चलिए,आज की चर्चा आरम्भ करते हैं रमेश जोशी कविराय जी की इस व्यंग्य रचना तोताराम और सज्जनता पर संकट सेआज अखबार और दूध के आने से पहले ही मुँह-अँधेरे दरवाजे पर दस्तक हुई। कुछ अजीब सा लगा। कौन हो सकता है ?जैसे ही दरवाजा खोला तो काले कपड़े में एक लिपटी एक आकृति खड़ी थी। लगा,कहीं आतंकवादी तो नहीं है । वैसे फिल्मों में तो कभी हीरो को बुरका पहन कर हीरोइन से मिलने जाते देखा था,कभी हीरो का साथी बुरके में विलन के अड्डे में घुस कर हीरो या हीरोइन की मदद करता था। |
इंडिया टुडे - राष्ट्रीय ब्लॉग सर्वे – २०१०इंडिया टुडे ने जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में देश भर में हिंदी ब्लागिंग पर एक सर्वेक्षण किया.पत्रिका के अनुसार यह सर्वेक्षण अपनी तरह का पहला सर्वेक्षण है जो हिंदी ब्लागिंग के लिए न सिर्फ महत्वपूर्ण है अपितु उसकी दिशा तय करने में निर्णायक साबित होगा.इस मामले में पत्रिका के प्रधान सम्पादक का कहना है;"हिंदी ब्लागिंग स्वतंत्र अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम बन चुकी है जिसका भविष्य तो उज्जवल है ही,वर्तमान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. क्या आप जानना नहीं चाहेंगें कि सर्वेक्षण में ब्लागरों से क्या क्या सवाल पूछे गए…. 1. ब्लागरों से यह पूछा गया कि "उनकी ब्लागिंग का उद्देश्य क्या है?" 2.ब्लागरों से यह सवाल पूछा गया कि; "ब्लागिंग की वजह से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है?" 3."ब्लागिंग करने की वजह से क्या ब्लॉगर को एक पारिवारिक माहौल मिलता है?" 4."ब्लागिंग की वजह से ब्लॉगर को कौन-कौन से रिश्तेदार मिलने की उम्मीद रहती है?" 5."क्या केवल अपना ब्लॉग लिखकर ब्लॉगर बना जा सकता है?" 6."आप लेखन की किस विधा का समर्थन करते हैं?" 7."टिप्पणियां कितनी महत्वपूर्ण हैं?" 8."फीड अग्रीगेटर का रहना कितना ज़रूरी है?" 9."ब्लागिंग करने की वजह से उनका कितने लोगों से झगड़ा हुआ है?" 10."हिंदी ब्लागिंग में ज्यादातर झगड़े की वजह क्या है?" 11."संबंध बनाने के लिए कौन से साधन महत्वपूर्ण हैं?" 12."सिनेमा, राजनीति, क्रिकेट और सामजिक मुद्दों के अलावा ब्लॉग पोस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय क्या है?" 13."बीच-बीच में ब्लागिंग छोड़ देने की घोषणा एक ब्लॉगर के भविष्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है?" अगर आप इस प्रथम राष्ट्रीय ब्लागर्स सर्वेक्षण के परिणाम के बारे में जानने चाहतें हैं तो इसके लिए आपको शिव मिश्रा जी के ब्लाग तक पहुँचने की जहमत उठानी पडेगी. |
प.न.सुब्रमणियम जी की इस पोस्ट से आप ओणम–केरल का सबसे महत्वपूर्ण पर्व के बारे में अपनी जानकारी में बढोतरी कर सकते हैं.अभी अभी केरल के मलायालिओं ने “ओणम” मनाया था. वास्तव में यह भी फसल के काटने के बाद अगस्त/सितम्बर में मनाया जाने वाला दस दिनों का लम्बा त्यौहार है. इस समय प्रकृति भी बड़ी कमसिन होती है. फूलों की, केरल के विभिन्न प्रकार के केलों की और पके कटहल आदि की भरमार भी होती है.ओणम की तैय्यारियाँ तो काफी पहले ही शुरू हो जाती है परन्तु उत्सव का प्रारंभ “हस्त” नक्षत्र से होता है और वास्तविक ओणम दस दिन बाद श्रवण नक्षत्र के दिन रहता है. शासन के द्वारा भी इसे एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मान्यता मिली हुई है. |
