आज कोई भूमिका नहीं….बस सीधे चर्चा की शुरूआत करते हैं,इस पोस्ट से, जिसमें अशोक पांडेय सभी से हाथ जोड़कर एक अपील कर रहे हैं---कि जैसा कि आप सब लोग जानते ही हैं कि 24 तारीख़ अयोध्या-बाबरी मस्ज़िद विवाद के निर्णय का दिन है.ये तो तय ही है कि निर्णय एक समुदाय के पक्ष में होगा तो दूसरे के विरूद्ध.ऐसे में पूरी संभावना है कि लोकतंत्र में विश्वास न रखने वाली ताक़तें,अराजक तत्व जनसमुदाय की भावनाओं को भड़काने तथा सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का भरकस प्रयास करेंगीं, जिसके निर्णय आने से पूर्व ही आसार दिखाई देने लगे हैं. आईये आज मिलकर ठंढे दिमाग़ से यह प्रण करें कि अगर ऐसा महौल बनाने की कोशिश होती है तो हम इसकी मुखालफ़त करेंगे…और कुछ नहीं तो हम इसमें शामिल नहीं होंगे. |
जूते-चप्पल मांग रहा हूँ .....>>> संजय कुमारहे सर्वशक्तिमान! हे महानआत्मा, मेरे भगवान् तू बड़ा महान है! तूने इस कलियुगी दुनिया के इंसानों को बहुत कुछ दिया! तूने देने में कभी कोई कंजूसी नहीं की! जिसने जो माँगा उसे दिया जिसने नहीं माँगा उसे भी तूने बहुत कुछ दिया! तूने राजा को फ़कीर और फ़कीर को राजा बना दिया! मनमोहन सिंह को बिन मांगे प्रधान-मंत्री बना दिया!बिन मांगे पाकिस्तान को १०० करोड़ दे दिए! अभिषेक को ऐश्वर्या दे दी, तू बड़ा महान है! |
"हमारी डिमांड है कि अमेरिका पकिस्तान को एंटी नो-बॉल मिसाइल दे..."—शिव कुमार मिश्रकरीब पंद्रह दिन हो गए जब इंग्लैंड के एक बुकी मज़हर मजीद ने एक अखबार के साथ मिलकर पाकिस्तान के तीन निर्दोष खिलाड़ियों को फिक्सिंग में फँसा दिया.ये खिलाड़ी निर्दोष हैं बेचारे. साथ ही टैलेंटेड भी हैं. निर्दोष और टैलेंटता के अद्भुत संगम वाले इन तीन खिलाड़ियों में से दो ने नो-बॉल फेंकी थी और एक ने फिंकवाई.आप पूछ सकते हैं कि पुरानी घटना पर मैं आज क्यों लिख रहा हूँ ? |
"अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?" : गधा सम्मेलन के शुभारंभ सत्र का विषय—ताऊ रामपुरिया “लठैत” |
जी का जंजाल (माया जाल)आज हमारी श्रीमती जी का पारा सातवे आसमान पर था,बोली बंद करो ये सब कविता/ग़ज़ल लिखना! मेने आश्चर्ये-चकित होकर पूछा अरे ये अचानक आपको क्या हुआ, इस तरह दहाड़ने का मतलब,कुछ तो हमारी इज्जत कहा ख्याल रखो, पडोसी बैसे ही फिराक में रहते हैं, की यार इन दोनों में कब बजे और हम मजा ले |
कामनवेल्थ,स्वतन्त्रता के प्रति धोकेबाजी---अरविन्द सिसोदिया |
मेरी, तेरी उसकी जेब—देव प्रकाश चौधरी |
हटानी है तो धारा ३७० हटाओ, हालात सुधर जाएंगेभारत सरकार घाटी में फैले अलगावाद पर कठोर कार्रवाई करने की बजाय विद्रोहियों से बातचीत कर सुलह चाहती है। इसके लिए ३८ सदस्यीय सर्वदलीय शिष्टमंडल घाटी में है। कश्मीर आजादी या फिर सेना को पंगु बनाने की शर्त पर ही अलगाववादी शांत होंगे (उसके बाद कुछ और भी मांग कर सकते हैं), यह निश्चित तौर पर तय है। |
क्या आप जानती हैँ कि आपके लिए ज्यादा प्रोटीनयुक्त भोजन हानिकारक हो सकता हैँ ?--Dr.Ashok palmistसंतुलित भोजन का एक अहम घटक माना जाने वाला प्रोटीन (protein),ज्यादा मात्रा मेँ सेवन करने पर महिलाओँ के लिए मुसीबत बन सकता हैँ। Specialists का मानना हैँ कि महिलाओँ मेँ protein की ज्यादा मात्रा calcium की कमी का कारण बन सकती है।
श्राद्ध---क्या, क्यों और कैसे ?—पं.डी.के.शर्मा “वत्स” |
