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बुधवार, सितंबर 01, 2010

"मेरी वेब साईट कहाँ रखी थी और कौन ले गया ?" (चर्चा मंच-264)


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आज सीधे-सीधे देखिए-
कुछ अद्यतन पोस्ट!
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ताऊ और चम्पाकली, खूब रहे बतियाय।
शुद्ध दूध के वास्ते, खुद ही भैंस दुहाय।।
ताऊ और ताऊ की भैंस अक्सर ये बाते करते हैं.... - सभी दर्शकों को ताऊ टीवी के चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे की सादर सलाम नमस्ते..आदाब और जो भी सम्मान सूचक शब्द आपने अपने लिये जो सोच रखें हों वो भी.... ताऊ टीवी की...
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इस विदेशी खेल को भारत और पाकिस्तान में ही 
ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है!
कार्टून : ये पाकिस्तान का क्रिकेट है भिडू !!
बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt  
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लेखक बनने का मजा, भोग रहें हैं लोग।
मजा बन गया अब सजा, कैसा है संजोग।।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून:- ले, और बनेगा लेखक ?
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सही समय चुना है!
नौटंकी-ए-कजरी ....... झिंसी.....फुहार......
ऑफ्टरऑल इट्स दिलवा मांगे मोर..........सतीश पंचम
        गये इतवार की शाम जब मेरे यहां झिंसी पड़ रही थी, हल्की-हल्की फुहार पड़ रही थी ठीक उसी समय मैं घर से कुछ दूरी पर स्थित एक मंदिर जा रहा था। अक्सर शनिवार या इतवार के दिन मंदिर का रूख करता हूँ और वह भी ज्यादातर शाम के समय क्योंकि वहा ... 
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बहुत सुन्दर है ज़नाब!
एक प्रार्थना: महमूद दरवेश की कविता
जिस दिन मेरे शब्दधरती थे ...मैं दोस्त था गेहूं की बालियों का.जिस दिन मेरे शब्दक्रोध थेमैं दोस्त था बेड़ियों का.जिस दिन मेरे शब्द पत्थर थेमैं दोस्त था धाराओं का,जिस दिन मेरे शब्दएक क्रान्ति थेमैं दोस्त था भूकम्पों का.जिस दिन मेरे शब्दकड़ ... 
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सरसरी तौर पर देखिए ना!
शहर को कैसे देखें उर्फ़ बातें बनाना..
हाथ की उंगलियों पर गिनी जा सके जितने दिनों वाली गुडगांव से पहचान है, मगर जितने दिनों की और जैसी भी है, उसमें सन्‍न और सुन्‍न होता रहता हूं कि शहर को कैसे देखें. और फिर उस दिखते हुए की किन रुपों में पहचान करें. 
बहुत बार अहसास होता है कही ...
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भावभीनी-श्रद्धा़ञ्जलि
स्मृति शेष : अमृता और उनके विचार......
जी हाँ......एक यथार्थ हमारे समक्ष होता है जिसे हम जीते हैं , यूँ कहें जीना पड़ता है , सामना करना होता है, 
पर एक यथार्थ - जो वस्तुतः होना चाहिए , इस सन्दर्भ में हमारे अलग-अलग दृष्टिकोण भी होते हैं ! 
इस तथ्य के परिप्रेक्ष्य में मशहूर शायर ...

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हमेशा से ही रही है!
किसानों पर दोगली राजनीति
संसद ने सांसदों की तनख्वाह तीन सौ गुना बढ़ा दी। सांसदों के भत्तों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी। इस बढ़ोत्तरी पर भी सांसदों को संतोष नहीं है। खुद मुख्तार है सांसद। दुनिया में सबसे गरीब मुल्क में रहने वाले लाटसाहबों से महंगा वेतन चाहते ... 

