प्रिय दोस्त
नमस्कार
कल रात एक दोस्त के यहाँ पार्टी में चले जाने के कारण आज की चर्चा बहुत देर से लगा पाया हूँ उसके लिए सबसे पहले तो क्षमा माँगता हूँ.. अब उसके बाद आपको ले चलता हूँ कुछ उन ब्लोग्स की तरफ जो कुछ अलग हैं बाकी औरों से.... जिन्हें आप ब्लोगरोल में डाल सकते हैं, जिनसे आप कुछ सीख सकते हैं.. ये ज्यादातर वो ब्लॉग हैं जो साहित्यिक रूचि वाले लोगों को भाएंगे.. हालांकि चर्चा की शुरुआत वाले कुछ ब्लॉग विभिन्न दिशाओं में महत्वपूर्ण काम करने वाले ब्लॉग हैं.. उम्मीद है चर्चा पसंद आयेगी...
शुरुआत करते हैं एक ऐसे ब्लॉग से जो एक महिला पत्रकार के द्वारा लिखा जा रहा है.. वैसे तो कई और भी महिला पत्रकार हैं जो हिन्दी ब्लोगिंग में दखल रखती हैं लेकिन मधु जी को सबसे कम उम्र की महिला पत्रकार ब्लोगर कह सकते हैं ब्लॉग का नाम है-- मेरे दिल से
उम्मतें के नाम से ब्लॉग रचने वाले श्री अली जी, जिन्हें आप एक बेहतरीन आलोचक भी कह सकते हैं, से अधिकाँश जन परिचित ही होंगे, उनके ना सिर्फ लेख बल्कि टिप्पणियाँ भी बहुत सुन्दर रहती हैं और लगभग हर ब्लोगर को उनकी कभी चुटीली तो कभी सन्देश देती गंभीर टिप्पणी का इन्तेज़ार रहता ही रहता है..
अब देखिये उस ब्लॉग को जो विज्ञान से सम्बंधित लेख साधारण और सरल भाषा में लोगों के सामने रखता है.. विज्ञान में रूचि रखने वालों के लिए हो या अपना सामन्य ज्ञान बढ़ाने वालों के लिए.. ये एक महत्वपूर्ण ब्लॉग है-- साइंस ब्लोगर्स एशोसिअशन
सुबीर संवाद सेवा के नाम से गुरुदेव पंकज सुबीर जी का ब्लॉग साहित्य धर्म के लोगों के लिए किसी धार्मिक पुस्तक से कम नहीं.. जहाँ आप ग़ज़ल, कविता कहानी कुछ भी सीख सकते हैं श्री सुबीर जी की छत्रछाया में..
अपना शब्द ज्ञान बढ़ाना हो या फिर जानना हो किसी शब्द का सही अर्थ, उसकी उत्पत्ति या फिर उसके इतिहास के बारे में तो भोपाल के जाने-माने पत्रकार श्री अजित वडनेरकर जी के साथ तय कीजिये शब्दों का सफ़र.. वैसे शब्दों की उत्पत्ति पर उनकी किताब भी मिल जायेगी आपको..
बचपन से ही मराठी और गुजराती को मुख्य भाषा की तरह देखती चली आ रहीं डॉ. अरुणा कपूर जी का हिन्दीप्रेम देखते ही बनता है... हाल ही में उनका हिन्दी में एक बाल उपन्यास भी प्रकाशित हुआ है..देखिये उनका ब्लॉग मेरी माला, मेरे मोती
गिरीश पंकज एक ऐसा नाम जो जेहन में आते ही हँसते खिलखिलाते व्यंग्य आँखों के सामने नाचने लगते हैं... देश की विभिन्न समस्याओं पे चुटीले व्यंग्य चुटकियाँ लेने लगते हैं और अन्य कई हालातों से हास्य पैदा होने लगता है.. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं आप उनके ब्लॉग पर कविता, ग़ज़ल और गीत से भी दोस्ती कर सकते हैं..
प्रोफ़ेसर अशोक चक्रधर और हास्य ये एक दूसरे के पर्याय हैं.. भरोसा नहीं तो उनकी सिर्फ तस्वीर ही देख लीजिये... उनके हँसते मुस्कुराते चेहरे को देख आप स्वतः ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये महाशय दुनिया में सिर्फ हंसने-हंसाने के लिए आये हैं.. पढ़िए तो ज़रा श्री अशोक चक्रधर की चकल्लस
ज्यादातर अपनी गंभीर और रोचक शैली के लिए मशहूर डॉ.अजित गुप्ता जी जो कि साहित्य की दुनिया में एक ख्यातिप्राप्त नाम हैं उनके कोने पे जाइएगा ब्लॉग अजित गुप्ता का कोना पर
शब्द, स्वर और रंग इन तीन शब्दों से मिलकर बना है शस्वरं और इसके निर्माता श्री राजेन्द्र स्वर्णकार जी की दिलकश आवाज़ और हर दिल अज़ीज़ लेखन से आप कहीं वंचित ना रह जाएँ इस लिए जाके पढ़िए इस बेहतरीन ब्लॉग को..