खुद से खुद की बातें .. Dr.Nutan Gairolaमेरे जिस्म में जिन्नों का डेरा हैकभी ईर्ष्या उफनती कभी लोभ, क्षोभ कभी मद -मोह लहरों से उठते और फिर गिर जाते || | उजागर कर दे सारे सत्य... ऐसी एक सूक्ति चाहिए !—अनुपमा पाठकसारा हलाहल पीवो नीलकंठ कहलाये... फिर यहाँ हर कोई हृदय में विष संजोने का हठ क्यूँ करता जाये... पी हलाहल त्राण दें मनुष्यता को... ऐसी पावन शक्ति चाहिए ! |
ग़ज़ल::: " रहे हौसलामंद 'कुमार' ... "--- डा. कुमार गणेशक्या तो कहेंगे अपने क़िस्से;गो कि हम नाशाद रहे,अपने-बिराने, इस के-उस के; बंधन से आज़ाद रहे रिमझिम-रिमझिम बूँदों में;थोड़ा तो ग़म घुल जाए, कुछ तो रोएँ, आँख भिगोएँ; ये बरसात भी याद रहे |
थीं रंगीनियाँ बहाराँ, मौसम-ए-खिज़ा नहीं था .....स्वपन मंजुषा “अदा”जिसे ढूँढतीं हैं आँखें, वो अभी यहीं कहीं था ख़ुशबू सी उड़ रही है, दिल के बहुत करीं था कोई ख़बर दो उसकी, कोई तो पता दो वो जो मेरा हमसफ़र था, वो मेरा हमनशीं था |
आज हमें जिस जिस चीज की सर्वाधिक आवश्यकता है वह है शांति.-- अमित शर्मासंजोग-जोग को मल्ल स्रंगार लिपटी रहे विषयन की गार विषय आवागमन की चाभी ताहि निवृति गीताजी को सार पूरण-ब्रह्म सर्व गुण राशी तीनलोक भुवन अनन्त निवासी तान्कौ स्वरुप महाशांत गावै वेद-शास्त्र सकल मुनि ज्ञानी |
कार्टून:-पगलों की दुनिया में ऐसे खेल भी खेले जाते हैं | कार्टून: भारी कन्फ्यूज़न है भाई !! |
बड़ी प्रासंगिक और प्रभावी चर्चा......
जवाब देंहटाएंसभी लिनक्स अच्छे लग रहे हैं.... अब जाना और पढना बाकी है.....
sabhi links behtareen...
जवाब देंहटाएंmeri pravishthi shamil karne ke liye aabhaar..!
बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स .. बढिया चर्चा !!
जवाब देंहटाएंवाह। उत्तम चर्चा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अच्छे लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा, वत्स साहब!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली चर्चा हैँ। महत्वपूर्ण चर्चा मेँ लेख शामिल करने के लिए आपका बहुत - बहुत शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंsundar saargarbhit charcha....
जवाब देंहटाएंread few and will be reading rest of the links....
subhkamnayen!
thanks for including my post too..
बहुत सारगर्भित चर्चा ..अच्छे लिंक्स मिले , आभार
जवाब देंहटाएंsamsamyik aur prabhipurn charcha ke liye dhanyavaad...
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा है आज की .....
जवाब देंहटाएं‘ भऱत से गले मिले थे राम,लेकिन क्या तब जेब कटने जैसी ऐतिहासिक घटना हुई थी?’
जवाब देंहटाएंजेब नहीं थी तब ही ना खडाऊ तक ले लिए थे ताकि जंगल के कांटे चुभें :)
बहुत अच्छे लिंक, कई तो अभी ही पढे आपका आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट लाने के लिए और ब्लॉग पर आने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
"भारी कन्फ्यूज़न है भाई !! लोग शांति मांग रहे हैं--मैं जूते चप्पल माँग रहा हूँ----(चर्चा मंच-286)"
जवाब देंहटाएं--
आज की चर्चा के तो शीर्षक से ही
सारे कन्फ्यूजन दूर हो गये!
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बहुत सुन्दर रही आज की चर्चा!
लाजवाब चर्चा...देरी के लिए क्षमा चाहती हूँ.
जवाब देंहटाएंआभार.