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डूबते-उतराते हर किसी को
अपनी नौका खेनी ही पड़ती है!
अंतर्मन के सागर की  अथाह ...
अंतर्मन के सागर की  अथाह गहराइयों में  उपजी पीड़ा का दर्द छटपटाहट, बेबसी की जंजीरों में जकड़ी रिश्ते की डोर  ना जाने कितनी  बार टूटी  और टूटकर  बार- बार जोड़नी पड़ी  इस आस पर  शायद मोहब्बत को  मुकाम मिल जाये और हर बार रिश्ते ...  
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यह तो हम जैसे सीनियर ही बता सकते हैं! 
तजुर्बों के रास्तों से, उम्र का गुज़रना....
तजुर्बों के रास्तों से  उम्र का गुज़रना, फिर आड़ी-तिरछी पगडंडियों  का चेहरे पे जमना, 
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बहुत-बहुत बधाई!
ललही छठ
कल ललही छठ थी। हल छठ – हलधर (बलराम) का जन्म दिन। कभी यह प्रांत (उत्तरप्रदेश) मातृ-शक्ति पूजक हो गया होगा, या स्त्रियां संस्कृति को जिन्दा रखने वाली रह गई होंगी तो उसे ललही माता से जोड़ दिया उन्होने। 
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खुशदीप जी अनुभव शेयर करने के लिए शुक्रिया!
गु्ल्ली, मम्मी और पड़ोस वाले अंकल...खुशदीप
साइकोलॉजी टीचर ने नए तरीके से छात्रों को पढ़ाने का फैसला किया...
आते ही क्लास में छात्रों से कहा कि क्लास में जो भी स्टूपिड है, खड़ा हो जाए...
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कुछ दावतें ..कुछ जाम..
रात का हो गया इन्तजाम!
आज की रात .......
याद है पिछले वर्ष का ये दिन .....आप सब की शिकायत रही थी कि कम से कम आज के दिन तो 
कोई दर्द भरी नज़्म न लिखूं .....
तो इस बार ऐसा कुछ न लिखूंगी जो आपसब को नागवार गुजरे .....
बस .इस बार शब्दों का कुछ ज़श्न है ....कुछ दावतें .... कुछ जाम . ...

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नो-कमेंट।
सिद्धान्त मोहन तिवारी की कविताएं
{ कविता में तीक्ष्ण-बुद्धि कैसे लिजलिजी भावुकता को फटकार लगाती है, सिद्धान्त ने इसका पता अपनी इन शुरूआती कविताओं में ही दे दिया है. जो भाव और बुद्धि की कॉकटेल से कविता संभव करने को निर्णायक मान बैठे हैं, उनके लिए ये कविताएं दिक्कत पेश क ...

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सावन में हरा-हरा दिखना स्वाभाविक है!
इन दिनों इच्छाएं, दिन, दुःख, आत्मा, हरी घास और झिलमिलाती रौशनी में...
किसी गहरे दुःख से उबरते , उसी दुःख को हांसिल करना होता है, लौटते -डूबते इस बारिश में , एक निर्वासित दिन उम्मीदों  में सर उठाता है , इन दिनों - यकायक ... दूर मैदानों में एकदम हरी घास सुकून देती है , जहाँ हवा जोरों से चलती है , अंध ...  
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पढ़ने के बाद ही पता चलेगा!
मेरी झूठी रिपोर्ट का सच
शाम के चार बज रहे थे। ढाबे वाले को बार-बार दबाव डाल रहा था कि जल्दी कुछ भी बना दीजिए। सुबह नाश्ता भी नहीं किया था। पेट जल रहा था। बगल की कुर्सी पर ढाबे का मालिक भी आकर बैठ गया था। तभी सामने से एक शख्स शराब के नशे में धुत ख़ुद को संभालता ...
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जी हाँ गरल भी सुधा बन जाता होगा!
ज़िन्दगी के सबसे मुश्किल पलो में प्यार मिठास घोल देता है..
'अभी इतनी बूढी भी नहीं हुई हूँ कि तु कुछ भी कहे और मान लु मैं.. इस डिब्बे से कैसे हो जायेगी बात तेरे नानाजी से..?' बोलते हुए नानीजी अपनी दवाइयों वाली थैली में से दवाई निकालने लगी..
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बाबा जी का योग कीजिए ना!
तू जला डाल कुछ कैलोरी
तू जला डाल कुछ कैलोरी
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भाग 1-2-3-4 बहुत अच्छा लगा!
रौशनी में आदिम जिन्दगी : भाग 4 (कहानी : संजीव तिवारी) - रौशनी में आदिम जिन्दगी : भाग 1 रौशनी में आदिम जिन्दगी : भाग 2 रौशनी में आदिम जिन्दगी : भाग 3 इसके बाद लगभग हर दो तीन दिनों के अंतराल में कतमा अपनी टीम के सा...
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बारिस थोड़े दिन की मेहमान है!
पत्तो से टपकती वो बारिश की बूंदे छन से गिरकर वो खिडकी को चूमे परदे की ओत में छिपता वो बादल गरजते-बरसते आसमा में झूमे धरती भी बन मस्त कलंदर वो नदियाँ भी बहे ...
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दोनों ही फिल्में बहुत बढ़िया थीं!
अविभाजित मध्यप्रदेश में सिंचाई और वित्त मंत्री रहे रामचंद्र सिंहदेव ने कभी सत्यजीत रे के साथ किया था। उन्होंने कई बंगला फिल्मों के लिए भी फोटोग्राफी की। श्...

