा। कौन हो सकता है ?जैसे ही दरवाजा खोला तो काले कपड़े में एक लिपटी एक आकृति खड़ी थी। लगा,कहीं आतंकवादी तो नहीं है । वैसे फिल्मों में तो कभी हीरो को बुरका पहन कर हीरोइन से मिलने जाते देखा था,कभी हीरो का साथी बुरके में विलन के अड्डे में घुस कर हीरो या हीरोइन की मदद करता था।

इंडिया टुडे - राष्ट्रीय ब्लॉग सर्वे – २०१०

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इंडिया टुडे ने जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में देश भर में हिंदी ब्लागिंग पर एक सर्वेक्षण किया.पत्रिका के अनुसार यह सर्वेक्षण अपनी तरह का पहला सर्वेक्षण है जो हिंदी ब्लागिंग के लिए न सिर्फ महत्वपूर्ण है अपितु उसकी दिशा तय करने में निर्णायक साबित होगा.इस मामले में पत्रिका के प्रधान सम्पादक का कहना है;"हिंदी ब्लागिंग स्वतंत्र अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम बन चुकी है जिसका भविष्य तो उज्जवल है ही,वर्तमान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. क्या आप जानना नहीं चाहेंगें कि सर्वेक्षण में ब्लागरों से क्या क्या सवाल पूछे गए….
1. ब्लागरों से यह पूछा गया कि "उनकी ब्लागिंग का उद्देश्य क्या है?"
2.ब्लागरों से यह सवाल पूछा गया कि; "ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है?"
3."ब्लागिंग करने की वजह से क्या ब्लॉगर को एक पारिवारिक माहौल मिलता है?"
4."ब्लागिंग की वजह से ब्लॉगर को कौन-कौन से रिश्तेदार मिलने की उम्मीद रहती है?"
5."क्या केवल अपना ब्लॉग लिखकर ब्लॉगर बना जा सकता है?"
6."आप लेखन की किस विधा का समर्थन करते हैं?"
7."टिप्पणियां कितनी महत्वपूर्ण हैं?"
8."फीड अग्रीगेटर का रहना कितना ज़रूरी है?"
9."ब्लागिंग करने की वजह से उनका कितने लोगों से झगड़ा हुआ है?"
10."हिंदी ब्लागिंग में ज्यादातर झगड़े की वजह क्या है?"
11."संबंध बनाने के लिए कौन से साधन महत्वपूर्ण हैं?"
12."सिनेमा, राजनीति, क्रिकेट और सामजिक मुद्दों के अलावा ब्लॉग पोस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय क्या है?"
13."बीच-बीच में ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा एक ब्लॉगर के भविष्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है?"
अगर आप इस प्रथम राष्ट्रीय ब्लागर्स सर्वेक्षण के परिणाम के बारे में जानने चाहतें हैं तो इसके लिए आपको शिव मिश्रा जी के ब्लाग तक पहुँचने की जहमत उठानी पडेगी.

प.न.सुब्रमणियम जी की इस पोस्ट से आप ओणम–केरल का सबसे महत्वपूर्ण पर्व के बारे में अपनी जानकारी में बढोतरी कर सकते हैं.

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अभी अभी केरल के मलायालिओं ने “ओणम” मनाया था. वास्तव में यह भी फसल के काटने के बाद अगस्त/सितम्बर में मनाया जाने वाला दस दिनों का लम्बा त्यौहार है. इस समय प्रकृति भी बड़ी कमसिन होती है. फूलों की, केरल  के विभिन्न प्रकार के केलों की और पके कटहल आदि की भरमार भी होती है.ओणम की तैय्यारियाँ तो काफी पहले ही शुरू हो जाती है परन्तु उत्सव का  प्रारंभ “हस्त” नक्षत्र से होता है और वास्तविक ओणम दस दिन बाद श्रवण नक्षत्र के दिन रहता है. शासन के द्वारा भी इसे एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मान्यता मिली हुई है.
ज्योतिष की सार्थकता पर आप जान सकते हैं कर्म, भाग्य अथवा पुरूषार्थ---एक समस्या: के बारे में
यहूदी, ईसाई और इस्लाम---दुनिया के ये तीनों ही धर्म ऎसे हैं जो कि कर्म के सिद्धान्त को अटल रूप में नहीं मानते.उनके अनुसार इस जन्म में ईश्वर नें आत्मा को पैदा कर दिया.किसी को तो गरीब की झोंपडी में और किसी को अमीर के यहाँ उस ईश्वर नें क्यूँ पैदा कर दिया?---इसका विज्ञान के साथ ही इनके पास भी कोई उत्तर नहीं.इनके अनुसार इस जन्म में अच्छे कर्म करने वाले स्वर्ग चले जाएंगें और जो बुरे कर्म करने वाले हैं,उन्हे हमेशा हमेशा के लिए नरक भेज दिया जाएगा.