पंडित श्री नरेन्द्र शर्मा जी की यशस्वी सुपुत्री आदरणीया लावण्या शाह जी को और उनके उत्कृष्ट लेखन एवं विचारों को करीब से जानिये लावण्यम अंतर्मनम पर
हया शर्म, लाज ये सब स्त्री के गहने कहे जाते हैं लेकिन आप इसे पढ़ने के बाद महसूस करेंगे कि ये ब्लॉग ब्लॉगजगत का भी गहना है.. तो देखिये लता हया जी की लेखनी का कमाल..

शरद कोकास एवं आलोचक ये दो ब्लॉग अगर आपने नहीं देखे तो आपने देखा ही क्या.. वैसे तो श्री शरद कोकास जी किसी परिचय के मोहताज़ नहीं लेकिन फिर भी नए लोगों के लिए उनका ब्लॉग बताना तो जरूरी है ही..
अब बात करते हैं एक ऐसे नाम की जिनकी कलम में अपार संभावनाएं नज़र आती हैं किशोर चौधरी अपने ही नाम से ब्लॉग लिखते हैं और ज्यादातर कहानियाँ ऊप्स गज़ब की कहानियाँ लिखते हैं... मुझे तो बहुत जलन होती है इनसे..
अब यही जलन मुझे ब्लॉगजगत में अगर किसी हमउम्र साथी की कविताओं से होती है तो वो हैं प्रिय अपूर्व जो अच्छा पढ़ने के शौक़ीन हैं और लिखते कम हैं(या शायद पता नहीं कि अपने नायाब मोती यूँ ही बर्बाद ना करना चाहते हों इसलिए महीने दो महीने में १-२ नमूने दे जाते हों.. ;) ) उनकी कवितारूपी कलाकारी देखनी हो तो दफअतन पर जाइए.. और हाँ इनकी जबरदस्त टिप्पणियाँ सिर्फ नसीब वालों को ही नसीब होती हैं.. :)
लोगों को अक्सर शिकायत रहती है कि हिन्दी ब्लोगिंग में साहित्य की सेलिब्रिटीज नहीं आतीं, अपने ब्लॉग नहीं बनातीं... तो ये शिकायत भी दूर हो गई है.. ये नीचे जो ४ ब्लॉग दे रहा हूँ उनके नाम ही काफी हैं उनके लेखन के बारे में बताने के लिए.. तो देखिये साहित्य की दुनिया के इन लब्ध-प्रतिष्ठित हस्ताक्षरों के ब्लॉग..
बेहतर दुनिया की तलाश (रमेश उपाध्याय)
कर्मनाशा (सिद्धेश्वर)
यहाँ तक आ ही गए हैं तो देखिये कुछ सामूहिक साहित्यिक ब्लॉग
लन्दन से महावीर(कविताओं और ग़ज़लों के लिए) और मंथन(कहानियों और लघुकथाओं के लिए) नाम के ब्लॉग के संचालक ७६ वर्षीय श्री महावीर शर्मा जी हालाँकि पिछले २ महीने से बीमार हैं इसलिए कम सक्रिय हैं.. लेकिन अगर आपको प्रवासी हिन्दी साहित्यकारों की सुन्दर लेखनी का कमाल देखना हो तो ये दोनों ब्लॉग बहुत ही महत्त्वपूर्ण होंगे आपके लिए..
हिन्दी के अधिकाँश साहित्यकारों की कई रचनाओं को उनके परिचय के साथ काव्यांचल पर देख सकते हैं..
चलिए बात कर लेते हैं कुछ हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाओं की जिनसे इस क्षेत्र की तरफ जाने वालों को और अच्छी कविता, कहानियों, ग़ज़ल आदि को पढ़ने की चाह रखने वालों को मदद मिल सकती है-
वागर्थ नाम वाला ये ब्लॉग पत्रिका तो नहीं लेकिन सच में किसी शानदार साहित्यिक पत्रिका से कम भी नहीं.. और इसकी लेखिका हैं लन्दन निवासी आदरणीया डॉ.कविता वाचक्नवी जी..
भोपाल से श्री अनवारे इस्लाम जी के सम्पादन में निकलने वाली त्रिमासिक पत्रिका सुखनवर जहाँ एक ओर नए लेखकों को मौका देती है वहीं दूसरी तरफ स्थापित साहित्यकारों से सीखने का मौका भी देती है..