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भावनाओं में भ्रम का होना स्वाभाविक है।
जिसने लहरों को पहचाना वो ही तो नाविक है।।
बहुत बड़ी धरती मुझे मिली है मिला है बहुत बड़ा आकाश 
इस छोर से उस छोर तक क्षितिज का साथ है !
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इह लोक में या परलोक में!
खिलते फूलों की मुस्कान..... ह़र रोज़ ..... ढलती हुई शाम .... हमे साथ होने का मर्म बताती है , नम आँखों को भी क्या खूब हँसाती हैं ! आस्था से सिंचित कोई एक...
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इसीलिए तो सांसदों ने अपनी वेतन बढ़वा लिया है!
उपकार करने वाले को उसी प्रकार सुख स्वयं प्राप्त होता है जैसे मेंहदी पीसने वाले के हाथ में अनायास मेंहदी का रंग लग जाता है जो गरीब को हित करे, धन...
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टूटे हुए तारों ने किस्मत को सँवारा है।
मिल जाये खुशी उनको, ग़म हमको गँवारा है।।
कैसा मंज़र है, ये क्या गज़ब नज़ारा है दर्द का दरिया, और दिल गमों का मारा है 
इतने तनहा है की, परछाइयों से डरते है अब तो बस दिल को, अंधेरों का ही स...

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बहुत सुन्दर प्रेरक कथा है!
दादी-----कहानी -------(ललित शर्मा0 - अलख निरंजन, अलख निरंजन” सुनकर मैने सर उठाकर देखा, एक बाबा जी और उनका चेला मेरे सामने खड़े थे। बाबा जी नंगधड़ंग, जटाधारी और लिंग पर सांकल बांध रखी थी, उसमें ए...
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 *बीवी बोली- मैं मर गई तो दूसरी शादी कर लोगे ?* ** ** *मैँ बोला-जो तुम मर गई तो मैँ पागल हो जाऊँगा* ** *और पागल का क्या है भरोसा,वो कुछ भी कर सकता है .* **...
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मजेदार सी पोस्ट में, हैं छींटे-बौछार।

इस चर्चा के अन्त में, हैं कुछ हास्य-फुहार।।

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हाल ही में मुझे सैकड़ों जगहों से अग्रेषित एक ईमेल मिला 
जिसमें सैकड़ों तरह के मनोरंजक ईमेल पते दर्ज थे. 
आपके मनोरंजन के लिए इनमें से कुछ छांट बीन कर पेश हैं
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ख़ुशी से पागल हो जाऊंगा - *** :: हंसते रहने से आत्मविश्‍वास में वृद्धि होती है। ::* ख़ुशी से पागल हो जाऊंगा परीक्षा के परिणाम जब आ गए तो खदेरन का बेटा भगावन सीधे अपने पापा के पा...

21 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रंग बिरंगी प्रस्तुति

    योगेश्वर श्री कृष्ण की जय।

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  2. बहुत सुन्दर और विस्तृत चर्चा ...अभी बहुत से लिंक्स पर जाना बाकी है ...

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  3. बहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा ......बहुत बहुत धन्यवाद !

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  4. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई !
    जय श्री कृष्ण !!

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  5. बहुत ही सुन्दर चर्चा…………अच्छे लिंक्स्।

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  6. जन्माष्टमी की शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर चर्चा
    अच्छे लिंक्स्...!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर चर्चा
    अच्छे लिंक्स्...!

    जवाब देंहटाएं
  9. मजेदार सी पोस्ट में, हैं छींटे-बौछार :)

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  10. बहुत धुंवाधार चर्चा. जन्माष्टमी की घणी रामराम.

    रामराम.

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  11. सुंदर चर्चा के लिए आभार. कुछ और नई पोस्टों के लिंक मिले जो देखने से रह गई थीं. धन्यवाद.

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  12. सुंदर रंग बिरंगी प्रस्तुति

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  13. .
    ब्लॉग-पोस्टों का बड़ा व्यापक सर्वेक्षण करते हैं,
    देख कर आश्चर्य होता है, साथ ही अपने बीच ऎसे जीवट आत्मा के होने का गर्व भी ।
    अद्भुत, सरलतम शब्दों में इसे अदभुत ही कहेंगे ।

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति!

    श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!

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