संचार क्रान्ति और झमेले …जो राम त्यागी जी नें झेले

सुबह-शाम लोगों का हुजूम देखता हूँ यहाँ न्यूयार्क में, लोग जो हर समय कुछ न कुछ पढ़ रहे हैं, कितनी भी भीड़ में हो पर किसी के हाथ में कोई परचा है तो किसी के हाथ में कोई किताब,तो कई सारे अपने-अपने स्मार्ट फोन पर उंगलियां चला रहे हैं मैं भी शायद सारे दिन निस्तब्ध सा यही करता रहता हूँ।
लोगों की भीड एक दूसरे को एक स्थान से दूसरे गन्तव्य स्थान पर अपने आप ले जाती है और उस गहमागहमी में भी लोगों की आँखे कहीं न कहीं लगी रहती है।

दादी-----कहानी -------(ललित शर्मा)

अलख निरंजन, अलख निरंजन” सुनकर मैने सर उठाकर देखा, एक बाबा जी और उनका चेला मेरे सामने खड़े थे। बाबा जी नंगधड़ंग, जटाधारी और लिंग पर सांकल बांध रखी थी, उसमें एक ताला लटका रखा था, एक कमण्डल और एक थैली लटका रखी थी। कम उमर चेला कोपिन धारी था। दोनो मेरे सामने खड़े थे। मेरा लिखने में ध्यान होने के कारण उनके आगमन का आभास नहीं हुआ। मैने उनकी ओर देखा।

पिता : एक जानवर (मीनू खरे)

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पिता
एक ऐसा जानवर
जिसकी नाक में
वात्सल्य की नकेल डाल कर
चाहे जहाँ बुला लो
चाहे जो करवा लो.

वा मण भर उँचौ मानवी॥(राजस्थानी कवित) – सुज्ञ जी सुना रहे हैं

स्वहित-घरहित-कुलहित, एक सरीखो मांन।
पण जद आवै समाजहित, तज़ देवै अभिमान।
नहिं चा’वै वा किणरी लाग, भूंडा में नहिं राखै भाग।
चढता नें झट देवै मा’ग, वा मण भर उँचौ मानवी॥

सुणै वात सगळां री, नहिं आवेश उतावळ आणै।
लाख वार सोचे तोले, फ़िर ठावक़ बोलण जाणै।
मुँडे नहिं वै कड़वा फ़ाग, सर्वहित में रे’वै सज़ाग।
खिमताधर छाती रो वाग़, वा मण भर उँचौ मानवी॥

नहीं अल्लाह मस्जिद में..........(निरंजन मिश्र ‘अनाम’)

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नहीं अल्लाह मस्जिद में,
न मन्दिर में मिला ईश्वर;
जहाँ बाग-ए-मोहब्बत है,
वहीं गुल बन खिला ईश्वर !!

ग़ज़ल (दामोदर जांगिड)

मांग के नूर ना लिया होता
चाँद बेदाग शर्तिया होता !!
खाक ऐसे रफादफा होता,
मामला अपने दरमियाँ होता !!
शर्तिया मौत की सजा होती,
फैसला आप ने किया होता !!
आज भी आप पे यकीं होता,
जो कभी निभा दिया होता !!
                                       

ये देखिए अल्बेला खत्री जी क्या कह रहे हैं गोवर्धन गिरधारी योगेश्वर कृष्ण ! क्या आपको ज़रा भी लाज नहीं आती फ़ोकट का माल उड़ाते हुए ?