ज्योतिष की सार्थकता पर आप जान सकते हैं कर्म, भाग्य अथवा पुरूषार्थ---एक समस्या: के बारे में यहूदी, ईसाई और इस्लाम---दुनिया के ये तीनों ही धर्म ऎसे हैं जो कि कर्म के सिद्धान्त को अटल रूप में नहीं मानते.उनके अनुसार इस जन्म में ईश्वर नें आत्मा को पैदा कर दिया.किसी को तो गरीब की झोंपडी में और किसी को अमीर के यहाँ उस ईश्वर नें क्यूँ पैदा कर दिया?---इसका विज्ञान के साथ ही इनके पास भी कोई उत्तर नहीं.इनके अनुसार इस जन्म में अच्छे कर्म करने वाले स्वर्ग चले जाएंगें और जो बुरे कर्म करने वाले हैं,उन्हे हमेशा हमेशा के लिए नरक भेज दिया जाएगा. |
संचार क्रान्ति और झमेले …जो राम त्यागी जी नें झेलेसुबह-शाम लोगों का हुजूम देखता हूँ यहाँ न्यूयार्क में, लोग जो हर समय कुछ न कुछ पढ़ रहे हैं, कितनी भी भीड़ में हो पर किसी के हाथ में कोई परचा है तो किसी के हाथ में कोई किताब,तो कई सारे अपने-अपने स्मार्ट फोन पर उंगलियां चला रहे हैं मैं भी शायद सारे दिन निस्तब्ध सा यही करता रहता हूँ।लोगों की भीड एक दूसरे को एक स्थान से दूसरे गन्तव्य स्थान पर अपने आप ले जाती है और उस गहमागहमी में भी लोगों की आँखे कहीं न कहीं लगी रहती है। |
दादी-----कहानी -------(ललित शर्मा)अलख निरंजन, अलख निरंजन” सुनकर मैने सर उठाकर देखा, एक बाबा जी और उनका चेला मेरे सामने खड़े थे। बाबा जी नंगधड़ंग, जटाधारी और लिंग पर सांकल बांध रखी थी, उसमें एक ताला लटका रखा था, एक कमण्डल और एक थैली लटका रखी थी। कम उमर चेला कोपिन धारी था। दोनो मेरे सामने खड़े थे। मेरा लिखने में ध्यान होने के कारण उनके आगमन का आभास नहीं हुआ। मैने उनकी ओर देखा। |
पिता : एक जानवर (मीनू खरे)पिता एक ऐसा जानवर जिसकी नाक में वात्सल्य की नकेल डाल कर चाहे जहाँ बुला लो चाहे जो करवा लो. | वा मण भर उँचौ मानवी॥(राजस्थानी कवित) – सुज्ञ जी सुना रहे हैंस्वहित-घरहित-कुलहित, एक सरीखो मांन।पण जद आवै समाजहित, तज़ देवै अभिमान। नहिं चा’वै वा किणरी लाग, भूंडा में नहिं राखै भाग। चढता नें झट देवै मा’ग, वा मण भर उँचौ मानवी॥ सुणै वात सगळां री, नहिं आवेश उतावळ आणै। लाख वार सोचे तोले, फ़िर ठावक़ बोलण जाणै। मुँडे नहिं वै कड़वा फ़ाग, सर्वहित में रे’वै सज़ाग। खिमताधर छाती रो वाग़, वा मण भर उँचौ मानवी॥ |
नहीं अल्लाह मस्जिद में..........(निरंजन मिश्र ‘अनाम’)नहीं अल्लाह मस्जिद में, न मन्दिर में मिला ईश्वर; जहाँ बाग-ए-मोहब्बत है, वहीं गुल बन खिला ईश्वर !! | ग़ज़ल (दामोदर जांगिड)मांग के नूर ना लिया होताचाँद बेदाग शर्तिया होता !! खाक ऐसे रफादफा होता, मामला अपने दरमियाँ होता !! शर्तिया मौत की सजा होती, फैसला आप ने किया होता !! आज भी आप पे यकीं होता, जो कभी निभा दिया होता !! |
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चिट्ठा:-वैचारिकीपोस्ट:-पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए ? (आशा ढौंडियाल)पापा तुम क्यूँ मुझसे दूर गए?भूल गयी मै तबसे हंसना आँख रोज भर आती है सच कहती हूँ पापा,एकदम पंजीरी अब नहीं भाती है मिल न पाऊ,मै अब तुमसे हो कितने हम मजबूर गए पापा क्यूँ तुम मुझसे दूर गए? |