कनाडा से निकलने वाली एक बहुत ही उच्च कोटि की पत्रिका है हिन्दी-चेतना.. जो किसी भी भारतीय हिन्दी साहित्यिक पत्रिका को टक्कर दे सकती है..
गर्भनाल पत्रिका सिर्फ अंतर्जाल पर ही उपलब्ध है लेकिन इसकी अनगिनत विशेषताएं पाठकों को बरबस ही इसकी तरफ खींच लेती हैं..
अब कुछ ऐसे ब्लॉग जिनको आप कम देखते हैं.. मगर जिनके लेखन में दम बहुत है.. आप एक बार देख लेंगे तो दोबारा फिर वहाँ जाते ही रहेंगे-
अखीर में ब्लॉग जगत में मेरे सबसे चहेते कार्टूनिस्ट कीर्तिश भट्ट का ब्लॉग-बामुलाहिजा.. जहाँ आपको सिर्फ खूबसूरत कार्टून ही नहीं मिलेंगे बल्कि एक खूबसूरत सोच भी देखने को मिलेगी.. देखने के बाद आपको महसूस होगा कि- ''कार्टून बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं''
अब विदा लेता हूँ..
अगले हफ्ते समय पर मिलेंगे
अच्छी तरह अपना ख्याल रखिये दोस्त
आपका-
बेहतरीन चर्चा......ब्लॉग जगत के सारे हीरे एकत्र हो गए है इस चर्चा में........ बधाई |
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा रही...
ReplyDeleteवाकई ’ज़रा हटके’...
बधाई.
देर आयद, दुरुस्त आयद!
ReplyDelete--
दीपक के साथ मशाल!
चर्चा में है बहुत कमाल!!
चारों तरफ जमाल ही जमाल!
अरे बिल्कुल ही नये अन्दाज़ मे और बेहतरीन लिंक्स के साथ चर्चा की है…………………काफ़ी सारे फ़ोलो कर लिये हैं……………आभार्।
ReplyDeleteशुक्रिया दीपक जी. चर्चा मंच का भी आभार.
ReplyDeleteदीपक जी, वागर्थ को चर्चा में सम्मिलित किया तदर्थ आभारी हूँ.
ReplyDeleteकृपया ध्यान दें कि वागर्थ (http://vaagartha.blogspot.com) पत्रिका नहीं है, यह मेरा निजी ब्लॉग है जिस पर केवल अपना लेखन ही लगाती आई हूँ.
बहुत बढ़िया ब्लोग्स कि चर्चा ...सारे ब्लोग्स देखे ..और बहुत सी पत्रिकाओं का भी पता चला ...अच्छी जानकारी मिली ..आभार ..
ReplyDeleteआदरणीय कविता मैम,
ReplyDeleteमैंने सुधार कर दिया है.. आपने समय रहते भूल की तरफ इशारा कर दिया.. आभारी हूँ..
waah maja aa gaya...bahut achhi charcha rahi
ReplyDeleteहिन्दी चिट्ठाजगत के अच्छे चिट्ठाकारों से मिल कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteये ज़रा हटके वाला ढंग भी ग़ज़ब है.
ReplyDeleteदीपक बडे ही नए अंदाज से चर्चामंच सजाया है, बधाई। सच है कि युवा पीढी कुछ तो नया करती ही है। सारे लिंक पढने का प्रयास रहेगा।
ReplyDeleteबहुत सटीक चर्चा | बहुत बहुत बधाई |आपने चर्चा मैं मेरे ब्लॉग को स्थान दे कर मुझे प्रोत्साहित किया है|मैं बहुत आभारी हूं |
ReplyDeleteआशा
बहुत ही बेहतरीन ढंग से चर्चा की है .... बधाई..
ReplyDeleteye charcha ajj ki sach me kuchh alag see lagi..........very nice
ReplyDelete* शुक्रिया दीपक जी और 'चर्चा मंच'!
ReplyDelete* बहुत सारे पठनीय ठिकानों की राह मिली।
* 'कर्मनाशा'को रेखांकित करने हेतु आभार! अच्छा हो कि मेरे लिखे - पढ़े की सीमाओं और कमियों की ओर (भी) साथी ब्लागर / ब्लाग पाठक इंगित करें ताकि हिन्दी ब्लाग की बनती हुई दुनिया में कुछ ठीकठाक काम किया जा सके!
बहुत अच्छी चर्चा।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा, “मनोज” पर, मनोज कुमार की प्रस्तुति पढिए!
आभार!!! (मेरा काम आसान करने के लिए)...
ReplyDeleteबहुत मेहनत से तैयार की गयी चर्चा..यही उम्मीद थी की आप हर बार नया कुछ लायेंगे.
ReplyDeleteबधाई.
हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए
बहुत अच्छी चर्चा रही...