हे परमपिता परमेश्वर सोलह्कला सम्पूर्ण भगवान श्रीकृष्ण !
सादर दण्डवत ! image
ढोल-ढमक्के गूंज उठे हैं, पोस्टर लग चुके हैं और पंजीरी का सामान  
भी ख़ूब बिक रहा है, कुल मिला कर आपके जन्मोत्सव की तैयारियां
ज़ोरों पर हैं लेकिन एक बात मेरे दिमाग में कीड़े की तरह कुलबुला
रही है कृपया इसे शान्त करने की कोई व्यवस्था करदें तो मेरी आने
वाली पीढियां आपका बड़ा एहसान मानेंगी ।

श्रीकृ्ष्ण जी के अन्य सात भाई......image
जैन आगमों का अध्ययन करने पर एक विलक्षण तथा अति महत्वपूर्ण तथ्य सामने आता है कि देवकी के पहले छ:पुत्र मद्दिलपुर की सुलंसा के द्वारा पालित-पोषित हुए. श्रीकृ्ष्ण देवकी के आठवें नहीं बल्कि सातवें पुत्र थे----आठवां पुत्र तो कृ्ष्ण जन्म के बहुत वर्षों बाद उत्पन हुआ, जिसका नाम था "गजसुकुमाल”
स्वप्न मंजूषा ‘अदा’ जी आज की इस पोस्ट में एक सवाल उठा रही हैं कि क्या नैतिकता की कोई सीमा निर्धारित है..?

आज का माहौल...और मेरा एक सवाल उनके लिए जो अपने प्रोफेशन में दक्ष हैं...प्लीज आपलोग इसे अन्यथा मत लीजियेगा...
बताईये
क्या नैतिकता की कोई सीमा निर्धारित है..?

अरविन्द मिश्र जी क्या कह रहे हैं !सधवा नारियों का वैधव्य विलाप और मेरा पश्चाताप पर्व!

शुरू में ही कह देता हूँ कि यह कोई गंभीर पोस्ट नहीं है इसलिए अगर आपका कोई और जरूरी काम हो तो कृपया उसे निपटाएं .एक मछली तालाब में बदबू फैला रही थी अब दूसरी भी आ  गयी है ,पहली वाली कार्निवोरस प्रजाति की थी मगर दूसरी वाली घास खाने वाली ग्रास कार्प रही है मगर परिवेश के चलते वह भी अब हिंस्र हो चली है...कब किसको काट खाए कोई नहीं जानता -ग्रास कार्प का शार्क बन जाना बहुत अचम्भित करने वाली घटना है-वह भी एक किलर शार्क.

ताऊ और ताऊ की भैंस अक्सर ये बाते करते हैं....कि ताई के हाथों होने वाली रोज-रोज की ठुकाई से कब जाकर छुटकारा मिलेगा

image सभी दर्शकों को ताऊ टीवी के चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे की सादर सलाम नमस्ते..आदाब और जो भी सम्मान सूचक शब्द आपने अपने लिये जो सोच रखें हों वो भी....ताऊ टीवी की आज की ताजा खबर वो है जो परसों थी. और उससे भी बडी ताजा खबर यह है कि जो अभी हुई नही पर
होने वाली है.यानि ताऊ टीवी को मालूम रहता है कि कब कहां और क्या होने वाला है?
आज राजकुमार सोनी जी भला क्यूँ चिल्ला रहे हैं बचाओ.. बचाओ.. अस्मत के लुटेरों से
image कोई उन्हें अपनी कार में घर छोड़ना चाहता है तो कोई देर रात तक दफ्तर में काम करने के लिए दबाव डालता है। किसी की पत्नी बीमार है तो किसी को सपने में स्टेनो टायपिस्ट दिखाई देती है। हर किसी का अंदाज निराला है। सच तो यह है कि गंदी नीयत रखने वाले प्रदेश के मनचले सरकारी मुलाजिमों के चलते कामकाजी महिलाओं का जीना मुहाल हो गया है।

आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ? !!

image चमत्‍कार—इस जगत में चमत्‍कार जैसी चीज सब में होती नहीं, हो नहीं सकती। इस जगत में जो कुछ होता है, नियम से होता है। हां, यह हो सकता है,नियम का हमें पता न हो। यह हो सकता है कि कार्य,कारण को हमें बोध न हो। यह हो सकता है कि कोई लिंक,कोई लिंक,कोई अज्ञात हो,जो हमारी पकड़ में नहीं आती,इसलिए बाद की कड़ियों को समझना बहुत मुश्‍किल हो जाता है।
                                             कुछ नए चिट्ठे