चिट्ठा:-Vidyarthi पोस्ट:- कुछ यादें, कुछ सीख रात का दूसरा पहर,बस दो पहर बाद ही ब्रह्म महूर्त हो जायेगा और सूर्यदेवता निकल आयेंगें .मुर्गे बांग इसलिए नहीं देंगे क्यूंकि शहरी परिवेश है.लेकिन मेरी आँखों में तो नींद ही नहीं. |
चिट्ठा:- Mind and body researches ( डा. अशोक कुमार—जो कि एक डाक्टर होने के साथ साथ कवि और हस्तरेखा विशेषज्ञ भी हैं) पोस्ट:- क्या आप जानते है कैसे आती है अच्छी नीँद? आप जानना चाहेगेँ कि कुछ लोग कैसे शोर शराबे के बीच भी मजे की नीँद ले लेते हैँ, जबकि कुछ ऐसे होते है, जिनकी नीँद जरा सी भी आहट से खुल जाती हैँ। कुछ लोगोँ की नीँद कभी पूरी नहीँ हो पाती है तो कुछ लोग किसी भी माहौल मेँ डट कर सो लेते हैँ। अत: अब उस वजह का पता लग गया है जिससे सुकूनभरी नीँद आती है। |
चिट्ठा:-हस्तक्षेप…….. पोस्ट:- कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित… प्रसंग :ये पद्य हमने कामन वेल्थ खेलो के गीत से लिया है..यहां पर नेता अपनी कमाई की खुशी मे जोर जोर से गीत गा रहा है..गीत का भावार्थ है.. भावार्थः नेता अपने साथ के ठेकेदारो को यारो कह कर सम्बोधित करता है और कह्ता है कि यारो मैने इंडिया बुला लिया..अर्थात कि नेता ने पूरे देश से जितने भी ठेकेदार और कम्पनियां थी उनको दिल्ली बुला लिया है..इसके आगे वो अपने द्वारा किये गये झोल झाल की प्रशंसा करते हुए कह्ते हैं कि ये खेल है और इस से बडा ही मेल है..अर्थात इस झोल झाल मे बहुत लोग मिले हुए हैं.. |
रोज का काम.जीना हराम !!!!!!!!!!!!!! | कार्टून:- उफ़्फ़, इस पट्ठे ने तो तेल कर दिया... |
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आज की चर्चा सुंदर सुघड़ व संपूर्ण रही. कार्टून छापने के लिए आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंSundar Charcha.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंजय हो.
bahut badhita charcha..
जवाब देंहटाएंpadh liye kafi links..
अच्छी चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ! अच्छे लिंक्स !
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएं--
जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहिन्दी भारत की आत्मा ही नहीं, धड़कन भी है। यह भारत के व्यापक भू-भाग में फैली शिष्ट और साहित्यिक भषा है।
आज की चर्चा सार्थक रही.
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!
आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ....
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें
अच्छी चिटठा चर्चा!
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्ठमी की बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण
अति सुंदर चर्चा ....
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ...हरे कृष्ण
बहुत सटीक और विस्तृत चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंअच्छी सुन्दर चर्चा के लिए आभार
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