ReplyDeleteवाकई ’ज़रा हटके’...
दीपक और मशाल साथ - साथ हों तो कुछ हट कर तो होगा ही। बहुत बढ़िया।
ReplyDeletekuch achche blogs ka pata dene ke liye shukriya.
ReplyDeleteअच्छी चर्चा........ गर्भनाल में आपका लेखन देखने को मिला... बधाई दीपक जी॥
ReplyDeleteचर्चामंच में मेरी कविता को स्थान देने के लिए शुक्रिया दीपक जी....बेहद खुबसूरती से सजाई है आपने चर्चा मंच की ये कड़ी...
ReplyDeleteवाकई जरा हटके रही चर्चा.
ReplyDeleteमुझे इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थान दिया ... इसके लिए आभार दीपक जी.
आपका चयन सर आखों पर
ReplyDeleteसटीक और बेहतरीन चर्चा......वाकई ज़रा हटके..... अच्छी जानकारी मिली... आभार्।
ReplyDeleteवाह मैंने तो सुना था कि ईद के दिन बच्चों-बडों को नए कपडे पहनाए जाते हैं , मगर तुमने दीपक ........चर्चा को ही पहना दिया । बहुत ही खूबसूरत कलेवर बन पडा है देखा मुझे पता था कि जब चर्चाकार अलग होंगे तो चर्चा भी अलग अलग तरह की निकल कर आएगी ।
ReplyDeleteअरे वाह! ’मशाल’ भाई यहाँ भी हैं ये खबर न थी.. :)
ReplyDeleteबढिया चर्चा.. काफ़ी नये लिंक्स मिले.. कुछ ’अपार संभावनायें’ वाले भी ;)
प्रिय दीपक ,
ReplyDeleteकुछ लिंक्स तो फ़ौरन ही खोल कर देखे और कुछ बाद में फुर्सत से देखता हूं ! नए लिंक्स आपके टेस्ट का बयान करते हैं ! तारीफ़ सिर्फ इतनी कि फिलहाल बुकमार्क करके रख रहा हूं आज की चर्चा को ! ईद की वज़ह से टिप्पणी करने में देरी हुई पर पोस्ट मुबारकबाद सी लगी ! शुक्रिया :)
आप हमारी परवाह करते हैं सो अच्छा लगता है ! बहुत बहुत आशीष और अशेष शुभकामनायें !
- दीपक भाई ,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए आपका आभार प्रकट करती हूँ - और भी सारे ही बेहतर पढने लायक ब्लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए भी आपका धन्यवाद ........स स्नेह, सादर,
- लावण्या
- दीपक भाई ,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए आपका आभार प्रकट करती हूँ - और भी सारे ही बेहतर पढने लायक ब्लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए भी आपका धन्यवाद ........स स्नेह, सादर,
- लावण्या
आपका धन्यवाद
ReplyDelete........सस्नेह,
कल से ब्लॉगस देखे ही नहीं..अब यह चर्चा काम आयेगी हर जगह पहुँचने में. धन्यवाद.
ReplyDeleteकल से ब्लॉगस देखे ही नहीं..अब यह चर्चा काम आयेगी हर जगह पहुँचने में. धन्यवाद.
ReplyDeleteबेहद उत्कृष्ट चर्चा.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteहिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
देसिल बयना – 3"जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!", राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
आपके मेहनत और लगन को साधुवाद ।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई।
ReplyDeleteसूचनाओं का प्रसार भी सहायक और प्रेरक होता है।
बहुत शुक्रिया दीपक
ReplyDeleteजय गणेश
चर्चा पर ध्यान देने के लिए आप सभी प्रबुद्ध पाठकों का शुक्रिया..
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा रही...
ReplyDeleteकाफी कुछ नया मिला.
बधाई
This comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteमाफ़ करिए दीपक जी तीज त्यौहार के कारण हम मेल नहीं देख पाए पर जैसे ही हमने चर्चा मंच का दीदार किया मन एक नए अंदाज़ में चर्चा देखकर अति प्रसन्न हुआ. धन्यवाद्
ReplyDeleteवाह दोस्त.. मैं ब्लॉग इतना अधिक पढता हूँ फिर भी मेरे लिए एक-दो ब्लॉग के पते बिलकुल नए हैं यहाँ..
ReplyDeleteMany many thanks.. :)
bahut hi shandar charcha bandhu, kafi kuchh naye links mile. aabhaar aapka, baat jab sahitya ki hi ho rahi ho jab jyadatar to is link par bhi ek nazar daliyega Agar ' fursat' mile to...
ReplyDeleteMuktibodh Munyathiti par aayojan ki rapat
http://sanjeettripathi.blogspot.com/2010/09/blog-post_12.html
....