चिट्ठा:-वैचारिकी

पोस्ट:-पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए ? image(आशा ढौंडियाल)

पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए?
भूल गयी मै तबसे हंसना
आँख रोज भर आती है
सच कहती हूँ पापा,एकदम
पंजीरी अब नहीं भाती है
मिल न पाऊ,मै अब तुमसे
हो कितने हम मजबूर गए
पापा क्यूँ तुम मुझसे दूर गए?
चिट्ठा:-Vidyarthi
पोस्ट:- कुछ यादें, कुछ सीख
रात का दूसरा पहर,बस दो पहर बाद ही ब्रह्म महूर्त हो जायेगा और सूर्यदेवता निकल आयेंगें .मुर्गे बांग इसलिए नहीं देंगे क्यूंकि शहरी परिवेश है.लेकिन मेरी आँखों में तो नींद ही नहीं.
चिट्ठा:- Mind and body researches ( डा. अशोक कुमार—जो कि एक डाक्टर होने के साथ साथ कवि और हस्तरेखा विशेषज्ञ भी हैं)
पोस्ट:- क्या आप जानते है कैसे आती है अच्छी नीँद?
आप जानना चाहेगेँ कि कुछ लोग कैसे शोर शराबे के बीच भी मजे की नीँद ले लेते हैँ, जबकि कुछ ऐसे होते है, जिनकी नीँद जरा सी भी आहट से खुल जाती हैँ। कुछ लोगोँ की नीँद कभी पूरी नहीँ हो पाती है तो कुछ लोग किसी भी माहौल मेँ डट कर सो लेते हैँ। अत: अब उस वजह का पता लग गया है जिससे सुकूनभरी नीँद आती है।
चिट्ठा:-हस्तक्षेप……..
पोस्ट:- कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित…
प्रसंग :ये पद्य हमने कामन वेल्थ खेलो के गीत से लिया है..यहां पर नेता अपनी कमाई की खुशी मे जोर जोर से गीत गा रहा है..गीत का भावार्थ है..
भावार्थः नेता अपने साथ के ठेकेदारो को यारो कह कर सम्बोधित करता है और कह्ता है कि यारो मैने इंडिया बुला लिया..अर्थात कि नेता ने पूरे देश से जितने भी ठेकेदार और कम्पनियां थी उनको दिल्ली बुला लिया है..इसके आगे वो अपने द्वारा किये गये झोल झाल की प्रशंसा करते हुए कह्ते हैं कि ये खेल है और इस से बडा ही मेल है..अर्थात इस झोल झाल मे बहुत लोग मिले हुए हैं..
चिट्ठा:- नया सवेरा
पोस्ट:- ओल्डएज होम का सच
image यह विज्ञापन हमारे समाज की बनती नयी  तस्वीर है और  साथ  ही हमारे समाज का सच भी.  “दिल्ली प्रदेश का सबसे बड़ा लाचार लावारिस बुजुर्गो का अपना घर''.यह विज्ञापन नेहरु प्लेस के पास ही एक दिवार पर था .एक कहावत है एक पिता चार बच्चो को पाल सकता है,लेकिन  चार बच्चे मिल कर अपने माँ बाप को नहीं...बहुत दुःख होता है ये देख कर...

रोज का काम.जीना हराम !!!!!!!!!!!!!!


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कार्टून:- उफ़्फ़, इस पट्ठे ने तो तेल कर दिया...


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Technorati टैग्स: {टैग-समूह},

20 टिप्‍पणियां:

  1. आज की चर्चा सुंदर सुघड़ व संपूर्ण रही. कार्टून छापने के लिए आपका धन्यवाद.

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  2. बहुत सुन्दर चर्चा ! अच्छे लिंक्स !

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  3. आज की चर्चा बहुत बढ़िया रही!
    --
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!

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  4. चर्चा बहुत बढ़िया रही!

    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!

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  5. आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  6. बहुत बढ़िया चर्चा ....

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  7. अच्छी चिटठा चर्चा!

    श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण

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  9. अति सुंदर चर्चा ....
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण

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  10. बहुत सटीक और विस्तृत चर्चा.

    रामराम.

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  11. जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

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